हार्डडिस्क बहुत सारे प्लैटर्स की बनी होती है, जिनमें से प्रत्येक प्लेटर डाटा को रिकॉर्ड करने तथा डाटा को पढ़ने (read) के लिए दो हेड्स (heads) का प्रयोग करता है।
एक हेड प्लैटर के शीर्ष (top) और दूसरा हेड उसके तल (bottom) के लिए होता है। वे हेड्स जो प्लैटर को एक्सेस करते हैं
हेडआमंजू को असेम्बली पर एक साथ जुड़े होते हैं । इसका अर्थ यह है कि सारे हेंड्स साथ-साथ अंदर और बाहर गति करते हैं|
इसलिए प्रत्येक हेड हमेशा एक ही ट्रैक नम्बर पर भौतिक रूप से स्थित होते हैं। यह बिल्कुल संभव नहीं है कि एक हेड ट्रैक सं0 0 पर और दूसरा हेड ट्रैक सं0 1000 पर हो।
इस व्यवस्था के कारण, हैंड्स की ट्रैक लोकेशन (location) ट्रैक संख्या ने कहला कर सिलिण्डर संख्या कहलाती है।
एक सिलिण्डर मूल रूप से सारे ट्रैक्स का एक समुच्चय (set) होता है जहां सारे हेड्स अवस्थित (located) होते हैं।
इसलिय यदि एक डिस्क में चार प्लैटर हो तो सामान्यतः इसमें आठ हेड होते हैं और सिलिण्डर संख्या 720 (उदाहरण के लिये) आठ ट्रैक्स के सेट का बना होगा
जो ट्रैक संख्या 720 पर प्रति प्लेटर सतह पर एक की दर से स्थित होगा। यह नाम इस तथ्य से निकलता है कि यदि आप इन ट्रैक्स को मानसिक रूप से विजुअलाइज करें तो वे एक स्केलेटल सिलिण्डर का निर्माण करते हैं
क्योंकि वे समान आकार के वृत्त होते हैं जो उसी जगह में एक पर एक के हिसाब से स्थित रहते हैं। अधिकतर व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए ट्रैक्स तथा सिलिण्डर्स के मध्य बहुत अंतर नहीं होता है।
यह एक ही चीज को अलग तरीके से सोचना हुआ। अलग अलग सेक्टर की एंडुसिंग (addressing) पारम्परिक रूप से सिलिण्डर, हेड तथा सेक्टर का संदर्भ देखकर के की जाती है।
चूँकि सिलिण्डर डिस्क के सभी हेंड पर स्थित ट्रैक संख्याओं का एक संकलन (collection) है|
स्पेसिफिकेशन ट्रैक संख्या और हेड संख्या का जोड़ सिलिण्डर संख्या और हेड संख्या के जोड़ के बराबर होता है जो ट्रैक संख्या तथा हेड संख्या के समान ही है।