Author: Ram

  • Disadvantages of E-Commerce ई-कॉमर्स के नुकसान kya hai?

    ई-कॉमर्स के नुकसान (Disadvantages of E-Commerce)

    ई-कॉमर्स के नकारात्मक पहलू पर चर्चा अपेक्षाकृत कठिन है। क्योंकि यदि इसके नकारात्मक पहलू प्रबल होते तो शायद ही आज इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स का स्वरूप यह होता । फिर भी इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के कुछ प्रत्यक्ष नकारात्मक पहलू दिखते हैं जो इस प्रकार हैं-

    खरीदार तथा विक्रेता एक दूसरे को नहीं देखते जब खरीदार किसी विक्रेता से कोई सामान खरीदता है तो वे दोनों पक्ष एक-दूसरे को नहीं देख पाते। अतः विक्रेता खरीदार की कोई सहायता नहीं कर पाता ।

    न ही विक्रेता खरीदार के उत्पाद संबंधी शिकायतों को तत्काल सुन पाता है। इस प्रकार बिक्री अप्रत्यक्ष (passive) बन जाता है।

    यह विक्रेता के एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त की अवहेलना करता है। यदि किसी उत्पाद को लेकर मानवीय संवाद की जरूरत पड़े तो यहाँ ई-कॉमर्स से यह सम्भव नहीं हो पाता।

    आर्थिक तथा सामाजिक समस्या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के लिए पूरी आबादी कभी भी इस प्रकार की तकनीकी 1 कौशल विकसित नहीं कर पाएगी। न ही सब के पास ई-कॉमर्स के लिए संसाधन प्राप्त होंगे। इस तरह के व्यापार में चूँकि कम मानव शक्ति की आवश्यकता होती है अतः इससे बेरोजगारी भी बढ़ेगी।

    ग्राहकों की रूचि को समझने में असफल – कोई भी उत्पाद जिसको कितनी भी सुरूचिपूर्ण ढंग से क्यों न ही प्रस्तुत किया हो असफल हो जाता है क्योंकि उत्पादक और रिटेलर, ग्राहक की आदतों, अपेक्षाओं तथ प्रयोजन से अनभिज्ञ रहते हैं।

    प्रतिस्पर्धा की स्थिति को समझने में चूक हो जाना – किसी के अंदर एक अच्छा पुस्तक ई-टेलिंग व्यापार मॉडल बनाने की इच्छाशक्ति होती है, परन्तु प्रतिस्पर्धा को कैसे निबटा जाय इसकी कमी हो सकती है।

    एन्वाएरमेंटल रीएक्शन की भविष्यवाणी करने में अक्षम प्रतिस्पर्धी क्या करेंगे ? क्या वह प्रतियोगी ब्रान्ड या प्रतियोगी वेबसाइट (competitive websites) आरम्भ करेंगे ? क्या वे अपनी सेवाओं को सप्लीमेंट (supplement) करेंगे ? क्या वे किसी प्रतिस्पर्धी की साइट को बर्बाद (sabotage) करेंगे ? क्या मूल्य की युद्ध (price war) छिड़ जायेगी ? सरकार क्या करेगी ? इन सारे प्रश्नों का उत्तर सही-सही पाने में इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी असमर्थ होते हैं।

    संसाधन क्षमता को अधिक आँकना क्या स्टाफ, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर तथा प्रक्रियाऐं (processes) प्रस्तावित – रणनीति को नियंत्रित कर सकते हैं ? क्या ई-टेलर्स (e-tailors) कर्मचारी तथा प्रबंधन कौशल को विकसित करने में असफल हुए हैं ? ये मुद्दे संसाधन नियोजन (resource planning) तथा कर्मचारी प्रशिक्षक (employee training) के लिए आवश्यक हो सकते हैं।

    समन्वय बनाने में असफल (Failure to coordinate) – यदि उपस्थित रिपोर्टिंग और कन्ट्रोल रिलेशनशिप पर्याप्त नहीं है इस स्थिति में एक फ्लैट, एकाउन्टेबल और लचीले संगठनात्मक संरचना की ओर अग्रसर हो सकते हैं जो कोआर्डिनेशन में संभवतः सहायता दे सकता है अथवा नहीं दे सकता है ।

    वरिष्ठ मैनेजमेंट से वचनबद्धता लेने में असफलता इसके फलस्वरूप किसी कार्य को पूरा करने में पर्याप्त कारपोरेट – संसाधनों के जुटाने में असफलता प्राप्त होना होता है। इससे उच्चतर मैनेजमेंट को प्रारम्भ से से ही काम में लगाने में सहायता मिल सकती है।

    कर्मचारी वचनबद्धता लेने में असफलता • यदि योजना बनाने वाले कर्मचारियों को अपनी रणनीति अच्छी तरह न – समझा सके या कर्मचारियों को पूरी छवि स्पष्ट न कर सके तब प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन देकर कर्मचारियों को रणनीति की ओर उन्मुख किया जा सकता है।

    आवश्यक समय कम आँकना किसी भी ई-कामर्स जैसे जोखिम भरे काम को करने में काफी समय और पैसा लगता है अतः समय तथा कार्य के वरीयता को समझने में विफलता (Sequencing of tasks) लागत में महत्वपूर्ण उलटफेर कर सकती है।

    बुनियादी परियोजना नियोजन (basic project planning), विवेचनात्मक पाथ (critical path), विवेचनात्मक चेन (critical chain) अथवा पी.ई.आर.टी. (PERT) विश्लेषण (analysis) असफलताओं को कम कर सकती हैं। मार्केट शेयर को पाने के लिये लाभांश को प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

    संगठित अपराध का शिकार बनना – अनेक सिन्डीकेट (syndicates) हैं, जिनको यह मालूम है कि इंटरनेट, राजस्व का बड़ा स्रोत हो सकता है। ये व्यवसाय संघ दो मुख्य तरीके अपनाते हैं

    (1) आइडेन्टिटी थैफ्ट तकनीक (identity theft technique) जैसे फिशिंग (phishing) जिसमें मूल्यवान वस्तुओं के खरीदने का आर्डर देकर बिल किसी निरीह व्यक्ति के नाम भेजने का आदेश देकर जल्दी से मूल्यवान वस्तु बेचकर रोकड़ा इकट्ठा कर लेना तथा

    (2) दूसरा तरीका है काम्प्रोमाइज्ड जूम्बी कम्प्यूटर (compromised “Zombie” computers) का इस्तेमाल कर एक नेटवर्क के द्वारा शिकार वैबसाइट (website) को इस तरह एन्गेज रखना कि वह अपना व्यवसाय न कर सके। तब तक जब तक कि प्रोटेक्शन मनी (protection money) अदा करना न शुरू कर दे।

    अनापेक्षित की अपेक्षा में असफलता (Failure to expect the unexpected) – बहुधा ऐसा होता है कि नये व्यापार समय, पैसा और संसाधन की आवश्यकताओं का सही अंदाज नहीं लगा पाते जो किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगती है और इसी कारण किसी एक की कमी के कारण वे सफल व्यापार नहीं कर पाते।

  • Advantages of E-Commerce ई-कॉमर्स के फायदे kya hai?

    ई-कॉमर्स के फायदे (Advantages of E-Commerce) ई-कॉमर्स के प्रमुख फायदे हैं।

    • ई-कॉमर्स इक्वालायज़र के रूप में कार्य करता है (E-Commerce serves as an equalizer) यह शुरूआती दौर के, छोटे तथा मध्यम आकार के व्यापारियों को वैश्विक बाजार में पहुँचने में मदद करता है।

    • ई-कॉमर्स मास कस्टमाइजेशन को सम्भव करता है। ( E-commerce makes mass customization possible)- इस क्षेत्र के ई-कॉमर्स एप्लिकेशन्स में आसानी से प्रयोग किये जाने वाले ऑडरिंग प्रणाली (ordering systems) शामिल होते हैं, जिसकी सहायता से ग्राहक अपने इच्छा के अनुरूप उत्पादों का चयन कर ऑर्डर दे सकते हैं ।

    उदाहरणस्वरूप, कोई कार निर्माता कम्पनी जो ई-कॉमर्स रणनीति के तहत व्यापार करती हैए ऑर्डर के अनुसार गाड़ी तैयार कर सकती है जो ग्राहक के विवरण के अनुसार होगा। यह और अच्छे से कार्य कर सकता है, यदि कम्पनी का निर्माण प्रक्रिया उन्नत किस्म का है तथा ऑडरिंग सिस्टम के साथ जुड़ा है।

    ई-कॉमर्स नेटवर्क उत्पादन की अनुमति देता है। (E-commerce allows network production) अर्थात् कम्पनी की उत्पादन प्रक्रिया को उन सभी ठेकेदारों (contractors) को भेज देना जो भौगोलिक रूप से तो बिखरे हैं, परन्तु कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से आपस में जुड़े हैं।

    नेटवर्क उत्पादन के कारण लागत में कमी के साथ ही यह अधिक रणनीतिक टारगेट मार्केटिंग प्रदान करता है। इसके साथ ही इससे अतिरिक्त उत्पादों, सेवाओं तथा वैसी प्रणालियों को बेचने में मददगार होती है जो समय की माँग होती है।

    नेटवर्क प्रोडक्शन के कारण, कोई कम्पनी दुनिया के विभिन्न फैक्टरियों मं अपनी आवश्यकताओं को भेज सकते हैं, जो उस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं।

    ई-कॉमर्स उपभोक्ता के लिए सहायक है (E-Commerce is helpful to the cosumer) उपभोक्ता-व्यापार (C2B) लेनदेन में ग्राहकों या उपभोक्ताओं का अधिक महत्त्व होता है। वे अपने आवश्यकताओं तथा रूचियों के अनुसार सामान को बनवा सकते हैं।

    तथा सेवाओं की डिलीवरी (delivery) कैसे हो, यह भी सुनिश्चित हो सकता है। फलस्वरूप उपभोक्ता के लिए विकल्प अधिक होते हैं।

    ई-कॉमर्स में उत्पादन प्रक्रिया तेज तथा अधिक खुला होता है, जिस पर ग्राहकों का बहुत अधिक नियंत्रण होता है।

    ई-कॉमर्स के कारण उत्पादों का बाजार तथा उससे सम्बन्धित सूचना हमेशा उपलब्ध रहता है तथा इनके कीमत अधिक पारदर्शी होते हैं, जिससे ग्राहक खरीदारी से सम्बन्धित कम से कम कीमत के मामले में ज्यादा उपयुक्त निर्णय ले पाते हैं।

    • ई-कॉमर्स के पीछे ड्राइविंग फोर्स (Driving forces behind E-Commerce) कम से कम तीन ऐसी शक्तियों है जो ई-कॉमर्स में ईंधन का काम कर रही हैं। ये आर्थिक शक्तियाँ, कस्टमर और मार्केटिंग इंटरएक्शन शक्तियाँ तथा टेक्नॉलॉजी विशेषकर मल्टीमीडिया कनवर्जेन्स (multimedia convergence) है।

    आर्थिक शक्ति (Economic Force) : ई-कॉमर्स के सबसे स्पष्ट लाभ आर्थिक सामर्थ्य (economic efficiency) है। ई-कॉमर्स के आर्थिक सामर्थ्य के मूल कारण ये हैं-

    कम्यूनिकेशन लागत में कमी

    कम कीमत का प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर

    कम प्रचार लागत

    सप्लायर्स के साथ सस्ती तथा तेज इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन

    सस्ती कस्टमर सेवा

    आर्थिक एकीकरण बाहरी अथवा आंतरिक है। आर्थिक एकीकरण से तात्पर्य कम्पनियों, सप्लायरों, ग्राहकों तथा स्वतंत्र ठेकेदारों का इण्टरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वातावरण में आपस में जुड़ा होना है।

    आंतरिक एकीकरण से तात्पर्य दूसरी ओर कम्पनी के अंदर विभागों का आपस में जुड़ा होना है। इसकी सहायता से महत्वपूर्ण व्यापार सूचना डिजीटल रूप में संग्रहीत होते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में कभी भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

    आंतरिक एकीकरण का सबसे अच्छा उदाहरण कॉरपोरेट इण्टरनेट है। प्रॉक्टर व गैम्बल, आई.बी.एम., इण्टेल कुछ कंपनियों के उदाहरण हैं जिनके कारपोरेट इण्टरनेट अत्यंत प्रभावशाली है।

    बाजार शक्ति (Market Force) छोटे तथा बड़े दोनों ही प्रकार की कम्पनियों को बाजार में उतरने तथा अन्तर्राष्ट्रीय : बाजार पर काबू करने के लिए ई-कॉमर्स अत्यंत शक्तिशाली कारक हैं। इण्टरनेट, इसलिए, ग्राहक सेवा तथा सपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके माध्यम से कम्पनियों अपने ग्राहकों को उत्पाद की विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

    प्रौद्योगिकी शक्ति (Technology Force) : ई-कॉमर्स के विकास में आई.सी.टी. (ICT) अर्थात् इंफॉरमेशन तथा कम्यूनिकेशन प्रौद्योगिकी (Information And Communication Technology) मुख्य कारक है।

    उदाहरण के लिए डिजीटल सामग्री में प्रगति, ओपन सिस्टम प्रौद्योगिकी का संप्रेषण तथा प्रोमोशन कम्यूनिकेशन सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने में अहम् भूमिका निभाई है।

    फलस्वरूप कम्यूनिकेशन अधिक प्रभावशाली हुआ है तथा इसमें गति, सहजता आई है और यह सस्ती हुई है।

    ग्राहकों, कर्मचारियों, सप्लायर्स, वितरक तथा प्रतिस्पर्धियों को जोड़ता है (Link customers, workers, suppliers, distributors and competitors): ई-कॉमर्स संगठन नेटवर्क (organization networks) को बढ़ावा देता है

    जिसमें छोटी कम्पनियाँ ग्राहकों की आवश्यकताओं को ठीक ढंग से पूरा करने हेतु सप्लाई तथा उत्पाद वितरण (distribution) के लिए पार्टनर कम्पनियों पर निर्भर करती हैं।

    ग्राहकों, कर्मचारियों, सप्लायरों, वितरकों तथा प्रतिस्पर्धियों (competitors) को जोड़ने वाली नेटवर्क शृंखला को व्यवस्थित करने के लिए एक एकीकृत या विस्तारित सप्लाई चेन मैनेजमेण्ट समाधान (Supply Chain Management solution) की आवश्यकता होती है।

    सप्लाई चेन मैनेजमेण्ट (Supply Chain Management) या एस. सी.एम. (SCM) को सामग्री (material), सूचना तथा वित्त के निरीक्षण के रूप में परिभाषित किया जाता है।

    यह निरीक्षण सप्लायर, उत्पादनकर्ता से लेकर थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता तक चलता है। इसमें कम्पनियों के अंदर तथा उनके मध्य इन प्रक्रिया के समन्वय तथा एकीकरण शामिल होते हैं।

    किसी भी प्रभावी सप्लाई चेन मैनेजमेण्ट का उद्देश्य चेन के अगले लिंक तक सामान तथा सेवाओं का बिल्कुल ठीक समय पर निरीक्षण करना होता है।

  • E-Commerce Business kaise karen?

    E-Commerce Business

    ई-कॉमर्स के लिए पर्याप्त मार्केट रिसर्च और विश्लेषण (market research and analysis) होना चाहिये।

    ई-कामर्स अच्छे व्यापार की योजना और आपूर्ति एवं आवश्यकता के मूल सिद्धान्तों (fundamental laws of supply and demand) से परे नहीं है। व्यापार में असफल होना अन्य व्यापार की तरह ही ई-कॉमर्स का भी एक सत्य है।

    • ई-कॉमर्स के लिए एक अच्छी मैनेजमेंट टीम आवश्यक है जिसके पास इन्फारमेशन टेक्नालाजी की रणनीति हो । कम्पनी की इन्फारमेशन टेक्नालाजी रणनीति, व्यापार की रीडिइजाइन (re-design) प्रोसेस का एक भाग होना चाहिए

    • ग्राहकों को एक सुरक्षित और सरल तरीका प्रदान करना जिससे वे अपना ट्रांजेक्शन कर सके। क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट पर भुगतान करने का लोकप्रिय साधन है तथा 90 प्रतिशत ट्रांजेक्शन में यही साधन इस्तेमाल होता है।

    पूर्व में कार्ड संख्याओं को सुरक्षित ढंग से ग्राहक तथा व्यापारी के मध्य स्वतंत्र भुगतान गेटवेज़ (gateways) के माध्यम से स्थानान्तरित किया जाता था।

    आज भी इस तरह के स्वतंत्र गेटवे (gateway) का इस्तेमाल छोटे और गृह व्यापार कर रहे हैं। अधिकतर व्यापारी आज साइट पर क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन उन व्यापारी बैंकों या क्रेडिट कार्ड कम्पनियों के साथ करते हैं जिनके साथ उन्होंने अनुबंध कर लिया हो।

    ● सुरक्षा तथा विश्वसनीयता उपलब्ध करवाना। समानान्तर सर्वर (parallel server), हार्डवेयर रिडन्डैन्सी (hardware redundancy), फेल सेफ टेक्नालॉजी (fail-safe technology), इन्फारमेशन एनक्रिप्शन (information encryption), तथा फायरवाल (firewall) उपरोक्त आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

    • ग्राहक संबंधों की संपूर्ण जानकारी प्रदान करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी, सप्लायर्स तथा साझेदार (Partners) ग्राहक का संपूर्ण तथा समान जानकारी प्राप्त कर सके। • व्यापार की दृष्टि से मजबूत व्यापार माडल की संरचना

    • एक ऐसे जागरूक, सजग संगठन की स्थापना करना जो आर्थिक, सामाजिक तथा भौतिक वातावरण के किसी भी परिवर्तन की दशा में शीघ्र प्रतिक्रिया दे।

    •एक आकर्षक वेबसाइट उपलब्ध करवाना। इस संबंध में सुरूचिपूर्ण रंगों, ग्राफिक्स, एनीमेशन, फोटो, फॉन्ट तथा खाली जगहों का सही-सही तालमेल आवश्यक है।

    • दिये जा रहे उत्पाद या सेवाओं की पूरी समझ प्रदान करना जिसमें न केवल उत्पाद संबंधी जानकारी हो परन्तु अच्छे सलाहकार तथा चयनकर्ता से संबंधित जानकारी का होना आवश्यक है

    स्वाभाविक रूप से, ई-कॉमर्स (vendor) को इस प्रकार के नित्य (mundane) कार्यो को सम्पन्न करने के लिए उत्पाद इसकी उपलब्धता के बारे में सच्चा होना चाहिए, माल भेजने की प्रक्रिया विश्वसनीय होनी चाहिए, शिकायतों से तेजी के साथ और प्रभावी ढंग से निपटना चाहिए।

    इंटरनेट वातावरण की यह खूबी है कि ग्राहक उत्पाद और उत्पाद करने वाली कम्पनी के बारे में अधिक जानकारी/सूचना एकत्र करने के अन्य साधनों से भी परिचित होता है जो भौतिक दुनिया में संभव नहीं है।

    एक सफल ई-कामर्स संगठन को चाहिये कि वह ग्राहक को एक आनंददायक और संतोषजनक अनुभव दें। इसको संभव बनाने में अनेक कारक (factors) हैं जिनमें सम्मिलित हैं।

    (i) ग्राहक को प्राथमिकता देना

    (ii) सेवा और निष्पादन (service and performance) उपलब्ध करना ग्राहक को एक अच्छा खरीदारी का अनुभव – देना ठीक वैसा ही जब वह स्वयं किसी दुकान में जाकर खरीदारी कर के प्राप्त करता है।

    (iii) ग्राहक को खरीदारी का इन्सैनटिव (incentive) देना विक्रय प्रमोशन (sale promotion) के इस उद्देश्य की प्राप्ति कूपन, स्पेशल आफर (special offer) तथा छूट (discount) से हो सकते हैं।

    (iv) स्वयं ध्यान (personal attention) देना इसके लिए पर्सनलाइज्ड वेबसाइट (personalised web sites), खरीदारी सुझाव और पर्सनालाइन्ड विशेष ऑफर उपयोगी साबित हो सकते हैं। किसी विक्रय केन्द्र पर आमने सामने किये

    गये खरीदारी के पारम्परिक तरीके का बदल बन सकते हैं।

    (v) एक समुदाय की भावना देना चैटरूम (chatroom), डिस्कशन बोर्ड (discussion board), कस्टमर इनपुट (customer input) और लायलटी प्रोग्राम (loyalty program) जिन्हें कभी-कभी एफीनिटी प्रोग्राम (affinity program) भी कहते हैं, इस दिशा में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

    (vi) ग्राहक को स्वयं सहायता (self help) देने के लिये एक ऐसी साइट देना जो ग्राहक सरलता से बिना सहायता के इस्तेमाल कर सके। यह तभी संभव है जब उत्पाद की समस्त जानकारी उपलब्ध हो, क्रॉस-सेल सूचना (cross sell information), उत्पाद के विकल्प पर सलाह तथा सप्लाइज एवं एक्सेसरी चयनकर्त्ता (supplies and accessory selectors) भी उपलब्ध हो।

  • E-Commerce kya hai?

    परिचय (Introduction E-Commerce)

    इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या वाणिज्य कोई नया नाम नहीं है यदि आपने कभी भी नेट का भ्रमण किया होगा। जब आप इण्टरनेट को लॉग-ऑन करते हैं

    तब आपको लगता होगा कि कई व्यावसायिक विज्ञापन आपके क्लिक के प्रतिक्षारत हैं। विभिन्न साइटों पर प्रकाशित जो विज्ञापन आप देखते हैं वस्तुतः वे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स या वाणिज्य के अंश होते हैं।

    आज इण्टरनेट एक बड़ा बाजार बन चुका है जहाँ आप अपने घर में सोफा पर बैठे हुए सामानों की खरीद बिक्री कर सकते हैं। इस अध्याय में इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य के प्रत्येक पहलू से आपको अवगत कराया गया है।

    इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (Electronic Commerce)

    इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स अथवा ई-कामर्स उत्पादों और सेवाओं की आन लाइन व्यापार गतिविधियों को कहते हैं।

    इसका यह भी अर्थ है कि वह व्यापार लेनदेन जिसमें व्यापार करने वाले भौतिक रूप से एक दूसरे के सामने न होकर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एक दूसरे के साथ व्यापार करें। ई-कामर्स साधारणत: इंटरनेट पर खरीदने और बेचने से संबंधित है

    अथवा कम्प्यूटर के माध्यम से नेटवर्क द्वारा वस्तुओं/उत्पादों अथवा सेवाओं के उपयोग या इनके अधिकारों में स्थानांतरण से संबंधित गतिविधि यों को ई-कामर्स कहा गया है।

    यह परिभाषा है तो लोकप्रिय किन्तु व्यापक नहीं है जो इस नये और क्रांतिकारी व्यापार प्रक्रिया के नवीनतम विकास को भी समेट सके। इसकी एक और अधिक पूर्ण परिभाषा इस प्रकार है- “

    ई-कामर्स व्यापार के लेनदेन में इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन और डिजिटल इन्फॉरमेशन प्रोसेसिंग टेक्नालाजी का उपयोग है जो विभिन्न संगठनों / प्रतिष्ठानों तथा व्यक्तियों के मध्य स्थित संबंधों की पुन: परिभाषा देता है या नया प्रारूप देता है। “

    जबकि कुछ व्यक्ति ई-कामर्स एवं ई-बिजनेस को एक ही मानते हैं किन्तु वास्तव में ये दो विभिन्न परिकल्पनाएँ हैं।

    ई-कामर्स में इन्फॉरमेशन तथा कम्यूनिकेशन टेक्नालॉजी (ICT) व्यापार अथवा संगठनों के मध्य लेनदेन में शामिल होती है जबकि ई-बिजनेस में व्यापारिक लेनदेन प्रतिष्ठानों/संगठनों और उपभोक्ता के मध्य होता है।

    इलेक्ट्रॉनिक कामर्स इंटरनेट पर एक मार्केट प्लेस के समान है। इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स मुख्य रूप से इण्टरनेट तथा अन्य कम्प्यूटर नेटवर्क जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों पर सेवाओं तथा उत्पादों के वितरण (distribution), क्रम (buying), विक्रय (selling), विपणन (marketing) तथा उत्पादों की सर्विसिंग का नाम है।

    इन्फॉरमेशन टेक्नालाजी उद्योग इसे एक इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस एप्लीकेशन के रूप में देखती है जिसका उद्देश्य कामर्शियल ट्रांजेक्शन हो सकता है।

    इसमें इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (Electronic Fund Transfer), सप्लाई चेन मैनेजमेंट (Supply Chain Management), ई-मार्केटिंग (e-marketing), ऑनलाइन मार्केटिंग (online marketing),

    ऑनलाइन व्यापार प्रोसेसिंग (online transaction processing), इलेक्ट्रॉनिक डेटा इन्टरचेंज (EDI), ऑटोमेटेड इन्वेन्टरी मैनेजमेंट सिस्टम तथा ऑटोमेटेड डाटा कलेक्शन प्रयुक्त हो सकता है।

    सिस्टम चक्र में कहीं न कहीं वर्ल्ड वाइड वेब की कम्यूनिकेशन टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल होता है।

    यद्यपि इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स बहुधा वर्ल्ड वाइड वेब की अपेक्षा कम्प्यूटर की अन्य टेक्नॉलाजी जैसे डाटाबेस, ई-मेल पर भी आश्रित है।

    तथापि यह गैर कम्प्यूटर (non computer) तकनीक जैसे उस माल की ढुलाई जिसे ई-कामर्स द्वारा खरीदा है, पर भी आश्रित है।

  • Photoshop kya hai?

    फोटोशॉप का अवलोकन (Overview of Photoshop)

    परिभाषा : एडोब फोटोशॉप आज बाजार में उपलब्धशक्तिशाली इमेज मॉडिफिकेशन प्रोग्राम्स में से एक है। यह पूरे संसार में व्यापक रूप में उपयोग होता है।

    दूसरे शब्दों में हम कह सकते है कि “एडोब फोटोशॉप इन्टरनेट प्रिन्ट तथा अन्य नये मीडिया क्षेत्रों के लिए एक प्रचलित डिजीटल इमेज एडिटिंग ऐप्लीकेशन है।

    इसे बहुत सारे ग्राफिक्स आर्टिस्ट, प्रिन्ट डिजाइनर्स, दृष्टि संचारको तथा आप जैसे सामान्य व्यक्तियों द्वारा ग्रहण किया गया है।” फोटोशॉप MAC से लेकर विन्डोज तथा यूनिक्स तक हर प्रकार के प्लटफार्म के लिए उपलब्ध है।

    फोटोशॉप 7.0 की विशेषताएं (Features of Photoshop 7.0)

    आइये अब देखते हैं कि “फोटोशॉप की विभिन्न विशेषताएँ क्या है।

    हम फोटोशॉप का उपयोग उचित ढंग से रंग भरने तथा स्कैन को तेज करने के लिए करते हैं। फोटोशॉप हमें खराब

    फोटोग्राफों को आकर्षित बनाने की योग्यता प्रदान करता है। एक बार जब फोटो व्यवस्थित ( निर्मित) हो जाता है, तो

    उसको पेजमेकर अथवा क्वार्क एक्सप्रेस में इम्पोर्ट कर सकते है।

    फोटोशॉप 7.0 कुछ नये तथा सुधारित उपकरण प्रदान करता है, जो आपको उत्तम रचनात्मकता प्राप्त करने में सहायता करते हैं। ये परिष्कृत पेन्टिंग प्रभावों तथा पैटर्न के साथ प्रयोग करने में भी सहायता करते है जिससे आपके विचारों को चित्रों के रूप में प्रदर्शित किया जा सके।

    यह सर्वोत्तम चित्रों, अर्थपूर्ण आउटपुट तथा चिन्ता मुक्त फाइल शेयरिंग के लिए नये नियंत्रण तथा सुरक्षा सेटिंग्स प्रदान करता है।

    यह ज्यादा प्रभावी रूप से कार्य करता है। फोटोशॉप की सहायता से हम फोटोशॉप तथा एडोब इलस्ट्रेटर के मध्य स्वतंत्र रूप से फाइलों को मूव कर सकते है। परतों, मास्क, परिदर्शिता तथा संयुक्त आकृतियों को सुरक्षित रखा जाता है। जब आप फोटोशॉप फाइल को इलस्ट्रेटर में इम्पोर्ट करते हैं तथा इलस्ट्रेटर HTML टेबल्स को CSS परतों के साथ फोटोशॉप को एक्सपोर्ट करते हैं, तब रोलओवर्स तथा एनीमेशन से सम्बन्धित जानकारी को सुरक्षित रखता है।

    फोटोशॉप 7.0 फोटोशॉप में वेबपेज को डिजाइन करने तथा उसे आकर्षक बनाने की योग्यता देता है तथा फिर उस फाइल को Golive में भेज देता है। फोटोशॉप टेम्पलेट से स्वतः विभिन्न प्रकार के डिजाइन बनाने के लिए Golive Smart Objects की विशेषताओं का उपयोग करें।

    हम लेवर्ड फोटोशॉप फाइलों को लाइवमोशन रचना में ड्रैग तथा ड्रॉप कर सकते हैं तथा उन्हें शीघ्रता से एनीमेशन के लिए तैयार स्वतंत्र आब्जेक्टस समूहों अथवा कथनों में परिवर्तित कर सकते हैं। फोटोशॉप की मिश्रण पद्धति, लेयर मास्क तथा प्रभावों को सुरक्षित करती है तथा फोटोशॉप आर्टवर्क उस समय भी एडिट के योग्य रहता है, जब आप एनीमेशन तथा कोडिंग कर रहे होते हैं।

    पारदर्शिता से सम्बन्धित जानकारी को PDF फाइल में सम्मिलित करता है, जिन्हें फोटोशॉप के बाहर सुरक्षित किया जाता है। यह आपकी फोटोशॉप PDF फाइलों को सुरक्षित करने के लिए पासवर्ड सुरक्षा को जोड़ता है तथा टेक्स्ट तथा वेक्टर ग्राफिक्स को रिजोलुशन स्वतंत्र आब्जेक्टस के रूप में सेव करने के लिए वेक्टर डाटा विकल्प को भी सम्मिलित करता है।

    फोटोशॉप 7.0 अपने विस्तृत उपकरणों के समूह में नयी योग्यताओं को संगठित करता है, जो आपको प्रत्येक रचनात्मक चुनौती को प्राप्त करने, प्रत्येक उत्पादन माँग को पूरा करने तथा किसी भी इमेज एडिटिंग से सम्बन्धित कार्य को प्रभावी रूप से संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं।

    री-टचिंग (Retouching), पेन्टिंग, ड्राइंग तथा वेब उपकरणों के व्यापक समूह के साथ फोटोशॉप आपको किसी भी इमेज एडिटिंग कार्य को प्रभावी रूप से सम्पूर्ण करने में सहायता करता है तथा हिस्ट्री पैलेट तथा एडिटेबल लेयर प्रभावों जैसी विशेषताओं के साथ दक्षता को खोये बिना स्वतंत्र रूप से विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर सकते हैं

  • Types of VR Systems kya hai?

    वीआर सिस्टम्स के प्रकार (Types of VR Systems)

    VR सिस्टम्स की मुख्य विशेषता वह mode है जिससे वे यूजर के साथ इन्टरफेस करते हैं। यह भाग वीआर सिस्टम्स में प्रयोग होने वाले कुछ सामान्य मोड (mode) का विवरण देता है।

    Window on World System (WOW)

    कुछ सिस्टम विजुअल वर्ल्ड को दिखाने के लिये परम्परागत कम्प्यूटर मानीटर का इस्तेमाल करते हैं। इसे कभी-कभी Desktop VR या Window on a World (WOW) कहते हैं। यह धारणा कम्प्यूटर ग्राफिक्स के संपूर्ण इतिहास से अपना वंश trace करती है।

    वीडियो मैपिंग (Video Mapping)

    WOW की पहुँच का एक variation एक वीडियो इनपुट 2D कम्प्यूटर ग्राफिक्स के साथ विलीन हो जाता है। यूजर एक मानीटर में देखता है जो उसके अपने शरीर के अंगों को वर्ल्ड के साथ इंटरैक्शन करते हुए दर्शा रहा है।

    इमरसिव सिस्टम (Immersive Systems)

    अंतिम VR सिस्टम्स यूजर के निजी विचारों को वर्चुअल वर्ल्ड में संपूर्ण रूप से डुबो देते हैं। इन “इमरसिव” सिस्टमों में बहुधा HMD (Head Mounted Display) की सुविधा होती है।

    यह एक प्रकार का हेलमेट (helmet) या एक मुखौटा (face mask) होता है जो विजुअल और ऑडीटरी (auditory) डिस्प्ले को बनाये रखता है।

    हैलमेट फ्री रेन्जिंग (free ranging) टीथर्ड (tethered) हो सकता है अथवा यह एक प्रकार के बूम आरमेचर (boom armature) में जुड़ा हो सकता है।

    इमरसिव सिस्टम की एक अच्छी भिन्नता (variation) अनेक बड़े प्रोजैक्शन डिस्प्ले का इस्तेमाल एक ‘cave’ या कमरा बनाने में हैं जिसमें दर्शक स्वयं को खड़ा पाता है।

    एक छोटी भौतिक जगह पर एक गहरे वातावरण की छाप बनाने की क्षमता को दी क्लोसेट कैथेडरल (“The Closet Cathedral”) कहते हैं।

    टेलीप्रैजैन्स (Telepresence)

    कम्प्यूटर द्वारा बनाये गये संपूर्ण संसार को मन में स्पष्ट रूप से देखने में टैलीप्रैजैन्स एक वैरियेशन (variation) है। यह टैक्नालाजी वास्तविक संसार के रिमोट सैन्सर (remote sensors) को मानव आपरेटर की इन्द्रियों के साथ लिंक (link) करती है।

    रिमोट सेंसर एक रोबोट पर हो सकता है या वे WALDO जैसे टूल के अन्तिम छोरों पर हो सकते हैं। अग्नि को बुझाने वाले व्यक्ति, कुछ गंभीर तथा खतरनाक स्थितियों में रिमोट से चलने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।

    शल्यचिकित्सक, विशेषकर सर्जन, रोगी के शरीर की चीर-फाड़ न कर केवल छोटे-छोटे यंत्रों की सहायता से मानीटर में देखते हुए आपरेशन करते हैं।

    ये यंत्र केबल से जुड़े होते हैं और इनके अंत में इनमें एक छोटा वीडियो कैमरा होता है। रोबोट जिनमें टैलीप्रैजैन्स सिस्टम लगा है, ने गहरे समुद्र और ज्वालामुखी से संबंधित अन्वेषण के तरीकों में भारी परिवर्तन कर दिया है।

    NASA टैलीरोबोटिक्स (telerobotics) की सहायता से अंतरिक्ष अन्वेषण की योजना बना रहा है। इस संबंध में अमेरिका और रूस मिलकर space rover गवेषणा के लिये अनुसंधान कर रहे हैं।

    मिश्रित वास्तविकता (Mixed Reality) टेलीप्रैजैन्स और वर्चुअल रियलिटी सिस्टम को जोड़ दें तो Mixed Reality अथवा Seamless Simulation sysetm बनती

    है। यहाँ कम्प्यूटर द्वारा generated इनपुट, टेलीप्रैजैन्स इनपुट और यूजर के वास्तविक संसार के दृष्टिकोण के साथ एक (merge) हो जाते हैं।

    दिमाग के आपरेशन के सर्जन के view पर CAT स्कैन (आगे किये गये) तथा real time अल्ट्रासाउन्ड की छवि ऊपर पड़ जाती है।

    एक लड़ाकू विमान का चालक अपने सिर पर रखे हैलमेट विजर (visor) अथवा काकपिट डिस्प्ले में कम्प्यूटर द्वारा बनाये गये नक्शे और डाटा डिस्प्ले को देखता है।

    वीआर चुनौतियाँ (VR Challenges)

    वीआर की आलोचना में यह कहा जाता है कि यह गैर भौगोलिक सूचना को navigate करने के लिये एक अक्षम विधि है। अभी सर्वव्यापी कम्प्यूटिंग का विचार यूजर इंटरफेस डिजाइन में बहुत लोकप्रिय है।

    यह वीआर और उसकी समस्याओं के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया (reaction) की तरह देखा जा सकता है। वास्तविकता में, दोनों प्रकार के इन्टरफेस के विभिन्न लक्ष्य हैं जो एक-दूसरे के पूरक हैं।

    सर्वव्यापी कम्प्यूटिंग का लक्ष्य यूजर की दुनिया में कम्प्यूटर लाना है न कि यूजर को कम्प्यूटर के अन्दर जाने के लिये दबाव डालना।

    VR में अभी जो दिशा है वह यह है कि दोनों यूजर इन्टरफेस को आपस में जोड़कर एक पूर्णत: immersive तथा इंटीग्रेटेड अनुभव बनाया जाये।

    दूसरा अवरोध आँखों पर दबाव पड़ने से सिर में दर्द हैडसेट डालता है। हैडसेट ग्लोव के बार-बार इस्तेमाल से RSI हो जाने की संभावना रहती है।

  • VR Control Panels kya hai?

    VR पैनल्स (Control Panels)

    वीआर सिस्टम में बहुधा कन्ट्रोल पैनल की जरूरत होती है जो यूजर को उपलब्ध होना चाहिये।

    world database में इन पैनल पर सूचना हो सकती है और इसकी जानकारी हो सकती है कि वे एप्लीकेशन में कैसे integrated हैं।

    इन पैनलों को बनाने के बहुत से तरीके हैं। 2D मेन्यू हो सकते हैं जो एक WOW डिस्प्ले को surround करते हैं या इमेज पर overlaid करते हैं।

    एक दूसरा विकल्प यह है कि कन्ट्रोल डिवाइस को वर्चुअल वर्ल्ड में रखें। उसके बाद सिमुलेशन सिस्टम को यूजर के इन डिवाइसों के साथ हुए इंटरैक्शन को नोट करना चाहिये जिससे वर्ल्ड पर नियंत्रण उपलब्ध कराया जा रहा हो।

    यूजर कन्ट्रोल का प्राथमिक क्षेत्र है- व्यूप्वाइंट (viewpoint) (अर्थात् वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर घूमना) का नियंत्रण। कुछ सिस्टम हिलाने-डुलाने के लिये ज्वायस्टिक या इसी तरह की अन्य डिवाइस इस्तेमाल करते हैं।

    अन्य ग्लोव (glove) से इंगित चेष्टा (gesture), जैसे pointing का एक motion command को दर्शाने के लिये इस्तेमाल करते हैं।

  • (VR)World Database kya hai?

    (VR) वर्ल्ड डाटाबेस (World Database)

    वर्ल्ड तथा वस्तुओं पर सूचना का storage वीआर सिस्टम की डिजाइन का एक मुख्य भाग है। world database (या world description files) में प्राथमिक वस्तुएँ जो store की जाती हैं वे हैं वो ऑब्जेक्ट्स जो world में रहते हैं,

    स्क्रिप्ट जो उन ऑब्जेक्ट्स या यूजर के actions को दर्शाती है (वे जो यूजर के साथ घटती हैं), लाइटिंग, प्रोग्राम कन्ट्रोल तथा हार्डवेयर डिवाइस सपोर्ट (hardware device support) इत्यादि ।

    वर्ल्ड इनफारमेशन को store करने के अनेक तरीके हैं, जैसे- एक सिंगल फाइल, फाइलों का संग्रह या एक डाटाबेस | VR विकास के पैकेज में मल्टीपल फाइल विधि अधिक सामान्य approach है।

    प्रत्येक वस्तु के पास एक या अधिक फाइल (geometry script इत्यादि) होती हैं जो अन्य फाइलों को लोड (load) करने के कारण बनती हैं। कुछ सिस्टम्स में एक कनफिगरेशन फाइल होती है जो हार्डवेयर इन्टरफेस कनेक्शन की परिभाषा करती है।

    कभी-कभी प्रोग्राम सेटअप के समय समस्त डाटाबेस लोड किया जाता है। अन्य सिस्टम केवल उन फाइल्स को पढ़ेंगे जिनकी आजकल आवश्यकता है।

    एक रियल डाटाबेस सिस्टम इसमें बहुत मदद देता है। एक object oriented database एक VR सिस्टम के लिये अत्यन्त सटीक होगा। डाटा फाइल बहुधा ASCII (human readable) की तरह टैक्स्ट (text) फाइल में स्टोर होती है।

    तथापि अनेक सिस्टम में इनका स्थान binary computer files लेती हैं। कुछ सिस्टमों में world information सीधी एप्लीकेशन में कम्पाइल होती है।

    Virtual world में object ज्योमेट्री, हाइरार्की (hierarchy), स्क्रिप्ट तथा अन्य एट्रीब्यूट हो सकते हैं। आब्जेक्ट्स (objects) की क्षमताएँ सिस्टम की डिजाइन और संरचना पर प्रभाव डालती हैं।

  • World co-ordinates kya hai?

    वर्ल्ड को-आर्डिनेट्स (World co-ordinates)

    को-ऑर्डिनेट्स के लिये किसी भी प्रकार की संख्याओं का उपयोग करना वर्ल्ड स्पेस के लिये मुख्य प्रतिबंध है।

    कुछ worlds फ्लोटिंग प्वाइन्ट कोआर्डिनेट (floating point coordinate) का इस्तेमाल करते हैं। यह संख्याओं की बड़ी श्रेणी का उल्लेख करने की अनुमति देता है।

    इनमें कुछ बड़ी संख्याओं पर प्रिसिशन नष्ट हो जाता है। अन्य सिस्टम्स फिक्स्ड (fixed) प्वाइन्ट कोआर्डिनेट इस्तेमाल करते हैं जो एक से अधिक सीमित रेंज की वैल्यू (value) पर यूनीफॉर्म प्रिसिशन (uniform precision) उपलब्ध करते हैं।

    फिक्स्ड (fixed) और फ्लोटिंग प्वाइन्ट की पसन्द बहुधा गति पर और एक यूनीफार्म कोआर्डिनेट फील्ड की इच्छा पर भी आधारित है।

    वर्ल्ड को-आर्डिनेट स्पेस के प्रतिबन्धों का सामना करने के लिये एक तरीका है। इस तरीके में वर्चुअल वर्ल्ड को मल्टीपल वड में विभाजित कर दिया जाता है तथा वर्ल्ड के मध्य पारगमन के लिये साधन प्रदान किया जाता है।

    यह स्क्रिप्ट तथा रैंडरिंग दोनों के लिये कुछ ऑब्जेक्ट्स को कम्प्यूटिड करने की अनुमति देता है। यहाँ पर मल्टीपल स्टेजिस (जिन्हें रूम्स, एरियाज, जोन्स, वर्ड, मल्टीवर्स इत्यादि भी कहा जाता है) होती हैं। तथा इन सब के मध्य घूमने का एक तरीका होना चाहिये (पोर्टल्स)।

  • Virtual world World Space kya hai?

    वर्ल्ड स्पेस (World Space)

    स्वयं Virtual world को ‘world space’ में परिभाषा की आवश्यकता है। अपने स्वाभावानुसार कम्प्यूटर सिमुलेशन के रूप में यह संसार अवश्य सीमित है।

    world में प्रत्येक वस्तु के लिये प्रत्येक location पर कम्प्यूटर एक numeric value रखता है। सामान्यतः ये ‘coordinate’ X, Y, और Z के Cartesian आयामों में express किये जाते हैं।

    वैकल्पिक coordinate system प्रयोग करना संभव है, जैसे sperical किन्तु कार्टीजियन (cartesian) कोआर्डिनेट (Coordinate) लगभग सभी एप्लीकेशन्स के लिये नार्म (norm) है।

    कोआर्डिनेट सिस्टम्स के बीच में रूपांतरण (conversion) (यदि अधिक समय लगता है तो) सरल है।