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  • Web Browser kitne Prakar ke Hote Hain?

    वेब ब्राउजर के विभिन्न प्रकार (web browser)

    1. इन्टरनेट एक्स्प्लोरर- इन्टरनेट एक्सप्लोरर (IE) सॉफ्टवेयर कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट का प्रोडक्ट है। यह विश्व में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला ब्राउज़र है। यह विडोज 95 लॉन्च के साथ वर्ष 1995 में इन्ट्रोड्यूज किया गया था और इसने वर्ष 1998 में नेटस्केप पॉप्यूलरिटी हासिल की।

    2. गूगल क्रोम यह वेब ब्राउजर गूगल द्वारा डेवलप किया गया है और इसका बीटा वर्जन पहली बार 2 सितम्बर 2008 को माइक्रोसोफ्ट विडोज के लिये रीलिज किया गया था। आज क्रोम को 50% शेयर के साथ सबसे पॉपुलर वेब ब्राउजर्स में से एक माना जाता है।

    3. मोजिला फायरफॉक्स फायरफॉक्स, मोजिला द्वारा ड्राइव किया गया एक ब्राउजर है। यह वर्ष 2004 में रीलिज किया गया था और इन्टरनेट पर दूसरा सबसे पॉप्युलर ब्राउजर बन गया है।

    4. सफारी सफारी, एप्पल इन्कॉर्पोरेशन द्वारा डेवलप किया गया एक वेब ब्राउजर है और मैक OX () में सम्मिलित है। इसे पहली बार वर्ष 2003 में पब्लिक बीटा के रूप में रीलिज किया गया था। सफारी में XMTML, CSS2 आदि जैसी लेटेस्ट टेक्नोलॉजीस के लिये बेहतर सपोर्ट है।

    5. ओपेरा ओपेरा अधिकांश अन्य ब्राउजर्स की तुलना में छोटा तथा तेज है, फिर भी यह फुल-फिचर्ड है। कीबोर्ड, इन्टरफेस, मल्टिपल, विंडोज, जूम, फंक्शन्स आदि के साथ तेज, यूजर फ्रेंडली है। जावा तथा नॉन, जावा इनेबल्ड वर्शन्स उपलब्ध है। इन्टरनेट पर न्यूकमर्स, स्कूल के बच्चों, विकलांगों तथा CD-रोम तथा कियोस्क के लिये फ्रंट-एंड यूजर के ऊपर में आदर्श है।

    6. कॉन्कुटर (Konqueror) कॉन्कटर HTML 4.01 कम्प्लाएंस के साथ एक ओपन सोर्स वेब ब्राउजर है, जो जावा एस्टेट्स, जावास्क्रिट, CSS 1, CSS 2.1, साथ ही नेटस्केप प्लगइन्स की सपोर्ट करता है। यह फाइल मैनेजर के रूप में कार्य करता है और साथ ह लोकल UNIX फाइल सिस्टम पर बेसिक फाल मैनेजमेन्ट को सपोर्ट करता है, जिसमें सिंपल कर कॉपी तथा पेस्ट ऑपरेशन्स से लेकर एडवांस्ड रिमोट तथा लोकल नेटवर्क फाइल ब्राउजिंग सम्मिलित है।

    7. लिंक्स (Lynx) लिंक्स यूनिक्स, VMS तथा अन्य प्लेटफॉर्म पर युजर्स केलिये फुली-फिचर्ड वर्ल्ड वाइड वेब ब्राउजर है, जो कर्सर एड्रेसेबल, कैरेक्टर-सेल टर्मिनल या एम्यूलेटर्स रन करता है।

  • Web Browser ke gun kya hai?

    (Web browser) वेब ब्राउजर के गुण

    1. रिफ्रेश बटन- रिफ्रेश बटन वेबसाइट को वेब पेजेस के कंटेन्ट्स को रिलोड करने की अनुमति प्रदान करता है। अधिकांश वेब ब्राउजर्स कैशिंग मैकेनिज्म का उपयोग करने परफॉर्मेन्स को बढ़ाने के लिये विजिट किये गए पेजेस की लोकल कॉपीज स्टोर करते हैं। कभी-कभी आपको अपडेटेड इन्फॉर्मेशन देखने से रोकता है। इस स्थिति में, फ्रेश बटन पर क्लिक करके आप अपडेटेड इन्फॉर्मेशन देख सकते हैं।

    2. स्टॉप बटन- इसका उपयोग सर्वर के साथ वेब ब्राउजर के कम्युनिकेशन को कैंसल करने के लिये किया जाता है और पेज कंटेंट को लोड करना बंद कर देता है। उदाहरण के लिये, यदि कोई मेलिशियस साइट बटन पर क्लिक करके इसे बचाने में सहायता करती है।

    3. होम बटन- यह यूजर्स को वेबसाट के प्रिडिफाइंड होम पेज को लाने का ऑप्शन प्रदान करता है।

    4. वेब एड्रेस बार- यह यूजर्स को एक वेब एड्रेस में प्रवेश करने और वेबसाइट पर जाने की अनुमति प्रदान करता है।

    5. डेल्ड ब्राउजिंग – यह यूजर्स को विंडो पर कई वेबसाइट्स ओपन करने का ऑप्शन प्रदान करता है। यह यूजर्स को एक ही समय में विभिन्न वेबसाइट्स को रीड करने में सहायता करता है। उदारण के लिये, जब आप ब्राउजर पर कुछ सर्च करते हैं, तो यह आपको आपकी क्वेरी के लिये सर्च, रिजल्ट्स की एक लिस्ट प्रदान करता है। आप प्रत्येक लिंक पर राइट-क्लिक करके एक ही पेज पर रहकर सभी रिजल्ट्स ओपन कर सकते हैं।

    6. बुकमार्क – यह यूजर्स को इन्फॉर्मेशन के बाद के रिड्राइवल के लिये इसे सेव करने के लिये किसी विशेष वेबसाइट को सिलेक्ट करने की अनुमति प्रदान करती है, जो युजर्स द्वारा प्रिडिफाइंड है।

  • Start Topology kya hai Iske Labh aur haniyan?

    स्टार टोपोलॉजी क्या है? साथ ही इसके लाभ तथा हानियाँ

    स्टार टोपोलॉजी में नेटवर्क में प्रत्येक डिवाइस हब नाम की एक सेंट्रल डिवाइस से कनेक्टेड होती है। मेश टोपोलॉजी के विपरीत, स्टार टोपोलॉजी डिवाइसेस के बीच सी डायरेक्ट कम्युनिकेशन की अनुमति प्रदान नहीं करती है, बल्कि डिवाइस को हब के माध्यम से कम्युनिकेट करना होता है। यदि एक डिवाइस अन्य डिवाइस को डेटा सेंड करना चाहती है, तो उसे पहले पेरा को हब पर सेंड करना होता है और फिर हब उस डेटा को डेजिग्नेटेड डिवाइस पर ट्रांसमिट करता है।

    स्टार टोपोलॉजी के लाभ

    1. कम खर्चीला है क्योंकि प्रत्येक डिवाइस को केवल एक 1/0 पोर्ट की आवश्यकता होती है और एक लिंक के साथ हब को कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है।

    2.इन्स्टॉल करना आसान है।

    3. केबल की कम मात्रा की आवश्यकता होती है क्योंकि प्रत्येक डिवाइस को केवल हब के साथ कनेक्टेड होती है। 4. मजबूत है, यदि एक लिंक फैल हो जाती है, तो अन्य लिंक्स ठीक तरह से कार्य करेंगी।

    5. आसान फॉल्ट डिटेक्शन होता है क्योंकि लिंक को आसानी से आइडेंटिफाय किया जा सकता है।

    स्टार टोपोलॉजी की हानियाँ

    1. यदि हब खराब हो जाती है, तो सब कुछ खराब हो जाता है, कोई भी डिवाइस बिना हब के कार्य नहीं कर सकती है।

    2. हब को अधिक रिसोर्सेस तथा रेग्युलर मेन्टेनेन्स की आवश्यकता होती है क्योंकि यह स्टार टोपोलॉजी का सेंट्रल सिस्टम है।

  • Computer Network kitne Prakar ke Hote Hain?

    कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकार (computer network)

    कम्प्यूटर नेटवर्क एक ट्रांसमिशन मीडियन के माध्यम से कनेक्टेड कम्प्युटर्स का ग्रुप है,

    कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकारों का वर्णन (computer network)

    1. लोकल एरिया नेटवर्क (LAN)- लोकल एरिया नेटवर्क छोटे स्थानों जैसे स्कूल, हॉस्पिटल, अपार्टमेन्ट आदि में कनेक्टेड कम्प्यूटर्स का ग्रुप है। LAN सिक्योर है क्योंकि लोकल एरिया नेटवर्क का बाहरी कनेक्शन नहीं होता है। इस प्रकार, कोई जो डेटा शेयर किया जाता है, वह लोकल एरिया नेटवर्क पर सेफ रहता है और इसे बाहर एक्सेस नहीं किया जा सकता है।LAN अपने छोटे आकार के कारण काफी तेज होते हैं। LANs वायर कनेक्शन तक ही सीमित नहीं है, LAN का नया विकास हुआ है जो लोकल एरिया नेटवर्क को वायरलेस कनेक्शन पर कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है।

    2. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN)-मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क कम्प्यूटर्स के बड़े नेटवर्क के लिये लोकल एरिया नेटवर्क कनेक्शन्स द्वारा बड़ा एरिया कवर करता है। मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क में विभिन्न लोकल एरिया नेटवर्क्स टेलीफोन लाइन्स के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कनेक्टेड रहते हैं। मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क का आकार LAN से बड़ा और WAN (वाइल्ड एरिया नेटवर्क) से छोटा होता है। एक MAN एक शहर या शहर के किसी बड़े एरिया को कवर करता है।

    3. वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)-वाइड एरिया नेटवर्क डेटा का लॉन्ग डिस्टेन्स ट्रांसमिशन प्रदान करता है। WAN का आकार LAN और MAN से बड़ा होता है। एक VAN देश, महाद्वीप और यहाँ तक कि पूरे विश्व को कवर कर सकता है। इंटरनेट कनेक्शन WAN का एक उदाहरण है। वाइड एरिया नेटवर्क के अन्य उदाहरण मोबाइल ब्रॉडबैन्ड कनेक्शन्स जैसे 3G, 4G, 5G आदि हैं।

  • Web Page and Website Mein Antar kya hai?

    वेब पेज तथा वेबसाइट के बीच अंतर (web page and website)

    1. वेब पेज एक वेबसाइट का स्वतंत्र हिस्सा होता है, जिसमें वेबसाइट के अन्य वेब पेजेस की लिंक्स होती है। दूसरी ओर, एक वेबसाइट रिलेवेंट वेब पेजेस का कलेक्शन है, जो यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर से एड्रेस किया जाता है।

    2. प्रत्येक वेबसाइट में एक यूनिक URL होना चाहिए, जबकि कई वेब पेजेस में एक ही नाम हो सकता है, जब तक कि वे विभिन्न डॉक्यूमेन्ट्स में नहीं रहते हैं।

    3. वेबसाइट वह स्थान है, जिसका उपयोग कन्टेन्ट को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इसके विपरीत, वेब पेज एक कन्टेन्ट है, जिसे वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाता है।

    4. एक वेब पेज, URL का HTML, htm, php आदि की तरह एक्सटेंशन है, जबकि वेबसाइट का कोई एक्सटेंशन नहीं होता है।

    5. वेब पेज, एड्रेस में डोमेन नेम का एक अभिन्न हिस्सा है, और यह वेबसाइट पर निर्भर करता है। इसके विपरीत, वेबसाइट का वेब पेज एड्रेस से कोई संबंध नहीं है।

    6. वेबसाइट की तुलना में वेब पेजेस की डिजाइनिंग तथा डेवलपमेन्ट में कम समय लगता है, क्योंकि एक वेबसाइट में बहुत सारे वेब पेजेस होते हैं।

  • Uniform Resources Locator kya hai?

    यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (URL) uniform resources locator

    जो abc एक यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर इन्टरनेट या वर्ल्ड वाइड वेब पर एक रिसोर्स का एड्रेस है। इसे वेब एड्रेस या यूनिफॉर्म रिसोर्स आइडेन्टिफायर (URI) के रूप में भी जाना जाता है। उदाहरण के लिए, http:www.abc.com वेबसाइट का URL या वेब एड्रेस है। URL एक रिसोर्स के एड्रेस को रिप्रेजेन्ट करता है, जिसमें प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है।

    • यह रिसोर्स को एक्सेस करने के लिए प्रोटोकॉल का उपयोग कहता है।

    • यह IP एड्रेस या डोमेन नेम द्वारा सर्वर की लोकेशन डिफाइन करता है।

    • यह एक फ्रेम्मेन्ट आइडेन्टिफायर सम्मिलित करता है, जो ऑप्शनल होता है।

    • यह सर्वर की डायरेक्ट्री में रिसोर्स की लोकेशन सम्मिलित करता है।

    एक URL यूजर को किसी विशेष ऑनलाइन रिसोर्स, जैसे कि वीडियो, वेबपेज या अन्य रिसोर्सेस के लिए फॉरवर्ड करता है। उदाहरण के लिए, जब आप गूगल पर इन्फॉर्मेशन सर्व करते हैं, तो सर्च रिजल्ट आपकी सर्च क्वेरी के रिस्पॉन्स में रिलेवेन्ट रिसोर्सेस का URL प्रदर्शित करते हैं। सर्च रिजल्ट्स में जो टाइटल प्रदर्शित होता है, वह वेब पेज के URL का हाइपरलिक है।

    यह एक यूनिफॉर्म रिसोर्स आइडेन्टिफायर है, जो वेब सर्वर पर रिसोर्सेस के सभी प्रकार के नामों तथा एड्रेसेस को रेफर करता है। URL का पहला भाग एक प्रोटोकॉल आइडेन्टिफायर के रूप में जाना जाता है, यह प्रोटोकॉल का उपयोग करने के लिए स्पेसिफाय करना है, और दूसरा भाग, जिसे रिसोर्स नेम के रूप में जाना जाता है, IP एड्रेस या रिसोर्स के डोमेन नेम को रिप्रेजेन्ट करता है । दोनों भागों को एक कॉलन तथा दो फॉरवर्ड sp स्लेश जैसे http://www.abc.com द्वारा डिफरेन्शिएट किया जाता है।

  • वेब होस्टिंग kya hai (web hosting)

    वेब होस्टिंग web hosting

    होस्टिंग वेब पेजेस के स्टोरेज के लिए ऑनलाइन स्पेस प्रदान करने की एक सर्विस है। यह वेब पेजेस वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से उपलब्ध कराए गए हैं। वेबसाइट होस्टिंग को ऑफर करने वाली कम्पनीज को वेब होस्टिंग के रूप में जाना जाता है।

    जिस सर्वर पर वेबसाइट होस्ट की जाती है, वह 24 x 7 स्विच की जाती है। ये सर्वर्स वेब होस्टिंग कम्पनीज द्वारा रन किए जाते हैं। प्रत्येक सर्वर का अपना IP एड्रेस होता है। चूँकि IP एड्रेस को याद रखना मुश्किल होता है, इसलिए वेबमास्टर अपना डोमेन नेम उस सर्वर के IP एड्रेस पर है, जिस पर उनकी वेबसाइट स्टोर्ड है।

    वेबसाइट को अपने लोकल कम्प्यूटर पर होस्ट करना संभव नहीं है, ऐसा करने के लिए आपके अपने कम्प्यूटर को दिन में 24 घंटों के लिए चालू रखना होगा। यह व्यावहारिक तथा सस्ता भी नहीं होता है। इस कारण, वेब होस्टिंग कम्पनिज अस्तित्व में आई।

  • मेश टोपोलॉजी बस टोपोलॉजी kya hai?

    1. मेश टोपोलॉजी: मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक डिवाइस डेडिकेटेड पॉइंट-टू-पाइंट लिंक के माध्यम से नेटवर्क पर हर दूसरी डिवाइस से कनेक्टेड होता है। जब हम इसे डेडिकेटेड कहते हैं, तो इसका अर्थ है कि लिंक केवल दो कनेक्टेड डिवाइसेस के लिये डेटा कैरी करती है। मान लेते हैं कि हमारे पास नेटवर्क में n डिवाइसेस हैं, तो प्रत्येक डिवाइस को नेटवर्क की (n-1) डिवाइसेस के साथ कनेक्ट किया जाना चाहिये। n डिवाइसेस की मेश टोपोलॉजी में लिंक की संख्या n(n-1)/2 होगी।

    2. बस टोपोलॉजी बस टोपोलॉजी में एन्ड मुख्य केबल होती है और सभी डिवाइसेस ड्रॉप लाइन्स के माध्यम से इस मुख्य केबल से कनेक्टेड रहती हैं. एक डिवाइस जिसे टैप कहा जाता है, ड्रॉप लाइन्स को मुख्य केबल से कनेक्ट करती है। चूँकि सभी डेटा मुख्य केबल पर ट्रांसमिट किये जाते हैं, इसलिये ड्रॉप लाइन्स की एक लिमिट होती है और मुख्य केबल में डिस्टेन्स हो

  • Switch or Bridge Mein antar kya hai?

    स्विच तथा ब्रिज के बीच अंतर switch and Bridge

    1. स्विच –स्विच मूल रूप से एक हार्डवेयर या एक डिवाइस होती है, जो विभिन्न इनपुट पोर्टस में आने वाले डेटा को विशेष आउटपुट पोर्ट में लाने के लिए जिम्मेदार होता है, जो डेटा को डिजायर्ड डेस्टिनेशन तक ले जाएगा। इस प्रकार, इसका उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न नेटवर्क डिवाइसेस जैसे कि राउटर, सर्वर आदि के बीच डेटा पैकेट के ट्रांसफर के लिए किया जाता है। यह वास्तव में एक डेटा लिक लेयर डिवाइस (लेयर 2 डिवाइस) है, जो यह सुनिश्चित करता है कि फॉरवर्ड किए जा रहे पैकेट एरर फ्री तथा एक्यूरेट हों। डेटा लिंक लेयर में डेटा को फॉरवर्ड करने के लिए स्विच MAC एड्रेस का उपयोग करता है। चूँकि स्विच मल्टिपल पोर्टस से डेटा इनपुट करता है, इसलिए इसे मल्टिपोर्ट ब्रिज भी कहा जाता है।

    2. ब्रिज -एक ब्रिज मूल रूप से एक डिवाइस है, जो सिंगल नेटवर्क को विभिन्न नेटवर्क सेग्मेन्ट्स में विभाजित करने के लिए जिम्मेदार है। इस प्रकार, सिंगल नेटवर्क को विभिन्न नेटवर्क सेग्मेन्ट्स में विभाजित करने की प्रक्रिया को नेटवर्क ब्रिजिंग कहा जाता है। प्रत्येक नेटवर्क सेग्मेन्ट इस प्रकार एक सेपरेट कोलाइजन को रिप्रेजेन्ट करता है, जहाँ प्रत्येक डोमेन का एक अलग बैंडविड्थ होता है। ब्रिज का उपयोग करके नेटवर्क की परफॉर्मेन्स में सुधार किया जा सकता है, क्योंकि नेटवर्क पर होने वाले कोलाइजन्स की संख्या कम हो जाती है। ब्रिज यह निर्णय करता है। कि आने वाले नेटवर्क ट्रैफिक को फॉरवर्ड या फिल्टर किया जाता है। MAC (मीडिया एक्सेस कंट्रोल) एड्रेस टेबल को मेन्टेन रखने के लिए ब्रिज भी जिम्मेदार होता है।

  • Computer Network kya hai Computer Network Advantage?

    कम्प्यूटर नेटवर्क computer network

    कम्प्यूटर नेटवर्क विभिन्न डिवाइसेस का ग्रुप है जो एक ट्रांसमिशन मिडियम जैसे, वायर्स, केबल्स आदि के माध्यम से कनेक्टेड होता है। ये डिवाइसेस कम्प्यूटर्स, प्रिंटर्स, कनेक्टेड होता है। ये डिवाइसेस कम्प्यूटर्स, प्रिन्टर्स, स्कैनर्स, फैक्स मशीन्स इत्यादि हो सकती है। नेटवर्क दो कम्प्यूटर्स जितना छोटा भी हो सकता है और असंख्य डिवाइसेस जितना बड़ा भी हो सकता है। एक ट्रेडिशनल नेटवर्क केवल डेस्कटॉप, कम्प्यूटर्स, को ही समाविष्ट करता है, जबकि मॉडर्न नेटवर्क में लेपटॉप्स, टेब्लेट्स, स्मार्टफोन्स, टेलीविजन्स, गेमिंग कन्सोल्स, स्मार्ट एम्प्लाएन्सेस तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सम्मिलित है। सरल शब्दों में, कम्प्यूटर नेटवर्क दो या अधिक कनेक्टेड कम्प्यूटर्स का बना होता है। यह कनेक्शन दोहरा होता है-

    (a) फिजिकल वायर्स, केबल्स तथा वायरलेस मीडिया (सेल फोन्स के एटमॉस्फियर के साथ) के माध्यम से।

    (b) लॉजिकल फिजिकल मीडिया के माध्यम से डेटा को ट्रांसपोर्ट करके।

    कम्प्यूटर नेटवर्क का पर्पस नेटवर्क पर अन्य डिवाइसेस में स्टोर किये गए डेटा को सेन्ड तथा रिसिव करना है। इन डिवाइसेस को कई बार नोड्स के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। स्कैल, सिंगल PC (पर्सनल कम्प्यूटर) से लेकर दुनियाभर में स्थित सभी विशाल डेटा सेन्टर्स तक बेसिक पेरिफेरल्स को इंटरनेट पर शेयर करना हो सकता है। स्कोप के साथ ही सभी नेटवर्क्स-कम्प्यूटर और या व्यक्तियों को इन्फॉर्मेशन तथा रिसोर्सेस शेयर करने की अनुमति प्रदान करते हैं।

    कम्प्यूटर नेटवर्क computer network advantage

    1. परफॉर्मेन्स कम्प्यूटर नेटवर्क की परफॉर्मेन्स रिस्पॉन्स टाइम के संदर्भ में मापी जाती है। एक नोड कम्प्यूटरको कई बार नोड भी कहा जाता है) से डेटा सेंड तथा रिसिव करने का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम होना चाहिये।

    2. डेटा शेयरिंग कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग करने का एक कारण यह है कि ट्रांसमिशन मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से कनेक्टेड विभिन्न सिस्टम्स के बीच डेटा शेयर किया जा सके।

    3. बैन्डअप कम्प्यूटर में एक सेन्ट्रल सर्वर का होना आवश्यक है, जो एक नेटवर्क पर शेयर किये जाने वाले सभी डेटा का बैकअप रखता है, ताकि फैल्युअर के केस में यह डेटा को रिकवर करने में सक्षम हो।

    4. सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कॉम्पेटिबिलिटी- एक कम्प्यूटर नेटवर्क को एक ही सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का उपयोग करने के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर्स को सीमित नहीं करना चाहिये, इसके बजाए इसे विभिन्न सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कान्फिगरेशन के बीच बेहतर कॉम्पेटिबिलिटी की अनुमति प्रदान करना चाहिये।

    5. रिलएबिलिटी नेटवर्क में कोई भी फैल्योर नहीं होना चाहिये या यदि ऐसा होता है, फैल्योर की रिकवरीतेजी से होना चाहिये।

    6. सिक्योरिटी कम्प्यूटर नेटवर्क सिक्योर होना चाहिये, ताकि किसी नेटवर्क पर ट्रांसमिट होने वाले डेटा अनऑथोराइज्ड एक्सेस से सेफ रहे। इसके साथ ही, सेंड किये गए डेटा को रिसिव भी किया जाना चाहिये, क्योंकि यह रिसिविंग नोड पर है, जिसका अर्थ है कि ट्रांसमिशन के दौरान डेटा का कोई लॉस नहीं होना चाहिये।

    7. स्कैलेबिलिटी कम्प्यूटर नेटवर्क स्केलेबल होना चाहिये, जिसका अर्थ है कि इसे हमेशा एक्सिस्टिंग कम्प्यूटर नेटवर्क में नए कम्प्यूटर (या नोड्स) को एड करने की अनुमति प्रदान करना चाहिये। उदाहरण के लिये, एक कम्पनी अपने 100 एम्प्लॉइज के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क पर 100 कम्प्यूटर्स रन करती है, माना कि वह अन्य 100 एम्प्लॉयीज को हायर करती है और नए 100 कम्प्यूटर्स को एक्सिस्टिंग LAN से जोड़ना चाहती है, तो इस स्थिति में लोकल एरिया कम्प्यूटर नेटवर्क को इसकी अनुमति प्रदान करना चाहिये