कम्प्यूटर नेटवर्क computer network
कम्प्यूटर नेटवर्क विभिन्न डिवाइसेस का ग्रुप है जो एक ट्रांसमिशन मिडियम जैसे, वायर्स, केबल्स आदि के माध्यम से कनेक्टेड होता है। ये डिवाइसेस कम्प्यूटर्स, प्रिंटर्स, कनेक्टेड होता है। ये डिवाइसेस कम्प्यूटर्स, प्रिन्टर्स, स्कैनर्स, फैक्स मशीन्स इत्यादि हो सकती है। नेटवर्क दो कम्प्यूटर्स जितना छोटा भी हो सकता है और असंख्य डिवाइसेस जितना बड़ा भी हो सकता है। एक ट्रेडिशनल नेटवर्क केवल डेस्कटॉप, कम्प्यूटर्स, को ही समाविष्ट करता है, जबकि मॉडर्न नेटवर्क में लेपटॉप्स, टेब्लेट्स, स्मार्टफोन्स, टेलीविजन्स, गेमिंग कन्सोल्स, स्मार्ट एम्प्लाएन्सेस तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सम्मिलित है। सरल शब्दों में, कम्प्यूटर नेटवर्क दो या अधिक कनेक्टेड कम्प्यूटर्स का बना होता है। यह कनेक्शन दोहरा होता है-
(a) फिजिकल वायर्स, केबल्स तथा वायरलेस मीडिया (सेल फोन्स के एटमॉस्फियर के साथ) के माध्यम से।
(b) लॉजिकल फिजिकल मीडिया के माध्यम से डेटा को ट्रांसपोर्ट करके।
कम्प्यूटर नेटवर्क का पर्पस नेटवर्क पर अन्य डिवाइसेस में स्टोर किये गए डेटा को सेन्ड तथा रिसिव करना है। इन डिवाइसेस को कई बार नोड्स के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। स्कैल, सिंगल PC (पर्सनल कम्प्यूटर) से लेकर दुनियाभर में स्थित सभी विशाल डेटा सेन्टर्स तक बेसिक पेरिफेरल्स को इंटरनेट पर शेयर करना हो सकता है। स्कोप के साथ ही सभी नेटवर्क्स-कम्प्यूटर और या व्यक्तियों को इन्फॉर्मेशन तथा रिसोर्सेस शेयर करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
कम्प्यूटर नेटवर्क computer network advantage
1. परफॉर्मेन्स कम्प्यूटर नेटवर्क की परफॉर्मेन्स रिस्पॉन्स टाइम के संदर्भ में मापी जाती है। एक नोड कम्प्यूटरको कई बार नोड भी कहा जाता है) से डेटा सेंड तथा रिसिव करने का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम होना चाहिये।
2. डेटा शेयरिंग कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग करने का एक कारण यह है कि ट्रांसमिशन मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे से कनेक्टेड विभिन्न सिस्टम्स के बीच डेटा शेयर किया जा सके।
3. बैन्डअप कम्प्यूटर में एक सेन्ट्रल सर्वर का होना आवश्यक है, जो एक नेटवर्क पर शेयर किये जाने वाले सभी डेटा का बैकअप रखता है, ताकि फैल्युअर के केस में यह डेटा को रिकवर करने में सक्षम हो।
4. सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कॉम्पेटिबिलिटी- एक कम्प्यूटर नेटवर्क को एक ही सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर का उपयोग करने के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर्स को सीमित नहीं करना चाहिये, इसके बजाए इसे विभिन्न सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर कान्फिगरेशन के बीच बेहतर कॉम्पेटिबिलिटी की अनुमति प्रदान करना चाहिये।
5. रिलएबिलिटी नेटवर्क में कोई भी फैल्योर नहीं होना चाहिये या यदि ऐसा होता है, फैल्योर की रिकवरीतेजी से होना चाहिये।
6. सिक्योरिटी कम्प्यूटर नेटवर्क सिक्योर होना चाहिये, ताकि किसी नेटवर्क पर ट्रांसमिट होने वाले डेटा अनऑथोराइज्ड एक्सेस से सेफ रहे। इसके साथ ही, सेंड किये गए डेटा को रिसिव भी किया जाना चाहिये, क्योंकि यह रिसिविंग नोड पर है, जिसका अर्थ है कि ट्रांसमिशन के दौरान डेटा का कोई लॉस नहीं होना चाहिये।
7. स्कैलेबिलिटी कम्प्यूटर नेटवर्क स्केलेबल होना चाहिये, जिसका अर्थ है कि इसे हमेशा एक्सिस्टिंग कम्प्यूटर नेटवर्क में नए कम्प्यूटर (या नोड्स) को एड करने की अनुमति प्रदान करना चाहिये। उदाहरण के लिये, एक कम्पनी अपने 100 एम्प्लॉइज के लिये एक कम्प्यूटर नेटवर्क पर 100 कम्प्यूटर्स रन करती है, माना कि वह अन्य 100 एम्प्लॉयीज को हायर करती है और नए 100 कम्प्यूटर्स को एक्सिस्टिंग LAN से जोड़ना चाहती है, तो इस स्थिति में लोकल एरिया कम्प्यूटर नेटवर्क को इसकी अनुमति प्रदान करना चाहिये