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  • Blaise Pascal kon hai aur Pascaline kya hai

    शताब्दियों बाद अन्य गारिक मशीन अंकों की गणना के लिए विकसित की गयी शताब्दी में फ्रांस के गणितज पास्कल (Blaire Pascal) में एक यांत्रिक अंकीय (डिजिटल) गणना-यंत्र (Mechanical Digital Calcula- tor) सन् 1615 में विकसित किया।

    इस मशीन की एडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योंकि यह केवल जोड़ या कर सकती थी। यह मशीन घड़ी (Watch) और ऑडोमीटर (Odometer) के सिद्धांत पर कार्य करती थी।

    उसमें कई दतिमुक्त चकरियाँ (Toothed wheels) थीं जो घूमती रहती थीं चकरियों के दोनों (Teeth) पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे। प्रत्येक चकरी (Wheel) का एक स्थानीय मान (Positional/Place Value), जैसे इकाई, दहाई सैकड़ा आदि था।

    इसमें प्रत्येक चकरी स्वयं से पिछली चकरी के एक चक्कर लगाने पर एक अंक पर थी। ब्लेज पास्कल के इस एडिंग मशीन को पास्कलाइन (Pascaline) कहते हैं जो सबसे पहला यांत्रिकीय गणना यंत्र (Mechanical Calculating Machine) था। आज भी कार व स्कूटर के स्पीडोमीटर (Speedometer) में यहाँ यंत्र कार्य करता है।

    सन् 1694 में जर्मन गणितज्ञ व दार्शनिक गॉटफ्रेड विलहेम वॉन लेबनीज (1646 1716) (Gottfried Wilhelm Von. Leibnitz) ने पास्कलाइन (Pascaline) का विकसित रूप तैयार किया जिसे ‘रेनिंग मशीन’ (Reckoning Machine) या लेबनीज चक्र (Leibnitz Wheel) कहते हैं।

    यह मशीन अंकों के जोड़ व घटाव के अलावा गुणा व भाग को क्रिया भी करती थी। इसके पश्चात् इसी प्रकार का एक यांत्रिक गणना -यंत्र एरिथ्मोमीटर (Arithmometer) थॉमस डे कॉल्सर (Thomas De Colmar ) ने 1820 में बनाया था।

  • Python ke Labh kya hai

    पायथन के लाभ (Advantages of Pythan)

    पायथन की कुछ अनूठी विशेषताएँ हैं, जो इसकी प्रोग्रामिंग को आसान बनाती है, इसी कारण से डेवलपर्स पायचनमें कोड करना चुनते हैं। पायथन कई लाभ प्रदान करता है, जिनका वर्णन इस प्रकार किया गया है।

    1. रीड करने और सीखने में आसान है: पायथन रोड करने और सीखने के लिए बहुत आसान लैग्वेज है। इसमें अन्य हाई लेवल लैग्वेजेस जैसे C या C++ के समान कॉम्प्लेक्स सिन्टेक्स नहीं है। कम कॉम्प्लेक्सटी के साथ पायथन हमें अधिक स्पष्ट रूप से सोचने और लॉजिक बिल्डिंग पर फोकस करने की अनुमति प्रदान करता है।

    2. मैन्टेनेन्स कॉस्ट को कम करता है: इसकी सिम्लिसिटी के कारण पायथन एप्लिकेशन के मेन्टेनेन्स को आसान बनाता है और इस प्रकार, इसमें सम्मिलित कॉस्ट्स को भी कम कर देता है, जो कि एक बहुत बड़ा लाभ है।

    3. सॉफ्टेवेयर बग्स के नुकसान से बचाता है : पायथन एप्लिकेशन के भीतर कोड बग का सेग्मेन्टेशन फॉल्ट शुरू नहीं होने देता है। इस कारण इसे पसंदीदा लैंग्वेज माना जाता है।

    4. वाइड एप्लिकेबिलिटी इस लैग्वेज का एक अन्य लाभ यह है कि यह व्यापक रूप से एप्लिकेबल है। इंजीनियर्स, साइंटिस्ट्स तथा मैथेमेटिशियन्स इसका व्यापक रूप से उपयोग करते हैं।

    5. मेमोरी मैनेजमेन्ट : पायथन में मेमोरी मैनेजमेन्ट कैपेबिलिटीज के साथ विशाल लाइब्रेरी सम्मिलित है, और यह इसे अन्य प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस से अलग स्थान देती है। इसमें एक प्राइवेट हिप सम्मिलित है, जिसमें सभी पायवन ऑब्जेक्ट्स और डेटा स्टक्चर्स हैं। इस प्राइवेट को मेन्टेन करने के लिए बिल्ट-इन मेमोरी मैनेजर जिम्मेदार है।

    6. सीधा और तेज : पायथन कम्युनिटी युजर्स के साथ-साथ कोड के तेज एडाप्टेशन के लिए शीघ्र और प्रैक्टिकल सपोर्ट प्रदान करता है। कुछ एक्सपर्टस पायथन को ‘रेडी टू रन लैंग्वेज’ की उपाधि देते हैं, क्योंकि से एक्जिक्युट होने के लिए बेहद सरल कोड की आवश्यकता होती है। पायथन के साथ कोड इन्हान्स करना और टेस्ट करना बेहद आसान है।

    7. एसिन्क्रोनस कोडिंग : एसिन्क्रोनस कोडिंग छोटे अंतरालों में जॉब्स पूरी करने के लिए एक सिंगल इवेंट लूप का उपयोग करती है। पायथन एसिन्क्रोनस कोड लिखने के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसे लिखना और मेन्टेन करना बेहद आसान है। इसके लिए किसी कॉम्प्लेक्स रिसर्च कन्टेन्शन्स, डेडलॉक्स या किसी अन्य कॉम्प्लेक्सटी की आवश्यकता नहीं है।

    8. अन्य लैंग्वेजेस के साथ इन्टिग्रेशन पायथन में साइथन तथा जाइथन जैसी लाइब्रेरीज हैं. जो क्रॉस प्लेटफॉर्म डेवलपमेन्ट को इनेबल करने के लिए C, C++ तथा जावा जैसी लैग्वेजेस के साथ इन्टिग्रेट करने की अनुमति प्रदान करती है। यह पायथन के मुख्य लाभों में से एक है, क्योंकि कोई भी लैंग्वेज परफेक्ट नहीं होती है, और कभी-कभी डेवलपमेन्ट के लिए डायवर्स लैंग्वेज फंक्शनालिटीज की आवश्यकता होती है, जो एक लैंग्वेज में होना असंभव है।

    9. इन्टरप्राइज एप्लिकेशन इन्टिग्रेशन : इन्टरप्राइज एप्लिकेशन इन्टिग्रेशन (EAI) के लिए पायथन सबसे विकल्प है। यह वेब एप्लिकेशन डेवलपमेन्ट CORBA या COM कम्पोनेन्ट्स को इन्वोल करता है, और जावा/ अच्छा c++/c से सीधे कॉल करना आसान बनाता है। इसके साथ ही यह रिलाएबल प्रोसेस कंट्रोल फिचर्स तथा इन्टरनेट डेटा फॉर्मेट्स और प्रोटोकॉल्स की पेशकश करता है। साथ ही पायथन युजर्स को XL जैसे मार्कअप लैंग्वेजेस को प्रोसेस करने में सहायता करता है, एडवान्स्ड आपरेटिंग सिस्टम्स पर समान बाइट कोड के माध्यम से एक्जिक्युट करता है और इसे स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।

  • Python ki visheshtaen kya hai?

    पायथन की विशेषताएँ (Features of Python )

    पायथन धीमा है। हालाँकि इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, जिसका रूकना अब लगभग नामुमकिन है, क्योंकि यह कम कोड के साथ बेहतर प्रोडक्टिविटी प्रदान करती है। इस कारण पायथन सबसे अधिक पसंद की जाने वाली लैंग्वेजेस में से एक है। पायथन में उन विशेषताओं की सूची है, जो हर किसी को इसके साथ कोडिंग करने के लिए आकर्षित करती है।

    1. लिखने में आसान: इन दिनों लैग्वेजेस में लाइब्रेरीज की बढ़ती संख्या के साथ डेवलपर का अधिकांश समय उन्हें याद करने में चला जाता है। यह पायथन की सबसे अच्छी विशेषताओं में से एक है क्योंकि पायथन लाइब्रेरीज सि इंग्लिश फेजेस का उपयोग करती हैं। इस प्रकार पायथन में कोड लिखना बेहद आसान है।
    2. समझने में आसान: यह पायधन लैंग्वेज को सबसे शक्तिशाली विशेषता है, जो इसे सभी की पहली पसंद बनाती है। चूंकि इसमें उपयोग किए जाने वाले कॉवईस सिपल इंग्लिश फ्रेजेस होते है, इसलिए इसे समझना बहुत आसान है।
    3. ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड मायवन में ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड लैंग्वेज की सभी विशेषताएँ हैं, जैसे- इन्हेरिटेन्स, मेयर ओवरराइडिंग, ऑब्जेक्ट्स आदि। इस प्रकार यह सभी पैराद्विग्म्स और इसकी लाइब्रेरीज में करस्पॉडिंग फंक्शन्स को सपोर्ट करती है। यह जावा के विपरीत मल्टिपल इन्हेरिटेन्सेस के साथ इम्प्लिमेन्टेशन को भी सपोर्ट करती है।

    4. रॉबस्ट स्टैंडर्ड लाइब्रेरीज : पायथन की लाइब्रेरीज बहुत विशाल है, जिसमे विभिन्न मॉड्यूल्स तथा फंक्शन्स सम्मिलित हैं, जो विभिन्न डेटा टाइप्स जैसे रेग्युलर एक्सप्रेशन्स आदि में कार्य करने वाले विभिन्न ऑपरेशन्स को सपोर्ट करती है।

    1. विभिन्न प्रोग्रामिंग पैराहिग्म्स को सपोर्ट करती है: ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड लैंग्वेज की सभी विशेषताओं के सपोर्ट के साथ, पायथन प्रोसीजर ओरिएंटेड पैराडिग्म को भी सपोर्ट करता है। यह मल्टिपल इन्हेरिटेन्स को भी सपोर्ट करता है। यह अपनी विशाल तथा रॉबस्ट लाइब्रेरीज के कारण संभव है, जिसमें हर एक चीज के लिए फंक्शन सम्मिलित होता है।
    2. इन्टरेक्टिव मोड के लिए सपोर्ट पायथन के पास इन्टरेक्टिव मोड में काम करने के लिए भी सपोर्ट है, जहां युजर आसानी से कोड और युनिट टेस्ट कर सकता है। यह एरर्स को यथासंभव कम करने में सहायता करता है।
    1. आटोमेटिक गारबेज कलेक्शन पायथन बेहतर मेमोरी तथा परफॉर्मेन्स मैनेजमेन्ट के आटोमेटिक गारबेजकलेक्शन भी शुरू करता है। इस मेमोरी के कारण इसका अधिकतम उपयोग किया जा सकता है, जो एप्लिकेशन को रॉबस्टबनाता है।

    8. डायनेमिकली टाइप्ड तथा टाइप चैकिंग: यह पायथन की एक बड़ी विशेषता है कि युजर को इसका उपयोग करने से पहले वैरिएबल का डेटा टाइप डिक्लेयर करने की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार जब वैरिएबल को वैल्यु असाइन कर दी जाती है, इसका डेटा टाइप डिफाइन हो जाता है। इस प्रकार अन्य लैग्वेजेस से अलग पायथन में टाइप चैकिग रन टाइम पर की जाती है।

    1. डेटाबेसेस : किसी एप्लिकेशन का डेटाबेस उन महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है, जिन्हें उपयोग की जा रही करस्पॉन्डिंग प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस द्वारा भी सपोर्ट किया जाना चाहिए। पायथन उन सभी मेजर डेटाबेसेस को सपोर्ट करता है, जिनका उपयोग किसी एप्लिकेशन जैसे MySQL, ओरेकल आदि में किया जा सकता है। डेटाबेस ऑपरेशन्स के लिए करस्पॉन्डिंग फंक्शन्स पायधन लाइब्रेरीज में पहले से डिफाइन रहते हैं। इनका उपयोग करने के लिए यूजर को कोड्स को इन फाइल्स में सम्मिलित करने की आवश्यकता होती है।
    2. GUI प्रोग्रामिंग: पायथन एक स्क्रिप्टिंग लैग्वेज होने के नाते कई फिचर्स तथा लाइब्रेरीज को सपोर्ट करता है, जो एप्लिकेशन्स के ग्राफिकल डेवलपमेन्ट की अनुमति प्रदान करता है। विशाल लाइब्रेरीज तथा फंक्शन्स में किसी एप्लिकेशन की परफेक्ट GUI को डेवलप करने के लिए विशेष OS कॉल्स को कॉल करने के लिए करस्पॉन्डिंग सिस्टम) कॉल्स तथा प्रोसीजर्स को डिफाइन किया जाता है। इस तरह के GUI बनाने के लिए पायवन को एक फ्रेमवर्क की भी आवश्यकता होती है। कुछ फ्रेमर्वक्स के उदाहरण Django, Tkinter आदि है।
    3. एक्सटेन्सिबल : यह विशेषता पायथन कोड में अन्य लैंग्वेजेस के उपयोग को संभव बनाती है। इसका अर्थ यह है कि पायथन कोड को अन्य लैंग्वेजेस में एक्सटेन्ड किया जा सकता है और इस प्रकार इसे और अधिक रॉबस्ट बनाने और इसकी विशेषताओं में बढ़ोतरी करने के लिए इसे आसानी से एक्जिस्टिंग कोड में एम्बेड किया जा सकता है। पायथन कोड को कम्पाइल करने के लिए अन्य लैंग्वेजेस का उपयोग किया जा सकता है।

    12. पोर्टेबल एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को तब पोर्टेबल कहा जाता है, जब यह हमें एक बार कोड करने और कहीं भौ रन करने की अनुमति प्रदान करती है। अर्थात् जिस प्लेटफॉर्म पर इसका कोड किया गया है और जहाँ इसे रन किया जा रहा है, दोनों समान हो यह आवश्यक नहीं है। यह विशेषता ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड लैंग्वेजेस रियुजेबिलिटी की सबसे मुल्यवान विशेषताओं में से एक की अनुमति प्रदान करती है। एक डेवलपर को सॉल्युशन को कोड करने और उसके बाइट कोड को जनरेट करने की आवश्यकता होती है और साथ ही उसे एन्वायर्नमेन्ट के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है, जहाँ भी इसे रन किया जाना है। उदाहरण के लिए, युजर विडोज पर डेवलप किए गए कोड को अन्य किसी आपरेटिंग सिस्टम जैसे लिनक्स, युनिक्स आदि पर रन कर सकता है।।

    13. स्कैलेबल: यह लैंग्वेज विभिन्न सिस्टम्स या एप्लिकेशन्स को डेवलप करने में सहायता करती है, जो डायनेमिक रूप से कार्य की बढ़ती मात्रा को हैंडल करने में सक्षम है। इस प्रकार की एप्लिकेशन्स आर्गेनाइजेशन्स के विकास में बहुत सहायता करती हैं क्योंकि वे कई हद तक चेन्जेस को हैंडल करने के लिए पर्याप्त मजबूत होती है।

    14. फ्री तथा ओपन सोर्स: यह लैंग्वेज सिखने में बहुत आसान है, यानि यदि आप इसे सही ढंग से सिखते हैं, तो आपको इसे अपनी एप्लिकेशन में उपयोग करने के लिए किसी प्रकार के भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ इसे इसकी आफिशियल वेबसाइट से डाउनलोड करने की आवश्यकता होती है, और इसके बाद इसे आसानी से शुरू किया जा सकता है। साथ ही जैसे कि यह ओपन सोर्स हैं, इसके सोर्स कोड को भी पब्लिक बनाया गया है कोई भी इसे आसानी से डाऊनलोड कर सकता है और आवश्यकतानुसार इसका उपयोग कर सकता है. साथ ही अन्य युजर्स के साथ इसे शेयर कर सकता है। इस प्रकार यह हर दिन बेहतर होता जाता है।

    15. इन्टिग्रेटेड पाययन को आसानी से अन्य उपलब्ध प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस जैसे कि C. C++, जावा आदि के साथ इन्टिग्रेट किया जा सकता है। यह युजर्स को एक्जिस्टिंग एप्लिकेशन्स की फंक्शनालिटी में बढ़ोतरी करने और इसे और अधिक रॉबस्ट बनाने के लिए इसका उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है।

  • Python ka Itihaas kya hai

    पायथन का इतिहास (History of Python)

    पायथन सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली जनरल पर्पस, हाई लेवल प्रोग्रामिंग लँग्वेज है। इसे शुरूआत में गाइडो वैन रसम द्वारा वर्ष 1991 में डिजाइन किया गया था और बाद में पायथन सॉफ्टवेयर फाउंडेशन द्वारा डेवलप किया गया। इसे मुख्य रूप से कोड रिडेबिलिटी पर एम्फेसिस के लिए डेवलप किया गया था और इसके सिन्टेक्स प्रोग्रामर्स को कुछ लाइन्स के कोड के लिए कॉन्सेप्ट्स एक्सप्रेस करते हैं।

    1980 के अंत में, इसका इतिहास लिखा जा चुका था। यह वह समय था जब पायवन पर वर्किंग शुरू हो चुकी थी। इसके बाद, गाइडो वैन रसम ने नीदरलैंड स्थित सेंट्रम विस्कंड एंड इन्फॉर्मेटिका (CWI) में दिसंबर 1989 में इसके लिए पब्लिकेशन आधारित कार्य प्रारंभ किया। यह शुरूआत में एक हॉबी प्रोजेक्ट के रूप में था, क्योंकि वे क्रिसमस के दौरान एक इंटरेस्टिंग प्रोजेक्ट चाह रहे थे। जिस लैंग्वेज में पायथन को एक सफल लैंग्वेज बताया गया है, वह ABC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जिसमें अमीबा आपरेटिंग सिस्टम इंटरफेस था और एक्सेप्शन हैंडलिंग की सुविधा थी। यद्यपि उन्होंने ABC बनाने में भी सहायता की थी, जिसके अंतर्गत उन्होंने कई इशूज सॉल्व किए और कई फिचर्स पसंद भी किए। इसके बाद उन्होंने जो किया वह वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने ABC के सिन्टेक्स और इसके कुछ फिचर्स को लिया।

    इसमें कई शिकायतें भी थी, जिन्हें उन्होंने दूर किया और एक बेहतर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज बनाई जिसने सभी कमियों को दूर किया। उन्हें पायथन नाम की प्रेरणा BBC के टीवी शो ‘मॉन्टी पायवन्स फ्लाइंग सर्कस’ से मिली, क्योंकि वे इस टीवी शो के बहुत बड़े प्रशंसक थे। और उन्हें अपने इन्वेन्शन के लिए छोटा, अनोखा और रहस्यमयी नाम चाहिए था। इसलिए उन्होंने इस लैंग्वेज का नाम पायथन रखा। वे 12 जुलाई 2018 को नेता के पद से हटने तक एक बेनवोलेन्ट डिक्टेटर फॉर लाइफ (BDFL) अर्थात् जीवन के लिए उदार तानाशाह रहे। उन्होंने कुछ समय गूगल के लिए भी कार्य किया, लेकिन वर्तमान में वे ड्रॉपबॉक्स में कार्यरत हैं। इस लैंग्वेज को अंततः 1991 में वे रिलिज किया गया था। जब इसे रिलिज किया गया था, तो जावा, C++ तथा C की तुलना में अपने कॉन्सेप्ट्स को एक्सप्रेस करने के लिए यह बहुत थोड़े कोड का उपयोग करती थी।

    इसकी डिज़ाइन फिलोसॉफी भी काफी हद तक बेहतर थी। इसका मुख्य उद्देश्य कोड रिडेबिलिटी तथा एडवान्स्ड डेवलपर प्रोडक्टिविटी प्रदान करना है। जब इसे रिलिज किया गया था, तो इसमें इन्हेरिटेन्स के साथ क्लासेस प्रदान करने की पर्याप्त क्षमता, कुछ कोर डेटा टाइप्स एक्सेप्शन हैंडलिंग तथा फंक्शन्स थे।

  • Database Management System ki kya visheshtaen hain?

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की विशेषताएँ

    1. डेटा को टेबल्स में स्टोर किया जाता है: डेटा कभी भी सीधे तौर पर डेटाबेस में स्टोर नहीं किया जाता है। डेटा को टेबल्स, में स्टोर किया जाता है, जिन्हें डेटाबेस के भीतर क्रिएट किया जाता है। DBMS टेबल्स के बीच रिलेशनशिप्स की अनुमति भी प्रदान करता है, जो डेटा को और अधिक मिनिंगफुल तथा कनेक्टेंड बनाती है। आप डेटाबेस में क्रिएट की गई टेबल्स को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि किस प्रकार का डेटा स्टोर किया गया है।
    1. रिड्यूस्ड रिडन्डेन्सी: आज के युग में, हार्ड ड्राइव्स बहुत सस्ती हो चुकी है, लेकिन जब हार्ड ड्राइव्स महँगी हुआ करती थीं, तब डेटाबेस में डेटा का अनावश्यक रिपिटिशन बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन DBMS नॉर्मलाइजेशन का अनुसरण करता है, जो डेटा को इस प्रकार विभाजित करता है कि पार्टिशन मिनिमम होता है।
    2. डेटा कन्सिस्टेन्सी लाइव डेटा के केस में, डेटा निरंतर अपडेट तथा एड होता है, इस डेटा की कन्सिस्टेन्सी को मेन्टेन करना चुनौतिपूर्ण हो जाता है। लेकिन DBMS इसे स्वयं ही हैंडल कर लेता है। 4. मल्टिपल युजर तथा कॉन्करंट एक्सेस को सपोर्ट करता है : DBMS एक ही समय पर मल्टिपल युजर्स को कार्य (अपडेट, इन्सर्ट, डिलिट डेटा) करने की अनुमति प्रदान करता है, इसके साथ ही डेटा कन्सिस्टेन्सी मेन्टेन करना भी मैनेज करता है।
    3. क्वेरी लैंग्वेज : DBMS युजर्स को सिम्पल क्वेरी लँग्वेज प्रदान करता है, जिसका उपयोग करके डेटा को आसानी से डेटाबेस में फेच, इन्सर्ट, डिलिट तथा अपडेट किया जा सकता है।
    4. सिक्योरिटी: DBMS डेटा की सिक्योरिटी का ध्यान रखता है और अनआथोराइज्ड एक्सेस से डेटा को प्रोजेक्ट भी करता है। DBMS में विभिन्न आथोराइज्ड एक्सेस के साथ युजर अकाउंट्स क्रिएट कर सकते हैं, जिनका उपयोग करके हम युजर एक्सेस को रेस्ट्रिक्ट करके हमारे डेटा को आसानी से सिक्योर कर सकते
    5. ट्रांजेक्शन्स DBMS ट्रॉजेक्शन्स को सपोर्ट करता है, जो रियल वर्ल्ड एप्लिकेशन में डेटा को बेहतर रूप से हैंडल करने तथा मैनेज करने की अनुमति प्रदान करता है, जहाँ मल्टि-ब्रेडिंग का एक्सरेन्सिव रूप से उपयोग किया जाता है।
  • kya SQL Programming ko Support karta hai?

    SQL एक स्टैंडर्ड क्वेरी लैग्वेज है, जो कि वास्तव में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज नहीं है। SQL में लूप, तथा लॉजिकल आपरेशन्स नहीं होते हैं। इसमें डेटा को मैनिप्युलेट किया जाता है। इसका उपयोग डेटाबेस को एक्सेस करने के लिए कमांडिंग (क्वेरी) लैंग्वेज के रूप में किया जाता है। SQL का प्राथमिक उद्देश्य रिट्राइव, कंडीशनल स्टेटमेन्ट मॅनिप्युलेट, अपडेट तथा कॉम्प्लेक्स आपरेशन्स जैसे डेटाबेस में उपस्थित डेटा पर जॉइन ऑपरेशन परफॉर्म करना है।

  • SQL kab Astitva Mein Aaya?

    SQL सन् 1974 में अस्तित्व में आया। SQL रिलेशनल डेटाबेस को मैन्टेन करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली लैंग्वेजेस में से एक है। सन् 1986 में SQL अमेरिकन नेशनल स्टैंर्डड्स इन्स्टिट्यूट (ANSI) का स्टैंडर्ड बनी और इसके बाद सन् 1987 में इन्टरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO) का स्टैंडर्ड बनी।

  • SQL kya hai?

    • SQL का पूरा नाम स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज है। SQL एक स्टैंडर्ड क्वेरी लैंग्वेज है, जिसका उपयोग रिलेशनल डेटाबेस को मैन्टेन करने और डेटा पर डेटा मैनिप्युलेशन के माध्यम से विभिन्न ऑपरेशन्स परफॉर्म करने के लिए किया जाता है। SQL की खोज सन् 1970 में की गई थी। यह एक डेटाबेस लैंग्वेज है, जिसका उपयोग डेटाबेस क्रिएशन, डिलिशन, रोज को फेच तथा मोडिफाय करने के लिए किया जाता है। कई बार इसे ‘सिक्वल’ के रूप में भी पुकारा जाता है।
  • Database Management System kya hai?

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (DBMS) एक सॉफ्टवेयर है, जो डेटाबेस में डेटा को स्टोर, मैनिप्युलेट तथा रिट्राइव करना आसान बनाता है। डेटाबेस को टेबल्स में स्टोर किया जाता है। इसलिए DBMS डेटा को एक स्ट्रक्चर के अनुरूप स्टोर करता है। DBMS युजर्स को स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज (SQL) का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है। यह डेटा को तुरंत इन्सर्ट, अपडेट, सिलेक्ट तथा डिलिट करने के लिए क्वेरीज इशू करने में सहायता करता है।

    DBMS का उपयोग अत्यंत लाभकारी है। यह नॉर्मलाइजेशन का उपयोग करके डेटा रिडन्डेन्सी को कम करता है। इसके साथ ही, मल्टिपल युजर्स DBMS को एक साथ एक्सेस कर सकते हैं। इस प्रकार, यह मल्टी-युजर एन्वायर्नमेन्ट को सपोर्ट करता है। साथ ही, यह ट्रांजेक्शन्स, बैकअप तथा रिकवरी आदि परफॉर्म करता है।

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम का उद्देश्य

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम का प्रमुख उद्देश्य डेटा को मैनेज करना है। एक युनिवर्सिटी पर विचार करें, जो स्टूडेन्ट्स, टीचर्स कोर्सेस, बुक्स आदि का डेटा रखती है। इस डेटा को मैनेज करने के लिए हमें इस डेटा को कहीं स्टोर करने की आवश्यकता है, जहाँ हम नया डेटा एड कर सकें, अनयुज्ड डेटा डिलिट कर सकें, आउडेटेड डेटा को अपडेट कर सकें, डेटा को रिट्राइव कर सकें। डेटा पर ये सभी आपरेशन्स परफॉर्म करने के लिए हमें डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की आवश्यकता होती है, जो हमें डेटा को उस रूप में स्टोर करने की अनुमति प्रदान करता है, जिसमें हम कुशलता से ये सभी आपरेशन्स परफॉर्म कर सकते हैं।

  • File System kya hai?

    फाइल सिस्टम हार्ड डिस्क में डेटा को रीड तथा राइट करने के तरीके को हैंडल करती है. फाइल सिस्टम को आपरेटिंग सिस्टम के साथ कम्प्यूटर में इन्स्टॉल किया जाता है। आपरेटिंग सिस्टम्स जैसे विंडोज तथा लिनक्स में उनका अपना फाइल सिस्टम होता है. न्यू टेक्नोलॉजी फाइल सिस्टम (NTFS) विंडोज फाइल सिस्टम है। एक्सटेंडेड फाइल सिस्टम (Ext) लिनक्स फाइल सिस्टम है। एक फाइल जैसे कि टेक्स्ट फाइल हार्ड डिस्क में डेटा स्टोर करने के लिए फाइल सिस्टम से होकर गुजरती है। इसी प्रकार, फाइल को फाइल सिस्टम द्वारा ही रीड किया जाता है। इसलिए, इसमें डेटा इन्कन्सिस्टेन्सी अधिक होती है। साधारण तौर पर, फाइल सिस्टम में डेटा रिडन्डेन्सी की संभावना होती है क्योंकि इसमें डुप्लिकेट डेटा हो सकता है। इस प्रकार, एक फाइल सिस्टम को हैंडल करना सरल होता है, लेकिन इसकी कुछ हानियाँ होती हैं, जैसे कि डेटा रिडन्डेन्सी, डेटा इन्कन्सिस्टेन्सी तथा कम सिक्योरिटी।