Technology children effect problem
बच्चों के दिमाग विकसित होने की स्थिति में होते हैं, और एक वयस्कों के दिमाग की तुलना में टेक्नोलॉजी के प्रभावों तथा इसके अति प्रयोग के प्रति अधिक सेन्सिटिव हो सकते हैं। विभिन्न अध्ययनों के 2018 रिव्यु में विभिन्न टेक्नोलॉजीस का उपयोग करने वाले बच्चों के संभावित प्रतिकूल प्रभावों का उल्लेख किया गया है। जो बच्चे टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोग करते हैं, उनमें समस्याओं का अनुभव होने की संभावना अधिक हो सकती है,
जिनमें निम्न बिन्दु सम्मिलित है-
शैक्षणिक प्रदर्शन (एकेडमिक परफॉर्मेन्स) की कमी
ध्यान की कमी
• रचनात्मकता (क्रिएशन) की कमी
• भाषा के विकास में देरी
• सामाजिक तथा भावनात्मक विकास में देरी
• शारीरिक निष्क्रियता (फिजिकल इनएक्टिविटी) तथा मोटापा • नींद की खराब गुणवत्ता (पुअर स्लीप क्वालिटी)
• सामाजिक मुद्दे, जैसे सामाजिक असंगति तथा चिता
• आक्रामक व्यवहार (एग्रेसिव बिहेवियर्स)
• इन टेक्नोलॉजीस की लत
• उच्च BMI
रिसर्च ने बच्चों को इन टेक्नोलॉजीस के साथ स्वस्थ तरीके से इन्टरेक्ट करने के लिए उनके समय को मानिटर तथा दिलचस्प विकल्प प्रदान करके सिखाने के महत्व को भी नोट किया।। इसके अतिरिक्त, 15-16 आयु वर्ग के किशोरों के एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने हाई डिजिटल मीडिया का उपयोग किया था, उनमें ध्यान में कमी का सक्रियता विकार या अटेन्शन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (ADHD) के लक्षण विकसित होने की संभावना बढ़ गई थी।
इसका अर्थ यह नहीं है कि डिजिटल मीडिया का उपयोग ADHD का कारण बनता है, बल्कि दोनों के बीच एक सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध का क्या अर्थ है, यह निर्धारित करने के लिए अधिक रिसर्च की आवश्यकता है।
2015 की रिसर्च में ऑथर्स ने पाया कि टेक्नोलॉजी सभी उम्र के बच्चों तथा किशोरों के समग्र स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। रिसर्चर्स ने सभी बच्चों में स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करने वाले माता-पिता तथा देखभाल करने वालो के महत्व को नोट किया।
अमेरिकन एकेडमिक आफ पीडियाट्रिक्स 18 महीने से कम उम्र के बच्चों को पूरी तरह से स्क्रीन टाइम से बचने की सलाह देता है, जबकि 2-5 साल के बच्चों के पास एक वयस्क के साथ दिन में 1 घंटे से अधिक हाई क्वालिटी व्युइंग का समय नहीं है।