शताब्दियों बाद अन्य गारिक मशीन अंकों की गणना के लिए विकसित की गयी शताब्दी में फ्रांस के गणितज पास्कल (Blaire Pascal) में एक यांत्रिक अंकीय (डिजिटल) गणना-यंत्र (Mechanical Digital Calcula- tor) सन् 1615 में विकसित किया।
इस मशीन की एडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योंकि यह केवल जोड़ या कर सकती थी। यह मशीन घड़ी (Watch) और ऑडोमीटर (Odometer) के सिद्धांत पर कार्य करती थी।
उसमें कई दतिमुक्त चकरियाँ (Toothed wheels) थीं जो घूमती रहती थीं चकरियों के दोनों (Teeth) पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे। प्रत्येक चकरी (Wheel) का एक स्थानीय मान (Positional/Place Value), जैसे इकाई, दहाई सैकड़ा आदि था।
इसमें प्रत्येक चकरी स्वयं से पिछली चकरी के एक चक्कर लगाने पर एक अंक पर थी। ब्लेज पास्कल के इस एडिंग मशीन को पास्कलाइन (Pascaline) कहते हैं जो सबसे पहला यांत्रिकीय गणना यंत्र (Mechanical Calculating Machine) था। आज भी कार व स्कूटर के स्पीडोमीटर (Speedometer) में यहाँ यंत्र कार्य करता है।
सन् 1694 में जर्मन गणितज्ञ व दार्शनिक गॉटफ्रेड विलहेम वॉन लेबनीज (1646 1716) (Gottfried Wilhelm Von. Leibnitz) ने पास्कलाइन (Pascaline) का विकसित रूप तैयार किया जिसे ‘रेनिंग मशीन’ (Reckoning Machine) या लेबनीज चक्र (Leibnitz Wheel) कहते हैं।
यह मशीन अंकों के जोड़ व घटाव के अलावा गुणा व भाग को क्रिया भी करती थी। इसके पश्चात् इसी प्रकार का एक यांत्रिक गणना -यंत्र एरिथ्मोमीटर (Arithmometer) थॉमस डे कॉल्सर (Thomas De Colmar ) ने 1820 में बनाया था।
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