Sector Format & Structure Kya Hai?

सेक्टर फॉरमेट और स्ट्रक्चर (Sector Format and Structure) किसी हार्डडिस्क पर डाटा स्टोरेज की आधारभूत इकाई सेक्टर ही होता है।

सेक्टर नाम एक गणितीय शब्द से आता है, जो किसी वृत्त के आकार के पाई रूपों (pie-shaped) कोणीय संक्शन को संदर्भित करता है

जो दो और से किन्याओं और एक और से वृत्त की परिमिति (parameter) से घिरा होता है । एक हार्डडिस्क पर जिसमें एक ही केन्द्र वाल वृत्ताकार ट्रैक्स होते हैं

यह प्लैटर को सतह के प्रत्येक ट्रैक के एक सेक्टर को जिसे यह काटता (intersect) है परिभाषित (define) करेग ।

इसे हार्डडिस्क जगत में सेक्टर कहा जाता है जो ट्रैक की लंबाई के सापेक्ष एक छोटा हिस्सा (segment) होता है।

कभी सारे हार्ड डिस्क के प्रति सेक्टर में सेक्टरों की संख्या समान होती थी और वस्तुतः प्रत्येक ट्रैक में सेक्टरों का संख्या महिला (models) के बीच काफी हद तक स्टैण्डर्ड होती थी।

आज को प्रगति ने, जैसा कि यहाँ चर्चा की गई है, प्रति ट्रैक सेक्टरों की संख्या (sector per track) को अलग-अलग हो सकने की क्षमता प्रदान की है।

हार्डडिस्क का प्रत्येक सेक्टर 512 बाइट यूजर डाटा स्टोर कर सकता है। कुछ ऐसी भी डिस्क होती हैं, जहाँ यह संख्या संशोधि त की जा सकती है|

किन्तु 512 एक मानक (standard) है जो स्वत: ही सारी हार्डडिस्क में पायी ही जाती है। प्रत्येक सेक्टर में 512 बाइट से कहाँ अधिक सूचना समाहित रहती है ।

अतिरिक्त बाइट (bytes) की आवश्यकता कन्ट्रोल स्ट्रक्चर तथा ड्राइव को प्रबंधित करने, डाटा को लोकेट करने तथा अन्य सपोर्ट फक्शनज का करने जैसी अन्य आवश्यक सूचना के लिए होती है।

किसी सेक्टर की स्ट्रक्चर किस प्रकार की है, इसका ठीक ठीक ब्योरा ड्राइव मॉडल तथा निर्माता पर निर्भर करता है। किसी एक सेक्टर के कन्टेंट्स में निम्न सामान्य अवयव (elements) शामिल रहते हैं।

आई. डी. सूचना (ID) Information)

परंपरागत रूप से प्रत्येक सेक्टर में रिक्त स्थान को सेक्टर की संख्या और लोकेशन (location) की पहचान के लिए छोड़ा जाता है।

इसका प्रयोग डिस्क पर सेक्टर का पता लगाने में होता है। इस क्षेत्र में सेक्टर के स्टेटस के बारे में सूचना भी शामिल होता है।

उदाहरण के लिए एक बिट का प्रयोग आमतौर पर इस बात का संकेत देने के लिए होता है कि कहीं सेक्टर को डिफेक्टिव या रिमेन्ड (remapped) तो नहीं पाया गया।

सिंक्रोनाइजेशन फील्ड (Synchronization Fields)

इसे ड्राइव कन्ट्रोलर द्वारा रोड प्रोसेस को गाइड करने के लिए, आन्तरिक रूप से प्रयुक्त किया जाता है।

डाटा (Data)

इसस तात्पय सेक्टर में वास्तविक डाटा से है।

ई. सी. सी. (ECC)

ई. सी. सी. का पूर्ण रूप ऐरर करेक्टिंग कोड (error correcting code) है। इसका प्रयोग डाटा की इंटिग्रिटी को सुनिश्चित करने के लिए होता है।

गैप्स (Gaps)

आवश्यक होने पर एक या अधिक खाली स्थान (blank space) को जोड़ा जाता है जो सेक्टर के अन्य क्षेत्र (fields) को अलग करने के लिये तथा कन्ट्रोलर को इस बात के लिए समय उपलब्ध कराने के लिए कि वह और अधिक बिट्स को पढ़ने से पूर्व पढ़े हुए बिट्स को प्रोसेस कर सके

प्रयुक्त होता है सेक्टरों के अतिरिक्त जिसमें प्रत्येक में उपरोक्त अवयव (elements) शामिल हैं

प्रत्येक ट्रैक के खाली स्थान का प्रयोग इम्बेडेड सर्वो ड्राइव पर (जो ऐसा डिजाइन है जिसे सारी आधुनिक इकाइयों (modern units) के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है

सर्वो सूचना (servo information) के लिए किया जाता है प्रत्येक सेक्टर के द्वारा परिचालन लागत (ovderhead) के लिए लिया गया स्पेस महत्वपूर्ण होता है

क्योंकि मैनेजमेन्ट के लिए जितनी अधिक बिट्स (bits) का प्रयोग होगा डाटा के लिए कुल मिलाकर प्रयुक्त किए जाने वाली बिट्स उतनी ही कम होंगी।

इसलिये, हार्ड डिस्क निर्माता डिस्क पर आवश्यक रूप से स्टोर किये जाने वाले नन्- यूजर डाटा सूचना की मात्रा को घटाने का भरपूर प्रयास करते हैं।

फॉरमेट प्रभावशीलता (format efficiency) प्रत्येक डिस्क पर बिट्स की उस प्रतिशतता को निरूपित करती है

जो अन्य चीजों के बजाय डाटा के लिए प्रयुक्त होती हैं। किसी ड्राइव की फॉरमेट प्रभावशीलता जितनी अधिक होगी, उतनी ही अच्छी होगी।

आई. बी. एम. के द्वारा बनाया गया 1990 के दशक के मध्य में आई. डी. रहित फॉरमेट (No ID Format) सेक्टर फॉरमेट के महत्वपूर्ण सुधारों में एक है।

इस नवपरिवर्तन के पीछे की योजना इसके नाम से उजागर होती है कि सेक्टर फॉरमेट से आई. डी. फील्ड को हटा दिया गया।

प्रत्येक सेक्टर को सेक्टर हेडर में लेबल करने के बजाय मेमोरी में एक फॉरमेट मैप स्टोर किया जाता है तथा तब रिफ्रेन्स किया जाता है जब सेक्टर को लोकेट किया जाना चाहिए।

इस मैप में कौन से सेक्टर खराब चिहिन्त एवं पुनः लोकेट किये गये हैं, सेक्टर सर्वो सूचना की लोकशेन के सापेक्ष में कहाँ हैं|

इत्यादि सूचना भी शामिल होती हैं। यह केवल फॉरमेट की क्षमता ही को नहीं सुधारता बल्कि इसके कारण प्रत्येक प्लैटर पर 10 प्रतिशत अधिक डाटा के स्टोरेज के कारण परफॉरमेन्स भी बेहतर होती है।

चूँकि यह डेलीकेट पोजीशनिंग सूचना उच्च गति वाली मेमोरी में उपलब्ध होती है। अतः इसे बहुत तेजी के साथ एक्सेस किया जा सकता है ।

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