फिजिकल एगोनोमिक हेल्थ इफेक्ट्स Physical health effect
टेक्नोलॉजी के उपयोग से फिजिकल इशूज का खतरा भी बढ़ सकता है,
.आईस्ट्रेन हैंडहेल्ड टेब्लेट्स, स्मार्टफोन्स तथा कम्प्युटर्स जैसी टेक्नोलॉजी किसी व्यक्ति का लंबे समय तक ध्यान खींच सकते हैं। इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
डिजिटल आइस्ट्रेन के सिम्प्टम्स् में ब्लर्ड विजन (धुंधली दृष्टि) तथा ड्राई आइज (आँखों में सूखापन) सम्मिलित हो सकते हैं। आइसट्रेन से शरीर के अन्य हिस्सों जैसे सिर, गर्दन या कंधों में भी दर्द हो सकता है। कई टेक्नोलॉजिकल फैक्टर्स आइस्ट्रेन का कारण बन सकते हैं, जैसे-
.स्क्रीन टाइम
• स्क्रीन ग्लेयर
• स्क्रीन ब्राइटनेस
• बहुत पास या बहुत दूर देखना
• पुनर सिटिंग पोश्चर
.अंडरलाइंग विजन इशूज
स्क्रीन से नियमित रूप से दूरी बनाने या नजर हटाते रहने से आइसट्रेन की संभावना कम हो सकती है। नियमित रूप से इन सिम्प्टम्स का अनुभव करने वाले किसी भी व्यक्ति को चेकअप के लिए आप्टोमेट्रिस्ट को दिखाना चाहिए। लम्बे समय तक डिजिटल स्क्रीन के किसी भी रूप का उपयोग करते समय, अमेरिकन आप्टोमेट्रिक एसोसिएशन 20-20-20 रूल का उपयोग करने की सलाह देता है।
इस रूल का उपयोग करने के लिए प्रत्येक 20 मिनट के स्क्रीन टाइम के बाद, कम से कम 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखने के लिए 20 सेकंड का ब्रेक लें। ऐसा करने से, निरंतर अवधि के लिए स्क्रीन को देखने से आँखों पर पड़ने वाले दबाव को कम करने में सहायता मिलती है।
पुअर पोश्चर जिस तरह से बहुत से लोग मोबाइल डिवाइसेस तथा कम्प्युटर्स का उपयोग करते हैं, वह भी गलत पोश्चर का कारण न सकता है। समय के साथ यह मस्क्युलोस्केलेटल इशूज को जन्म दे सकता है।
कई टेक्नोलॉजीस ‘डाउन तथा फॉरवर्ड यूजर पोजिशन को बढ़ावा देती हैं, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति आगे की ओर झूककर स्क्रीन पर देखता है। यह गर्दन तथा रीढ़ पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है। अप्लाइड एर्गोनॉमिक्स पत्रिका में 15 साल के एक अध्ययन में मोबाइल फोन पर टेक्स्ट करने वाले युवा वयस्कों में गर्दन या ऊपरी पीठ दर्द की समस्या पाई गई।
इसके रिजल्ट्स यह इन्डिकेट करते हैं कि प्रभाव कम समय के ही थे, हालाँकि कुछ लोगों में ये सिम्प्टम्स लम्बे समय तक बने रहें। यद्यपि कुछ रिजल्ट्स इन रिजल्ट्स को भी चुनौती देते हैं।
यूरोपियन स्पाइन जर्नल में 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि टेस्टिंग करते समय गर्दन के पोश्चर ने गर्दन दर्द जैसे सिम्प्टम्स में कोई अंतर नहीं किया। इस अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि टेक्स्टिंग तथा ‘टेक्स्ट नेक’ ने युवा वयस्कों में गर्दन दर्द को प्रभावित नहीं किया। हालाँकि अध्ययन में लॉन्ग-टर्म फॉलो अप सम्मिलित नहीं था।
यह हो सकता है कि अन्य फैक्टर्स भी गर्दन दर्द को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि उम्र तथा एक्टिविटी लेवल्सा टेक्नोलॉजी का उपयोग करते समय पोश्चर की समस्याओं को ठीक करने से कोर, गर्दन तथा पीछ के पोश्चर तथा स्ट्रेन्थ में समग्र सुधार हो सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति स्वयं को घंटों तक एक ही पोजिशन में बैठा हुआ पाता है, जैसे कि काम करते समय डेस्क पर बैठना, नियमित रूप से खड़े रहना या स्ट्रेचिंग करना, शरीर पर तनाव को कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त, हर घंटे आफिस में घूमने जैसे शार्ट ब्रेक्स लेने से भी मांसपेशियों को ढीला रखने तथा तनाव और गलत पोश्चर से बचने में सहायता मिल सकती है।
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