वर्चुअल रियलिटी का इतिहास (History of Virtual History)
वर्चुअल रियलिटी के बारे में सन् 1965 के आसपास विचार किया गया था जब Ivan Sutherland ने वर्चुअल अथवा इमेजनरी (imaginary) संसार के निर्माण के लिये अपने सुझाव प्रस्तुत किये थे।
MIT में उसने थ्री-डामेन्शनल डिस्प्ले के साथ परीक्षण किया था। 1969 में उसने पहले ऐसे सिस्टम का निर्माण किया जो लोगों को सूचना के थ्री-डामेन्शनल डिस्प्ले में बांधता था।
70 तथा 80 के आखरी दशकों के मध्य में, वर्चुअल रियलिटी की अवधारणा का मुख्य उपयोग United states ने किया था। मिलिटेरी ने flight simulators की तरह इसका उपयोग अपने पायलट्स को प्रशिक्षण देने के लिये किया।
संसार के अन्य देशों ने 1980 के आखिरी तक भी इस टेक्नोलॉजी के लिये कोई रूचि नहीं दिखाई। उसके बाद से, वर्चुअल रियलिटी का विकास कई तरीकों से हुआ जिससे यह हमारे समय की इमरजिंग टेक्नोलॉजी बन जायें।
वर्चुअल रियलिटी अब ही कुछ ही सालों पहले इतनी विख्यात हुई है लेकिन इसकी जड़ें अर्थात यह अवधारणा चार दशक पहले शुरू हुई थी।
सन् 1950 के आखिरी में, जब राष्ट्र Mc Carthyism के Stale traces तथा Elvis की sounds से प्रभावित हो रहा था, एक उपाय सामने आया जिसने कम्प्यूटर और लोगों के इंटीरेक्ट करने के तरीके को बदल दिया तथा वर्चुअल रियलिटी को सम्भव किया।
उस समय कम्प्यूटर्स A.C. रूम में रखे जाते थे तथा ऐसोटेरिक (esoteric) प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करते थे। लेकिन एक युवा इलैक्ट्रिकल इंजिनियर नोवल रेडार टेक्निशन जिसका नाम Douglas Englelbart था ने इन्हें अलग तरीकों से देखा। Englelbart ने इन सभी को डिजिटल डिस्प्ले के उपकरणों की तरह envision किया।
पहले Englelbart’s के विचारों को अस्वीकार किया गया था, लेकिन 1960 की शुरूआत से अन्य लोगों ने भी इसी तरह सोचना आरम्भ कर दिया।
संचारण तकनीकी कम्प्यूटिंग तथा ग्राफिक्स तकनीकी के साथ इन्ट्रसेक्ट कर रही थी। उस वक्त पहला कम्प्यूटर जो vaccumtubes के बजाय transistors पर आधारित था उपलब्ध हुआ था।
परमाणु हमले के डर ने U.S. मिलिटेरी को एक नये रेडार सिस्टम को चालू करने के लिये तैयार किया जो बहुत ज्यादा मात्रा में सूचना की प्रोसेसिंग करे तथा तुरन्त उसे मनुष्य द्वारा समझे जाने वाले रूप में प्रदर्शित करे। परिणामिक रेडार डिफेंस सिस्टम पहला रियल टाइम अथवा सिमुलेशन आफ डाटा था।
सन् 1962 में Ivan Sutherland ने एक light pen का विकास किया जिसके द्वारा कम्प्यूटर पर तस्वीरें स्केच की जा सकती थीं। Sutherland के पहले कम्प्यूटर ऐडिड डिजाइन प्रोग्राम जिसको स्केचपैड कहते हैं ने डिजाइनरों को ऑटोमोबाइल्स, शहरों तथा इन्डस्ट्री के उत्पादों के ब्लूप्रिंट बनाने के लिये कम्प्यूटर्स के उपयोग का रास्ता दिखाया।
1970 तक, sutherland ने कम्प्यूटर ग्राफिक्स में scientific visualization का उपयोग डाटा के columns को तस्वीरों में परिवर्तित करने के लिये भी किया था।
Scientific visualization का उद्देश्य अपनी तस्वीरों में सिस्टम्स अथवा प्रोसेज की डाइनेमिक विशेषताओं को कैप्चर करना था।
1980 में Scientific visualization, Hollywood की कई स्पेशल इफैक्ट वाली विधियों का निर्माण तथा borrowing एनीमेशन की तरह चला गया। 1990 में NCSA अवार्ड विनिंग smog ऐनीमेशन जो Los Angeles पर descend कर रही थी ने state में air pllution legislature को प्रभावित किया।
वैज्ञानिकों को इन्ट्रेक्टिविटी चाहिये थी तथा मिलेटरी, इन्डस्ट्री, बिजनैस तथा मनोरंजन को परस्पर संबंधों की आवश्यकता थी। इन्ट्रेक्टिविटी की मांग ने कम्प्यूटर विजुलाइजेशन को वर्चुअल रियलिटी की तरफ मोड दिया।
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