सेलुलर सिस्टम्स Cellular Systems kya hai?

सेलुलर सिस्टम्स (Cellular systems)

पहले बेतार सिटम्स में अधिकतम क्षमता का ट्रांसमिटर होता था जो सम्पूर्ण सर्विस एरिया को कवर करता था। इसके लिये अत्यधिक मात्रा में पॉवर की आवश्यकता होती थी तथा यह कई व्यावहारिक कारणों के कारण उपयुक्त नहीं था।

सेलुलर सिस्टम ने छोटे हेक्सागोनल सेल्स से विशाल जोन को विस्थापित किया है इनके साथ एक सिंगल शाक्तिशाली ट्रांसमिटिंग स्टेशन जिसे बेस स्टेशन (BS) कहते हैं, भी लगाया गया है जो पूरे क्षेत्र के एक छोटे भाग को कवर करते हैं।

बेस स्टेशन के अन्दर एक बेस ट्रांससिवर सिस्टम (BTS) तथा एक BS कन्ट्रोलर (BSC) होता है। टॉवर और एन्टीना दोनों BTS के भाग होते हैं, जबकि सम्बन्धित इलैक्ट्रानिक भाग BSC में रखे जाते हैं।

होम लोकेश्न रजिस्टर (HLR) तथा विजिटर लोकेशन रजिस्टर (VLR) पॉइन्टर्स के दो सैट्स हैं जो मोबिलिटी तथा संसार भर में समान टेलीफोन नम्बर्स के उपयोग को सपोर्ट करते है।

HLR मोबाइल स्विचिंग सेन्टर (MSC) पर स्थित है जहाँ पर मोबाइल डिवाइस जैसे लेपटॉप जिन्हें मोबाइल सिस्टम (MS) हैं रजिस्टर किये जाते हैं तथा जहाँ पर बिलों तथा एक्सेस इनफॉरमेशन के लिये प्रारम्भिक होम लोकेशन का रख-रखाव जाता है।

सरल शब्दों में, कॉल्ड नम्बर के आधार पर कोई भी इनकमिंग कॉल होम MSC के HLR को भेज दी जाती या फिर HLR कॉल को पुनः MSC (तथा BS) को भेज देता है जहाँ पर MS वर्तमान में स्थित है। मूलत: VLR में एक ष्ट MSC एरिया के सारे विजिटिंग MS के बारे में जानकारी होती है। नर रेडियो तीन प्रकार के सिस्टम्स में विभाजित किया गया है

1.धिक क्षमता तथा विस्तृत कवरेज के लिए कोर्डलेस टेलीफोनः सेलुलर टेक्नोलॉजी छुटपुट आवादी वाले क्षेत्रों के लिये वित्तीय कवरेज प्रदान करने हेतु लम्बे बेस स्टेशन एन्टीना तथा बडे सेल्स की दिशा में विकसित हो रहे हैं। इन बडे सैल के विकास का अन्तिम केस सेटेलाइट सिस्टम का विकास है।

2. कम सैल साइज तथा पॉवर लेवल्स के लिये हैण्डहैल्ड तथा Vehicular सेलुलर रेडियो : सैलुलर सैल्स छोटे सैल जिनमें कम बेस स्टेशन एन्टीना होते हैं, अथवा विल्डिंग के अन्दर एन्टीना की तरफ भी बढ़ रहे हैं। यह वे कम पावर के सैलुलर पॉकेट फोन को उच्चतम क्षमता तथा बेहतर कवरेज प्रदान करने के लिये कर रहे हैं। इन कम पॉवर के सैलुलर पॉकेट फोन का उपयोग आजकल विस्तृत रूप से बढ़ रहा है।

3. विशिष्ट बेतार डाटा सिस्टम्स : विशिष्ट सिस्टम्स भी उत्पन्न हो रहे हैं यद्यपि वे बेतार टेलीफोन की तरह प्रमुख नहीं हैं। ये डाटा-ओरिएंटेड बेतार सिस्टम्स सेलुलर पैकेट डाटा के द्वारा भी उत्पन्न हो रहे हैं।

सेलुलर संचारण एक निर्विघ्न ट्राजेक्शन प्रदान करने के लिये डायमेनिक स्विचिंग के द्वारा कार्य करता है तथा जैसे ही यूजर सैल की बॉउन्डरी को पार करता है सैल खत्म हो जाते हैं। सैलुलर संचारण प्रक्रिया एक चक्र का अनुसरण करके कार्य करता है इस चक्र में लॉग-ऑन, मॉनीटरिंग, इनकमिंग कॉल्स तथा आउटगोइंग कॉल्स सम्मिलित हैं।

लॉग-ऑन : प्रत्येक सेलुलर हैण्डसैट को एक अद्वितीय परिचय अथवा न्यूमेरिक अरेंजमेन्ट माड्यूल (NAM) असाइन किया जाता है। यह परिचय इसके घरेलु क्षेत्र पर आधारित होता है। संदेश प्रायः पृथक नियंत्रण चैनल द्वारा हैण्डसैट को भेजे जाते हैं यह जांचने के लिये वे घरेलु क्षेत्रों के साथ संचालित हैं या नहीं। जैसे-जैसे मोबाइल यूनिट सैल्स के पार जाता है वैसे-वैसे उसे मोबाइल टेलीफोन स्विचिंग ऑफिस को अपनी लोकेशन बताने के लिये लगातार संदेश भेजते रहना चाहिये जिससे नयी कॉल्स को उस ट्रैफिक क्षेत्र की तरफ मोड़ा जा सके।

मॉनीटरिंग : एक बार जब हैण्डसैट की पॉवर ऑन कर दी जाती है वह लोकल पेजिंग चैनल पर जानकारी पाने के लिये कन्ट्रोल चैनल को मॉनीटर करने लग जाता है। यह एक उपलब्ध चैनल को चुनता है तथा आइडल स्टेट में चला जाता है। आइडल स्टेट में वह चैनल पर संचारित होने वाले डाटा पर ध्यान देता है।

इनकमिंग कॉल्स : जब MTSO (मोबाइल टेलीफोन स्विचिंग ऑफिस) इनकमिंग कॉल प्राप्त करता है तो वह उस ट्रैफिक एरिया के सभी सैल्स को एक सिंगनल भेजता है। सैट सिंगनल को प्राप्त करता है तथा MTSO को जवाब देता है। MTSO सैट को सूचना देता है कि वह कॉल को रिसीव करने के लिये इस विशिष्ट चैनल का उपयोग करें तथा तब सैट उस नई frequency के अनुसार अपने आपको retune कर लेता है।

आउटगोइंग कॉल : कॉल करने के लिये यूजर टेलीफोन नम्बर एन्टर करता है तथा उसे MTSO को एक उपलब्ध एक्सेस चैनल द्वारा प्रोषित करता है। MTSO या तो हैण्डसैट की रिकवेस्ट के लिये अनुमति दे देता है या फिर उसे दूसरे उपलब्ध चैनल के अनुसार अपनी frequency को परिवर्तित करने को कहते हैं।

बेतार संचारण में बहुत सारे विषय शामिल हैं तथा किसी भी सिग्नल को प्रेषित करने पहले व्यापक सिग्नल प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है। ये मुख्य चरण चित्र 1 तथा 2 में प्रदर्शित किये गये हैं। बहुत सारे सिग्नल प्रोसेसिंग ऑपरेशन्स इस पुस्तक की सीमा के अर्न्तगत नहीं आते हैं इसलिये उन्हें इस पुस्तक में सम्मिलित नहीं किया गया है।

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