डिजिटल डिवाइड (Digital Divide)
डिजिटल डिवाइड उस तथ्य का वर्णन करता है कि संसार को ऐसे लोगों में बाँटा जा सकता है जो लोग कार्यशील हैं, यानि वर्किंग क्लास के लोग हैं और जो कार्यशील नहीं हैं।
जिनकी कार्य करने के स्थान तक पहुँच नहीं हैं, जो अपनी कर्य क्षमता का यूज आधुनिक तकनीक में नहीं कर सकते हैं, जैसे जो अपनी क्षमता का इस्तेमाल टेलिफोन, टेलिवीजन या इन्टरनेट में नहीं कर सकते हैं।
डिजिटल डिवाइड का अस्तित्व उन लोगों में देखा जा सकता है जो मुख्य रूप से नगरों में रहते हैं और ग्रामीण होकर भी नगरों के सम्पर्क में रहते हैं तथा जो मुख्य रूप से पक्के ग्रामीण हैं और नगरों के सम्पर्क से अछूते हैं।
उदाहरण के लिए सन् 1999 का एक अध्ययन दर्शाता है कि इन्टरनेट का 86% डिलिवरी 20 बड़े आकार के शहरों को ही किया गया। डिजिटल डिवाइड शिक्षितों और अशिक्षितों के बीच भी एकलिस्ट करता है।
साथ ही यह इकोनॉमिक क्लासेस में और ग्लोवलि (ध्रुवीय) आधार पर कम-बेसी औद्योगिक रूप से विकसित राष्ट्रों में डिजिटल डिवाइड का अस्तित्व आप स्पष्ट परिलक्षित कर सकते हैं।
युनाइटेड स्टेट्स में (और अन्य देश) डिजिटल डिवाइड व्यक्तियों, हाउस होल्ड्स, बिजनसेस और भौगोलिक क्षेत्रों के बीच असमानता का संकेत करता है।
यह असमानता भिन्न-भिन्न सामाजिक-आर्थिक और अन्य डिमोग्राफिक (जनांकिकी) स्तर पर व्यक्त किया गया है, जबकि ग्लोबल डिजिटल डिवाइड राष्ट्रों को विश्लेषण की एक इकाई की तरह डिसिगनेट (निर्दिष्ट) करता है और इस विभाजन का परिक्षण अन्तर्राष्ट्रीय आधार पर विकासशील और विकसित राष्ट्रों के बीच करता है।