आपत्तिजनक सामग्री (Offensive Content)
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अधिकांश राष्ट्रों ने ऐसे कानूनों को लागू कर रखा है जो वाक् स्वतंत्रता को एक सीमा तक ही छूट देते हैं और रेसिस्ट, ब्लैसफीम् (ईशनिन्दा) राजनीतिक रूप से उच्छेदक बातों, सिडिशॅस यानि राज दोहात्मक या उत्तेजक मेटेरिअल्स जो हेट क्राइम्स के लिए भड़काने को इंगित करने वाले हों, को प्रतिबंधित कर रखा है।
ये समस्त मुद्दे अत्यन्त संवेदनशील होते हैं, जिनमें न्यायपालिका ऐसे विभिन्न ग्रुपों जो आरोपित मान्यताओं के पक्षधर हों और प्रत्येक को इस तरह विश्वास किया गया हो कि उनके विचारों के प्वाइंट्स अटैक्ड हुए हैं, के आर्विट्रेशन में इनवॉल्व हो सकती है। इंगलैण्ड में s28 क्राइम एण्ड डिसऑर्डर ऐक्ट 1998 एक रेसिअल ग्रुप को मंडला Vs Dowell Lell (1983) 2 AC 548 (जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म के एक पार्ट के रूप में एक कैप पहने के रिक्वायरमेंट का एक सिक्ख लड़के पर हुए प्रभाव का वर्णन है, जिसके धर्म या विश्वास के अनुसार उन्हें कैप की जगह पगड़ी पहनने की जरूरत थी, के मामलों को इसी सन्दर्भ में डिफाइन करता है।
व्यक्तियों का ऐसा समूह जो रेस, कलर नेशनेलिटि या नृजातीय या नेशनल ऑरिजिन या कोई धार्मिक ग्रुप जो कि ग्रुप ऑफ पर्सन्स की तरह प्रस्तुत हुआ हो, को भी रेफरेन्स के द्वारा इस तरह परिभाषित किया गया है कि कोई भी ऐसा कन्टेन्ट्स किसी भी तरह के धार्मिक विश्वास को आहत नहीं कर सकता है।
अतः किसी व्यक्ति के प्रति विद्वेष के विचार अपराध तुल्य समझा जाएगा यदि कोई व्यक्ति जिसका किसी भी धर्म में विश्वास या श्रद्धा नहीं है, वह यदि किसी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के प्रति होस्टिलिटि के भाव व्यक्त करता है
जो किसी पार्टिकुलर धर्म के प्रति विश्वास या श्रद्धा रखता है तो ये कन्टेट्स भी आपराधिक सामग्री ही समझे जाएंगे।