Author: Ram

  • Python ka Itihaas kya hai

    पायथन का इतिहास (History of Python)

    पायथन सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली जनरल पर्पस, हाई लेवल प्रोग्रामिंग लँग्वेज है। इसे शुरूआत में गाइडो वैन रसम द्वारा वर्ष 1991 में डिजाइन किया गया था और बाद में पायथन सॉफ्टवेयर फाउंडेशन द्वारा डेवलप किया गया। इसे मुख्य रूप से कोड रिडेबिलिटी पर एम्फेसिस के लिए डेवलप किया गया था और इसके सिन्टेक्स प्रोग्रामर्स को कुछ लाइन्स के कोड के लिए कॉन्सेप्ट्स एक्सप्रेस करते हैं।

    1980 के अंत में, इसका इतिहास लिखा जा चुका था। यह वह समय था जब पायवन पर वर्किंग शुरू हो चुकी थी। इसके बाद, गाइडो वैन रसम ने नीदरलैंड स्थित सेंट्रम विस्कंड एंड इन्फॉर्मेटिका (CWI) में दिसंबर 1989 में इसके लिए पब्लिकेशन आधारित कार्य प्रारंभ किया। यह शुरूआत में एक हॉबी प्रोजेक्ट के रूप में था, क्योंकि वे क्रिसमस के दौरान एक इंटरेस्टिंग प्रोजेक्ट चाह रहे थे। जिस लैंग्वेज में पायथन को एक सफल लैंग्वेज बताया गया है, वह ABC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जिसमें अमीबा आपरेटिंग सिस्टम इंटरफेस था और एक्सेप्शन हैंडलिंग की सुविधा थी। यद्यपि उन्होंने ABC बनाने में भी सहायता की थी, जिसके अंतर्गत उन्होंने कई इशूज सॉल्व किए और कई फिचर्स पसंद भी किए। इसके बाद उन्होंने जो किया वह वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने ABC के सिन्टेक्स और इसके कुछ फिचर्स को लिया।

    इसमें कई शिकायतें भी थी, जिन्हें उन्होंने दूर किया और एक बेहतर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज बनाई जिसने सभी कमियों को दूर किया। उन्हें पायथन नाम की प्रेरणा BBC के टीवी शो ‘मॉन्टी पायवन्स फ्लाइंग सर्कस’ से मिली, क्योंकि वे इस टीवी शो के बहुत बड़े प्रशंसक थे। और उन्हें अपने इन्वेन्शन के लिए छोटा, अनोखा और रहस्यमयी नाम चाहिए था। इसलिए उन्होंने इस लैंग्वेज का नाम पायथन रखा। वे 12 जुलाई 2018 को नेता के पद से हटने तक एक बेनवोलेन्ट डिक्टेटर फॉर लाइफ (BDFL) अर्थात् जीवन के लिए उदार तानाशाह रहे। उन्होंने कुछ समय गूगल के लिए भी कार्य किया, लेकिन वर्तमान में वे ड्रॉपबॉक्स में कार्यरत हैं। इस लैंग्वेज को अंततः 1991 में वे रिलिज किया गया था। जब इसे रिलिज किया गया था, तो जावा, C++ तथा C की तुलना में अपने कॉन्सेप्ट्स को एक्सप्रेस करने के लिए यह बहुत थोड़े कोड का उपयोग करती थी।

    इसकी डिज़ाइन फिलोसॉफी भी काफी हद तक बेहतर थी। इसका मुख्य उद्देश्य कोड रिडेबिलिटी तथा एडवान्स्ड डेवलपर प्रोडक्टिविटी प्रदान करना है। जब इसे रिलिज किया गया था, तो इसमें इन्हेरिटेन्स के साथ क्लासेस प्रदान करने की पर्याप्त क्षमता, कुछ कोर डेटा टाइप्स एक्सेप्शन हैंडलिंग तथा फंक्शन्स थे।

  • Database Management System ki kya visheshtaen hain?

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की विशेषताएँ

    1. डेटा को टेबल्स में स्टोर किया जाता है: डेटा कभी भी सीधे तौर पर डेटाबेस में स्टोर नहीं किया जाता है। डेटा को टेबल्स, में स्टोर किया जाता है, जिन्हें डेटाबेस के भीतर क्रिएट किया जाता है। DBMS टेबल्स के बीच रिलेशनशिप्स की अनुमति भी प्रदान करता है, जो डेटा को और अधिक मिनिंगफुल तथा कनेक्टेंड बनाती है। आप डेटाबेस में क्रिएट की गई टेबल्स को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि किस प्रकार का डेटा स्टोर किया गया है।
    1. रिड्यूस्ड रिडन्डेन्सी: आज के युग में, हार्ड ड्राइव्स बहुत सस्ती हो चुकी है, लेकिन जब हार्ड ड्राइव्स महँगी हुआ करती थीं, तब डेटाबेस में डेटा का अनावश्यक रिपिटिशन बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन DBMS नॉर्मलाइजेशन का अनुसरण करता है, जो डेटा को इस प्रकार विभाजित करता है कि पार्टिशन मिनिमम होता है।
    2. डेटा कन्सिस्टेन्सी लाइव डेटा के केस में, डेटा निरंतर अपडेट तथा एड होता है, इस डेटा की कन्सिस्टेन्सी को मेन्टेन करना चुनौतिपूर्ण हो जाता है। लेकिन DBMS इसे स्वयं ही हैंडल कर लेता है। 4. मल्टिपल युजर तथा कॉन्करंट एक्सेस को सपोर्ट करता है : DBMS एक ही समय पर मल्टिपल युजर्स को कार्य (अपडेट, इन्सर्ट, डिलिट डेटा) करने की अनुमति प्रदान करता है, इसके साथ ही डेटा कन्सिस्टेन्सी मेन्टेन करना भी मैनेज करता है।
    3. क्वेरी लैंग्वेज : DBMS युजर्स को सिम्पल क्वेरी लँग्वेज प्रदान करता है, जिसका उपयोग करके डेटा को आसानी से डेटाबेस में फेच, इन्सर्ट, डिलिट तथा अपडेट किया जा सकता है।
    4. सिक्योरिटी: DBMS डेटा की सिक्योरिटी का ध्यान रखता है और अनआथोराइज्ड एक्सेस से डेटा को प्रोजेक्ट भी करता है। DBMS में विभिन्न आथोराइज्ड एक्सेस के साथ युजर अकाउंट्स क्रिएट कर सकते हैं, जिनका उपयोग करके हम युजर एक्सेस को रेस्ट्रिक्ट करके हमारे डेटा को आसानी से सिक्योर कर सकते
    5. ट्रांजेक्शन्स DBMS ट्रॉजेक्शन्स को सपोर्ट करता है, जो रियल वर्ल्ड एप्लिकेशन में डेटा को बेहतर रूप से हैंडल करने तथा मैनेज करने की अनुमति प्रदान करता है, जहाँ मल्टि-ब्रेडिंग का एक्सरेन्सिव रूप से उपयोग किया जाता है।
  • kya SQL Programming ko Support karta hai?

    SQL एक स्टैंडर्ड क्वेरी लैग्वेज है, जो कि वास्तव में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज नहीं है। SQL में लूप, तथा लॉजिकल आपरेशन्स नहीं होते हैं। इसमें डेटा को मैनिप्युलेट किया जाता है। इसका उपयोग डेटाबेस को एक्सेस करने के लिए कमांडिंग (क्वेरी) लैंग्वेज के रूप में किया जाता है। SQL का प्राथमिक उद्देश्य रिट्राइव, कंडीशनल स्टेटमेन्ट मॅनिप्युलेट, अपडेट तथा कॉम्प्लेक्स आपरेशन्स जैसे डेटाबेस में उपस्थित डेटा पर जॉइन ऑपरेशन परफॉर्म करना है।

  • SQL kab Astitva Mein Aaya?

    SQL सन् 1974 में अस्तित्व में आया। SQL रिलेशनल डेटाबेस को मैन्टेन करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली लैंग्वेजेस में से एक है। सन् 1986 में SQL अमेरिकन नेशनल स्टैंर्डड्स इन्स्टिट्यूट (ANSI) का स्टैंडर्ड बनी और इसके बाद सन् 1987 में इन्टरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO) का स्टैंडर्ड बनी।

  • SQL kya hai?

    • SQL का पूरा नाम स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज है। SQL एक स्टैंडर्ड क्वेरी लैंग्वेज है, जिसका उपयोग रिलेशनल डेटाबेस को मैन्टेन करने और डेटा पर डेटा मैनिप्युलेशन के माध्यम से विभिन्न ऑपरेशन्स परफॉर्म करने के लिए किया जाता है। SQL की खोज सन् 1970 में की गई थी। यह एक डेटाबेस लैंग्वेज है, जिसका उपयोग डेटाबेस क्रिएशन, डिलिशन, रोज को फेच तथा मोडिफाय करने के लिए किया जाता है। कई बार इसे ‘सिक्वल’ के रूप में भी पुकारा जाता है।
  • Database Management System kya hai?

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (DBMS) एक सॉफ्टवेयर है, जो डेटाबेस में डेटा को स्टोर, मैनिप्युलेट तथा रिट्राइव करना आसान बनाता है। डेटाबेस को टेबल्स में स्टोर किया जाता है। इसलिए DBMS डेटा को एक स्ट्रक्चर के अनुरूप स्टोर करता है। DBMS युजर्स को स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज (SQL) का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता है। यह डेटा को तुरंत इन्सर्ट, अपडेट, सिलेक्ट तथा डिलिट करने के लिए क्वेरीज इशू करने में सहायता करता है।

    DBMS का उपयोग अत्यंत लाभकारी है। यह नॉर्मलाइजेशन का उपयोग करके डेटा रिडन्डेन्सी को कम करता है। इसके साथ ही, मल्टिपल युजर्स DBMS को एक साथ एक्सेस कर सकते हैं। इस प्रकार, यह मल्टी-युजर एन्वायर्नमेन्ट को सपोर्ट करता है। साथ ही, यह ट्रांजेक्शन्स, बैकअप तथा रिकवरी आदि परफॉर्म करता है।

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम का उद्देश्य

    डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम का प्रमुख उद्देश्य डेटा को मैनेज करना है। एक युनिवर्सिटी पर विचार करें, जो स्टूडेन्ट्स, टीचर्स कोर्सेस, बुक्स आदि का डेटा रखती है। इस डेटा को मैनेज करने के लिए हमें इस डेटा को कहीं स्टोर करने की आवश्यकता है, जहाँ हम नया डेटा एड कर सकें, अनयुज्ड डेटा डिलिट कर सकें, आउडेटेड डेटा को अपडेट कर सकें, डेटा को रिट्राइव कर सकें। डेटा पर ये सभी आपरेशन्स परफॉर्म करने के लिए हमें डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की आवश्यकता होती है, जो हमें डेटा को उस रूप में स्टोर करने की अनुमति प्रदान करता है, जिसमें हम कुशलता से ये सभी आपरेशन्स परफॉर्म कर सकते हैं।

  • File System kya hai?

    फाइल सिस्टम हार्ड डिस्क में डेटा को रीड तथा राइट करने के तरीके को हैंडल करती है. फाइल सिस्टम को आपरेटिंग सिस्टम के साथ कम्प्यूटर में इन्स्टॉल किया जाता है। आपरेटिंग सिस्टम्स जैसे विंडोज तथा लिनक्स में उनका अपना फाइल सिस्टम होता है. न्यू टेक्नोलॉजी फाइल सिस्टम (NTFS) विंडोज फाइल सिस्टम है। एक्सटेंडेड फाइल सिस्टम (Ext) लिनक्स फाइल सिस्टम है। एक फाइल जैसे कि टेक्स्ट फाइल हार्ड डिस्क में डेटा स्टोर करने के लिए फाइल सिस्टम से होकर गुजरती है। इसी प्रकार, फाइल को फाइल सिस्टम द्वारा ही रीड किया जाता है। इसलिए, इसमें डेटा इन्कन्सिस्टेन्सी अधिक होती है। साधारण तौर पर, फाइल सिस्टम में डेटा रिडन्डेन्सी की संभावना होती है क्योंकि इसमें डुप्लिकेट डेटा हो सकता है। इस प्रकार, एक फाइल सिस्टम को हैंडल करना सरल होता है, लेकिन इसकी कुछ हानियाँ होती हैं, जैसे कि डेटा रिडन्डेन्सी, डेटा इन्कन्सिस्टेन्सी तथा कम सिक्योरिटी।

  • File System ki haniyan kya hai

    फाइल सिस्टम की हानियाँ

    1. डेटा की रिडन्डेन्सी : डेटा को रिडन्डेन्ट कहा जाता है, जब समान डेटा को कई जगह कॉपी किया है। यह एक स्टूडेन्ट फोन नम्बर बदलना चाहता है, तो उसे इस नम्बर को कई सेक्शन्स में अपडेट करने की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार, उस स्टूडेन्ट को रिप्रेजेन्ट करने वाले पूराने रिकॉर्ड्स भी सभी सेक्शनम से डिलिट होना आवश्यक है। गया

    2. डेटा की इन्कसिस्टेन्सी डेटा को इन्कस्टिस्टेन्ट कहा जाता है, जब समान डेटा की मल्टिपल क एक-दूसरे से मैच नहीं होती हैं। यदि अकाउंट्स सेक्शन तथा एकेडमिक्स सेक्शन में फोन नम्बर अलग- अलग हो, तो यह कन्सिस्टेन्ट होगा। इन्कन्सिस्टेन्सी टाइपिंग एरर्स के कारण या समान डेटा की सभी को अपडेट न करने की वजह से होती है।

    3. कठिन डेटा एक्सेस : एक युजर को डेटा को एक्सेस करने के लिए फाइल की एक्जेक्ट लोकेशन को जानकारी होना चाहिए, इसलिए प्रोसेस बेहद बोझिल तथा थकाऊ हो जाती है. यदि युजर 10000 अनसॉटैंड स्टूडेन्ट्स के रिकॉर्ड्स में से एक स्टूडेन्ट के स्टूडेन्ट होस्टल अलॉटमेन्ट नम्बर को सर्च करना चाहता है, तो यह कितना कठिन होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

    4. अनआथोराइज्ड एक्सेस फाइल सिस्टम डेटा के अनआथोराइज्ड एक्सेस का कारण बन सकता है। य एक स्टूडेन्ट उसके मक्सि की फाइल को एक्सेस करने में सक्षम होगा, तो वह इसे अनअथोराइज्ड तरीके से बदल सकता है.

    5. कोई कॉन्करंट एक्सेस नहीं होता है समान समय पर मल्टिपल युजर्स द्वारा समान डेटा को एक्सेस करना कॉन्करंसी कहलाता है। फाइल सिस्टम कॉन्करंसी की अनुमति प्रदान नहीं करता है क्योंकि इसमें एस समय पर एक ही युजर द्वारा डेटा एक्सेस किया जा सकता है।

    6. कोई बैकअप तथा रिकवरी नहीं होती है यदि फाइल लॉस या करप्ट हो जाती है, तो फाइल को बैकअप तथा रिकवरी प्रदान नहीं करता है।

  • Database kya hai?

    डेटाबेस को डेटा के स्ट्रक्चर के रूप में डिफाइन किया जाता है, जिसे किसी कम्प्यूटर या डेटा में आर्गेनाइज्ड मैनर में स्टोर किया जाता है तथा विभिन्न प्रकारों से एक्सेस किया जा सकता है। यह स्किमास, टेबल्स, क्वेरीज, व्यूज आदि का कलेक्शन है। डेटाबेस हमें कम्प्युटर में मौजूद डेटा को आसानी से स्टोर, एक्सेस तथा मैनिप्युलेट करने में सहायता करता है। डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम युजर को डेटाबेस के साथ इन्टरेक्ट करने की अनुमति प्रदान करता है।

  • SQL ki Haniyan Kya Hai?

    SQL की हानियाँ (Disadvantages of SQL)

    लाभों के साथ ही स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज की कुछ हानियाँ भी हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार किया गया है 1. कठिन इंटरफेस : SQL में कॉम्प्लेक्स इंटरफेस होना है, जो कुछ युजर्स के लिए इसे एक्सेस करने को कठिन बनाना है।

    2. पार्शल कंट्रोल : प्रोग्रामर्स, जो SQL का उपयोग करते हैं, उनके पास हिडन बिजनेस रूल्स के कारण डेटाबेस पर पूर्ण कंट्रोल नहीं होता है।

    3. इम्प्लिमेन्टेशन : कुछ डेटाबेसेस, वेंडर लॉक-इन सुनिश्चित करने के लिए स्टैंडर्ड SQL पर प्रोप्राइटरी एक्सटेंशन्स लेते हैं।

    4. कॉस्ट: कुछ SQL वर्शन्स की आपरेटिंग कॉस्ट कुछ प्रोग्रामर्स के लिए इसे एक्सेस करना मुश्किल बना देती है।