साइबर क्राइम का क्लासिफिकेशन (Classification of Cybercrime)
1. साइबर टेररिज्म: साइबर टेररिज्म वॉएलेन्ट एक्ट्स करने के लिए कम्प्युटर तथा इंटरनेट का उपयोग है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन की हानि हो सकती है। इसमें नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने के लिए सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर द्वारा विभिन्न प्रकार की एक्टिविटीज सम्मिलित हो सकती है।
सामान्य तौर पर, साइबर टेररिज्म को साइबर स्पेस या कम्प्युटर रिसोर्सेस के उपयोग के माध्यम से किए गए टेररिज्म के कार्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
2. साइबर एक्सटॉर्शन: साइबर एक्सटॉर्शन तब होता है, जब किसी वेबसाइट, ई-मेल सर्वर या कम्प्युटर सिस्टम को मेलिशियस हैकर्स द्वारा रिपिटेड डिनायल आफ सर्विस या अन्य अटैक्स के अधीन किया जाता है या धमकी दी जाती है। ये हैकर्स अटैक्स को रोकने तथा प्रोटेक्शन प्रदान करने के अश्योरेन्स के बदले भारी धन की माँग करते हैं।
3. साइबर वारफेयर: साइबर वारफेयर कम्प्युटर्स ऑनलाइन कंट्रोल सिस्टम्स तथा नेटवर्क्स के बेटल स्पेस या वारफेयर कॉन्टेक्स्ट में उपयोग या इसकी टारगेटिंग है। इसमें साइबर अटैक्स, जासूसी तथा तोड़फोड़ के खतरे से सम्बन्धित आफेन्सिव तथा डिफेन्सिव दोनों तरह के ऑपरेशन्स सम्मिलित हैं।
4. इंटरनेट फ्रॉड: इंटरनेट फ्रॉड एक प्रकार की धोखाधड़ी या छल है, जो इंटरनेट का उपयोग करता है और इसमें धन या प्रॉपर्टी के लिए विक्टिम्स को धोखा देने के उद्देश्य से जानकारी छिपाना या गलत जानकारी प्रदान करना सम्मिलित हो सकता है। इंटरनेट फ्रॉड को केवल विशिष्ट क्राइम नहीं माना जाता है, बल्कि साइबर स्पेस में किए जाने वाले कई अवैध कार्यों को सम्मिलित किया जाता है।
5. साइबर स्टॉकिंगः यह एक प्रकार का ऑनलाइन हैरेसमेन्ट है, जिसमें विक्टिम को ऑनलाइन मैसेजेस तथा ई-मेल्स की बड़ी मात्रा का सामना करना पड़ता है। इस मामले में, ये स्कॉलर्स अपने विक्टिम्स को जानते हैं और आफलाइन स्टॉकिंग के बजाए वे स्टॉक करने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। हालाँकि, यदि वे पाते हैं कि साइबर स्टॉकिंग का वांछित प्रभाव नहीं हो रहा है, तो वे विक्टिम्स के जीवन को और अधिक दयनीय बनाने के लिए साइबर स्टॉकिंग के साथ- साथ उनकी आफलाइन स्टॉकिंग भी शुरू कर देते हैं।