साइबर लॉ kya hai?(Cyber Law)

साइबर लॉ (Cyber Law)

साइबर लॉ किसी भी अन्य लीगल रूल या पॉलिसी के समान है, जिसको किसी भी प्रकार की परेशानी से बाहर निकलने के लिए हमारे दैनिक जीवन में पालन किया जाना चाहिए। ये लॉ हमारे समाज, मोरल्स, कम्प्युटर इथिक्स आदि जैसे की मुद्दों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। अंतर केवल इतना है कि साइबर लॉ इंटरनेट तथा इंटरनेट से सम्बन्धित टेक्नोलॉजीस पर ही लागू होता है। साइबर लॉ को वर्ल्ड में डिसिप्लिन तथा जस्टिस बनाए रखने के लिए बनाया गया है। लीगल सिस्टम में यह एरिया इसलिए पेश किया गया क्योंकि कम्प्युटर्स तथा अन्य टेक्नोलॉजीस से जुड़े क्राइम्स तेजी से बढ़ रहे थे। इस प्रकार के क्राइम्स किसी भी मौजुदा लीगल कैटेगरी के अंतर्गत नहीं आते थे, इसलिए साइबर लॉ के नाम से एक अलग सेक्शन का गठन किया गया था।

साइबर लॉ बिजनेस तथा नियमित नागरिकों दोनों सहित इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों को लीगल प्रोटेक्शन प्रदान करता है। इंटरनेट का उपयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अपने देश तथा स्थानीय क्षेत्र के साइबर लॉ से अवगत होना महत्वपूर्ण है, ताकि वे जान सकें कि एक्टिविटी ऑनलाइन के अंतर्गत लीगल है और कौन-सी नहीं।

पहला साइबर लॉ कम्प्युटर फ्रॉड तथा एब्युस एक्ट था, जिसे सन् 1986 में अधिनियमित किया गया था। CFAA के रूप में पहचाना जाने वाला यह लॉ कम्प्युटर्स अनआथोराइज्ड एक्सेस को प्रतिबंधित करता है और उस लॉ को तोड़ने के लिए सजा के स्तरों के बारे में डिटेल्स सम्मिलित करता है।

साइबर लॉ में सम्मिलित क्षेत्र (Areas Encampassing in Cyber Laws)

ये ऑनलाइन होने वाले कई एरियाज तथा एक्टिविटीज को कवर करते हैं और विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। ऑनलाइन व्यक्तियों को मेलिशियस एक्टिविटीज से बचाने के लिए कुछ लॉ बनाए जाते हैं। कुछ लॉ किसी कम्पनी में कम्प्युटर तथा इंटरनेट का उपयोग करने पर पॉलिसीज की व्याख्या करते हैं। ये सभी कैटेगरीज साइबर लॉ के अंतर्गत आती हैं। साइबर लॉ को सम्मिलित करने वाले कुछ विस्तृत क्षेत्र इस प्रकार है:

1.स्कैम / ट्रेचरी लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड्स तथा स्कैम्स से बचाने के लिए साइबर लॉ मौजूद हैं। ये लॉ किसी भी फाइनेन्शियल क्राइम तथा आइडोन्टिटी थेफ्ट को रोकते हैं।

2.कॉपीराइट इशूज इंटरनेट कई प्रकार के कन्टेन्ट का सोर्स है, लेकिन किसी अन्य व्यक्ति की मेहनत की नकल करना उचित नहीं है। साइबर लॉ में कॉपीराइट के खिलाफ सख्त पॉलिसीज हैं, जो कम्पनीज तथा व्यक्तियों के क्रिएटिव वर्क्स को प्रोटेक्ट करती हैं।

3. ऑनलाइन इन्सल्ट्स तथा कैरेक्टर डिग्रेडेशन सोशल मीडिया जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स स्वतंत्र रूप से अपने मन की बात कहने का सबसे अच्छे प्लेटफार्म्स हैं, लेकिन ऑनलाइन बोलने और किसी को बदनाम करने के अधिकार का उपयोग करने मुक्ति में काफी कमी पाई जाती है। साइबर लॉ किसी व्यक्ति की रेप्युटेशन को प्रोटेक्ट करने के लिए ऑनलाइन इन्सल्ट्स, रेसिज्म या जेंडर टार्गेट्स जैसे इशूज को सम्बोधित करते हैं।

4. ऑनलाइन हैरेसमेन्ट तथा स्टॉकिंग हैरेसमेन्ट सिविल तथा क्रिमिनल दोनों ही लॉ का उल्लंघन है। साइबर स्पेस में यह क्राइम का प्रमुख मुद्दा है। इन जघन्य अपराध क्राइम्स को प्रतिबंधित करने के लिए लीगल सिस्टम में कुछ कठोर लॉ हैं।

5. डेटा प्रोटेक्शन इंटरनेट का उपयोग करने वाले व्यक्ति ऑनलाइन रहते हुए अपनी प्राइवेसी को जोखिम में डालते हैं और अक्सर अपने सिक्रेट्स को प्रोटेक्ट करने के लिए साइबर लॉ तथा पॉलिसीज पर भरोसा करते हैं। साथ ही, कम्पनीज को अपने यूजर्स के डेटा की कॉन्फिडेन्शियलिटी को मेन्टेन करना चाहिए।

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