Database Management System ki Haniyan?

(Disadvantages of Database Management System)

डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की हानियाँ इस प्रकार समझाई गई है :

1. मैनेजमेन्ट कॉम्प्लेक्सिटी एक बार जब आप डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम को इक्विप कर लेते हैं, तो इसे मैनेज करना आसान काम नहीं है। आपको मैनेजमेन्ट कैपेबिलिटीज के साथ ही बेहतर स्टाफ रखने की आवश्यकता होती. है। कई बार यह निर्णय लेना कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है कि डेटा कहाँ से लिया जाए तथा कहाँ सेव किया जाए।

2. फ्रिक्वेन्सी अपेडट/रिप्लेसमेन्ट साइकल : DBMS वेंडर्स अक्सर नई फंक्शनालिटी को जोड़कर अपने प्रोडक्ट्स को अपग्रेड करते हैं। इस तरह के नए फीचर्स अक्सर सॉफ्टवेयर के नए वर्शन्स में आते हैं। इनमें से कुछ वर्शन्स में हार्डवेयर अपग्रेड की आवश्यकता होती है। न केवल अपग्रेड्स में खर्च होता है, बल्कि डेटाबेस युजर्स तथा एडमिनिस्ट्रेटर्स को नए फीचर्स को सही तरह से उपयोग करने और मैनेज करने के लिए प्रशिक्षित करने में भी भारी मात्रा में खर्च होता है।

3. कॉम्प्लेक्सटी : एक अच्छे DBMS से अपेक्षित किया जाने वाला फंक्शनालिटी का प्रोविजन DBMS को बेहद कॉम्प्लेक्स बना देता है। डेटाबेस डिजाइनर्स, डेवलपर्स, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर्स तथा एंड यूजर्स को इस फंक्शनालिटी को समझना बेहद आवश्यक है ताकि इसका पूरा लाभ उठाया जा सके। सिस्टम को समझने में फैल्योर बूरे डिजाइन डिसिजन्स का कारण बन सकता है, जो एक आर्गेनाइजेशन के लिए गंभीर विषय हो सकता है।

4. साइज : फंक्शनालिटी की कॉम्प्लेक्सटी तथा चौड़ाई DBMS को सॉफ्टवेयर का बहुत बड़ा हिस्सा बनाता है, जो डिस्क स्पेस की कई मेगाबाइट्स को आक्युपाए कर लेता है तथा कुशलता से रन होने के लिए पर्याप्त मात्रा में मेमोरी की आवश्यकता होती है।

5. परफॉर्मन्स आमतौर पर, फाइल बेस्ड सिस्टम एक विशेष एप्लिकेशन के लिए लिखी जाती है, जैसे कि इन्वॉइसिंग । परिणामस्वरूप, परफॉर्मेन्स आमतौर पर अच्छी होती है। यद्यपि, DBMS को एक के बजाए कई एप्लिकेशन्स के लिए लिखा जाना सामान्य बात है। इसका प्रभाव यह है कि कुछ एप्लिकेशन्स उतनी तेजी से रन नहीं हो पाती हैं, जितनी तेजी से उनका उपयोग किया जाता है।

6. फैल्योर का उच्च प्रभाव : रिसोर्सेस का सेंट्रलाइजेशन सिस्टम की वल्नरेबिलिटी (भेदयता) को बढ़ाता है। चूँकि सभी युजर्स तथा एप्लिकेशन्स DBMS की वैधता पर भरोसा करते हैं, किसी एक कम्पोनेन्ट का फैल्योर सभी आपरेशन्स को रोक सकता है।

7. अतिरिक्त हार्डवेयर कॉस्ट्स : DBMS और डेटाबेस के लिए डिस्क स्टोरेज की आवश्यकता के चलते अतिरिक्त स्टोरेज स्पेज को खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। इसके साथ ही, आवश्यक परफॉर्मेन्स प्राप्त करने के लिए एक बड़ी मशीन खरीदना आवश्यक हो सकता है, शायद यहाँ तक कि DBMS को रन करने के लिए पूर्ण रूप से डेडिकेटेट मशीन थी। अतिरिक्त हार्डवेयर की खरीद का परिणाम बड़ी मात्रा में खर्च हो सकता है।

8. कन्वर्शन की कॉस्ट : कुछ सिचुएशन्स में, DBMS तथा हार्डवेयर पर रन की जाने वाली एक्जिस्टिंग एप्लिकेशन्स को कन्वर्ट करने की कॉस्ट की तुलना में DBMS तथा अतिरिक्त हार्डवेयर को कॉस्ट महत्वहीन हो सकती है। इस कॉस्ट में इन नए सिस्टम्स का उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग स्टॉफ की कॉस्ट और संभवतः सिस्टम के कन्वर्शन तथा रन करने में सहायता के लिए स्पेशलिस्ट स्टाफ का रोजगार भी सम्मिलित है। यह कॉस्ट मुख्य कारणों में से एक है कि क्यों कुछ आर्गेनाइजेशन्स अपने मौजूदा सिस्टम्स से बंधे हुए महसूस करते हैं और मॉडर्न डेटाबेस टेक्नोलॉजी पर स्विच नहीं कर सकते हैं।

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