Electronic Payment System kya hai?

परिचय (Introduction

आप अक्सर वेबसाइट को जब लॉग-ऑन करते हैं तब आपने साइट पर कई विज्ञापन देखा होगा तथा सम्भवतः सामान भी खरीदा होगा।

सामान का ऑर्डर देते समय आपको सामान का भुगतान करने के लिए कई विकल्प मिलते होंगे उनमें अधि कतर विकल्प नकद के अतिरिक्त होते हैं। अर्थात् जो विकल्प होते हैं उनमें आपको भौतिक रूप से भुगतान नहीं करना होता है।

आपको इस भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का प्रयोग करना होता है। यह वस्तुतः वर्चुअल भुगतान का तरीका है जिसे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली कहा जा सकता है।

इसके अन्तर्गत क्रेडिट-डेबिट कार्ड के अतिरिक्त और कई विधियाँ हैं तथा आज ये विपणन तथा विक्रय का अभिन्न अंग है। इस अध्याय में हम इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली तथा इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली (Electronic Payment System)

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली आज ऑन-लाइन व्यापार प्रक्रिया का मुख्या हिस्सा है। इसका कारण यह है कि आधुनिक कम्पनियाँ अपने ग्राहकों को सेवाएँ ऑन डिमाण्ड तथा सस्ते दर पर देना चाहते हैं।

आजके व्यापार में इलेक्ट्रॉनिक रूप से सामानों तथा सेवाओं का भुगतान आधुनिक व्यापार को नये आयाम प्रदान करते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान विधि ने व्यापार के विकास में वृद्धि करने के अतिरिक्त ग्राहक की आवश्यकताओं की पूर्ति को जादुई रूप से सम्पन्न करने में भरपूर सहयोग दिया है।

उदाहरण के लिए आपकी कम्पनी वेबसाइट विकास के व्यापार में संलग्न है। आपको अपने ग्राहक के एक साइट को अमेरिका के किसी होस्ट कम्पनी से सेवा खरीदनी है। आप यह कार्य सेकण्डों में इसका भुगतान कर कर सकते हैं।

ठीक इसी प्रकार आप बिट्रेन में बैठकर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपने माँ के लिए खरीदे गये एक महँगे उपहार का भुगतान कर अपनी माँ के जन्मदिन को खुशियों से भर सकते हैं। यह तो स्पष्ट है कि किसी भी व्यापार में भुगतान एक अभिन्न भाग है।

जिसके बगैर कोई भी व्यापारिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली तथा इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स जटिल रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं जिसके कारण ही उपभोक्ता सामानों तथा सेवाओं का भुगतान कर पाते हैं।

सब के बावजूद ऑन-लाइन विक्रेताओं की एक अहम समस्या यह है कि क्रेता (buyers) सामानों तथा सेवाओं का भुगतान कैसे करें। इस भुगतान में वे अलग-अलग बाजार में कौनसी मुद्रा (currency) का प्रयोग करेंगे।

आज के ऑन-लाइन इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की अवस्था कई स्थितियों में मध्यकालिन युगों के समान हैं। एशिया तथा यूरोप के व्यापारी बाजार विस्तार के व्यापारिक संभावनाओं पर काबू पाने की कोशिश में एक ही तरह की समस्या से दो चार होते थे।

उस काल के व्यापारी कई प्रकार की बाधाओं जैसे स्थानीय कानून, व्यापारिक प्रचलन (Practices) से सम्बन्धित रिवाज (customs), परस्पर विरोधी (incompatible) तथा अपरिवर्तनीय (nonconvertible) मुद्रा व्यापार करने से रोकते थे।

इन समस्याओं को सुलझाने के लिए उस समय के व्यापारियों में प्रोमिसरी नोट्स (Promissory Notes), बिल्ज ऑफ एक्सचेंज (Bills of Exchanges), सोने के सिक्के तथा अदला-बदली विधि (barter system) जैसे उपाय प्रचलित थे।

व्यापारियों ने उन भुगतान उपायों के प्रयोग हेतु वाणिज्यिक कानून भी विकसित किये थे जो व्यापार तथा वाणिज्य के इतिहास के लिए एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु था। आज हम उसी प्रकार के विकास के कगार पर हैं।

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