Types of Electronic Payment System kya hai?

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के प्रकार (Types of Electronic Payment System)

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली का प्रयोग आज छोटे मोटे दुकान से लेकर सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों से लेकर प्रायः सभी ऑन-लाइन व्यापर में हो रहा है।

संगठनों को आज के प्रतिस्पर्धा के इस दौर में ग्राहकों को सस्ते (cost-effective) तथा उच्च क्वालिटी की सेवाएँ देने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस खण्ड में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली में किन-किन विधियों का प्रयोग हो रहा है, पर चर्चा करेंगे।

डिजीटल टोकन आधारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली (Disital Token Based Electronic Payment Sytem)

कोई भी बैंकिंग या रिटेलिंग भुगतान प्रणाली आज के स्वरूप में उपभोक्ता प्रदत्त वातावरण के लिए पर्याप्त नहीं है।

इसका मूल कारण यह मान्यता है कि पार्टियाँ भुगतान के समय शारीरिक रूप से आमने सामने हों तथा इसके अन्तर्गत जालसाजी, ओवरड्राफ्टस (overdrafts) के भय समाप्त करने में किये जाने वाली प्रक्रिया में होने वाली देरी है।

ये मान्यताएँ ई-कॉमर्स के लिए अच्छे नहीं है तथा इस प्रकार के विधियों में सुधार नेटवर्क पर किये जा रहे व्यापार के लिए नयी विधियाँ इसके अनुरूप विकसित की जा रही हैं।

अब वित्तीय उपकरणें (instruments) के पूरी तरह से नये रूपों का विकास किया जा रहा है। इनमें एक नया वित्तीय उपकरण इलेक्ट्रॉनिक नकद/पैसा या चैक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक टोकन्स हैं।

इलेक्ट्रॉनिक टोकन को बैंक अथवा वित्तीय संस्थान द्वारा प्रोत्साहित भुगतान के कई तरीकों के इलेक्ट्रॉनिक विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है। साधारणतः इलेक्ट्रॉनिक टोकन्स बैंक के द्वारा दिये गये नकद का समानार्थक है।

नकद, डेविट तथा क्रेडिट तीन प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक टोकन्स हैं-

नकद या रिअल टाइप (Cash or real-type) –

व्यापार इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा के विनिमय (exchange) से निबटारा ( settle) किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक नगद (Electronic cash) या ई-नगद (e-cash) ऑनलाइन मुद्रा विनिमय का एक उदाहरण है।

डेबिट अथवा प्रीपेड (Debit or prepaid) – प्रयोक्ता सूचना पाने की सुविधा के लिए अग्रिम भुगतान कर देते हैं। स्मार्ट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट्स/पर्सेज (Wallets/purses), इत्यादि प्रिपेड भुगतान कार्यप्रणाली के उदाहरण हैं।

क्रेडिट कार्ड अथवा पोस्टपेड (Credit or Postpaid ) –

इस विधि में सर्वर ग्राहकों का सत्यापन करता है तथा किसी भी खरीददारी से पहले बैंक में यह पता लगाता है कि खरीददार के पास पर्याप्त फंड है अथवा नहीं। पोस्टपेड कार्यविधि उदाहरण क्रेडिट/डेबिट कार्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक चेक हैं।

ऑन-लाइन भुगतान के इन विधियों का परीक्षण करेंगे। परन्तु पहले इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (electronic commerce) के इन भुगतान उपकरणों के बारे में समझ लें। यहाँ विभिन्न प्रकार के पहलों (initiatives) का विश्लेषण करने के लिए उपयोगी चार आयाम (dimensions) हैं।

क्रेडिट कार्ड अथवा पोस्टपेड (Credit or Postpaid) –

इस विधि में सर्वर ग्राहकों का सत्यापन करता है तथा किसी भी खरीददारी से पहले बैंक में यह पता लगाता है कि खरीददार के पास पर्याप्त फंड है अथवा नहीं। पोस्टपेड कार्यविधि के उदाहरण क्रेडिट/डेबिट कार्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक चेक हैं।

निम्नलिखित खण्डों में ऑन-लाइन भुगतान के इन विधियों का परीक्षण करेंगे। परन्तु पहले इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (electronic commerce) के इन भुगतान उपकरणों के बारे में समझ लें। यहाँ विभिन्न प्रकार के पहलों (initiatives) का विश्लेषण करने के लिए उपयोगी चार आयाम (dimensions) हैं।

व्यापार की प्रकृति जिसके लिए उस उपकरण को डिजाइन किया जाता है।

कुछ टोकन्स विशेष रूप से माइक्रोभुगतान (micropayments) अर्थात सूचना के छोटे टुकड़ों (snippets) के लिए डिजाइन किया जाता है। अन्य विधियाँ पारम्परिक उत्पादों के लिए डिजाइन किया जाता है।

कुछ प्रणालियाँ विशिष्ट क्षेत्रों के व्यापारों को लक्ष्य बनाकर डिजाइन होते हैं तथा अन्य सामान्य व्यापारिक लेन-देन के लिए होते हैं। इसमें संलग्न पक्षों (parties) की पहचान, औसत राशि तथा खरीददारी बातचीत (interaction) शामिल हैं।

• निपटारे में प्रयुक्त होने वाली विधियों (The means of settlement used)

टोकन्स नगद, उधार (credit), – इलेक्ट्रॉनिक बिल भुगतान (electronic bill payment), कैशिर के चेक, तार स्थानांतरण (wire transfers) इत्यादि द्वारा सपोर्टेड होना चाहिए।

प्रत्येक विकल्प व्यापार गति (transaction speed), खतरे (risk) तथा लागत (cost) के मध्य संतुलन बनाते हैं। अधिकतर व्यापार निपटारे (settlement) विधियों में क्रेडिट कार्ड का प्रयोग होता है

जबकि अन्य में मूल्य (value) क लिए अन्य प्रॉक्सीज (proxies) का प्रयोग होता है, जो अनिश्चित द्रवता (dubious liquidity) के मुद्राओं का निर्माण करता है तथा यह ब्याज कर खतरे तथा फ्लोट आशय के साथ होता है।

सुरक्षा, गुमनामी तथा प्रमाणीकरण मुद्दे (Security, anonymity and authentication concepts)

– इलेक्ट्रॉनिक टोकन्स व्यापार के गोपनीयता (privacy) तथा विश्वसनीयता (confidentiality) की सुरक्षा के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। कुछ संभावित पैनी दृष्टि वाले प्रतिभागियों (participants) के लिए बिल्कुल स्पष्ट हो सकते हैं।

इनक्रिप्शन (encryption) प्रमाणीकरण (anthentication) स्वीकृति तथा सम्पत्ति प्रबंधन (asset management) में मदद कर सकता है।

खतरा मुद्दा (Risk factor)

कौन सा खतरा किस समय प्रकट हो सकता है जानना अत्यंत मुश्किल कार्य है। कुछ – स्थिति में टोकन्स अचानक व्यर्थ साबित हो सकता है तथा ग्राहक ऐसा मुद्रा (currencies) पेश कर सकते हैं

जो किसी के द्वारा स्वीकार्य न हो। यदि कोई प्रणाली मूल्य (value) को स्मार्ट कार्ड में संग्रहित करता है, तो उपभोक्ताओं का सामना खतरे से हो सकता है, क्योंकि वे स्थिर सम्पत्ति (assets) रखते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक टोकन्स छूट (discounts) अथवा विवाचन (arbitrage) का भी विषय हो सकता है। खतरे तब भी सामने आ सकते हैं जब व्यापार के उत्पाद डिलिवरी (delivery) तथा व्यापारियों को भुगतान करने के मध्य लम्बा समय लगता है।

इसमें व्यापारी के संदर्भ में यह खतरा हो सकता है कि खरीददार इसका भुगतान न करें या फिर विक्रेता (vendor) माल की डिलीवरी न दें।

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