इथरनेट (Ethernet)
इथरनेट लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Networks) के लिए फ्रेम आधारित कम्प्यूटर नेटवर्किक तकनीक का एक विशाल एवं विविधतापूर्ण परिवार है। यह नाम इथर की भौतिक अवधारणा से लिया गया है। यह फीजिकल लेअर (Physical layer के लिए वायरिंग (wiring) तार बिछाने का और संकेत भेजने (signalling) के मानक, मीडिया अभिगम नियंत्रण (Media access control)/डाटा लिंक स्तर (data link layer) पर नेटवर्क अभिगमन के दो साधन तथा सामान्य अड्रेसिंग फॉरमेट को परिभाषित करता है।
ईथरनेट को आई. ई. ई. ई. 802.3 (IEEE802.3) के रुप में मानकीकृत किया गया है। इसका स्वर टोपोलॉजी, टविस्टेड युग्म वायरिंग रुप 1990 के दशक से लेकर आज तक सर्वप्रचलित लैन प्रौद्योगिकी के रुप में प्रयोग होता रहा है तथा इसने व्यापाक स्पर पर प्रतियोगी लैन मानकों यथा को-एक्सिल केबल ईथरनेट, टोकेन रिंग, एफ. डी. डी. आई. तथा आर्कनेट (ARC NET) को प्रतिस्थापित किया है। कई स्थापनों (installations) में आई. ई. ई. ई. 802.11 (IEEE 802.11) द्वारा मानवीकृत वाई. फाई. (WiFi), वायरलेस लैन को ईथरनेट के बदले में प्रयोग किया गया है।
मूल इथरनेट का विकास प्रायोगिक कोक्सिअल केबल नेटवर्क के रूप में 1970 के दशक में ज़ेरोक्स कॉरपोरेशन (Xerox Corporation) के द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य विरल किन्तु अवसर विशेष पर भारी ट्रैफिक आवश्यकताओं वाले लैनस् (LANs) के लिए एम. बी. पी. एस. वाले डेटा दर (data rate) पर इस परियोजना की सफलता ने 1980 के तीन कम्पनियों के निकाय (three-company consortium) द्वारा 10 एम. बी. पी. एस. (MBPS) ईथरनेट संस्करण 1.0 विनिर्देशन के विकास को जन्म दिया। इन तीन कम्पनियों के नाम डिजीटल इक्वीपमेंट कॉरपोरेशन (Digital Equipment Corporation), इण्टेल कॉरपोरेशन (Intel Corporation) तथा जेरॉक्स कॉरपोटेशन (Xerox Corporation) थे।
मूल IEEE 802.3 मानक इथरनेट संस्करण 1.0 विनिर्देशन पर आधारित भी था और उससे बहुत मिलता जुलता भी था। ड्राफ्ट मानक को 1983 में 802.3 वर्किंग समूह के रुप में स्वीकृति प्रदान किया गया और तदनन्तर 1985 (ANSI/TEEE Std. 802.3- 1985) में ऑफिशियल मानक के द्वारा प्रकाशित किया गया। तब से, तकनीक के विकास का लाभ उठाने तथा अतिरिक्त नेटवर्क मीडिया और उच्चतर डेटा दर क्षमता (higher data rate capabilities) तथा कई अन्य वैकल्पिक नेटवर्क अभिगम नियंत्रक विशेषताओं को सपोर्ट करने हेतु इस मानक में बहुत सी संपूरक विशेषताएँ निर्दिष्ट की गई हैं।
Leave a Reply