Foss का इतिहास kya hai?(History of Foss)

Foss का इतिहास (History of Foss)

अधिकांश लोगों के द्वारा पढ़ा जाने वाला Foss तुलनात्मक रूप से पुराना है। एक अवधारणा के रूप में, यह लगभग 1950 के दशक से है। उस समय, जब कम्पनीज हार्डवेयर खरीदती थीं, तो खरीदे गए उन हार्डवेयर पर रन होने वाला स्पेशलाइज्ड बंडल्ड सॉफ्टवेयर मुफ्त था। इस कारण से उस समय एक स्टैंडर्ड प्रैक्टिस हार्डवेयर कस्टमर्स को उस कोड को मोडिफाय करने की अनुमति प्रदान करना था। चूँकि इस अवधि के दौरान हार्डवेयर असामान्य रूप से महँगा था, इसलिए ये कस्टमर्स मुख्य रूप से रिसर्चर्स तथा एकेडमिशियन्स थे।

उस समय सॉफ्टवेयर के लिए उपयोग की जाने वाली टर्म वैसी नहीं थी, जैसी आज है। इसके बजाए, इसे सामान्य तौर पर पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर के रूप में संदर्भित किया जाता था। आज Foss तथा पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर काफी अलग हैं। Foss मुफ्त है, लेकिन लाइसेन्स्ड भी है। यह उन टर्म्स तथा कंडीशन्स को सम्मिलित करता है, जिसमें लाइसेंस का उपयोग किया जाता है। पब्लिक डोमेन सॉफ्टवेयर के पास कोई लाइसेन्स नहीं है और इसे बिना किसी प्रतिबंध के, स्वतंत्र रूप से उपयोग, मोडिफाय तथा डिस्ट्रिब्यूट किया जा सकता है, और क्रिएट को उसके क्रिएशन का अधिकार नहीं है।

सन् 1985 में, रिचार्ड स्टॉलमैन ने फ्री सॉफ्टवेयर मूवमेन्ट का समर्थन करने के लिए फ्री सॉफ्टवेयर फाउंडेसन (FSF) की स्थापना की। FSF का कमिटमेन्ट फ्री सॉफ्टवेयर के प्रति था। यानि वह सॉफ्टवेयर जिसे युजर्स उपयोग करने, मोडिफाय करने तथा अध्ययन करने तथा शेयर करने के लिए स्वतंत्र थे।

एक वर्ष पश्चात्, जैसा कि हम जानते हैं, Foss चार स्वतंत्रताओं के आधार पर अस्तित्व में आया:

किसी भी उद्देश्य के लिए प्रोग्राम का उपयोग करने की स्वतंत्रता

सोर्स कोड के लिए एक्सेस

प्रोग्राम कैसे कार्य करता है, यह जानने तथा इसे मोडिफाय करने की स्वतंत्रता

कॉपीज जो रिडिस्ट्रिब्युट करने की स्वतंत्रता

मोडिफाय वर्शन्स की कॉपी डिस्ट्रिब्युट करने की स्वतंत्रता

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