Intelligence kya hai?

बुद्धिमत्ता (Intelligence)

हमारी प्रमुख परिभाषा ‘ब्रिटानिका ऐन्साइक्लोपीडिया’ से ली गई है- किसी वातावरण में ढलने की योग्यता या तो व्यक्ति के स्वयं में बदलाव से या वातावरण में बदलाव से होती है या फिर नया वातावरण ही ढूँढ़ने से बुद्धिमत्ता हार्डवेयर से स्वतंत्र है तथा इसका वर्णन ऐब्सट्रैक्ट लेवल पर हो सकता है परन्तु कॉग्निशन तो गणना या कम्प्यूटेशन है।

रोशनी की गति की तरह सोचना, परमाणु स्केल के पदार्थों को मापना, अपने आपको शरीर की सीमाओं से परे रखना, इन्सानियत एक दिन इस संसार पर विजय पा लेगी।

यह अपने आपके लिए नई राहों की खोज करेगी। यह खोए हुए संसार को दुबारा बनाएगी व मृत को पुनर्जीवित करेगी। सोच व हकीकत में केवल कुछ ही अंतर रह जाएगा।

यहाँ हम अप्राकृतिक जिन्दगी को लालचपूर्ण निगाहों से देखते हैं। यह शरीर की सीमाओं से परे तथा भविष्य की शक्ति का निश्चय करती हैं। सीमाएँ शक्ति की इच्छा जागृत करती हैं, और शक्ति का निश्चय इन सारी सीमाओं को पार पाना चाहता है।

शब्दकोष में बुद्धिमत्ता का अर्थ ‘जानकारी प्राप्त करने व प्रयोग करने की क्षमता’ तथा ‘सोच व कारण के गुर’ हैं। साधारणतः बुद्धिमत्ता विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त करने व उसे प्रयोग करने की योग्यता से संबंधित है।

यह विभिन्न विषयों पर सोचने तथा तर्क करने की योग्यता से भी संबंधित होती है। बुद्धिमता केवल एक क्षेत्र जैसे शतरंज खेलना, भाषाएँ या गणित के बारे में ही जानकारी प्राप्त करना नहीं है बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों में अर्जित की गयी योग्यता से संबंधित होती है।

गार्डनर की मल्टीपल इन्टेलीजेन्स थ्योरी कहती है कि बुद्धिमत्ता का बँटवारा विभिन्न विशेष इन्टेलीजेन्स घटकों क्षेत्रों में हो सकता है;

जैसे लॉजिकल, गणित, संगीत, लिंगुइस्टिक्स, प्राकृतिक क्षेत्र, सैप्टियल, शारीरिक ज्ञान, या इन्टर/इन्टरा पर्सनल विस्तृत सोच में यह स्पष्ट है कि वैयक्तिक बुद्धिमत्ता कोई साधारण विषय नहीं है। हमारी बुद्धिमत्ता हमारे अनुभव में आई अनेक स्थितियों से जुड़ी है;

जैसे- सामाजिक आचार-व्यवहार, विजन प्रोसेसिंग, मोशन नियंत्रण आदि ।

हमारी बुद्धिमत्ता एक सिद्धान्त है, परन्तु हमें अपनी काफी समस्याएँ सुलझाने के लिए कुछ विषम कार्यप्रणालियों जैसे गणित तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की सहायता लेने की आवश्यकता होती है। वैसे हम भाषा, आवाज, दृश्य, व सामाजिकता से जुड़ी समस्याओं के हल ढूँढ़ने में स्वयं ही बुद्धिमान हैं।

सैद्धांतिक रूप में एक व्यक्ति जिसकी सामाजिक बुद्धिमत्ता नहीं है परन्तु वह लॉजिक व गणित में माहिर है, वह धीरे-ध रे सामाजिक समस्याओं को हल कर सकता है। परन्तु जो व्यक्ति सामाजिक बुद्धिमत्ता रखता है वह इन समस्याओं को जल्दी हल करेगा।

एक दूसरी एप्रोच के अनुसार मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट स्टर्नबर्ग ने बुद्धिमत्ता के तीन पहलू बताए ऐक्सपीरिएन्सनल और कॉन्टैक्शुअल । हैं : कॉम्पोनेंशियल,

कॉम्पोनेंशियल बुद्धिमत्ता का अर्थ लोगों की उन निपुणताओं से है जो उन्हें बुद्धिमान बनाती है।

ऐक्सपीरिएन्सनल बुद्धिमत्ता का तात्पर्य मस्तिष्क के अनुभवों से सीखने व प्रयोग करने की क्षमता से है।

कॉन्टैक्शुअल बुद्धिमत्ता का तात्पर्य मस्तिष्क का किसी विषय विशेष को समझने, चुनने, परिवर्तित व उसे प्रयोग करने की क्षमता से है

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *