Magnetic Media Kya Hai?

आज की हार्डडिस्क थिन फिल्म मीडिया (Thin Film Media) का प्रयोग करती है। जैसा कि नाम से हो पता चलता है|

चिन फिल्म मीडिया में मैग्नेटिक मैटीरियल की अत्यंत पतली परत होती है जो प्लैटर्स की सतह पर लगायी जाती है।

बिन फिल्म मीडिया इसका नाम सम्भवतः पड़ा क्योंकि यह ऑक्साइड मोडिया की अपेक्षाकृत पतला (thin) होता है।

प्लेट पर मीडिया मैटीरियल को जमा करने के लिये विशेष उत्पादन तकनीक काम में लायो जाती है।

इसी तरह की एक पद्धति इलेक्ट्रोप्लेटिंग (electroplating) है जो इलेक्ट्रोप्लेटिंग आभूषण में प्रयुक्त प्रक्रिया के समान प्रॉसेस का प्रयोग कर प्लेटर्स पर मैटीरियल जमा करती है।

दूसरी पद्धति स्पटरिंग (sputtering) है जो सतह पर मैग्नेटिक मैटोरियल की अत्यंत पतली परत जमा करने के लिए अर्द्धचालकों के निर्माण से लिये गये वाष्प डिपोजिशन (vapour deposition) प्रक्रिया का प्रयोग करती है।

स्पटर्ड प्लेटर्स (Sputtered platters) में प्लेटिंग के मुकाबले सतह अधिक समान तथा सपाट होती है।

नये (अपेक्षाकृत) मॉडिया वाला 5.25″ प्लैटर (ऊपर) तथा ऑक्साइड मीडिया वाला 5.25″ प्लैटर (नीचे) दाइज पर उच्च गुणवत्ता को बढ़ती हुई जरूरत के कारण स्पटरिंग एक प्राथमिक पद्धति है

जिसे इसकी ऊँची कीमतों के बावजूद नये डिस्क ड्राइव्ज पर प्रयुक्त किया जाता है। ऑक्साइड मीडिया के मुकाबले चिन फिल्म मीडिया कहीं बहुत अधिक समरूप (uniform) और चिकना (smooth) होता है।

इसमें बहुत ही उम्दा मैग्नेटिक गुण (magnetic properties) है, जो उतने ही स्थान में बहुत अधिक डाटा स्टोर करने योग्य बनाते हैं।

अन्ततः, यह आँक्साइड के मुकाबले अधिक सख्त और टिकाऊ पदार्थ है और इसीलिये इसके नुकसान की संभावना भी कम होती है ।

मैग्नेटिक मीडिया को अप्लाई करने के बाद प्रत्येक प्लैटर की सतह को कार्बन से बनी एक पतलो सुरक्षात्मक परत से टुका जाता है।

इन सबके ऊपर एक अत्यंत पतली चिकनाईयुक्त परत चढ़ायी जाता है। इस परत का प्रयोग डिस्क को हेड्स या अन्य बाह्य पदार्थ जो ड्राइव में घुस सकते हैं

से अचानक होने वाले संपर्क के नुकसान से बचाने के लिये किया जाता है। IBM के शोधकर्ता एक लुभावन प्रयोगशील (fascinating) नये पदार्थ पर काम कर रहे हैं

जो आनेवाले सालों में थिन फिल्म मीडिया की जगह ले लेगी । इसमें सतह पर किसी धात्विक फिल्म को स्पटर करने की अपेक्षा एक रसायनिक घोल जिसमें कार्बनिक अणु (organic molucules) और लोहे तथा प्लेटिनम के कणों का समावेश रहता है|

उसे प्लेटर्स पर चढ़ाया जाता है। फिर इस घोल को फैला कर गर्म किया जाता है। इतना होने के बाद स्वतः लोह और प्लेटिनम के कण स्वयं को क्रिस्टलों (crystals) के ग्रिड में अरंज कर लेते हैं

जिसमें प्रत्येक का क्रिस्टल मैग्नेटिक चार्ज को धारण करने में समर्थ होता है । IBM इस स्ट्रक्चर को “ननोक्रिस्टल सुपरलैटिम (Nanocrystal superlattice)” का नाम दे रहा है ।

इस तकनीक में हार्ड डिस्क के रिकॉर्डिंग मीडिया की एरियल सघनता (density) क्षमता में 10 या यहाँ तक कि 100 गुना वृद्धि कर सकने की क्षमता है।

बेशक अभी इसमें सालों लगंगे तथा इसे हार्डडिस्क के अन्य क्षेत्रों खासकर रोड राइड हेड की क्षमताओं में हो रही उन्नति से तालमेल रखना होगा।

किन्तु अब भी यह बहुत आश्चर्यजनक है और यह दर्शाती है कि मैग्नेटिक स्टोरेज में बहुत कुछ सुधार होना बाकी है

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