Manipulation and Control Devices kya hai?

मैनीपुलेशन तथा कन्ट्रोल डिवाइस (Manipulation and Control Devices)

वर्चुअल संसार के साथ इंटरैक्शन के लिये मुख्य तत्व है वास्तविक संसार की वस्तु की स्थिति को ट्रैक करने का तरीका, जैसे- सिर या हाथ पोजीशन (स्थिति) ट्रैकिंग और नियंत्रण के लिये अनेक तरीके हैं। आदर्श रूप से एक टैक्नालाजी को पोजीशन (xyz) के तीन तरीके और ओरियेन्टेशन [(राल, पिच, याव) / roll, pitch, yaw] के तीन तरीकों को उपलब्ध करवाना चाहिये।

पोजीशन ट्रैकिंग में सबसे बड़ी समस्या लैटैन्सी (latency) अथवा माप लेने और उनको प्रोसेस करने और सिमुलेशन इंजन के इनपुट करने से पहले प्री-प्रोसेस करने में लगने वाला समय है।

सबसे सरल कंट्रोल हार्डवेयर एक परम्परागत माउस (conventional mouse), ट्रैकबाल (track ball) या ज्वायस्टिक (joystick) है।

यद्यपि ये दो-आयामी (two dimensional) डिवाइस हैं, किन्तु क्रियेटिव प्रोग्रामिंग इन्हें 6D (छः आयामी) कन्ट्रोल के लिये इस्तेमाल कर सकता है। 3 और 6 आयामी माउस, ट्रैक बाल, ज्वायस्टिक मार्केट में आ गये हैं। ये कुछ अतिरिक्त बटन और व्हील देते हैं जो न केवल कर्सर (cursor) के XY ट्रांसलेशन को कन्ट्रोल करते हैं, अपितु इसके Z डाइमैनशन और तीनों दिशाओं में घुमाव को भी कन्ट्रोल कर सकते हैं। ग्लोबल डिवाइसेस 6 D कन्ट्रोलर एक ऐसा 6D ज्वायस्टिक है।

यह देखने में रैकटबाल की तरह है जो एक शार्ट स्टिक (short stick) पर माउन्ट (mount) होता है। आप बाल (ball) को खींच सकते हैं, मोड़ सकते हैं। और साथ ही दायें बायें तथा आगे-पीछे भी कर सकते हैं। अन्य 3D और 6D माउस, ज्वायस्टिक तथा फोर्स बाल लागीटैक, माउस सिस्टम कार्पोरेशन इत्यादि कम्पनियाँ उपलब्ध कराती हैं।

इन्स्ट्रमेन्टैड ग्लोव (instrumented glove) एक साधारण वीआर डिवाइस है। कम्प्यूटर में किसी वस्तु को मैनीपुलेट करने के लिए ग्लोव (glove) का इस्तेमाल करना अमेरिका में मूल पेटेंट (basic patent) द्वारा कवर्ड (coverd) है। अनेक प्रकार के सेंसर हैं जिनको इस्तेमाल किया जा सकता है।

वीपीएल (पेटेंट के स्वामी) ने अनेक डाटा ग्लोव (data glove) बनाये हैं जिनमें अधिकतर फिंगर बैन्ट्स (finger bends) फाइबर आपटिक सेंसर (fiver optic sensor) के लिये तथा मैग्नेटिक ट्रेकर (magnetic tracker) की ओवरआल पोजीशन के लिये उपयोग हुआ है। मैटल (Mattel) ने पावर ग्लोव का उत्पादन विशेषकर निनटैनडो (Nintendo) खेल सिस्टम में कुछ समय के लिये इस्तेमाल किया था।

यह डिवाइस आसानी से पर्सनल कम्प्यूटर के साथ इन्टरफेस के लिये उपयुक्त हो जाती है। यह कुछ सीमित हैन्ड लोकेशन और फिंगर पोजीशन डाटा (finger position data) उपलब्ध कराता है जो फिंगर बैन्ड और अल्ट्रासोनिक पोजीशन सैंसर का प्रयोग कर संभव होता है।

एक इन्सट्रूमेन्टैड ग्लोव (instrumented glove) की धारणा का विस्तार शरीर के अन्य भागों तक हुआ। पूरे शरीर के लिये सूट (पोजीशन और बैन्ड कैंसर के साथ) उन मोशन को कैपचर (capture) करने के लिये हैं जो कैरेक्टर ऐनीमेशन (character animation), संगीत सिन्थेसाइजर (music synthesizer) के कंट्रोल और वीआर हेतु हैं।

तेज और बिल्कुल सही ट्रैकिंग के लिये मैकेनिकल आर्मेचर (Mechanical armature) इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

ये आरमेचर देखने में एक डेस्क लैम्प ( मूलभूत पोजीशन ओरियेन्टेशन के लिये) की तरह हो सकते हैं या ये अत्यन्त जटिल एक्सोस्कैलेटन (exoskeletons) (अधिक विस्तृत पोजिशन्स के लिये) हो सकते हैं।

हैड ट्रैकिंग के लिये शूटिंग स्टार सिस्टम कम कीमत का आरमेचर सिस्टम बनाता है। फेक स्पेस लैब्स (fake space labs) तथा लीप (leep) सिस्टम महँगे और अधि क विस्तृत आरमेचर सिस्टम बनाते हैं जो उनके डिस्प्ले सिस्टम्स में काम आते हैं।

अल्ट्रासोनिक सैन्सर, पोजीशन और ओरियेन्टेशन को ट्रैक (track) करने के लिये इस्तेमाल किये जा सकते हैं। अल्ट्रासोनिक की कमियाँ लो रैजोलूशन (low resolution), लांग लैग टाइम्स (long lag times) तथा ईको (echo) वातावरण में अन्य शोर से हस्तक्षेप है।

लागीर्टक और ट्रांजीशन स्टेट (Logitech, Transition State) दो कम्पनियाँ हैं जो अल्ट्रासोनिक ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध करवाती हैं।

मैगनेटिक ट्रैकर क्वाइल्स (coils) के सैट इस्तेमाल करते हैं जिनको मैग्नेटिक फील्ड (magnetic field) पैदा करने में पल्स (pulsed) किया जाता है। मैग्नेटिक सेंसर फील्ड के कोण (angles) और शक्ति (strength) का पता लगाता है।

इन ट्रैकर्स की कमियाँ प्रोसेसिंग और मेजरमेन्ट के लिए उच्च लेटेन्सी, रेंज की सीमा तथा फील्ड के भीतर फैरस मैटीरियल्स (ferrous materials) से इन्टरफेयरेन्स (interference) हैं। तथापि मैगनेटिक ट्रैकर पसंदीदा विधि है। दो मुख्य कम्पनियाँ जो मैगनेटिक ट्रैकर बनाती हैं वे हैं पालहीमस (Polhemus) तथा एसैनशन (Ascension).

आप्टिकल पोजीशन ट्रैकिंग सिस्टम विकसित हो चुका है। एक विधि में एक सीलिंग ग्रिड (ceiling grid), LEDs और एक हैड माउन्टैड कैमरा (head mounted camera) इस्तेमाल किया जाता है। LEDs सीक्वेन्स (sequence) में पल्स्ड (pulsed) होते हैं और फ्लेश का पता लगाने के लिये कैमरा इमेज प्रोसेस की जाती है।

इस विधि में दो समस्याएँ हैं- सीमित जगह (ग्रिड साइज) तथा पूरे मोशन (full motion) की कमी। एक और आप्टिकल विधि अनेक वीडियो कैमरे इस्तेमाल कर सिमुलटैनियस (simultaneous) इमेज को कैपचर करती है जिनको आब्जैक्ट को ट्रैक करने के लिये हाई स्पीड कम्प्यूटर द्वारा कोरिलेट (correlate) किया जाता है।

यहाँ प्रोसेसिंग समय और फास्ट कम्प्यूटर की कीमत, एक मुख्य कारण है जो इसके इस्तेमाल की सीमा बाँधता है। एक कम्पनी जो आप्टिकल ट्रैकर बेच रही है, वह ओरिजिन इन्सट्रूरूमेंट्स (Origin Instruments) है।

यद्यपि इनरशियल ट्रैकर (inertial tracker) का विकास हुआ है जो छोटे हैं और वीआर के इस्तेमाल के लिये काफी सही हैं, तथापि ये डिवाइस साधारणतः केवल रोटेशनल मेजरमेन्ट (rotational measurement) ही उपलब्ध कराती हैं। ये स्लो पोजीशन परिवर्तन (slow position change) के लिये सही नहीं हैं।

By Ram

मेरा नाम राम है और मैं इस वेबसाइट को मैनेज करता हूं. मेरी बचपन से ही Computer में बहुत ही अधिक रुचि थी, और मैं पिछले 5 साल से कंप्यूटर के बारे में सीख रहा हूं सीखते सीखते मैंने यह सोचा क्यों ना मुझे यह सब जानकारी मेरे उन दोस्तों के साथ शेयर करनी चाहिए जो कि कंप्यूटर के बारे में सीखना चाहते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं यही कारण है कि हमने यह ब्लॉग आप लोगों के लिए बनाया है.

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