Stereo Vision kya hai?

स्टीरियो विजन (Stereo Vision)

वी आर सिस्टम में बहुधा स्टीरियोविजन शामिल होता है। यह संसार की दो विभिन्न इमेज बनाकर प्राप्त होता है और जो एक आँख के लिये एक होती है। ऐसी अनेक टैक्नालाजी हैं जो इन दो इमेजों को प्रस्तुत करती हैं।

इनको साथ-साथ रखा जा सकता है और देखने वालों से कहा जाता है (या उसकी सहायता की जाती है) कि वह अपनी आँखों को क्रास (cross) करके देखें।

इन इमेजों को विभिन्न पोलाराइज्ड फिल्टरों (polarized filterd) के द्वारा आँखों के सामने करसपोन्डिग (corresponding) फिल्टर रखकर प्रोजेक्ट (project) किया जा सकता है।

एनाग्लिफ (Anaglyph) इमेज यूजर एक क्रूड (बिना रंग वाला) स्टीरियोविजन उपलब्ध कराने के लिए लाल/नीला कांच इस्तेमाल करते हैं।

दो इमेज एक सिक्वेन्स (sequence) में कनवेन्शनल मानीटर पर दिखाई जा सकती हैं या प्रोजेक्ट कर दिखाई जा सकती हैं।

लिक्विड क्रिस्टल शटर ग्लास (liquid crystal shutter glasses) का इस्तेमाल आँखों को एक के बाद एक बंद करने में होता है जो डिस्प्ले के साथ सिन्क्रोनाइज होती है। जब दिमाग एक के बाद एक जल्दी-जल्दी इमेजों को रिसीव करता है तो यह प्रक्रिया इमेजों को फ्यूज (fuse) कर एक सिंगल सीन बनाती है जिसमें गहराई महसूस की जा सकती है।

इसको पाने के लिए हाई डिस्प्ले स्वैपिंग रेट (high display swapping rate) कम से कम 60Hz की आवश्यकता है। अनेक कम्पनियाँ कम दामों के एल सी शटर ग्लासैज (LC shutter glasses) बना रही हैं जो टीवी के लिये इस्तेमाल होते हैं।

ये कम्पनी हैं- सीगा (Sega), निनटेन्डो (Nintendo) तोशिबा (Toshiba) इत्यादि। इनको आन लाइन सिस्टम में उपलब्ध कम्प्यूटरों में हुक कराने के लिये सर्किट और कोड होते हैं।

ग्लासैज (glasses) को ढूँढ़कर पता लगाना स्वयं में एक मुश्किल काम है क्योंकि अभी तक अपने मौलिक इस्तेमाल के लिये ये न बनाये गये हैं और न ही बेचे जा रहे हैं।

स्टीरियो ग्राफिक्स (Sterio graphics) एक बहुत अच्छा कॉमर्शियल LC शटर सिस्टम बेचता है जिसे क्रिस्टल आईज (Crystal Eyes) कहते हैं।

कम्प्यूटर पर स्टीरियो इमेजरी बनाने की एक वैकल्पिक विधि है- अनेक स्प्लिट (split) स्क्रीन विधि। ये मॉनीटर को दो भागों में बाँट कर दाहिनी और बायीं इमेज को एक ही समय में दिखाते हैं।

एक विधि इमेज को पास-पास रखती है जो पारम्परिक दिशा में है। यह पूरा स्क्रीन शायद न इस्तेमाल करे या कदाचित सामान्य डिस्प्ले आसपैक्ट रेश्यो (display aspect ratio) में रद्दोबदल भी कर सकती है।

मॉनीटर के विरुद्ध एक विशेष हुड व्यूअर (hood viewer) रखा जाता है जो आँखों को सही स्थिति में रखने में मदद करता है तथा इसमें एक डिवाइडर (divider) भी हो सकता है जिससे एक आँख अपनी ही इमेज देख सके। इनमें से अनेक हुड जैसे एक जो रेन्ड 386 के V5 के लिये, फ्रेसनेल (fresnel) लेंस इस्तेमाल करते हैं जिससे देखने में बढ़ोतरी हो।

इस स्प्लिट स्क्रीन (split screen) विधि का विकल्प इमेज को इस तरह ओरियेन्ट (orient) करता है जिससे कि प्रत्येक का शीर्षस्थ मॉनीटर के साइड (side) की ओर इशारा करे।

एक विशेष हुड जिसमें शीशे हों इमेज को सही ओरियेन्ट करने के लिये इस्तेमाल किया जाता है।

By Ram

मेरा नाम राम है और मैं इस वेबसाइट को मैनेज करता हूं. मेरी बचपन से ही Computer में बहुत ही अधिक रुचि थी, और मैं पिछले 5 साल से कंप्यूटर के बारे में सीख रहा हूं सीखते सीखते मैंने यह सोचा क्यों ना मुझे यह सब जानकारी मेरे उन दोस्तों के साथ शेयर करनी चाहिए जो कि कंप्यूटर के बारे में सीखना चाहते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं यही कारण है कि हमने यह ब्लॉग आप लोगों के लिए बनाया है.

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