सैटेलाइट सिस्टम (Satellite systems)
सैटेलाइट सिस्टम नेटवर्क कई दशकों से उपयोग किये जा रहे हैं। सैटेलाइट, जो धरती की सतह से बहुत दूर हैं, बहुत बड़े क्षेत्र को कवर कर सकते हैं।
what is Satellite systems
इनके साथ विभिन्न सेटेलाइट बीम्स भी होती है जो एक सैटेलाइट द्वारा नियंत्रित तथा संचालित जाती है। क्योंकि सैटेलाइट धरती के चारों ओर घूमते हैं इसलिये ये बडे क्षेत्र को कवर कर सकते हैं।
सैटेलाइट नेटवर्क ग्लोबल संचारण को सरल बनाते हैं तथा ग्लोबल के पार हजारों लोकेशन्स पर इसका प्रबन्ध करते हैं।
यद्यपि लीज्ड लाइन्स, लोकल टेलीफोन कम्पनी सुविधाओं तथा पब्लिक डाटा नेटवर्क का उपयोग करके इसके समकक्ष लैण्ड-बेस्ड नेटवर्क का निर्माण सम्भव है परन्तु ऐसे नेटवर्क के निर्माण, प्रबन्ध तथा रखरखाव के लिये संभार – तन्त्र (logistics) एक महाकाय कार्य है।
सैटेलाइल सिस्टम ऐसी स्थितियों में अत्यधिक लाभकारी होते हैं जहाँ डाटा को बहुत सारी रिमोट नोड्स पर फैलाना होता है अथवा वहां से संचित करना होता है, तथा वहाँ भी जहाँ एण्ड-टू-एण्ड डिले प्राथमिक महत्तव नहीं होता है। सैटेलाइट नेटवर्क को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है
(i) बहुत छोटे एपरचर वाले टर्मिनल्स (Very Small Aperture Terminals (VSATS)) :
यह जरूरी नहीं है कि दो धरातल स्टेशन्स के मध्य सैटेलाइट द्वारा होने वाला संचारण समान मात्रा का हो अथवा वे समान पॉवर से डाटा संचारित करें।
विभिन्न सैटेलाइट नेटवर्क बहुत सारी छोटी डिशिज का उपयोग करते हैं जिन्हें VSATS कहा जाता है। इन छोटी डिशिज का उपयोग नोड्स की आउटलेयिंग के लिए करते हैं।
सैटेलाइट बडी डिश के साथ सैन्ट्रल हब का प्रयोग भी करते हैं जो बहुत शक्तिशाली सिग्नल संचारित करती है तथा इनकमिंग सिग्नल के लिये बहुत संवेदी होता है। VSAT नेटवर्क वहाँ बहुत उपयोगी होते हैं जहाँ टेलीफोन लिन्क ओवरलोडेड, अविश्वसनीय अथवा कठिनाई से लागू होता है।
(ii) पेजिंग तथा सैटेलाइट नेटवर्क (Paging and Satellite Networks) :
पेजिंग एक विस्तृत क्षेत्र के लिये बेतार संचारण का तरीका है जिसके द्वारा एक इलैक्ट्रोनिक पेजर को रेडियो frequency का उपयोग करके संक्षिप्त अल्फान्यूमेरिक संदेश भेजे जाते हैं।
जब एक ग्राहक (subscriber) का आभिहित (designated) टेलीफोन नम्बर डायल किया जाता है तब पेजिंग स्विच रेडियो ट्रांसमीटर को जानकारी भेजता है कि वह सर्विस क्षेत्र में एक सिग्नल प्रसारित करें, जो बदले में ग्राहक के विशिष्ट पेजर पर टोन, अथवा न्यूमेरिक, अल्फा न्यूमेरिक, अथवा वोइस संदेश डिलीवर करते हैं।
पेजर टेक्नोलॉजी मोबाइल दूरसंचार तकनीकी का पुराना प्रारूप है। यह 1949 में एक तरफ से मोबाइल संचारण भेजने के लिये शुरू की गई थी।
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