प्रोसेसिंग पावर (Processing Power)
कम्प्यूटर सिमुलेशन अपने होस्ट कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग शक्ति से सीमित रहेगा और इसलिए सिमुलेशन के कई पहलू हो सकते हैं
जो फाइन ग्रेन्ड, उदाहरण के तौर पर सब एटामिक (subatomic) स्तर पर कम्प्यूटेड (computed) नहीं हुए। यह सूचना की एक्यूरेसी (accuracy) पर लिमिटेशन (limitation) की तरह दिख सकता है
जिसे पार्टिकल फिजिक्स (particle physics) में प्राप्त किया जा सकता है। हाँलाकि औरों के तरह यह आर्ग्युमेंट भी यह कल्पना करता है।
सिमुलेटिंग कम्प्यूटर के बारे में सही निर्णय सिमुलेशन के द्वारा ही बन सकता है। अगर हम सिमुलेटिड है तो हमें कम्प्यूटर्स के स्वभाव के बारे में गलतफहमी हो सकती है।
हमारी दुनिया के “फाइन ग्रेन्ड” (fine grained), तत्व स्वयं सिमुलेट हो सकते हैं क्योंकि हम अपनी निहित भौतिक/शारीरिक सीमाओं के कारण सब एटामिक पार्टिकल्स को कभी नहीं देख पाते।
इन पार्टिकल्स को देखने के लिये हम अन्य यंत्रों पर भरोसा करते हैं जो इन सूचनाओं का एक ऐसे फार्मेट में अनुवाद करते हैं। जिसको हमारी सीमित ज्ञानेन्द्रियाँ देख सकें,
जैसे- कम्प्यूटर प्रिंट आउट, माइक्रोस्कोप के लैंस इत्यादि । अतः हम इस विश्वास को मानते हैं कि वे फाइन ग्रेन्ड (fine grained) दुनिया की अच्छी तस्वीर हैं जो उस कार्य क्षेत्र में हैं जो हमारी प्राकृतिक ज्ञानेन्द्रियों से परे है।
अगर हम यह कल्पना करें कि सब-एटामिक भी सिमुलेटिड हो सकता है तब रियलिस्टिक संसार के निर्माण के लिये प्रोसेसिंग शक्ति की आवश्यकता बहुत कम हो जायेंगी।