कम्प्यूटर के इतिहास में उन्नीसवीं शताब्दी का प्रारम्भिक समय स्वर्णिम युग माना जाता है। अंग्रेज़ गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने एक यांत्रिक गणना मशीन विकसित करने की आवश्यकता तब महसूस को जब गणना के लिए बनी हुई भारणियों में त्रुटि (error) आती थी।
चूंकि ये सारणियाँ (tables) हस्त निर्मित (Handset) भी इसलिए इनमें त्रुटि आ जाती थी। चावेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका व्यय ब्रिटिश सरकार ने वहन किया।
उस मशीन का नाम ‘डिफरेन्स इंजिन (Difference Engine)‘ रखा गया। इस मशीन में गियर (gears) और शाफ्ट (shafts) लगे थे और यह भाप (Steam) से चलती थी।
इसके पश्चात् सन् 1833 में चार्ल्स बेबेज ने डिफरेंस इंजिन (Difference Engine) का विकसित रूप एक शक्ति मशीन – एनालिटिकल इंजिन (Analytical Engine) तैयार किया। यह मशीन कई प्रकार के गणना कार्य (Computing Work) करने में सक्षम (able) थी।
यह पंचकाटों पर संग्रहीत निर्देश (stored instructions) के अनुसार कार्य करने में सक्षम (able) थी। इसमें निर्देशों (Instructions) को संग्रहीत (Store) करने की क्षमता थी और इसके द्वारा automatically आउटपुट प्रोड्यूस किये जा से परिणाम भी छापे जा सकते थे बैबेज का कम्प्यूटर के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा।
बैबेज का एनालिटिकल इंजिन (Analytical Engine) आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना और यही कारण है कि चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कम्प्यूटर विज्ञान का जनक (Father of Computer Science) कहा जाता है।