इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 में लाए गए संशोधन (Amendments Brought in the Information technology Act, 2000)
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 ने सेक्शन 91-94 के तहत चार विधियों में संशोधन किया है। ये चार परिवर्तन शेड्युल 1-4 में प्रदान किए गए हैं।
पहले शेड्यूल में पैनल कोड में संशोधन सम्मिलित है। इसने दायरे में इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेन्ट्स को लाने के लिए डॉक्युमेन्ट शब्द का स्कोप बढ़ाया है।
• दूसरा शेड्यूल, इंडियन एविडेन्स एक्ट में संशोधन से सम्बन्धित है। यह एविडेन्स की परिभाषा में इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेन्ट को सम्मिलित करने से सम्बन्धित है।
• तीसरा शेड्यूल, बैंकर्स बुक्स एविडेन्स एक्ट में संशोधन करता है। यह संशोधन ‘बैंकर्स बुक्स’ की परिभाषा में परिवर्तन लाता है। इसमें फ्लॉपी डिस्क, टेप या अन्य प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डेटा स्टोरेज डिवाइस में स्टोर किए गए डेटा के प्रति आउट्स सम्मिलित हैं। इस तरह के प्रिंट आउट्स को अपने दायरे में सम्मिलित करने के लिए ‘सर्टिफाइड-कॉपी’ एक्सप्रैशन में समान परिवर्तन लाया गया है।
• चौथा शेड्युल रिजर्व बैंक आफ इंडिया में संशोधन करना है। यह बैक्स तथा फाइनेन्शियल इन्स्टिट्युशन के बीच इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से फंड ट्रांसफर के रेग्युलेशन से सम्बन्धित है।
2008 में एक बड़ा संशोधन किया गया था। संशोधन ने सेक्शन 66A की शुरूआत की, जिसमें ‘आफेन्सिव मैसेजेस’ भेजने पर दंड लगाया गया था। इसने सेक्शन 69 भी पेश किया, जिसने अथॉरिटीज को “किसी भी कम्प्युटर रिसोर्स के माध्यम से किसी भी इन्फॉर्मेशन के इन्टरसेप्शन या मॉनिटरिंग या डिक्रिप्शन की शक्ति प्रदान की।
इसने चाइल्ड पोर्न, साइबर टेररिज्म तथा वॉएयुरिज्म के लिए भी दंड पेश किया। 22 दिसम्बर, 2008 को लोकसभा में बिना किसी बहस के यह संशोधन पारित कर दिया गया था। अगले दिन राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया। 5 फरवरी, 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति (प्रतिभा पाटिल) ने इस पर हस्ताक्षर किए।
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