मान लीजिये, आप एक विद्यार्थी या एक अध्यापक या किसी क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और आपसे पूछा जाता है कि कम्प्यूटर क्या है ? क्या आपके द्वारा ‘नहीं’ में उत्तर देना उचित है ? यह बहुत आश्चर्यजनक है कि कोई व्यक्ति शिक्षित होते हुए भी यह न जाने कि कम्प्यूटर क्या है। यह अविश्वसनीय प्रतीत होता है। आजकल हर जगह कम्प्यूटर विद्यमान है और पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस के अस्तित्व के सत्य को नकार नहीं सकता। जब आप किसी डिपार्टमेन्टल स्टोर में जाते हैं तो देखते हैं कि एक बार कोड रोडर आपके द्वारा खरीदे गये सामान पर बने बार कोड को जाँचता है और एक कम्प्यूटर से जुड़ा हुआ प्रिन्टर आपको बिल बनाकर देता है।
एक बुद्ध बक्से जैसी दिखने वाली मशीन ने हमारी पूरी जीवन शैली को बदल दिया है।
पोस्टकार्डस का स्थान ई-मेल ने ले लिया है। बैंकिंग ने नये आयाम ग्रहण कर लिये हैं टिकट लेने या देने की प्रक्रिया ने नया स्वरूप ले लिया है। सब-कुछ ऐसा दिखता है कि मानो कोई अदृश्यशक्ति आदेश दे रही हो-“तथास्तु’ अर्थात् जैसा आप चाहते हैं वैसा ही हो। जब यह मशीन हमारी जीवन शैली को बदल चुकी है, तो क्या हमारी यह जिम्मेदारी नहीं है कि हम इस दिव्य रचना (कम्प्यूटर) की छोटी-बड़ी प्रत्येक बात को जानें में व्यक्तिगत रूप से इसे एक मानवीय रचना के बजाय दिव्य रचना कहता हूँ जिसका विचार मानवीय मस्तिष्क में हमारे जीवन को सुखद बनाने हेतु आया। इस अध्याय में आपको कम्प्यूटर के बारे में अधिकाधिक जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
Leave a Reply