साइबर बुलिंग (Cyberbullying)
साइबर बुलिंग किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करने, धमकाने, शर्मिन्दा करने या टार्गेट करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग है। ऑनलाइन थ्रेट्स तथा मतलबी, एग्रेसिव या रूड टेक्स्ट, ट्वीट्स, पोस्ट्स या मैसेजेस सभी इसके अंतर्गत आते हैं। इसके अंतर्गत पर्सनल इन्फॉर्मेशन पोस्ट करना, या किसी को चोट पहुंचाने या शर्मिन्दा करने के उद्देश्य से वीडियोज बनाना सम्मिलित है।
साइबर बुलिंग वह बुलिंग है, जो सेल फोन्स, कम्प्युटर्स तथा टेबलेट्स पर की जाती है। साइबरबुलिंग SMS, टेक्स्ट तथा ऐप्स के माध्यम से या सोशल मीडिया, फोरम्स या गेमिंग में ऑनलाइन की जा सकती है, जहाँ लोग कन्टेन्ट देख सकते हैं, इसमें पार्टिसिपेट कर सकते हैं या शेयर कर सकते हैं। साइबरबुलिंग में किसी और के बारे में नकारात्मक, हानिकारक, झूठा या मतलबी कन्टेन्ट भेजना, पोस्ट करना या शेयर करना सम्मिलित होता है। इसमें शर्मिन्दगी या अपमान के कारण किसी ओर के बारे में व्यक्तिगत या निजी जानकारी शेयर करना सम्मिलित हो सकता है। कुछ साइबरबुलिंग अवैध या आपराधिक व्यवहार में इसकी सीमा पार कर जाती है।
साइबरबुलिंग सामान्य तौर पर किसी अन्य व्यक्ति को बार-बार क्रोधित करने तथा उदास या डरा हुआ महसूस कराने के लिए डिजिटल कम्युनिकेशन टुल्स (जैसे- इंटरनेट तथा सेल फोन्स) का उपयोग है। साइबरबुलिंग के उदाहरणों में, हानिकारक टेक्स्ट या इन्स्टेन्ट मैसेजेस भेजना, सोशल मीडिया पर शर्मनाक फोटोज या वीडियोज पोस्ट करना तथा ऑनलाइन या सेल फोन के माध्यम से मतलबी तथा झूठी अफवाहें फैलाना सम्मिलित है।
साइबरबुलिंग गलती से भी हो सकती है। टेक्स्ट मैसेजेस, इस्टेन्ट मैसेजेस तथा ईमेल्स के नेचर का पता लगाना अत्यंत कठिन है, जिसके चलते एक व्यक्ति द्वारा किया गया मजाक दूसरे व्यक्ति का आहत करने वाला अपमान हो सकता है। फिर भी ईमेल्स, टेक्स्ट तथा ऑनलाइन पोस्ट्स का रिपिटेड पैटर्न शायद ही कभी आकस्मिक होता है।
साइबरबुलिंग विशेष रूप से हानिकारक तथा परेशान करने वाली हो सकती है, क्योंकि यह समान्य तौर पर एनोनिमस होती है, जिसे ट्रेस करना कठिन होता है। इसे कंट्रोल करना भी कठिन होता है, क्योंकि विक्टिम को पता नहीं होता है कि कितने लोगों (या सैकड़ों लोगों ने) मैसेजेस या पोस्ट्स को देखा है। जब भी लोग अपनी डिवाइस या कम्प्युटर को चैक करते हैं, तो उन्हें बिना रूके सताया जा सकता है।
बुलिंग के अन्य एक्ट्स की तुलना में साइबरबुलिंग तथा हैरेसमेन्ट करना आसान हो सकता है, क्योंकि बुली को व्यक्तिगत रूप से अपने टार्गेट का सामना नही करना पड़ता है। कभी-कभी साइबरबुलिंग अन्य प्रकार की बुलिंग के समान सीरियस लॉन्ग-लास्टिंग प्रॉब्लम्स पैदा कर सकती है। लगातार परेशान होने या डर की स्थिति में मूड, एनर्जी लेवल, नींद तथा भूख की समस्याएं हो सकती है। यह किसी व्यक्ति को चिंतित या उदास भी महसूस करा सकती है। यदि कोई पहले से ही उदास या चिंतित है, तो साइबरबुलिंग उसके जीवन को और भी अधिक खराब कर सकती है।
फेस-टू-फेस बुलिंग की तुलना में, साइबरबुलिंग युवाओं के लिए बहुत हानिकारक हैं:
• स्थायित्वः अपमान, टिप्पणियों या छवियों को उस व्यक्ति द्वारा संरक्षित किया जा सकता है, जिसे धमकाया गया था, या अन्य लोगों द्वारा संरक्षित किया जा सकता है, ताकि विक्टिम उन्हें बार-बार पढ़ या देख सके और इसके परिणामस्वरूप फिर से उसे नुकसान पहुँचाया जा सके।
• आडियंस का आकार: आडियंस का आकार, जो हानिकारक मटेरियल को देखने या एक्सेस करता है, जो विक्टिम के अपमान को बढ़ाता है।
• परिचितः की युवा, स्कूल या अन्य पर्सनल कनेक्शन्स के माध्यम से साइबर बुली के दोस्त हो सकते हैं, या किसी अन्य प्रकार से परिचित हो सकते हैं, जिससे शर्मिन्दगी तथा अपमान की संभावना बढ़ जाती है।
• सोशल नेटवर्किंगः फेसबुक तथा माईस्पेस जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स साइबर बुलीज को किसी विशेष व्यक्तियों के खिलाफ अभियान में सम्मिलित होने का कारण बनती है, जिसमें कई अन्य लोग भी सम्मिलित होते हैं।
• स्पीडः जिस स्पीड से हानिकारक मैसेजेस आडियंस तक पहुँचते हैं, यह साइबरबुलिंग के टार्गेट्स को और अधिक हानिकारक बनाने में एक प्रमुख भुमिका निभाता है।
Leave a Reply