डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम की विशेषताएँ
- डेटा को टेबल्स में स्टोर किया जाता है : डेटा कभी भी सीधे तौर पर डेटाबेस में स्टोर नहीं किया जाता है। डेटा को टेबल्स, में स्टोर किया जाता है, जिन्हें डेटाबेस के भीतर क्रिएट किया जाता है। DBMS टेबल्स के बीच रिलेशनशिप्स की अनुमति भी प्रदान करता है, जो डेटा को और अधिक मिनिंगफुल तथा कनेक्टेड बनाती हैं। आप डेटाबेस में क्रिएट की गई टेबल्स को देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि किस प्रकार का डेटा स्टोर किया गया है।
- रिड्यूस्ड रिडन्डेन्सी : आज के युग में, हार्ड ड्राइव्स बहुत सस्ती हो चुकी हैं, लेकिन जब हार्ड ड्राइव्स महँग हुआ करती थीं, तब डेटाबेस में डेटा का अनावश्यक रिपिटिशन बहुत बड़ी समस्या थी। लेकिन DBMS नॉर्मलाइजेशन का अनुसरण करता है, जो डेटा को इस प्रकार विभाजित करता है कि पार्टिशन मिनिमम होता है।
- डेटा कन्सिस्टेन्सी : लाइव डेटा के केस में, डेटा निरंतर अपडेट तथा एड होता है, इस डेटा की कन्सिस्टेन्स को मेन्टेन करना चुनौतिपूर्ण हो जाता है। लेकिन DBMS इसे स्वयं ही हैंडल कर लेता है।
- मल्टिपल युजर तथा कॉन्करंट एक्सेस को सपोर्ट करता है : DBMS एक ही समय पर मल्टिपल युजर्स को कार्य (अपडेट, इन्सर्ट, डिलिट डेटा) करने की अनुमति प्रदान करता इसके साथ ही डेटा कन्सिस्टेन्सी मेन्टेन करना भी मैनेज करता है।
- क्वेरी लैंग्वेज : DBMS युजर्स को सिम्पल क्वेरी लैंग्वेज प्रदान करता है, जिसका उपयोग करके डेटा को आसानी से डेटाबेस में फेच, इन्सर्ट, डिलिट तथा अपडेट किया जा सकता है।
- सिक्योरिटी : DBMS डेटा की सिक्योरिटी का ध्यान रखता है और अनआथोराइज्ड एक्सेस से डेटा को प्रोजेक्ट भी करता है। DBMS में विभिन्न आथोराइज्ड एक्सेस के साथ युजर अकाउंट्स क्रिएट कर सकते हैं, जिनका उपयोग करके हम युजर एक्सेस को रेस्ट्रिक्ट करके हमारे डेटा को आसानी से सिक्योर कर सकते हैं।
- ट्रांजेक्शन्स : DBMS ट्रांजेक्शन्स को सपोर्ट करता है, जो रियलं वर्ल्ड एप्लिकेशन्स में डेटा को बेहतर रूप से हैंडल करने तथा मैनेज करने की अनुमति प्रदान करता है, जहाँ मल्टिथ्रेडिंग का एक्सरेन्सिव रूप से उपयोग किया जाता है। mant Sustem)
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