डिजिटल फुटप्रिंट का परिचय (Introduction to digital Footprint) डिजिटल फुटप्रिंट्स के प्रकार
डिजिटल फुटप्रिंट वह डेटा है, जो युजर्स के ऑनलाइन होने के दौरान छुट जाता है। अन्य शब्दों में, डिजिटल फुटप्रिंट आपके बारे में इंटरनेट पर छोड़ी गई इन्फॉर्मेशन के टूकड़ों का बना होता है। वैकल्पिक रूप से, डिजिटल एक्जॉस्ट के रूप में भी जाना जाता है, डिजिटल फुटप्रिंट उन एक्टिविटीज का वर्णन करता है, जिन्हें ट्रेक किया जा सकता है, जब कोई व्यक्ति इंटरनेट या अन्य ऑनलाइन सर्विसेस जैसे सर्च इंजन का उपयोग करता है।
वेबसाइट्स को ब्राउज करने के बाद हम जो डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ देते हैं, उसे इंटरनेट फुटप्रिंट भी कहा जा सकता है। इन्हें आमतौर पर कुकीज के रूप में भी जाना जाता है। अधिकांश वेबसाइट्स आपको इन्हें एक्सेस करने से पहले कुकीज के उपयोग को स्वीकार करने के लिए कहती है, भले ही आप इसका अर्थ न जानते हों। यदि हम अनजाने में बहुत सारी इन्फॉर्मेशन छोड़ देते हैं, तो इसे अन्य लोगों द्वारा पैसिव या एक्टिव रूप से सर्च इंजन का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता है।
यह एम्पलॉयर्स के लिए साइबर वेट प्रोस्पेक्टिव एम्प्लॉयीज के लिए उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज के आधार पर कॉमन होता जा रहा है। डिजिटल फुटप्रिंट्स का उपयोग पुलिस द्वारा व्यक्तियों के बारे में के लिए इन्फॉर्मेशन एकत्रित करने हेतु भी किया जा सकता है। पूछताछ करने में सहायता करने
डिजिटल फ्रुटप्रिंट डेटा के एक डिजिटल कलेक्शन को संदर्भित करता है, जिसे आपके द्वारा पुनः ट्रेस किया जा सकता है।
1. प्राइमरी इन्फॉर्मेशन सीधे शेयर की जाती है: प्राइमरी इन्फॉर्मेशन उस इन्फॉर्मेशन को संदर्भित करती है, जिसे आपने सर्विसेस को एक्सेस करने के लिए शेयर किया है या उदाहरण के लिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, ईमेल्स, फोन कॉल्स तथा चैट्स पर पोस्ट किया है । इसमें पर्सनल ऑइडेन्टिफाएबल, सेन्सिटिव या अन्य इन्फॉर्मेशन सम्मिलित है, जिसे आप सर्विसेस को एक्सेस करने के लिए शेयर करते हैं।
2. सेकंडरी इन्फॉर्मेशन आपकी एक्टिविटीज के माध्यम से एकत्रित की जाती है: यह वह इन्फॉर्मेशन होती है, जिसे आप शेयर नहीं करते हैं। यह अक्सर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज जैसे- ब्राउजिंग, पर्चेसिंग, वेबसाइट विजिट तथा सर्च से सम्बन्धित होती है। इसे आपकी जानकारी के बिना भी एकत्रित किया जा सकता है, जो अन्य लोगों द्वारा आपकी इन्फॉर्मेशन शेयर करने का परिणाम है।
डिजिटल फुटप्रिंट्स के प्रकार (Types of Digital Footprints)
मुख्य रूप से डिजिटल फुटप्रिंट के दो प्रकार होते हैं: एक्टिव तथा पैसिव। इनका वर्णन इस प्रकार किया गया है:
1. पैसिव फुटप्रिंटः पैसिव फुटप्रिंट तब बनता है, जब युजर से बिना यह जाने कि यह क्या हो रहा है, इन्फॉर्मेशन एकत्रित कर ली जाती है। एक पैसिव डिजिटल फुटप्रिंट का सटिक उदाहरण यह हो सकता है कि युजर ऑनलाइन हो और उसकी इन्फॉर्मेशन ऑनलाइन डेटाबेस में स्टोर हो जाए। इसमें यह सम्मिलित हो सकता है कि फुटप्रिंट क्रिएट होते समय यह कहाँ से आया है, और साथ ही युजर का IP एड्रेस । फुटप्रिंट का आफलाइन एनालिसिस भी किया जा सकता है और इसे उन फाइल्स में स्टोर किया जा सकता है और इसे उन फाइल्स में स्टोर किया जा सकता है, जिन्हें एक एडमिनिस्ट्रेटर एक्सेस कर सकता है। इसमें इस बात की जानकारी भी सम्मिलित होगी कि उस मशीन का उपयोग किसलिए किया गया लेकिन इस बात की जानकारी नहीं हो सकती है कि इन एक्शन्स को किसके द्वारा परफॉर्म किया गया है।
2. एक्टिव फुटप्रिंट: एक्टिव फ्रुटप्रिंट वह है, जहाँ युजर ने सोशल मीडिया साइट्स या वेबसाट्स का उपयोग करके जानबूझकर अपने बारे में इन्फॉर्मेशन शेयर की है। एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट का सटिक उदाहरण यह हो सकता है। कि यूजर ने किसी ऑनलाइन फॉरम या सोशल मीडिया साइट पर एडिटिंग या कमेन्ट करने के लिए लॉग इन किया हो। रजिस्टर्ड नाम पर प्रोफाइल को बनाई गई पोस्ट्स से लिंक किया जा सकता है और आपके द्वारा छोड़े गए ट्रेल्स से किसी व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ पता लगाना आश्चर्यजनक रूप से आसान है।
एक ब्लॉग पब्लिश करना और सोशल मीडिया अपडेट्स पोस्ट करना आपके डिजिटल फुटप्रिंट का विस्तार करने का लोकप्रिय तरीका है। किसी व्यक्ति द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया जाने वाला प्रत्येक ट्विट, फेसबुक पर पब्लिश की जाने वाली प्रत्येक अपडेट तथा इंस्टाग्राम पर शेयर की जाने वाली प्रत्येक फोटो उसके डिजिटल फुटप्रिंट में योगदान देती है। युजर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर जितना समय व्यतीत करेगा, उसका डिजिटल फुटप्रिंट उतना ही बड़ा होगा। यहाँ तक कि किसी पेज या फेसबुक पोस्ट को लाइक करने से भी डिजिटल फुटप्रिंट एड हो जाता है, क्योंकि डेटा फेसबुक के सर्वर पर सेव होता है।