परिचय (Introduction of Virtual Reality)
वर्चुअल रियलटी शब्द वर्ष 1987 में जेरान लेनियर ने बनाया था जिसकी अनुसन्धान और इंजीनियरिंग ने नये वीआर उद्योग में अनेक उत्पादों का योगदान दिया है।
प्रारम्भिक वीआर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को जोड़ने वाले अमेरिकी सरकार और विशेषकर उसका रक्षा विभाग, नेशनल साइन्स फाउन्डेशन तथा नेशनल एरोनाटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) थे।
इन एजेन्सियों द्वारा विश्वविद्यालयों में स्थित प्रयोगशालाओं को अनुसंधान हेतु वित्तीय अनुदान मिला और इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में निपुण व्यक्तियों को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञ बना कर तैयार किया। ये क्षेत्र थे- कम्प्यूटर ग्राफिक्स, सिमुलेशन तथा नेटवर्क से बने वातावरण तथा शैक्षिक, सेना तथा कॉमर्शियल काम के बीच सपंर्क ।
कलाकार, प्रदर्शन करने वाले तथा मनोरंजन करने वाले की रुचि हमेशा काल्पनिक दुनिया, काल्पनिक स्पेस (space) का वर्णन और ज्ञानेन्द्रियों को धोखा देने वाली तकनीकों के निर्माण में ही रही है।
चिरकाल से पेन्टिंग या विचारों ने जिन इल्यूजनरी (illusionary) स्पेस को बनाया है उनका निर्माण सार्वजनिक स्थानों तथा घरों के लिये हुआ है और जिसका कल्मीनेशन (culmination) 18वीं और 19वीं शताब्दियों के मोनूमैन्टल पैनोरामा (monumental panorama) में हुआ।
निरन्तर बदलते हुए दृश्य (Panorama) ने दो आयामी चित्रों/छायाओं के बीच की विजुअल सीमाओं को धुंधला कर दिया जो तीन आयामी (Three dimensional) स्पेस से देखे जा सकते थे।
इस तरह घटनाओं में इमरशन (immersion) का इल्यूशन (illusion) धोखा (भ्रांति) का निर्माण हुआ। इस इमेज परम्परा ने मीडिया की एक सीरीज (series) के बनने को स्टिमुलेट (stimulate) किया।
बीसवीं शताब्दी में भविष्य के थियेटर की डिजाइन, स्टीरियो पटीकान (Stereopticons ), तथा थ्री-डी चलचित्र से लेकर आई मैक्स (IMAX) चलचित्र थियेटर तक सभी वही प्रभाव उत्पन्न करेंगे। उदाहरण के तौर पर सिनेमा वाइड स्क्रीन फिल्म फारमैट, मूलरूप से वीटारमा (Vitarama) कहलाई जब इसका आविष्कार 1939 के न्यूयार्क विश्व मेले में फ्रैंड वालर (Fred Waller) तथा रैल्फ वाकर (Ralph Walker) ने किया था।
वालर (Waller) के काम ने उसका ध्यान इमर्शन (immersion) के लिये पैरीफेरल विजन (peripheral vision) पर केन्द्रित किया जो कृत्रिम वातावरण में था और उसका उद्देश्य था कि वह एक ऐसी प्राजैक्शन टेक्नोलॉजी बनाये जो मनुष्य की दृष्टि के क्षेत्र को डुप्लीकेट कर दे ।
वीटारमा (vitarama) प्रोसेस ने अनेक कैमरों, प्रोजेक्टरों और आर्क (arc) आकार के परदे का इस्तेमाल कर दर्शक के लिये एक इल्यूजन (illusion) क्रियेट (create) किया यद्यपि वीटारमा कमर्शियल तौर पर अधिक सफल नहीं हुई, विशेषकर 1950 के दशक के मध्य तक (सिनेमा के नाम से)।
दूसरे विश्वयुद्ध में आर्मी ऐयर कार्ल्स (Army Air Corps) ने वालर फ्लैक्सिबल गनरी ट्रेनर (Waller Flexible Gunnery Trainer) के नाम से एन्टी एयरक्राप्ट प्रशिक्षण में इस सिस्टम का उपयोग किया।
यह मनोरंजन टैक्नालाजी और सैनिक सिमूलेशन (simulation) के बीच लिंक का उदाहरण था जिसने बाद में वर्चुअल रियलिटी के विकास को आगे बढ़ाया।
वीआर सिस्टम के एप्लीकेशन का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र सदैव वास्तविक जीवन में होने वाली घटनाओं, गतिविधियों का प्रशिक्षण रहा है। सिमुलेशन, प्रशिक्षण में उपयोगी है क्योंकि यह बराबर का मौका लगभग उन्हीं परिस्थितियों को बनाकर देता है जो कम लागत वाली तथा अधिक सुरक्षित हैं।
वर्ष 1985 तक फिशर (Fisher) ने अटारी (Atari) छोड़ दिया और नासा (NASA) के मोफैट फील्ड कैलीफोर्निया स्थित एम्स अनुसंधान केन्द्र की वर्चुअल एनविरामेंट वर्क स्टेशन (VIEW) परियोजना (Ames Research Center) में संस्थापक निदेशक के पद पर आसीन हुए।
व्यू (VIEW) परियोजना ने उद्देश्यों का एक पैकेज (package) बनाया जो उन विगत कार्यों का संक्षिप्त संस्करण था जो कृत्रिम वातावरण से संबंधित थे। इस परियोजना में पिछले अनुसंधानों, जैसे सैंसोरामा sensorama) फ्लाइट सिमुलेटर, आर्केड राइड (arcade ride) का प्रभाव था।
इसके साथ वायुसेना के डार्थ वाडर हलमट (Darth Vader Helmets) पर आये व्यय से वे चकित थे। फिशर के दल ने अपना ध्यान कम कीमत के पर्सनल सिमुलेशन वातावरण को बनाने में केन्द्रित किया।
जबकि नासा (NASA) का उद्देश्य भविष्य में होने वाले ग्रहों की खोज में आटोमेटेड स्पेस स्टेशन्स के लिये टैली रोबोटिक्स (telerobotics) को विकसित करना था।
कार्य दल ने इस पर भी ध्यान रखा कि वर्क स्टेशन का उपयोग मनोरंजन, वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक प्रयोजन हेतु भी हो सके। व्यू (VIEW) वर्क स्टेशन जब 1985 में पूरा हुआ तो यह वर्चुअल वीजुअल एनवायरमेंट डिस्प्ले (Virtual Visual Environment Display) कहलाया।
इसने वीआर टैक्नालाजी को एक स्टैण्डर्ड सूट (Standard suite) स्थापित किया जिसमें एक स्टीरियोस्कोपिक (stereoscopic) हैड कपल्ड (Head coupled) डिस्प्ले (display), हैड ट्रैकर (head tracker), स्पीच रिकगनिशन (speech recognition), कम्प्यूटर द्वारा बनायी गयी इमेज ( image), डाटा ग्लोब (data glove) तथा थ्री-डी-आडियो टैक्नालाजी (3-D audio technology) थे।
आज वर्चुअल रियलटी उस तरीके को बदलने को तैयार है जिससे हम कन्ट्रोल कम्प्यूटर के साथ इंटरैक्ट (interact) करते हैं। आज से पचास वर्ष पूर्व जब कम्प्यूटरों से परिचय हुआ था उसके प्रभावों के बारे में हम सब अनजान थे।
क्या हर एक घर, कक्षा तथा कार्यालय में वीआर होगा? क्या खुद को कम्प्यूटर द्वारा बनाई गई दुनिया में डुबो देना वैसा ही सामान्य होगा जिस तरह किसी मूवी को देखना होता है।
एक बात वीआर (VR) के संबंध में निश्चित है कि यह बढ़ेगा और विकसित होगा। जैसे-जैसे टैक्नालाजी परिपक्व (mature) होगी यह और भी बेहतर सस्ता तथा पहुँच के अन्दर होता जायेगा।
नेटवर्क जो कम्प्यूटरों को जोड़ते हैं उनका विस्तार होगा और वीआर के लिये यह सम्भव होगा कि वह हमारे दैनिक जीवन में अपनी जगह बना ले। वीआर (VR) का भविष्य वहीं तक सीमित है जहाँ तक हमारी कल्पना
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