सिमुलेटैड रियलिटी (Simulated Reality)
यह एक विचार है कि वास्तविकता (reality) को बहुधा कम्प्यूटर सीमुलेशन से इस हद तक सिमुलेट (simulate) किया जा सकता है
कि वह ‘यथार्थ’ की वास्तविकता से भिन्न न लगे। इसमें वे सतर्क/चेतन (conscious) मन हो सकते हैं जो शायद जानते हों या न जानते हों कि वे एक सिमुलेशन के अन्दर जी रहे हैं।
अपने शक्तिशाली प्रारूप में सिमुलेशन हाइपोथीसिस (Simulation Hypothesis) दावा करती कि हम इस तरह के सिमुलेशन में यथार्थ में रह रहे हैं।
यह आज की टेक्नोलॉजी द्वारा प्राप्त योग्य ‘वीआर’ धारणा से अलग है। वीआर ‘यथार्थ वास्तविकता’ के अनुभव से आसानी से अलग की जा सकी है क्योंकि इसमें भाग लेने वालों को संदेह नहीं होता कि उनके अनुभव की क्या प्रकृति है।
सिमुलेटेड रियलिटी को अपेक्षाकृत ‘यथार्थ’ रियलिटी से अलग पहचानना लगभग असंभव है। सिमुलेटेड रियलिटी के विचार से अनेक प्रश्न उठते हैं :
क्या सैद्धांतिक रूप से यह मुमकिन है कि हम बता सकें कि हम एक सिमूलेटेड रियलिटी में हैं ? क्या एक सिमुलेटैड रियलिटी तथा एक यथार्थ में कोई अन्तर है
यदि हमको मालूम है कि हम सिमुलेटैड रियलिटी में रह रहे हैं तो हमें कैसे व्यवहार करना चाहिये