बिल्कुल सामान्य रूप से ट्रैक घनत्व का संबंध इस बात से है कि ट्रैक्स प्रत्येक प्लेटर की सतह पर कितने ठोस रूप में कसे हुए हैं।
प्रत्येक एलेटर का ट्रैक घनत्व समान होता है। एक डिस्क का ट्रैक घनत्व जितना अधिक होगा, हार्डडिस्क में उतनी ही अधिक सूचना रखी जा सकती।
ट्रैक घनत्व ऐरियल घनत्व का एक घटक (component) है, जो बिट्स की उस संख्या के बारे में बताता है जो डिस्क की सतह पर क्षेत्र की प्रत्येक इकाई में पैक की जा सकती है।
पहले के पर्सनल कम्प्यूटर की सडडिस्क में सिर्फ कुछ सो ट्रैक्स थ और से 5.25 बड़े फॉर्म फैक्टर का प्रयोग करते थे|
जिसके परिणामस्वरूप ट्रैक घनत्व कुछ सौ ट्रक्स प्रति इंच (inch) हो हाता था। आधुनिक हार्ड डिस्क अधिक ट्रैक्स होते हैं
इनका प्रति इंच 30,000 या अधिक ट्रैक्स का घनत्व हो सकता है। ट्रैक घनत्व बढ़ाने की राह में मुख्य बाधा यह सुनिश्चित करना है
कि ट्रैक्स इतने पास नहीं आ जायें कि एक ट्रैक की रोडिंग में हेड कहीं बगल वाले ट्रैक्स से डाटा न उठा लें।
इस समस्या से बचने के लिए, मैग्नेटिक क्षेत्रों (magnetic fields) को कमजोर कर दिया जाता है ताकि खाजी से बचा जा सके|
जो अन्य डिजायन इम्पेक्ट (Impacts) जैसे बेहतर रोड राइट हेड तकनीक और या सिग्नल डायरेक्शन और प्रोसेसिंग को आसान बनाने के लिये PRMI विधियों के प्रयोग की तरफ ले जाती है ।