आज हम सीखेंगे कंप्यूटर स्टोरेज के बारे में कि वह कौन-कौन से प्रकार के होते हैं और वह किस तरह कार्य करते हैं, यह सब जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ते रहिए.
(1) फ्लॉपी डिस्कें- लगभग बीस वर्ष पूर्व अमेरिका की IBM कंपनी ने एक 8इंच व्यास की कागज के जैसी पतली प्लास्टिक की एक डिस्क बनाई जिस पर रिकार्डिंग करने के लिये कैसेट टेप पर लगे जैसे चुम्बकीय पदार्थ की एक पतली परत चढ़ी थी.
वह एक मैगनेटिक डिस्क थी, परन्तु ग्रामोफोन के रिकार्ड की तरह वह इतनी मोटी नहीं थी वह स्वयं को सीधी रखे। यदि हम उसे उंगलियों से पकड़ें तो वह मुड़कर दोहरी हो जायेगी। इसलिये वह फ्लॉपी डिस्क कहलाती है। इन फ्लॉपी डिस्कों का एक मोटे कागज या प्लास्टिक का एक चौकोर आवरण होता है और प्रयोग के समय यह डिस्क इस आवरण के अंदर ही घूमती है। अत्यन्त उपयोगी होने के कारण कम्प्यूटर के साथ इनका उपयोग तेजी से बढ़ने लगा। समय के साथ तकनीक की प्रगति से 5.25 इंच व्यास की छोटी डिस्कें बनी जिनका अत्याधिक प्रचलन रहा.
(2) जिप ड्राइवें- वर्तमान में हार्ड डिस्कें इतनी बड़ी हो गई हैं कि उनमें संचित सारी सूचना की प्रतिलिपियाँ बनाने के लिये सैकड़ों फ्लॉपी डिस्कें लग सकती हैं। इसके अतिरिक्त अनेक फाइलें इतनी बड़ी होती हैं कि वे एक फ्लॉपी डिस्क में समा नहीं सकतीं। इसके लिये नई प्रकार की डिस्कों व डिस्क ड्राइवों का प्रयोग किया जाने लगा है.
जिप डिस्कें देखने में लगभग 3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्कों के जैसी ही होती हैं, परन्तु ये अधिक सुदृढ़ होती हैं और इनकी सूचना के भंडारण की क्षमता सौ मेगाबाइटों से भी अधिक होती है। इसलिये ये बैकअप रखने और अधिक मात्रा में सूचना के स्थानान्तरण के लिये बहत उपयोगी हैं। इनमें सूचना अंकित करने के व अंकित सूचना वापस पढ़ने के लिये विशेष प्रकार की ड्राइवें होती हैं जिन्हें जिप ड्राइव कहा जाता है.
(3) कॉम्पैक्ट डिस्कें– अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण की युक्तियों के विकास के लिये सतत प्रयत्न होते रहे हैं। इन प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप कॉम्पैक्ट डिस्कों का आविष्कार हुआ। इन डिस्कों में चुम्बकीय-प्रणाली का उपयोग नहीं होता। सूचना को लिखने व पढ़ने के लिये लेजर किरणों का उपयोग किया जाता है। इसलिये इन डिस्कों को ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है.
फ्लॉपी तथा हार्डडिस्कों में सूचना भरी भी जा सकती है, और अंकित सूचना वापस कम्प्यूटर द्वारा पढ़ी भी जा सकती है अर्थात् ये इनपुट व आउटपुट दोनों प्रकार की युक्तियों की तरह से काम करती हैं। इसलिये इन्हें इनपुट-आऊटपुट युक्तियाँ कहा जाता है। इसके विपरीत कॉम्पैक्ट डिस्कें ऐसी डिस्कें हैं जिन पर एक बार कुछ भी अंकित कर देने के पश्चात् उसे मिटाया या बदला नहीं जा सकता, केवल पढ़ा जा सकता है। इस प्रकार से ये डिस्कों की तरह ही काम करती हैं, और इसीलिये इन्हें सीडी रोम कहा जाता है। सूचना के भंडारण की बहुत अधिक क्षमता के कारण सीडी रोम का प्रचलन अत्याधिक तेजी से बढ़ रहा है.
(4) डिजिटल विडियो डिस्कें– डिस्कों में अधिक से अधिक सूचना के भण्डारण कर सकने के प्रयास में डिजिटल वीडियो डिस्क या संक्षेप में डीवीडी का विकास हुआ। इन डिस्कों में CD-ROM की अपेक्षाकृत 7 से 12 गुना अधिक सूचना संचित की जा सकती है.
एक डीवीडी में भंडारण की क्षमता सीडी की भण्डारण क्षमता से दस-बारह गुनी अधिक होती है। इसलिये उसकी एक ही ओर की सतह पर एक या दो घंटे के चल-चित्र की समूची फिल्म अति स्पष्टता के साथ रिकार्डिंग की जा सकती है। इसमें चित्र, ध्वनियाँ, व तीन या चार भाषाओं में संवाद, सभी शामिल हैं। जैसे-जैसे तकनीक में उन्नति हो रही है, इन डीवीडी प्रकार की डिस्कों की कीमतें कम होती जा रही हैं और इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है.
(5) रैम डिस्क- संगणना करने के लिये जिस किसी डाटा पर संगणना करनी होती है वह डाटा कम्प्यूटर की अस्थायी स्मृति में होनी चाहिये। इसलिये कार्य करते समय कम्प्यूटर वांछित डाटा डिस्क पर से पढ़ कर रैम में संचित करता है और फिर उसका उपयोग करता है। काम पूरा होने पर कंप्यूटर आवश्यक डाटा रेम में से डिस्क पर रिकार्ड कर देता है। किसा लंबे कार्य के समय डिस्कों व RAM में इस प्रकार का आदान-प्रदान बराबर चलता रहता है। यद्यपि आधुनिक हार्ड डिस्क की कार्य करने की गति काफी तेज हो गई है, परन्तु फिर भी एक मेकेनिकल मशीन होने के कारण उसकी अपनी सीमायें हैं और इस कारण आदान-प्रदान में अधिक समय लग जाने के कारण कार्य करने की गति मन्द पड़ जाती है। इस समस्या का एक समाधान इलेक्ट्रोनिक है जिसे रैम डिस्क या Virtual Disk भी कहा जाता है.
(6) मैमोरी कैश– वर्तमान में कम्प्यूटरों के प्रोसेसरों के कार्य करने की गति बहुत अधिक हो गई है और उसका साथ देने के लिये सामान्य प्रकार की रैम की गति बहुत कम रह जाती है। इसलिये अब कम्प्यूटरों में मैमोरी कैश का प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार की चिप होती है जिसकी भंडारण की क्षमता तो कम होती है पर उसकी सूचना के आदान-प्रदान की गति बहुत अधिक होती है। ये साधारण रम की तुलना में अधिक कीमती होती है। इनके प्रयोग से कम्प्यूटर के कार्य करने की गति अत्याधिक बढ़ जाती है.
(7) मैग्नेटिक टेप- अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.
(i) डिटेचेबल रील टेप- यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.
(ii) कार्टेज टेप- यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.
(8) मैग्नेटिक डिस्क- आजकल मैग्नेटिक डिस्क एक उपयोगी और निर्विवाद संग्रह माध्यम है, क्योंकि इसमें सीधी अभिगम विधि से डाटा को तेज गति से प्राप्त व संग्रह किया जा सकता है। मैग्नेटिक डिस्क के दो मुख्य प्रकार होते हैं- हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.
1. हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं। इनमें अधिक संग्रह क्षमता होती है और डाटा प्राप्त करो की गति भी तीव्र होती है। हार्ड डिस्क माइक्रो कम्प्यूटर, मिनी कम्प्यूटर और मेनफ्रेम कम्प्यूटर, तीनों में ही प्रयुक्त की जाती है। आज हार्डडिस्क के भी कई प्रकार उपलब्ध हैं.
2. मैग्नेटिक टेप– अनेक वर्षों से मैग्नेटिक टेप एक महत्वपूर्ण संग्रह माध्यम के रूप में उपयोगी डिवाइस है। हालांकि यह डिस्क की तुलना में कम लोकप्रिय है। लेकिन इसका उपयोग अनेक प्रकार के कम्प्यूटरों में होता है। टेप, किसी रील या कार्टेज में लिपटी हो सकती है जो कि निम्न दो प्रकार की होती हैं.
3. डिटेचेबल रील टेप– यह प्रायः 1/2 इंच चौड़ी होती है जो एक प्लास्टिक मॉयलर पदार्थ की बनी होती है जिसकी सतह पर चुम्बकीय लेपन रहता है। इसकी रील का व्यास प्रायः 10.5 इंच होता है। एक 2,400 फीट लम्बाई की टेप रील में डाटा का संग्रह 6250 बाइट प्रति इंच तक की सघनता में हो सकता है.
4. कार्टेज टेप– यह प्लास्टिक के छोटे खोल में होती है। माइक्रो कम्प्यूटरों में हार्ड डिस्क से डाटा को बैक-अप करने के लिये उपयोग किया जाता है। यह टेप अधिक संग्रह-क्षमता और उच्च गति से कार्य करने वाली होती है। एक 1/4 इंच और 1000 फीट लम्बाई की टेप में 10,20, 40 या 60 मेगाबाइट डाटा को एक मिनट में संग्रहीत किया जा सकता है। कार्टेज टेप विशेषतया हार्ड डिस्क से डाटा और प्रोग्राम्स का बैकअप लेने के लिये तैयार किया गया है.
हार्ड डिस्क और डिस्केट्स.
(A) हार्ड डिस्क- इसमें वृत्ताकार, ठोस प्लेटर या चकतियाँ होती हैं.
(B) डिस्केट- इसमें प्लास्टिक की चकतियाँ होती हैं जो प्लास्टिक के खोल में सुरक्षित रहती हैं। इनकी संग्रह क्षमता हार्ड डिस्क की तुलना में बहुत कम होती है। इन्हें फ्लॉपी डिस्क के नाम से जाना जाता है। ये कम्प्यूटर से बाहर निकाली जा सकती हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लायी व ले जायी जा सकती हैं। फ्लॉपी डिस्क प्रायः माइक्रो कम्प्यूटरों में उपयोग की जाती हैं और कभी-कभी कम्प्यूटरों में भी इनका उपयोग होता है.
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