आइये इस खंड में हम जानते हैं कि मानव तथा कम्प्यूटर एक दूसरे से कैसे मिलते-जुलते हैं ? मानव कम्प्यूटर का जनक है।
लेकिन क्या कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क से ज्यादा तेज और विश्वसनीय (reliable) है? जब हम मानवीय शरीर की संरचना को समझते हैं
तब हम यह पाते हैं कि मानव शरीर तथा कम्प्यूटर सिस्टम में कोई अंतर नहीं है। मानव शरीर में रक्त दौड़ता है
जबकि कम्प्यूटर सिस्टम की शिराओं (तारों) में इलेक्ट्रॉन दौड़ते हैं। शरीर के विभिन्न भाग होते हैं तथा प्रत्येक भाग के अलग-अलग कार्य होते हैं।
यदि आप इनके विभिन्न भागों को ध्यान से देखें तो आप इन दोनों की संरचना में कोई भी अंतर मुश्किल से हो पाएँगे।
वस्तुत: यह संरचना पूरी तरह से हमारी शारीरिक संरचना पर आधारित है। इसी प्रकार, कम्प्यूटर मेमोरी भी हमारे मानवीय समोरी सिस्टम पर ही आधारित है।
आपने कभी-कभी यह महसूस किया होगा कि कुछ दूरभाष संख्या (telephone number) तथा पते आप आसानी से समझ (grasp) लेते हैं
उन्हें मुश्किल से भूल पाते हैं जबकि उनमें से कुछ तो शायद ही याद हो पाते हैं। कहने का तात्पर्य है कि हमारे पास भी कम्प्यूटर की भाँति चीजों को अस्थायी तथा स्थायी तौर पर याद करने के विकल्प होते हैं।
यह अनुमान है कि एक मानवीय मस्तिष्क में चालीस मेगा पुस्तकालयों (libraries) का समावेश हो सकता है तथा प्रत्येक मेगा पुस्तकालय की औसत क्षमता अस्सी हजार पुस्तकों को रखने की होती है।
यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि मानव मस्तिष्क में डाटा स्टोरेज की क्षमता एक सुपर कम्प्यूटर भी अधिक होती है। मानवीय तंत्रिका तंत्र के बारे में कुछ तथ्य इस प्रकार हैं-
1) रेटिना (ratina) केवल एक सेकण्ड में मस्तिष्क को दस एक मिलियन प्वाइन्ट इमेजों को भेजती है।
2) मस्तिष्क की प्रोसेसिंग क्षमता एक अनुमान के अनुसार 100 मिलियन एम.आई.पी.एस. (MIPS) होती है। जबकि हाल के सुपर कम्प्यूटरों की प्रोसेसर स्पीड कुछ मिलियन एम.आई.पी.एस. (MIPS) ही होती है।
3) एक औसत मस्तिष्क में 100 मिलियन मेगाबाइट मेमोरी होती है।
4) यद्यपि मस्तिष्क की क्षमता अधिक होती है इसे कम्प्यूटर के अपेक्षित कार्यों से अधिक कार्य सम्पन्न करने होते हैं।
मस्तिष्क को लगातार पूरे जीवन मानवीय शरीर के कार्यों को सम्भालना पड़ता आंखें फड़कना, के सभी हिस्सों को समन्वित करने जैसे कार्यों को हमारा मस्तिष्क अचेत अवस्था में भी करता रहता है।
5) आपके कान के परदे (ear drums) ध्वनियुक्त सूचना को सी.डी. से अधिक गुणवत्ता के साथ वास्तविक समय पर भेजते हैं।
6) सिद्धांततः मस्तिष्क कम्प्यूटर की भाँति ही तेजी के साथ परिकलन (computation) तथा अभिलेखन कार्यों को सम्पन्न कर सकता है।
7) अपवाद में (exceptional) कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक घंटे से कम समय में ही 500 पृष्ठ की पुस्तक को पढ़ सकते हैं तथा उसकी विषय-वस्तु (contents) को याद कर सकते हैं।
साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अंकगणितीय गणना को चुटकियों में कर सकते हैं। ये दुर्लभ उदाहरण हैं, परन्तु ये मानवीय मस्तिष्क में छिपी हुई शक्ति को उदघाटित करते हैं।