रैम या रैण्डम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) कम्प्यूटर की अम्बाई मेमारी होती है।
की बोर्ड या अन्य किसी इनपुट डिवाइस से इनपुट किया गया डाटा, प्रोसेसिंग से पहले रैम (RAM) में ही स्टोर किया जाता है
और सी. पी. यू. द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से एक्सेस किया जाता है। रेम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से स्टोर रहते हैं।
कम्प्यूटर बन्द हो जाने या विद्युत बाधित हो जाने पर रैम (RAM) में स्टोर डाटा मिट जाता है। इसलिये रैम को वोलेटाइल (Volatile) या अस्थाई मेमोरी भी कहते हैं।
रैम (RAM) की क्षमता या आकार (Size) विभिन्न प्रकार के होते हैं। जैसे 4 MB 8 MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB, 128 MB, 256 MB आदि।
पर्सनल कम्प्यूटर में कई प्रकार के रैम प्रयुक्त किए जाते हैं। ये निम्न प्रकार हैं-
1) डायनैमिक रैम (Dynamic RAM)
2) सिन्क्रोनस डीरैम (Synchronous DRAM)
3) स्टैटिक रैम (Static RAM)1)
1) डायनैमिक रैम (Dynamic RAM)
डायनैमिक रैम को संक्षिप्त रूप में डीरम (DRAM) बोला जाता है। रैम में सबसे अधिक साधारण (common) डीरैम है
तथा इसे जल्दी-जल्दी रिफ्रेश करने की आवश्यकता पड़ती है। रिफ्रेश का अर्थ यहाँ पर चिप को विद्युत आवेशित (recharging the chip with electricity) करना होता है।
यह एक सेकण्ड में लगभग हजारों बार रिफ्रेश होता है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने के उपरान्त यह पहले की विषय वस्तु (contents) को मिटा देता है।
इसके जल्दी-जल्दी रिफ्रेश होने के लक्षण के कारण यह दूसरे रैम की अपेक्षा मन्द गति का है।
2) सिन्क्रोनस डीरैम (Synchronous DRAM)
इस प्रकार का चिप सामान्य डॉरम की अपेक्षा ज्यादा तेज है। इसकी तेज गति का कारण यह है कि यह सी.पी.यू. की क्लॉक की गति के अनुसार चलता है।
अतः इस कारण यह दूसरे डीरैम की अपेक्षा डाटा को तेजी से स्थानांतरित कराता है।
3) स्टैटिक रैम (Static RAM)
स्टैटिक रैम कम रिफ्रेश होता है, फलस्वरूप यह डाटा को डॉरम को अपेक्षा अधिक समय तक रखता है। सभी प्रकार के रैम अस्थाई (volatile) हैं
परन्तु डोरेम की अपेक्षा एस-रैम (SRAM) अधिक तेज तथा महँगा होता है। इनका प्रयोग विशिष्ट उद्देशीय कम्प्यूटरों के लिए किया जाता है।