Author: Twinkle

  • Arithmetic Logic Unit Kya Hai?

    पिछले खण्ड में हमने यह जाना की अर्थमेटिक व लॉजिक यूनिट सी.पी.यू. का ही एक भाग होता है | आइये तो हम जानते हैं की एरिथ्मेटिक लॉजिक यूनिट क्या है तथा यह क्या करता है ?

    एरिथमेटिक लॉजिक यूनिट का संक्षप में ए एल. यू. कहते हैं। यह यूनिट डाटा पर एरिथमेटिक ऑपरेशन्स (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) और लॉजिकल ऑपरेशन्स (Logical Operations) करती है।

    इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जो बाइनरी अंकगणित (Binary Arithmetic) की गणनाएँ करने में सक्षम होता है। ए.एल.यू. सभी गणनाओं को पहले सरल अंकगणितीय क्रियाओं में बाँट लेता है|

    जैसे गुणा ( Multiplication) का बार-बार जोड़ने की क्रिया में बदलना। बाद में इन्हें विद्युत पल्स (Pulse) में बदल कर सर्किट में आगे संचारित किया जाता है।

    लॉजिकल ऑपरेशन्स (Logical Operations) में एए दो संख्याओं या डाटा की तुलना करता है और (Processing) में निर्णय लेने का कार्य करता है।

    ए.एल.यू.(ALU) कंट्रोल यूनिट से निर्देश या गाइडलाइन्स प्राप्त करता है। यह मेमोरी से द्वारा प्राप्त करता है और में ही सूचना इंफॉर्मेशन को लौटा देता है।

    (ALU) के कार्य करने की गति अति तीव्र होती है। यह 1000000 गणनाएँ प्रति सेकण्ड की गति से करता है। इसमें कईस्टर (Registers) और एक्युमुलेट (Accum tors) होते हैं

    जो गणनाओं के दौरान वन (virtual) मेमोरी का कार्य करते हैं। ए.एल.यू. प्रोग्राम के आधार पर क यूनिट के बताए अनुसार सभी दादा मैमारी से प्राप्त करके एक्युमुलेटर (Accumulator) रख लेता है।

    उदाहरणार्थ, माना दो संख्याओं A और B को जोड़ना है। कंट्रोल यूनिट A को मेमोरी से चुनकर ए. एल.यू. में स्थित B में जोड़ती है। परिणाम मेमोरी में स्थित हो जाता है या आगे गणना हेतु एक्युमुलेटर में स्टोर हो जाता है।

  • Central Processing Unit Kya Hai?

    परिचय (Introduction)

    कम्प्यूटर की रचना का सबसे महत्वपूर्ण भाग सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) है। इसमें इनपुट किये गये डाटा पर प्रक्रिया (प्राससिंग) होती है

    तदोपरान्त डाटा सूचना (Information) का रूप धारण करता है। इस अध्याय में हम सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के विभिन्न भागों की चर्चा करेंगे।

    सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है? (What is Central Processing Unit ?)

    कम्प्यूटर के मुख्य तीन भाग सी.पी. यू. ए.एल.यू. तथा मेन मेमारी होते है जैसा कि आप पहले ही यह जान चुके हैं। आइये इस अध्याय के इस खण्ड में हम यह जानते हैं कि सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है ? (What is a Central Processing Unit ? ) सी.पी.यू. कम्प्यूटर का मस्तिष्क होता है।

    इसका मुख्य कार्य प्रोग्राम्स (Programs) को एक्जिक्यूट (Execute) करना है। इसके अलावा सी.पी.यू. कम्प्यूटर के सभी भागों, जैसे मेमोरी, इनपुट और आउटपुट डिवाइसेज के कार्यों को भी नियंत्रित करता है। इसके नियंत्रण में प्रोग्राम और डाटा, मेमोरी में संग्रहीत (store) होते हैं।

    इसी के नियंत्रण में आउटपुट स्क्रीन (Screen) पर दिखाई देता है या प्रिंटर के द्वारा कागज पर छपता है।सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के निम्नलिखित तीन भाग होते हैं-

    1) एरिथमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit)

    2) मेन मेमोरी यूनिट (Main Memory Unit )

    3) कन्ट्रोल यूनिट (Control Unit)

  • Personal Computer Ka Configuation Kya Hai?

    यदि आप कम्प्यूटर की दुकान पर जाते हैं और एक पर्सनल कम्प्यूटर के बारे में पूछते हैं, तो पहला प्रश्न विक्रेता का यह होता है कि आपको किस फलफिम्रेशन (configuration) का कम्प्युटर चाहिए। नवीनतम कर्नाफग्युरेशन सम्भवतः इस प्रकार होगा

    1) इण्टेल 2.4 फोर टूडियो प्रोसेसर (Intel 2.4 Core 2 Duo Processor)

    2) इण्टेल मदरबोर्ड (Intel Motherboard)

    3) 1 गिगा बाइट डी टू रेम ( 1 Gigabyte D 2 RAM)

    4) 300 गिगा बाइट हार्डडिस्क (300 Gigabytes Harddisk)

    5) मेगाबाइट एल टू कैशे मैमोरी (2 Megabytes L2 Cache Memory)

    6) ग्राफिक्स कार्ड 256 मेगाबाइट (Graphics Card 256 Megabyte)

    उपरोक्त पर्सनल कम्प्यूटर के कनफिम्युरेशन में, इण्टेल पेण्टियम प्रोसेसर सी.पी.यू. है। तथापि कनफिग्युरेशन की नवीनतम जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के किसी कम्प्यूटर दुकान में जाएं तथा यह पता करें कि कान सा कर्नाफिरयुरेशन प्रचलन में है।

    विकल्प के रूप में आप विभिन्न कम्पनियों द्वारा समाचारपत्र में प्रकाशित विज्ञापन से भी कम्प्यूटर के नवीनतम फीचर्स तथा कनफिगरेशन का पता लगा सकते हैं ।

  • NetBurst kya Hai?

    इंटेल नेटवर्स्ट माइको ऑकिटेक्चर जिसे P68 इनसाइड इंटेल कहा जाता है। इंटेल द्वारा निर्मित x86 परिवार के सी. पो.यू. में P6 माइक्रो आर्किटेक्चर का उत्तरवर्ती है।

    इस आर्किटेक्चर को सबसे पहले प्रयोग करने वाला विल्लामेट कोर (Willamette Core) था जिसे 20000 के अंत में रिलीज किया गया। यह पेण्टियम 4 सी.पी.यू. में पहला था तथा बाद के सभी पेण्टियम 4 भी टब पर आधारित थे।

    20001 के मध्य में, इंटेल ने फॉस्टर कोर (Foster Core) रिलीज किया जो नटस्ट पर आधारित था। इस प्रकार वोन सी.पी.यू. को नये आर्किटेक्चर की और परिवर्तित किया जाने लगा।

    पेण्टियम 4 आधारित सलरान सी.पी.ए भी नेटवस्ट आर्किटेक्चर का प्रयोग करते हैं। नेटबर्स्ट कभी-कभी इण्टेल 17 इण्टेल 841786 या 786 आर्किटेक्चर के रूप में भी निर्देशित होते हैं जब इनकी तुलना पिछले पीढ़ियों से होती है।

    से औपचारिक नाम नहीं है। P7 वस्तुतः आंतरिक रूप से इण्टल में उसके लिए प्रयोग होता था जिसे आज इटेनियम आर्किटेक्चर (ftanium architecture) कहा जाता है।

    नेटबस्ट आर्किटेक्चर में हायपर पाइपलाइन्ड प्रौद्योगिकी (Hyper Pipelined Technology) तथा रैपिड एक्जिक्यूशन इंजिन (Rapid Execution Engine) जैसे फीचर सम्मिलित हैं जो प्रथम बार इस विशेष माइक्रोआर्किटेक्चर में हैं।

  • Pentium IV ka Architecture kya hai?

    इण्टेल पेण्टियम 4 प्रोसेसर का डिजायन कई प्रयोगों जैसे इमेज प्रोसेसिंग, विडियो सामग्री निर्माण (content creation), गेम्स (games) तथा मल्टीमीडिया को सम्पन्न करने के लिए हुआ था।

    इसकी क्षमता पूजर द्वारा वस्तुतः प्रशंसनीय है। एच.टी. प्रौद्योगिकी (technology) के साथ इण्टेल पेण्टियम 4 प्रोसेसर पर आधारित पर्सनल कम्प्यूटर की सहायता से आप आज के डिजिटल घरेलू तथा डिजिटल ऑफिस अनुप्रयोगों (opplications) के लिए उन्नत परफॉर्मेन्स (performance) तथा मल्टीटास्किंग क्षमताओं का पा सकते है।

    यह सातवीं पीढ़ी का x86 आकिटक प्रोसेसर है जो इण्टेल द्वारा उत्पादित किया गया था तथा कम्पनी का यह 1995 के पेण्टियम प्रो से लेकर आज तक पूरी तरह से नया सी.पी. डिजायन था।

    पण्टियम । पेण्टियम III तथा अन्य कई सेलेरॉन (celerons) से भिन्न यह आर्किटेक्चर इण्टेल P6 डिजायन में लिया गया था। नेटबस्ट (NetBurst) माइक्रोआर्किटेक्चर में एक अत्यंत गहन इन्स्ट्रक्शन पाइपलाइन का फोचर उपलब्ध था जो आवृत्ति (frequency) को अत्यधिक बढ़ा सकता था।

    इसमें SSE2 SIMD इन्स्ट्रक्शन सेट का भी परिचय कराया गया जो तेज इंटीजर तथा 64-बिट फ्लोटिंग प्वाइन्ट गणना के लिए उपयुक्त था। बाद के पेण्टियम 4 माडलों में पौगिकी उन्नति जैसे जायपर अडिग (hyper-threading), को एकीकृत (Integrated) किया गया

    जिसको सहायता से एक सी.पी.ए. दो लॉजिकल तथा आभासी (Varual) सौ.पी.यू. की भाँति प्रतीत होता था। मूल पेण्टियम 4 जिसका कोड नाम लिमेट (Willmetic) था 14 तथा 1.5 गीगाहर्टज पर लाँच हुआ तथा नवम्बर 2000 में इसे सॉकेट 423 प्लेटफार्म पर रिलीज किया गया

    बाद के सॉफट 478 को 1.5 मीगाहर्टज से 2.0 गीगाहर्ट्ज पर लांच किया गया। पेण्टियम के परिचय के साथ उल्लेखनीय बात यह है कि पेण्टियम अपेक्षाकृत तेज 400 MT/S FSB था।

    यह वस्तुतः 100 मेगाहर्जक वेब (clock wave) पर आधारित था लेकिन इसके बस की स्थानांतरण दर सामान्य बस से चार गुना अधिक थी अतः यह 400 MTS पर एक्यूट होता हुआ समझा जाता था।

    जैसाकि इण्टेल फ्लेगशिप चिपों के साथ पारम्परिक था पेण्टियम कम गुणवत्ता वाले संलग्न वजन में भी आया (प्रायः सेलेरॉन 4) तथा एक उच्च गुणवत्ता निऑन वर्णन को एस. एम. पी. कन्फिग्रेशन के लिए लांच किया गया था।

    मूल पेण्टियम 4 सी.पी.यू. के परिचय के पाँच साल बाद एक ड्युअल कोर वर्जन (dual core version) जिसे पेण्टियम डो. कहा जाता है रिलीज हुआ।

    Iप्रोसेसर्स के पेण्टियम 4 लाइन का विकास जुलाई 27, 2006 को विराम पर पहुंचा। वहाँ से इण्टेल ने प्रोसेसर के इण्टेल कोर 2 परिवार के प्रोसस की और कार्य शुरू किया।

  • Processors ka vikaas kaise hua?

    माइक्रो कम्प्यूटर या पर्सनल कम्प्यूटर का आधार माइक्रोप्रोसेसर हो है। पुराने दिनों में कम्प्यूटर एक बड़े ट्रक के आकार का होता था तथ्य उनमें प्रयुक्त तार को लम्बाई दिल्ली तथा कालकता के मध्य की दूरी के बराबर हुआ करती थी।

    माइक्रोप्रोसेसर के विकास के साथ ही कम्प्यूटरों के आकार डस्क तथा स्थलों के बराबर हो गये तथा अब तो कम्प्यूटर आपको कलाई घड़ी में भी अन्त:स्थापित (embedded) होने लगे।

    कम्प्यूटरों को अधिक परियल तथा तेज बनाने में माइक्रोप्रोसेस का महत्वपूर्ण योगदान है। यद्यपि आज कई प्रोसेसर निर्माता जैस मोटोरोला, ए.एम.डी. इत्यादि है परन्तु इन्टेल को प्रोसेसर निर्माण में पथप्रदर्शक की संज्ञा दी जाती है

    आज भी यह सर्वोत्तम स्थान पर आसीन है।इण्टेल 4004 (Intel 4004) इण्टेल 4004 विश्व का पहला माइक्रोप्रोसेसर था जिसे सन 1971 में जारी किया गया था। इसमें 2300 ट्राजिस्टर्स लगे थे और इसका उद्देश्य इस कैल्कुलेटर में प्रयोग करना था।

    यह विटा में प्रोसेस करता था, लेकिन इसके निर्देश डाटा 8 बिट सम्बे होते थे। प्रोग्राम और दादा मारी अलग अलग होती थी। इसमें सोलह 4-बिट (या आठ 8 बिट) सामान्य उद्देशीय राजस्टर होते थे। इण्टेल 4004 में 46 निर्देश (nstruction) होते थे।

    1) इण्टेल 4040 (Intel 4040) इण्टेल 4040 इण्टेल 4004 का विस्तारित प्रोसेसर था। इसका प्रयोग मुख्य रूप से गेम्स, परीक्षण, विकास तथा नियंत्रण उपकरण में होता था। 4040 का पैकेज 4004 से दोगुना चौड़ा था। इसमें 4004 के 16 दिनों के मुकाबले 24 पिन थे।

    4040 में 14 इंस्ट्रक्शन जोड़े जाने के अतिरिक्त बड़े (४ लेवल) स्टेक, 8 किलोबाइट प्रोग्राम मेमारी तथा पहले 8 रजिस्टर की shadows सहित इंटरप्ट क्षमताएँ (Interrupt capabilities) था।

    2) इण्टेल 8008 (Intel 8008) – इण्टेल 8008 सबसे पहला 8 बिट का माइक्रोप्रोसेसर था। इसका कोड नाम 1202 था। इस माइक्रोप्रोसेसर को कन्ट्रोल टर्मिनल कॉरपोरेशन (Control Terminal Corporation) के लिये टर्मिनल कन्ट्रोलर में प्रयोग हेतु बनाया गया था।

    8008 इण्टेल के लिये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बदलाव था। इसी के कारण बाद में एक शक्तिशाली 8080 प्रोसेसर का निर्माण संभव हुआ जिसमें 800% इंस्ट्रक्शन सेट थ

    3) इण्टेल 8080 (Intel 8080) – इण्टेल 8080 इण्टेल 800% का उतरवत (successor) था। 8080 में एक 16-बिट ऐड्स बस तथा एक 8 बिट डाटा यस थी। इसमें 8 बिट के सात रजिस्टर (छ: को तीन 16-बिट रजिस्टर के रूप में समायोजित किया जा सकता था)

    मेमोरी के एक 16-बिट स्टैक प्वाइन्टर (जिसने 8008 के आन्तरिक स्टेक का प्रतिस्थापित किया था) तथा 16-बिट प्रोग्राम काउन्टर थे। इसमें 256 आई ओ पारस (I/O ports) थे। अतः इनपुट आउटपुट डिवाइस को संयोजित करने के लिए किसी ऐसिंग स्पेस (addressing space) के आवंटन को आवश्यकता नहीं थी

    जैसा कि मेमारी मैण्ड डिवाइस में आवश्यक था तथा एक पिन थी जिसकी सहायता से स्टैफ अधिकृत मेमारी के अलग बैंक (hank) को अधिकृत कर पाता था। इसके तुरंत बाद ही मोटायला 6800 आया।

    4) इण्टेल 8086 (Intel 8086) – इण्टेल 8086 पुरान आई.बी.एम. पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग हावाला 16 बिट माइक्रोप्रोसेसर था। इण्टल 8086 एक ही रजिस्टर के साथ इण्टल 8080 तथा एपटेल 8085 डिजायन पर आधारित था, परन्तु इसे 10 बिट में विस्तारित किया गया था।

    5) इण्टेल 8088 (Intel 8088) – इण्टेल 8088 16-बिट रजिस्टर तथा 8 बिट डाटा बस के साथ इण्टेन 8086 का हो विकसित रूप था। 8088 आई.बी.एम पर्सनल कम्प्युटर में प्रयोग होने वाला प्रोसेसर था।

    6) इण्टेल 80186 (Intel 80186) – इण्टेल 80186 माइक्रोप्रोसेसर इण्टेल के द्वारा लगभग 1982 में विकसित किया गया था। 80186 इण्टेस 8086 तथा इण्टल 8088 प्रोसस का हुआ रूप था।

    इसमें 16-बिट बाहरी बस (External Bus) चे तथा यह 8 बिट या डाटा बस के साथ इण्टेल 80188 के रूप में भी उपलब्ध था। 80186 तथा 80188 के प्रारम्भिक क्लॉक रेट 6 मेगाहर्ज था।

    ये बहुत सारे कम्प्यूटरों में प्रयोग नहीं किए जाते थे परन्तु इसमें एक उल्लेखनीय अपवाद (exception) माइण्डस्ट (MMindset) था जो उस समय का अत्याधुनिक कम्प्यूटर था। इसका प्रयोग इम्बेडेड (Embedded) प्रोसेसरों की भांति होता था।

    7) इण्टेल 80188 (Intel 80188) – इण्टेल 80188 8 बिट एक्सटर्नल डाटा बस के साथ इण्टेल 80186 का हो वर्जन था। इसमें 16 बिट के बदले एक्सटर्नल डाटा बम का प्रयोग हुआ था। इससे पेरिफेरलूस (peripherals) को जोड़ना सस्ता था।

    8) इण्टेल 80286 (Intel 80286) – इण्टेल 80286 को 286 या 1286 भी कहा जाता है। इस प्रोसेसर को भी इण्टल ने विकसित किया था। 80286 प्रोसेसर में 16 चिट डाटा बस थी तथा मेमोरी मैनेजमेन्ट यूनिट को समाहित करता था

    जो मल्टीटास्किंग को एक सीमित मात्रा को अनुमति देता था। 80286 में सेग्मेन्टेड (segmented) ममारी मैनेजमेन्ट यूनिट थो जबकि बाद के प्रोसेसर में पन्ड (paged) मेमोरी मैनेजमेन्ट यूनिट (Memory Management Unit) थी

    जो खण्डित एम. एम.यू. (MMU) के पीछे जुड़े थे। 80286 प्रोसेसर का प्रयोग आई.बी.एम. पी.सी.ए.टी. (TBM.PCAT) पर्सनल कम्प्यूटरों के साथ होता था।

    9) इण्टेल 80386 (Intel 80386) – इण्टेल 80386 इण्टेल 80286 माइक्रोप्रोसेसर का उत्तरवर्ती (successor) प्रोसेसर था। यह पहला इण्टेल प्रोसेसर था जिसमें 32-बिट डाटा यस तथा ऐड्स बस थी।

    यह चार गीगाबाइट (2032 बाइट) मेमोरी को रिफर (refer) कर सकता था, फिर भी आई.बी.एम. पी.सी. में सामान्य रूप से 16 मेगाबाइट अधिक थी।

    386 में एक से अधिक एप्लिकेशन प्रोग्राम को एक ही समय में (386 विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के अंदर एक्जिक्यूट हो रहे सेफ मोड का प्रयोग कर एक्जिक्यूट होने की अनुमति थी।

    10) इण्टेल 80386SX (Intel 80386SX) – इण्टेल 80386SX इण्टेल 80386 का धीमी गति वाला वर्जन था। इसमें 32-बिट डाटा बस के बजाय 16 बिट डाटा बस का प्रयोग होता था। इसमें 24 बिट का ऐड्स बस थी।

    यह 286 से अधिक तेज या तथा उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि यह पूर्ण आकार 386 (full-size 386) की भाँति विद्यमान डॉस एप्लिकेशन्स को चलाने में अधिक Flexibility प्रदान करता था।

    11) इण्टेल 486 (Intel 486) – इण्टेल 486 को 1486 या APX80486 या इण्टेल DX4 तथा आमतौर पर इसे 486 ही कहा जाता है। यह इण्टेल CISC माइक्रोप्रोसेसर की श्रृंखला में से है

    जो इण्टेल 80×86 परिवार के प्रोसेसर का एक अंश था। 486 प्रोसेसर अपने तत्काल पूर्वयत इण्टेल 80386DX के समान था। इसमें मुख्य अंतर यह था कि 486 में एक ओप्टिमाइज्ड (optimised) इन्स्ट्रक्शन सेट था

    इसमें ऑन-चिप इंटीग्रेटेड इन्स्ट्रक्शन तथा डाटा कैशे (data cache), एक वैकल्पिक ऑन-चिप फ्लोटिंग प्वाइन्ट यूनिट (Floating Point Unit) तथा एक विस्तारित यस इन्टरफेस इकाई था।

    इन सुधार ने समान क्लॉक रेट (clock rate) पर ही इसकी कार्यक्षमता को लगभग दोगुना कर दिया। 486 का उत्तरवर्ती प्रोसेसर पेन्टियम था।

    12) पेण्टियम (Pentium) – पेण्टियम 486 का इण्टेल सुपरस्केलर (superscalar) उत्तरवर्ती (successor) था। इसमें 32-बिट 486 टाइप के निर्भरता जाँच (dependency checking) के साथ इंॉटजर पाइपलाइन्स थे।

    यह एक चक्र (cycle में अधिकतम दो निर्देशों को एक्जिक्यूट कर सकता थी। बल पाइपलाइन्ड फ्लोटिंग प्वाइन्ट करता था तथा शाखा अनुमा (branch prediction) भी सम्पन्न करता था।

    इसमें 16 किलोबाइट ऑन-चिप केश, 64-बिट मेमोरी इंटरफेस, 8 32-बिर समान रजिस्टर तथा 8 80-बिट फ्लोटिंग प्वाइन्ट रजिस्टर थे। इसका क्लॉक रेट (clock rate) 66 मेगाहर्ज, उम विघटन (heat dissipation) 16 W इंटिजर क्षमता 645 SPECin92, फ्लोटिंग प्वाइन्ट क्षमता 56.9 SPECIp92 थी।

    इस पण्टियम इसलिए कहा जाता था क्योंकि यह 80×80 श्रृंखला का पाँचवाँ प्रोसेसर था।

    13) पेण्टियम प्रो (Pentium Pro) – पेण्टियम प्रो इन्टर्नल रिस्क (RISC) आर्किटेक्चर पर आधारित था। यह सिस्क रिस्ट ट्रान्सलेटर (CISC-RISC Translator), त्रि-मार्गोय सुपरस्केलर एक्जिक्यूशन तथा आउट ऑफ ऑर्डर एक्जिक्यूशन (out of order execution) के साथ था।

    इसमें ब्रान्च अनुमान (prediction) रजिस्टर से नेमिंग (Renaming) के फीचर तथा यह सुपरपाइपलाइन्ड था। पेन्टियम प्रो 32 बिट सॉफ्टवेयर को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया था

    तथा इस पर 16 बिट सॉफ्टवेयर की गति मुख पेन्टियम की अपेक्षाकृत धीमी थी। इसका उत्तरवर्ती प्रोसेसर पेण्टियम था।

    14) (पेण्टियम) II (Pentium II) – पेण्टियम II पेण्टियम प्रो (Pentium Pro) का उत्तरवर्ता (sucessor) था। पेण्टियम इण्टेल 800×86 प्रोसेसर परिवार के पहले के सदस्यों के सभी निर्देशों को एक्जिक्यूट कर सकता था।

    इसके चार वर्जन विभिन्न यूज मार्केट को ध्यान में रखकर लाये गये थे। सेलेरॉन (Celeron) उनमें सबसे साधारण तथा सबसे महंगा था। स्टैण्डर्ड पेण्टियम सीधे-सीधे घरों तथा व्यापारिक प्रयोगों के लिए था।

    पेण्टियम । जिलॉन (Xcon) उच्च क्षमता वाले व्यापारिक सर्व के लिए था। पेण्टियम II का एक मोबाइल वर्जन था जो पोर्टेबल कम्प्यूटरों के प्रयोग के लिए था।

    सभी पेण्टियम I प्रोसेसर्स में मल्टीमीडिया विस्तारक (Multimedia Extensions) तथा एकीकृत स्तर एक तथा स्तर दो नियंत्रक (LI and III Cache controllers) थे।

    अतिरिक्त फीचर में अलग से 64 बिट सिस्टम तथा कैशे- बस के साथ डायनामिक एक्जिक्यूशन तथा Dual Independent Bus Architecture थे। पेण्टियम || एक सुपरस्केलर सी.पी.यू. था जिसमें लगभग 7.5 मिलियन ट्रॉजिस्टर थे।

    15) पेण्टियम III (Pentium III) – पेण्टियम III इण्टेल कारपोरेशन के पेण्टियम || का उत्तरवर्ती था। यह 1999 में परिचित हुआ। इसका clock rate 500 मेगाहर्ट्ज़ था।

    पेण्टियम III का आर्किटेक्चर पेण्टियम II के समान था। इसका बाहरी बस 100 या 133 मेगाहर्ट्ज क्लॉक रेट पर चलाया जा सकता था। इसमें 512 किलोबाइट के सैकण्डरी कॅशे बस रह सकते थे यह विभिन्न पैकेजों में जिनमें SECC2 तथा FC-PGA सम्मिलित थे, आ सकता था।

    प्रोसेसरों से सम्बन्धित कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथ्य तालिका 2.2 में प्रस्तुत किये गये है। इस तालिका में प्रोसेसर का वर्ष बस की चौड़ाई, क्लॉक रेट तथा ट्राजिस्टर्स की संख्या प्रदर्शित है।

  • Personal computer ka vikaas kram kya hai?

    पर्सनल कम्प्यूटर का विकास संभवत: पहला माइक्रोप्रोसेसर बनने के कई वर्षों बाद K 8086 प्रोसेसर के साथ शुरू हुआ। पहले के पर्सनल कम्प्यूटर में सभी कार्य एक फ्लॉपी डिस्क पर होते थे।

    फिर हार्ड डिस्क का आविष्कार हुआ और हमें फ्लॉपी डिस्क की अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ तथा अधिक मात्रा में डाटा को स्टोर करने वाली एक डिवाइस मिली। इस सेक्शन में हम पर्सनल कम्प्यूटर के विकास क्रम पर चर्चा करेंगे।

    1) पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer)- प्रथम आई.बी.एम. पी.सी. में इंटेल 8086 माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। यह 8 बिट प्रोसेसर था जो आई.बी.एम. पी.सी. के उस समय को आवश्यकता को पूरा करता था।

    इस माइक्रोप्रोसेसर का मुख्य कार्य डाटा, मेमोरी एंड्स तथा Points of Instruction को स्टोर करना था। इस माइक्रोप्रोसेसर में यह सुविधा प्रदान करने के लिये पानी डाटा स्थानांतरण व डाटा प्रोसेसिंग के लिये 14 रजिस्टर लगे थे।

    इसकी संचय क्षमता 128 से 640 KB तक थी तथा इसके पलापी इल की संख्या 1 या 2 थी। इस प्रकार के कम्प्यूटर में हार्डडिस्क नहीं होती थी तथा गणना गति (computational speed) 8 मेगाहर्टज में थी। इसकी मेमोरी 1 MB तक होती थी। डाटा बस का आकार 8 बिट तथा ऐड्स (Address) बस का आकार 20 बिट होता था।

    2) पी.सी.एक्स.टी. (PC-XT) – इसमें 8088 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इस प्रकार के कम्प्यूटर की स्टोर क्षमता 640 किलोबाइट थी तथा माइक्रोप्रोसेसर 8 बिट का था। इसमें फ्लॉपी ड्राइव्स की संख्या या 2 तक थी।

    लेकिन इस प्रकार के कम्प्यूटरों में हाडडिस्क होती थी तथा गणना गति 10-12 मेगाहर्ट्ज में थी। इसकी मेमोरी । मेगाबाइट तक होती थी तथा इसमें डाटाबेस का आकार (size) 8 बिट तथा ऐड्स बस का आकार 20 बिट होता था।

    3) पी.सी.ए. टी. (PC-AT) – इस प्रकार के कम्प्यूटर में 80286 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इसमें कुछ अतिरिक्त गुण थे जिनमें से एक प्रोग्राम प्रोसेसिंग की गति तेज होना था। इसकी गति 8086 की अपेक्षा अधिक थी।

    इस प्रकार के कम्प्यूटर की स्टोरेज क्षमता | MB से 2 MB तक थी। इसमें फ्लॉपी ड्राइव की संख्या या 2 थी। इस प्रकार के कम्प्यूटरों में हार्डडिस्क होती थी तथा इसकी गणना गति 16-20 मेगाहर्टज में होती थी।

    इसकी अधिकतम मेमारी 16 MB तक होती थी तथा इसमें डाटाबेस का आकार 16 विट तथा ऐड्स बस का आकार 24 बिट तक होता है। इन कम्प्यूटरों को सारणी 21 में संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।

  • Personal Computer Ke Bhaag Kon Kon Se Hai

    Components Of Personal Computer

    पर्सनल कम्प्यूटर इनपुट डिवाइस (input device) आउटपुट डिवाइस (output device), सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central) Processing Unit) तथा अतिरिक्त डिवाइसेज़ जैसे मॉडेम, स्कैनर, प्रिन्टर इत्यादि पर आधारित होता है।

    आइए हम देखते है कि किसी पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न कम्पोनेन्ट्स क्या है ? (What are the components of a personal computer?) पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न भागों को समझने के लिए हमें इसके आंतरिक भाग तथा बाहरी भाग दोनों को समझना होगा।

    पर्सनल कम्प्यूटर का आंतरिक भाग से यहाँ तात्पर्य वे भाग हैं जो सी०पी०यू० कैबिनेट के अंदर होते हैं। मदरबोर्ड, रैम, हार्ड डिस्क, विडियो कार्ड पावर सप्लाई इत्यादि सी०पी०यू० कैबिनेट के अंदर होते हैं जो हमें दिखते नहीं है।

    इसी प्रकार सी० पी० पृ० कैबिनेट के आगे हमें फ्लॉपी डिस्क ड्राइव तथा सी० डी० या डी० वी० डी० ड्राइव मिलते हैं। सी० पी० यू० कैबिनेट के पीछे के भाग कुछ महत्वपूर्ण कनेक्शन्स होते हैं

    जो आपके सी० पी० यू० कैबिनेट के अंदर के भागों को अन्य पेरिफेरल से जोड़ते है । उन सभी कम्पोनेन्ट्स को क्रमांक दिया गया है ताकि आप भलीभांति समझ सकें । ये कम्पोनेन्ट इस क्रम में हैं

    1) मदर बोर्ड (Motherboard)

    मदरबोर्ड को मुख्य बोर्ड भी कहा जाता है। यह पर्सनल कम्प्यूटर के अन्दर प्राइमरी सर्किट बोर्ड होता है। कम्प्यूटर के कई अन्य भाग भी मदरबोर्ड से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं। मदरबोर्ड में एक या अधिक सी.पी.यू. होते हैं।

    इसके अतिरिक्त कुछ सहायक सर्किटरी (circuitry) होते हैं। जो वास्तविक रूप में इंटीग्रेटिड सर्किट होते हैं। जिनका काम सी. पी.यू., मेमोरी तथा इनपुट/आउटपुट पैरोफेरल सर्किट के मध्य इन्टरफेस प्रदान करना होता है। इसमें मुख्य मेमोरी के साथ ही पावर ऑन होने के बाद कम्प्यूटर के आरम्भिक सैटअप के लिए सर्विसेज़ भी होती हैं।

    कई पॉटबल तथा इम्बेडेड पर्सनल कम्प्यूटरों के मदरबोर्ड पर लगभग सभी मुख्य भाग स्थित होते हैं। मदरबोर्ड में एक्सपेंशन पर्पज उद्देश्यों के लिए एक या अधि क पेरिफेरल बस तथा फिजिकल कनेक्टर्स होते हैं।

    डॉटरबोर्ड क्या है? (What is Daughterboard ?) डॉटरबोर्ड अथवा डॉटरकार्ड एक सर्किट बोर्ड होता है जो मदरबोर्ड पर एक अतिरिक्त बोर्ड अथवा एक्सपेंशन (expansion) बोर्ड के रूप में कार्य करता है। यह कभी-कभी एक स्वतंत्र कार्ड की तरह भी कार्य करता है। विशेषतः डॉटरबोर्ड में प्लग (plugs), सॉकेट (sockets), पिन (prms), संयोजक (connectors) अथवा दूसरे बोर्ड के अन्य संलग्नक (chet) होते है। इसकी यही विशेषता अन्य एक्सपेंशन (expansion) बोर्ड जैसे पी. सी. आई आदि से इसे अलग करती है। इसके अतिरिक्त डॉटरबोर्ड (daughter boards) में सामान्यतः बाहरी संयोजकों (connector) के बजाय कम्प्यूटर तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के अंदर ही संयोजक होते हैं तथा यह कम्प्यूटर बस के माध्यम से मदरबोर्ड को एक्सेस करने के बजाय सीधे-सीधे एक्सेस करता है।

    2) मुख्य मेमोरी (Main Memory)

    पर्सनल कम्प्यूटर को मुख्य मेमोरी को इसका प्राइमरी मेमोरी भी कहा जाता है। ये अत्यंत तेज स्टोरेज (storage) होता है जो सी.पी.यू. के द्वारा सीधे-सीधे प्राइमरी (accessible)

    इसका प्रयोग तत्काल एक्जिक्यूट हो रहे प्रोग्राम तथा आवश्यकता को स्टोर करने में होता है। पर्सनल कम्प्यूटर में कई प्रकार के अर्द्धचालक (semi-conductor) रैण्डम एक्सेस ऑकल डोरैम (DRAM) अथवा एसम (SRAM) का प्रयोग उनके प्राइमरी स्टोरेज के रूप में होता है।

    मुख्य मेमोरी में रेस्टोरेज डिवाइसेस (mass torage devices) जैसे हार्डीडस्क, ऑप्टीकल डिस्क स्टोरेज की अपेक्षाकृत बहुत अधिक से होता है, परन्तु आमतौर पर अस्थाई (volatile) होता है अर्थात् पावर (power) की अनुपस्थिति में कन्टेंट्स (निर्देशों अथवा डाटा) को बनाये नहीं रख पाता है

    तथा मास स्टोरेज (mass storage) की अपेक्षा समान क्षमता में बहुत अधिक महंगा होता है। मुख्य मेमोरी सामान्यतः दीर्घकालिक अथवा आर्काइवल डाटा स्टोरेज के लिए उपयुक्त नहीं है।डॉटरबोर्ड अथवा डॉटरकार्ड एक सर्किट बोर्ड होता है

    जो मदरबोर्ड पर एक अतिरिक्त बोर्ड अथवा एक्सपेंशन (expansion) बोर्ड के रूप में कार्य करता है। यह कभी- कभी एक स्वतंत्र कार्ड को तरह भी कार्य

    3) हार्ड डिस्क (Hard Disk)

    हार्ड डिस्क ड्राइव को साधारणतः हार्ड ड्राइव या हार्ड डिस्क कहते हैं। यह एक स्थाई (non-volatile) स्टोरेज डिवाइस होती है जो डिजिटल रूप में अंकित (encoded) डाटा को चुम्बकीय सतहों वाले घूमते हुए प्लैटर्स (rotating platters) पर तेजी के साथ स्टोर करती है।

    हार्ड डिस्क ड्राइव वस्तुतः कम्प्यूटर में प्रयोग के लिए विकसित किया गया था परन्तु आज हार्ड डिस्क ड्राइव के अनुप्रयोग कम्प्यूटर से आगे बढ़कर डिजिटल विडियो रिकॉर्डर (digital video recorders), डिजिटल ऑडियो प्लेयर्स (digital audio players), पर्सनल डिजिटल असिस्टेन्ट (personal digital assistants), डिजिटल कैमरा (digital cameras) इत्यादि में भी होने लगे हैं। सैमसंग (Samsung) तथा नोकिया (Nokia) के मोबाइल फोनों में भी हार्ड डिस्क के प्रयोग पाये जा सकते हैं।

    4) विडियो कार्ड (Video Card)

    विडियो कार्ड को ग्राफिक्सर एक्सीलरेटर कार्ड (graphics celerator card) डिस्प्ले अडैप्टर (display adapter) ग्राफिक्स कार्ड (graphics card) तथा अन्य कई नामों से जाना जाता है।

    यह पर्सनल कम्प्यूटर हार्डवेयर का एक भाग (stem) होता है, जिसका कार्य मॉनीटर पर आकृतियां (images) का निर्माण तथा आउटपुट देना होता है।

    इसका प्रयोग सामान्यतः एक अलग समर्पित एक्सपेंशन कार्ड की भाँति होता है जो कम्प्यूटर मदरबोर्ड के स्लॉट (slot) में प्लग किया जाता है । कुछ विडियो कार्ड अतिरिक्त फंक्शनेलिटिज (functionalities) जैसे चिडिया कैप्चर (video capture). टी.वी. ट्यूनर अडेप्टर (TV) tuner adapter) MPEG-2 तथा MPEG-4 डिकोडिंग प्रदान करते हैं।

    साथ ही कुछ में फायरवायर (firewire); माउस, लाइटपेन अथवा जॉयस्टिक संयोजक (con- nectors) भी प्रदान करते हैं। आप इसकी सहायता से एक से अधिक मॉनिटर को जोड़ भी सकते हैं जो अक्सर आपने किसी संगीत रिकॉर्डिंग स्टूडियों में देखा होगा।

    इस कार्ड का प्रयोग उच्च विमिया जैसे द्वि-विमिय तथा त्रि-विमिय (2-D and 3-D) ग्राफिक्स प्रोग्राम को Motherboard Connection कम्प्यूटर पर चलाने में होता है।

    प्रत्येक मदरबोर्ड, विडियो कार्ड फार्मेट (format) की एक निश्चित रेंज की ही सपोर्ट करता है इसलिए खरीदने के पहल यह अपने मदरबोर्ड के हिसाब से है को नहीं इसकी जाँच कर लो

    आजकल के कई कम्प्यूटरों में विडियो एक्सपेन्शन कार्ड (video expansion card) नहीं होता इसके स्थान पर मदरबोर्ड पर ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट सीधे सीधे मंदरबार्ड पर एकीकृत होती है।

    यह कंप्यूटर का कर्म खर्चीला बनाता है लेकिन इस तरह का ग्राफिक्स सिस्टम कम शक्तिशाली होता है। यह विकल्प औसत व्यवसाय तथा घरल उपयोगकर्ता के लिए उचि हो सकता है।

    उन्नत ग्राफिक्स क्षमताओं या नवीनतम खेलों में रूचि लेने/रखने वाले उपयोगकर्ताओं को अलग से ही विडियो कार्ड लगवाना उचित होता है। एनविडिया कॉरपोरेशन (NVIDIA Corponition). ए.टी.आई. टेक्नोलॉजिजु (A.T.I Technologies) मैट्रॉक्स (Matrox) लोकप्रिय विडियो कार्ड निर्माणकर्त्ताओं के नाम है।

    5) एक्सपेंशन कार्ड (Expansion Card)

    एक्सपेंशन कार्ड को एक्सपेंशन बोर्ड, अडॉप्टर कार्ड अथवा एक्सेसरी कार्ड भी कहा जाता है। यह एक प्रिंटिड सर्किट बोर्ड (printed circuit board) होता है जो मदरबोर्ड के एक्सपेंशन स्लॉट (expansion slot) में प्रविष्ट कर कम्प्यूटर सिस्टम में अतिरिक्त फंक्शनेलिटी (functionality) को जोड़ता है।

    एक्सपेंशन बोर्ड का एक छोर (edge) contacts को पकड़े रहता है जो स्लॉट (slot) में पूर्णतः फिट हो जाता है। यह मदरबोर्ड पर इंटीग्रेटिड सर्किटों (integrated circuits) के मध्य विद्युतीय सम्पर्क स्थापित करता है।

    6) कम्प्यूटर पावर सप्लाई (Computer Power Supply)

    डेस्कटॉप कम्प्यूटरों में पॉवर सप्लाई (power supply) एक बक्से के समान होता है जो कम्प्यूटर के अंदर होता है। इस बक्से को एस. एम. पी. एस. (SMPS) के नाम से जाना जाता है। यह कम्प्यूटर का महत्त्वपूर्ण भाग होता है|

    क्योंकि यह कम्प्यूटर से जुड़े अथवा इसके अंदर प्रत्येक दूसरे भाग (component) को विद्युत ऊर्जा प्रदान करता है, ताकि यह काम कर सके। पोर्टेबल कम्प्यूटरों (portable [computers) जैस लपटॉप में आमतौर पर एक बाहरी पावर एडॉप्टर होता है|

    जो ए.सी. (AC ) को डी.सी. (DC) में परिवर्तित करता है (अधिकतर सामान्यतः 19V) तथा लैपटॉप में डी.सी. से डी.सी. परिवर्तन (DC- DC Conversion) होता है जो पोर्टेबल कम्प्यूटर के अन्य भागों द्वारा आपेक्षित विभिन्न डी.सी. बोल्टेज भेजता है।

    7) साउण्ड कार्ड (Sound Card)

    साउण्ड कार्ड कम्प्यूटर की एक हार्डवेयर यूनिट है जो मुख्य बोर्ड पर एक्सपेंशन कार्ड की तरह लगाया जाता है। यह माइक्रोफोन से प्राप्त एनालॉग संकेतों (signals) को डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है जिस कम्प्यूटर मेमोरी में स्टोर किया जाता है साथ हो, साउण्ड कार्ड डिजिटल संकतों (signals) को एनालॉग रूप में बदल कर स्पीकर को आउटपुट के रूप में भेजता है।

    8) ऑप्टीकल डिस्क ड्राइव (Optical Dise Drive)

    ऑप्टीकल डिस्क एक समतल (flat), वृत्ताकार, सामान्यतः पॉलीकार्बोनेट डिस्क होती है, जहाँ डाटा पिट्स (अथवा बम्पस्) के रूप में एक समतल सतह के अंदर सामान्यतः एक स्पाइरल चैनल (groove) के समानान्तर जो डिस्क के पूरे रिकॉर्ड किये गये सतह को ढँकता है, में स्टोर होता है।

    यह डाटा आमतौर पर तब एक्सेस होता है, जब लेजर डायोड (diode) की सहायता से डिस्क पर कोई विशेष धातु (प्राय एल्युमिनियम) प्रकाशित ( Illuminated) होती है। पिट्स (pits) परावर्तित लेजर प्रकाश को विकृत करता है।

    डिस्क पर सूचना क्रमिक रूप में एक निरंतर स्पाइरल ट्रैक पर अन्तरतम (Innermost) ट्रैक से वाह्यतम (outermost ) ट्रैक की ओर स्टोर होती है। प्रकाशीय डिस्क ड्राइव को संक्षेप में ओ.डी.डी. (ODD) कहते हैं।

    9) समानांतर पोर्ट (Parallel Port)

    समानांतर पोर्ट कंप्यूटर के कई भागों (pars) को जोड़ने के लिए कम्प्यूटर पर पाया जाने बाला एक प्रकार का इंटरफेस है। इसे प्रिंटर पोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।

    आई ई.ई.ई. 1284 स्टैण्डर्ड पोर्ट के द्वि-दिशिय (bi-directional) कनि (version) का परिभाषित करता है। यू० एस० बी० के आगमन के पहले समानांतर इंटरफेस को प्रिंटर के अतिरिक्त भी ढेर सारी पेरिफेरल डिवाइसेज को एक्सेस करने के लिए अपनाया जाता था।

    जीप (Zip Drives) तथा स्कैनर शुरूआती डिवाइसे थी जिनमें परे इंटरफेस को इम्प्लीमेंट किया था जिसका अनुकरण आगे चलकर एक्सटर्नल मम (modems), साउण्ड कार्ड (sound card), वेबकॅम (web cams) गेम पेड (game pads), जॉयस्टीक (Joy Sticks) तथा एक्सटर्नल हार्ड डिस्क ड्राइव (external hard disk drives) तथा CD-Rom ड्राइज (CD-Rom Drives) में हुआ।

    पर्सनल कंप्यूटर तथा लैपटॉप के कई निर्माणकर्ता पैरेलल इंटरफेस को legacy port मानते है तथा अब इस का प्रयोग नहीं करते हैं। यू० एस० बी० सिस्टम के पैरेलल प्रिन्टर के प्रयोग हेतु यू० एस० बी० पैरेलल अडप्टर प्रयोग किये जाते है।

    10) नेटवर्क कार्ड (Network Card)

    नेटवर्क कार्ड को नेटवर्क एडेप्टर (network adapter), लैन एडप्टर (LAN adapter) या नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (Network Interface Card) के नाम से भी जाना जाता है। यह कंप्यूटर हार्डवेयर का एक भाग है

    जिसे कंप्यूटर को कंप्यूटर नेटवर्क (computer network) से संपर्क करने (communicate) के लिए तैयार किया गया है। यह फिजिकल लेयर अर्थात् ओ.एस.आई. प्रथम लेयर तथा डाटा लिंक लेयर अर्थात् ओ. एस. आई. द्वितीय लेयर के रूप में कार्य करता है। यह नेटवर्किंग माध्यम को फिजिकल एक्सेस प्रदान करता है

    मैक ऐड्स (MAC address) के प्रयाग के माध्यम से निम्नस्तरीय ऐइसिंग प्रदान करता है। इसकी सहायता से उपयोगकर्ता एक दूसरे से तार द्वारा या बिना तार के संपर्क स्थापित कर सकता है।

    यद्यपि अन्य नेटवर्क तकनीकियाँ (network lechnologies) भी मौजूद है परन्तु इथरनेट ने 1990 के मध्य से ही अपना क्षेत्र व्यापक कर लिया है। प्रत्येक इथरनेट नेटवर्क कार्ड का एक यूनिक 48-बिट serial number होता है

    जिसे मैक एड्स (MAC Address) कहा जाता है, जो कि उस कार्ड के राम (ROM) में स्टोर होता है। इथरनेट नेटवर्क के प्रत्येक कंप्यूट के पास एक यूनिक मैक ऐडस वाला एक अवश्य होना चाहिए।

    कोई भी दो कार्ड समान ऐड्स को माझा नहीं कर सकते। यह कार्य इंस्टीच्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (Institute of Electrical and Electron ics Engineers (IEEE)) द्वारा पूरा किया जाता है।

    यह संस्था नेटवर्क इंटरफेस कंट्रोलर्स 6के विकताओं को यूनिक मक ऐड्स आवंटित करने के लिए जिम्मेवार होता है ।

    11) यूनिवर्सल सिरियिल बस ( Universal Serial Bus)

    यूनिवर्सल सिरियिल बस को संक्षेप में यू. एस. बी. कहा जाता है। यू. एस. बी. को एक ही मानकीकृत इंटरफेस सॉकेट (standardized interface socket ) की सहायता से कंप्यूटर के पेरिफेरलों को जोड़ने हेतु डिजायन किया गया है।

    इसकी सहायता से कंप्यूटर को बगैर पुनः बूट किये एक्सटर्नल डिवाइसेस को जोड़ा या हटाया जा सकता है| इस प्रकार प्लग एण्ड प्ले क्षमताओं में वृद्धि होती है। इसकी अन्य सुविधाजनक विशेषताओं में एक विशेषता यह है कि यह कम विद्युत खपत वाले डिवाइसेज को बिना किसी बाहरी पावर सप्लाई के ऊर्जा उपलब्ध कराता है।

    साथ ही इसकी सहायता से कई डिवाइसेज़ को बिना निर्माता विशिष्ट ड्राईवर इन्स्टॉल (install) किये कम्प्यूटर से जोड़कर चलाया जा सकता है। यूनिवर्सल सिरियल बस का उद्देश्य क्रमिक तथा पैरेलल पोर्टस से उपयोगकर्त्ताओं को मुक्ति दिलाना है।

    यू. एस. वो कंप्यूटर पेरिफेरलों जैसे माउस की बोर्ड, पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट, गेम पैड्स जॉयस्टिक, स्कैनर्स, डिजिटल कैमरा, प्रिंटर, पर्सनल मिडिया प्लेयर तथा फ़्लैश ड्राईवर को जोड़ सकता है।

    इनमें से कई डिवाइसेज़ के लिए यू. एस. बी. स्टैण्डर्ड कनेक्शन की विधि बन चुका है। यू. एस. बी. को वास्तविक रूप से पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए ही तैयार किया गया था लेकिन यह अन्य उपकरणों जैसे पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट तथा विडियो गेम कंसोल्स में भी उपयोग हो रहा है।

    12) मॉनीटर (Monitor)

    मॉनीटर को तकनीकी रूप से विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit) कहा जाता है। इसे कम्प्यूटर डिस्प्ले (Computer Display) भी कहा जाता है। मॉनीटर विद्युतीय मंत्र का एक भाग है

    जो कम्प्यूटर जनित आकृतियों को बिना इनका स्थाई रिकॉर्ड रखे हुए प्रदर्शित करता है। ये सामान्यतः या तो कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) होते हैं या टी. एफ.टी., एल.सी.डी. डिस्प्ले की भाँति फ्लॅट पेनल रूप में होते हैं।

    मॉनीटर में डिस्प्ले डिवाइस, सर्किटरी जो कम्प्यूटर द्वारा भेजे गये संकेतों (signals) के आधार पर आकृति तैयार करते हैं तथा एक डिब्बा या आवरण सम्मिलित होते हैं।

    कम्प्यूटर के अंदर सर्किट या तो इसके एक अभिन्न अंग के रूप में अथवा प्लग किये गये इंटरफेस के रूप में होता है, जो आंतरिक (internal) डाटा को मॉनीटर समन्वित फॉरमेट में परिवर्तित करता है।

    13) माउस (Mouse)

    माउस एक इनपुट डिवाइस है। यह अपने supporting surface के मापेक्ष द्वि-विमीय गति की पहचान करते हुए एक प्वाइन्टिंग डिवाइस के रूप में कार्य करता है।

    भौतिक रूप से, माउस एक डिब्बे (case) की भांति होता है, जो यूजर के द्वारा किसी एक हाथ से पकड़ कर चलाया जाता है तथा जिसमें एक या एक से अधिक बटन होते हैं।

    इसमें कभी-कभी कुछ और तत्त्व जैसे व्हॉल्स (wheels) होते हैं जिनकी सहायता से यूजर सिस्टम आधारित ऑपरेशन्स को सम्पन्न करते हैं

    इसमें अतिरिक्त बटन या फीचर अन्य नियंत्रण (control) अथवा विमीय (dimensional) इनपुट को जोड़ सकते हैं। माउस को गति सामान्यतः मॉनीटर पर प्वाइन्टर की गति में परिवर्तित होती है। माउस नाम स्टेनफोर्ड शोध संस्थान (Standford Research Institute) में रखा गया।

    14 की-बोर्ड (Keyboard)

    कम्प्यूटर की-बोर्ड कम्प्यूटर का एक परीफरल (peripheral) है। यह आंशिक रूप से टाइपराइटर के की-बोर्ड को होता है। की-बोर्ड को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट करने के लिए डिज़ायन किया गया है

    साथ ही यह कम्प्यूटर के ऑपरेशन को नियंत्रित भी करता है। भौतिक रूप से, कम्प्यूटर का को बाड़ शायताकार या लगभग आयताकार बटनों या Keys को व्यवस्था होती है।

    को वार्ड में सामान्यतः Keys ऑकत होती है अथवा उसी हुई होती हैं। अधिकांश स्थितियों में, किसी Key (को) को दबाने पर की-बोर्ड एक लिखित निद्र भेजता है। किन्तु कुछ संकेतों को बनाने के लिए कई Keys को साथ-साथ या एक क्रम में देवाने या पकड़ रहने की आवश्यकता पड़ती है।

    अन्य Keys कोई संकेत (symbol) नहीं बनातीं बल्कि कम्प्यूटर अथवा को बोर्ड के क्रिया को प्रभावित करती हैं। की-बोर्ड के लगभग आधी key अक्षर संख्या या चिह्न (characters) बनाती हैं।

    अन्य कीज को दबाने पर क्रियाएँ होती हैं तथा कुछ क्रियाओं (actions) को सम्पन्न करने में एक से अधिक keys को एक साथ दबाया जाता है।

  • parsanal computer ke bhaag kaun-kaun se hai? (components of Personal Computer)

    पर्सनल कम्प्यूटर इनपुट डिवाइस (inpur device), आउटपुट डिवाइस (output device), सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) तथा अतिरिक्त डिवाइसेज़ जैसे मॉडेम स्कैनर, प्रिन्टर इत्यादि पर आधारित होता है।

    आइए हम देख हैं कि किसी पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न कम्पोनेन्ट्स क्या है ? (What are the components of a personal computer?) पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न भागों को समझने के लिए हमें इसके आंतरिक भाग तथा बाहरी भाग दोनों को समझना होगा।

    पर्सनल कम्प्यूटर का आंतरिक भाग से यहाँ तात्पर्य वे भाग हैं जो सी०पी०यू० कैबिनेट के अंदर होते हैं। मदरबोर्ड, रैम, हार्ड डिस्क, विडियो कार्ड, पावर सप्लाई इत्यादि सो०पा०यू० कैबिनेट के अंदर होते हैं जो हमें दिखते नहीं है।

    इसी प्रकार सी०पी०यू० कबिनेट के आगे हमें फ्लॉपी डिस्क ड्राइव तथा सी०डी० या डी० वी० डी० ड्राइव मिलते हैं। सी० पी० यू० कैबिनेट के पौड़ के भाग कुछ महत्वपूर्ण कनेक्शन्स होते हैं

    जो आपके सी० पी० पू० कैबिनेट के अंदर के भागों को अन्य पेरिफेरल से जोड़ते है । उन सभी कम्पोनन्ट्स को क्रमांक दिया गया है ताकि आप भलीभांति समझ सकें । ये कम्पोनेन्ट इस क्रम में है

    1) यूनिवर्सल सिरियल बस (Universal Serial Bus)

    2) इथरनेट कार्ड (Ethernet Card))

    3) हार्ड ड्राइव (Hard Drive)

    4) सी० पी० यू० (CPU)

    5) पावर सप्लाई (Power Supply)

    6) समानांतर पोर्ट

    7) फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive)

    8) रैम (RAM)

    9) विडियो कार्ड (Video Card)

    10) मदर बोर्ड (Mother Board)

  • Personal computer kya hai?

    परिचय (Introduction)

    पर्सनल कम्प्यूटर से सायद हो कोई अनजान होगा। पर्मनस कम्युटर तथा साइको कम्प्यूटर सम्भवतः विनिमयशील (interchangeable) शब्द है। पर्सनल कम्प्यूटर सम्भवतः ऐसे कम्प्यूटर के लिए प्रयोग किया जाता है

    जिसका प्रयोग किसी एक व्यक्ति तक ही सीमित हो। अस्पष्ट है कि स्वतल कम्यूटर कोई भी सामान्य माइको कम्प्युटर होता है तथा इसका अर्थ कार्यालय में होने पर शायद ही किसी व्यक्ति के दिनों रूप में प्रयोग होता है। यह अध्याय पर्सनल कम्प्यूटर के विभिन्न अप पर जानकारी प्रदान करता है।

    पर्सनल कम्प्यूटर (personal computer)

    पर्सनल कम्प्यूटर अर्थात् पी.सी काम आए इस आता है कि पर्सनल कम्प्यूटर क्या है? (What is a personal computer?) पर्सनल कंप्यूटर एक ऐसा कम्प्यूटर है जिसको कोर आकार कालो के लिए इस easy बनाती है।

    यह शब्द 1970 के अंतिम तथा 1980 में Apple Computer द्वारा प्रसिद्ध हुआ तथा बाद में इसको आईबीएम द्वारा विकसित पाँच कम्प्यूटर का कप्यूटर भी कहा प्राकम्प्यूटर शब्द का प्रयोग विशेष करता है|

    जिन पर साइट विण्डोन का परिचालन हो रहा है। पर्सनल कम्प्यूटर को एक समय में एक ही यूजर द्वारा सामान्यतः वर्ड प्रोसेसिंग, इण्टरनेट ब्राउजिंग इण्टरनेट इनकम, कण्टर गम्स खेलत, कम्यूटर प्रोग्रामिंग इत्यादि जैसे सामान्य उददेशीय कार्यों हेतु परिचालित किया जाता है।

    कोई माइक्रो कम्यूटर जो निजी कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है अथवा छोटे मोटे कार्यों जैसे पई प्रोसेसिंग (word processing), अकाउन्टिंग (account- ing) तथा सामान्य अनुप्रयोगों तथा कोई सिस्टम सॉफ्टवेयर जैसे लाइन इत्यादि एक्जिक्यूट कर रहा है| पर्सनल कम्प्यूटर कहा जा सकता है।

    1990 के दशक के दौरान पर्सनल कम्यूटर की बता में भारी मात्र में इस पतित कम्यूटर तथा मल्टीयूटर कम्प्यूटर जैसे मेनफ्रेम के मुख्य के अन्तरों में कमी आई है।

    पर्सनल कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Uses of Personal Computer)

    आजकल पर्सनल कंप्यूटर के प्रयोगकर्ता को निशनामों की अच्छी जानकारी हो सकती है, परन्तु यह आवश्यक नहीं कि यह में तो कम्प्यूट मों को लिखने में सक्षम हो। अतः पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए अधिकतर सॉफ्टवेयर इसक प्रयोगको तया इली होने को ध्यान में रखकर ही लिखे जाते हैं|

    किन्तु सॉफ्टवेयर उद्योग निरंतर पर्सनल कम्प्यूटरों के नय उत्पाद क. श्रृंखला प्रदान करता रहा है जो विशेषता तथा प्रशिक्षुओं दोनों के लिए जाते हैं। संक्षेप में, यूटर के नम्नलिखित विन्दुओं का समावेश होता है

    1) सिंगल ऑपरेटिंग सिस्टम चलाना

    2) वर्ड प्रोसेसर जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, Abode पेजमेकर, ओपन ऑफिस डॉट ऑर्ग (Open Office Org) इत्यादि का प्रयोग कर कोई पत्र टाइप करना।

    3) स्प्रेडशीट जैसे माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल इत्यादि का प्रयोग कर अकाउण्ट्स (accounts) व्यवस्थित करना, ग्राफ बनाना, चार्ट तथा शीट तैयार करना।

    4)एम.एस. पावरप्वाइन्ट का प्रयोग कर प्रजेन्टेशन बनाना।

    5) डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम तथा रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम का प्रयोग करना।

    6) इन्टरनेट सेवाएँ यथा डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू. (WWW), एफ. टी. पी. (PIP), टेलनेट (Telnet) इत्यादि का प्रयोग करना।

    7) सामान्य उद्देशीय अनुप्रयोगों जैसे टैली, कस्टमाइज किये गये सॉफ्टवेयर इत्यादि का प्रयोग करना।

    8) डेस्कटॉप पब्लिशिंग सॉफ्टवयर जैसे कोरल ड्रॉ (Corel Draw), फोटोशॉप इत्यादि का प्रयोग करना।