Author: Ram

  • History of Virtual Reality kya hai?

    वर्चुअल रियलिटी का इतिहास (History of Virtual History)

    वर्चुअल रियलिटी के बारे में सन् 1965 के आसपास विचार किया गया था जब Ivan Sutherland ने वर्चुअल अथवा इमेजनरी (imaginary) संसार के निर्माण के लिये अपने सुझाव प्रस्तुत किये थे।

    MIT में उसने थ्री-डामेन्शनल डिस्प्ले के साथ परीक्षण किया था। 1969 में उसने पहले ऐसे सिस्टम का निर्माण किया जो लोगों को सूचना के थ्री-डामेन्शनल डिस्प्ले में बांधता था।

    70 तथा 80 के आखरी दशकों के मध्य में, वर्चुअल रियलिटी की अवधारणा का मुख्य उपयोग United states ने किया था। मिलिटेरी ने flight simulators की तरह इसका उपयोग अपने पायलट्स को प्रशिक्षण देने के लिये किया।

    संसार के अन्य देशों ने 1980 के आखिरी तक भी इस टेक्नोलॉजी के लिये कोई रूचि नहीं दिखाई। उसके बाद से, वर्चुअल रियलिटी का विकास कई तरीकों से हुआ जिससे यह हमारे समय की इमरजिंग टेक्नोलॉजी बन जायें।

    वर्चुअल रियलिटी अब ही कुछ ही सालों पहले इतनी विख्यात हुई है लेकिन इसकी जड़ें अर्थात यह अवधारणा चार दशक पहले शुरू हुई थी।

    सन् 1950 के आखिरी में, जब राष्ट्र Mc Carthyism के Stale traces तथा Elvis की sounds से प्रभावित हो रहा था, एक उपाय सामने आया जिसने कम्प्यूटर और लोगों के इंटीरेक्ट करने के तरीके को बदल दिया तथा वर्चुअल रियलिटी को सम्भव किया।

    उस समय कम्प्यूटर्स A.C. रूम में रखे जाते थे तथा ऐसोटेरिक (esoteric) प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग करते थे। लेकिन एक युवा इलैक्ट्रिकल इंजिनियर नोवल रेडार टेक्निशन जिसका नाम Douglas Englelbart था ने इन्हें अलग तरीकों से देखा। Englelbart ने इन सभी को डिजिटल डिस्प्ले के उपकरणों की तरह envision किया।

    पहले Englelbart’s के विचारों को अस्वीकार किया गया था, लेकिन 1960 की शुरूआत से अन्य लोगों ने भी इसी तरह सोचना आरम्भ कर दिया।

    संचारण तकनीकी कम्प्यूटिंग तथा ग्राफिक्स तकनीकी के साथ इन्ट्रसेक्ट कर रही थी। उस वक्त पहला कम्प्यूटर जो vaccumtubes के बजाय transistors पर आधारित था उपलब्ध हुआ था।

    परमाणु हमले के डर ने U.S. मिलिटेरी को एक नये रेडार सिस्टम को चालू करने के लिये तैयार किया जो बहुत ज्यादा मात्रा में सूचना की प्रोसेसिंग करे तथा तुरन्त उसे मनुष्य द्वारा समझे जाने वाले रूप में प्रदर्शित करे। परिणामिक रेडार डिफेंस सिस्टम पहला रियल टाइम अथवा सिमुलेशन आफ डाटा था।

    सन् 1962 में Ivan Sutherland ने एक light pen का विकास किया जिसके द्वारा कम्प्यूटर पर तस्वीरें स्केच की जा सकती थीं। Sutherland के पहले कम्प्यूटर ऐडिड डिजाइन प्रोग्राम जिसको स्केचपैड कहते हैं ने डिजाइनरों को ऑटोमोबाइल्स, शहरों तथा इन्डस्ट्री के उत्पादों के ब्लूप्रिंट बनाने के लिये कम्प्यूटर्स के उपयोग का रास्ता दिखाया।

    1970 तक, sutherland ने कम्प्यूटर ग्राफिक्स में scientific visualization का उपयोग डाटा के columns को तस्वीरों में परिवर्तित करने के लिये भी किया था।

    Scientific visualization का उद्देश्य अपनी तस्वीरों में सिस्टम्स अथवा प्रोसेज की डाइनेमिक विशेषताओं को कैप्चर करना था।

    1980 में Scientific visualization, Hollywood की कई स्पेशल इफैक्ट वाली विधियों का निर्माण तथा borrowing एनीमेशन की तरह चला गया। 1990 में NCSA अवार्ड विनिंग smog ऐनीमेशन जो Los Angeles पर descend कर रही थी ने state में air pllution legislature को प्रभावित किया।

    वैज्ञानिकों को इन्ट्रेक्टिविटी चाहिये थी तथा मिलेटरी, इन्डस्ट्री, बिजनैस तथा मनोरंजन को परस्पर संबंधों की आवश्यकता थी। इन्ट्रेक्टिविटी की मांग ने कम्प्यूटर विजुलाइजेशन को वर्चुअल रियलिटी की तरफ मोड दिया।

  • Introduction of Virtual Reality kya hai?

    परिचय (Introduction of Virtual Reality)

    वर्चुअल रियलटी शब्द वर्ष 1987 में जेरान लेनियर ने बनाया था जिसकी अनुसन्धान और इंजीनियरिंग ने नये वीआर उद्योग में अनेक उत्पादों का योगदान दिया है।

    प्रारम्भिक वीआर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को जोड़ने वाले अमेरिकी सरकार और विशेषकर उसका रक्षा विभाग, नेशनल साइन्स फाउन्डेशन तथा नेशनल एरोनाटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) थे।

    इन एजेन्सियों द्वारा विश्वविद्यालयों में स्थित प्रयोगशालाओं को अनुसंधान हेतु वित्तीय अनुदान मिला और इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में निपुण व्यक्तियों को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञ बना कर तैयार किया। ये क्षेत्र थे- कम्प्यूटर ग्राफिक्स, सिमुलेशन तथा नेटवर्क से बने वातावरण तथा शैक्षिक, सेना तथा कॉमर्शियल काम के बीच सपंर्क ।

    कलाकार, प्रदर्शन करने वाले तथा मनोरंजन करने वाले की रुचि हमेशा काल्पनिक दुनिया, काल्पनिक स्पेस (space) का वर्णन और ज्ञानेन्द्रियों को धोखा देने वाली तकनीकों के निर्माण में ही रही है।

    चिरकाल से पेन्टिंग या विचारों ने जिन इल्यूजनरी (illusionary) स्पेस को बनाया है उनका निर्माण सार्वजनिक स्थानों तथा घरों के लिये हुआ है और जिसका कल्मीनेशन (culmination) 18वीं और 19वीं शताब्दियों के मोनूमैन्टल पैनोरामा (monumental panorama) में हुआ।

    निरन्तर बदलते हुए दृश्य (Panorama) ने दो आयामी चित्रों/छायाओं के बीच की विजुअल सीमाओं को धुंधला कर दिया जो तीन आयामी (Three dimensional) स्पेस से देखे जा सकते थे।

    इस तरह घटनाओं में इमरशन (immersion) का इल्यूशन (illusion) धोखा (भ्रांति) का निर्माण हुआ। इस इमेज परम्परा ने मीडिया की एक सीरीज (series) के बनने को स्टिमुलेट (stimulate) किया।

    बीसवीं शताब्दी में भविष्य के थियेटर की डिजाइन, स्टीरियो पटीकान (Stereopticons ), तथा थ्री-डी चलचित्र से लेकर आई मैक्स (IMAX) चलचित्र थियेटर तक सभी वही प्रभाव उत्पन्न करेंगे। उदाहरण के तौर पर सिनेमा वाइड स्क्रीन फिल्म फारमैट, मूलरूप से वीटारमा (Vitarama) कहलाई जब इसका आविष्कार 1939 के न्यूयार्क विश्व मेले में फ्रैंड वालर (Fred Waller) तथा रैल्फ वाकर (Ralph Walker) ने किया था।

    वालर (Waller) के काम ने उसका ध्यान इमर्शन (immersion) के लिये पैरीफेरल विजन (peripheral vision) पर केन्द्रित किया जो कृत्रिम वातावरण में था और उसका उद्देश्य था कि वह एक ऐसी प्राजैक्शन टेक्नोलॉजी बनाये जो मनुष्य की दृष्टि के क्षेत्र को डुप्लीकेट कर दे ।

    वीटारमा (vitarama) प्रोसेस ने अनेक कैमरों, प्रोजेक्टरों और आर्क (arc) आकार के परदे का इस्तेमाल कर दर्शक के लिये एक इल्यूजन (illusion) क्रियेट (create) किया यद्यपि वीटारमा कमर्शियल तौर पर अधिक सफल नहीं हुई, विशेषकर 1950 के दशक के मध्य तक (सिनेमा के नाम से)।

    दूसरे विश्वयुद्ध में आर्मी ऐयर कार्ल्स (Army Air Corps) ने वालर फ्लैक्सिबल गनरी ट्रेनर (Waller Flexible Gunnery Trainer) के नाम से एन्टी एयरक्राप्ट प्रशिक्षण में इस सिस्टम का उपयोग किया।

    यह मनोरंजन टैक्नालाजी और सैनिक सिमूलेशन (simulation) के बीच लिंक का उदाहरण था जिसने बाद में वर्चुअल रियलिटी के विकास को आगे बढ़ाया।

    वीआर सिस्टम के एप्लीकेशन का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र सदैव वास्तविक जीवन में होने वाली घटनाओं, गतिविधियों का प्रशिक्षण रहा है। सिमुलेशन, प्रशिक्षण में उपयोगी है क्योंकि यह बराबर का मौका लगभग उन्हीं परिस्थितियों को बनाकर देता है जो कम लागत वाली तथा अधिक सुरक्षित हैं।

    वर्ष 1985 तक फिशर (Fisher) ने अटारी (Atari) छोड़ दिया और नासा (NASA) के मोफैट फील्ड कैलीफोर्निया स्थित एम्स अनुसंधान केन्द्र की वर्चुअल एनविरामेंट वर्क स्टेशन (VIEW) परियोजना (Ames Research Center) में संस्थापक निदेशक के पद पर आसीन हुए।

    व्यू (VIEW) परियोजना ने उद्देश्यों का एक पैकेज (package) बनाया जो उन विगत कार्यों का संक्षिप्त संस्करण था जो कृत्रिम वातावरण से संबंधित थे। इस परियोजना में पिछले अनुसंधानों, जैसे सैंसोरामा sensorama) फ्लाइट सिमुलेटर, आर्केड राइड (arcade ride) का प्रभाव था।

    इसके साथ वायुसेना के डार्थ वाडर हलमट (Darth Vader Helmets) पर आये व्यय से वे चकित थे। फिशर के दल ने अपना ध्यान कम कीमत के पर्सनल सिमुलेशन वातावरण को बनाने में केन्द्रित किया।

    जबकि नासा (NASA) का उद्देश्य भविष्य में होने वाले ग्रहों की खोज में आटोमेटेड स्पेस स्टेशन्स के लिये टैली रोबोटिक्स (telerobotics) को विकसित करना था।

    कार्य दल ने इस पर भी ध्यान रखा कि वर्क स्टेशन का उपयोग मनोरंजन, वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक प्रयोजन हेतु भी हो सके। व्यू (VIEW) वर्क स्टेशन जब 1985 में पूरा हुआ तो यह वर्चुअल वीजुअल एनवायरमेंट डिस्प्ले (Virtual Visual Environment Display) कहलाया।

    इसने वीआर टैक्नालाजी को एक स्टैण्डर्ड सूट (Standard suite) स्थापित किया जिसमें एक स्टीरियोस्कोपिक (stereoscopic) हैड कपल्ड (Head coupled) डिस्प्ले (display), हैड ट्रैकर (head tracker), स्पीच रिकगनिशन (speech recognition), कम्प्यूटर द्वारा बनायी गयी इमेज ( image), डाटा ग्लोब (data glove) तथा थ्री-डी-आडियो टैक्नालाजी (3-D audio technology) थे।

    आज वर्चुअल रियलटी उस तरीके को बदलने को तैयार है जिससे हम कन्ट्रोल कम्प्यूटर के साथ इंटरैक्ट (interact) करते हैं। आज से पचास वर्ष पूर्व जब कम्प्यूटरों से परिचय हुआ था उसके प्रभावों के बारे में हम सब अनजान थे।

    क्या हर एक घर, कक्षा तथा कार्यालय में वीआर होगा? क्या खुद को कम्प्यूटर द्वारा बनाई गई दुनिया में डुबो देना वैसा ही सामान्य होगा जिस तरह किसी मूवी को देखना होता है।

    एक बात वीआर (VR) के संबंध में निश्चित है कि यह बढ़ेगा और विकसित होगा। जैसे-जैसे टैक्नालाजी परिपक्व (mature) होगी यह और भी बेहतर सस्ता तथा पहुँच के अन्दर होता जायेगा।

    नेटवर्क जो कम्प्यूटरों को जोड़ते हैं उनका विस्तार होगा और वीआर के लिये यह सम्भव होगा कि वह हमारे दैनिक जीवन में अपनी जगह बना ले। वीआर (VR) का भविष्य वहीं तक सीमित है जहाँ तक हमारी कल्पना

  • ES Problem Domain kya hai?

    एक्सपर्ट सिस्टम का समस्या क्षेत्र (ES Problem Domain)

    एक्सपर्ट सिस्टम का प्रयोग कई समस्या क्षेत्रों में समस्याओं को समझने के लिए किया जाता है। ये क्षेत्र हैं-

    कन्फगरेशन और डिजायन

    • मॉनिटरिंग

    • शिड्यूलिंग और प्लानिंग

    • प्रोसीजरल (कार्य करने का तरीका)

    डायग्नोसिस (समस्या पहचानना)

    यह पता चला है कि जो जानकारी प्रश्नों व उत्तरों के माध्यमों से यूजर द्वारा सिस्टम को दी जाती है, उसका स्तर यूजर का जानकारी के अनुकूल होनी चाहिये। अधिकतर एप्लिकेशन्स में दूरदर्शी यूजर्स के समूह का वर्णन बड़ी अच्छी तरह किया जाता है तथा जानकारी के स्तर का आकलन कर प्रश्न ऐसी श्रेणी के रखे जाते हैं ताकि एक औसत व्यक्ति भी उनके उत्तर दे सके। परन्तु, अन्य एप्लीकेशनों में एक्सपर्ट सिस्टम के किसी खास क्षेत्र की जानकारी दूरदर्शी यूजर्स के समूह में भिन्न हो सकती है।

    उत्तम तरीके को पकड़ना ।

    बेकार समय (Down time) कम होना।

    विषम वातावरण में भी कार्य करना।

    • विश्वसनीयता ।

    उत्पादन अधिक होना।

    • छोटे क्षेत्रों में भी विषम समस्याएँ सुलझाना।

    एक्सपर्ट सिस्टम के लाभ व सीमाएँ

    • अधूरी व अस्थायी जानकारी के साथ कार्य करना ।

    • क्वालिटी या किस्म में सुधार।

    • कर्म खर्च वाली मशीनों का प्रयोग ।

    उत्तर जल्दी देना व समस्या जल्दी सुलझाना।

    एक्सपर्ट सिस्टम के लाभ :

    • कम लागत ।

    • मशीनों की मरम्मत।

    एक्सपर्ट सिस्टम की सीमाएँ :

    • ES सिर्फ छोटे क्षेत्रों में अच्छी तरह कार्य करता है।

    • जानकारी हमेशा उपलब्ध नहीं होती।

    • मानवों से एक्सपर्ट निकलना कठिन होता है।

    • हर एक्सपर्ट की स्थिति में एप्रोच अलग हो सकती है, पर सही होगी।

    • अधिकतर एक्सपर्टों के पास चैक करने का कोई स्वतंत्र तरीका नहीं होता।

    एक्सपर्ट द्वारा शब्दों का प्रयोग बहुत सीमित होता है जिसका प्रयोग वे तथ्य और संबंध बताने के लिए करते हैं।

    • अधिकतर नॉलेज इंजीनियरों से सहायता की आवश्यकता होती है जो मुश्किल से मिलती है व मँहगी भी होती है।

    डिपमीटर’ एडवाइजर तेल ढूँढ़ते समय इकट्ठे किए गए डाटा का विश्लेषण करता है।

    ‘माइसिन’ खून की बीमारी का पता लगाकर ऐन्टिबायोटिक्स का सुझाव देता है (स्टेन्फोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा)

    • ‘CADUCEUS’ (एक्सपर्ट सिस्टम) खून में बैक्टीरिया के बारे में जानकारी देता है।

    • R1 (एक्सपर्ट सिस्टम) Xcon ऑर्डर प्रोसेसिंग । • जैस (Jess) : एक CLIPS इंजन जो जावा में इम्प्लीमेंट हुआ है।

    नैक्सपर्ट प्रारम्भिक साधारण कार्यों के लिए व्यापारिक बैकवर्ड चेनिंग उत्पाद ।

    • SHINE रियल टाइम एक्सपर्ट सिस्टम-स्पेसक्राफ्ट हैल्थ इनफेरेंस इंजन ।

    एक्सपर्ट सिस्टम के उदाहरण

    • ‘डेंड्राल’ मास स्पैक्ट्रा का विश्लेषण करता है।

  • ES Applications kya hai?

    ES एप्लीकेशन्स (ES Applications)

    एक्सपर्ट सिस्टम का डिजाइन व निमार्ण विभिन्न क्षेत्रों, जैसे लेखा, दवाइयाँ, प्रोसेस- नियंत्रण, उत्पादन, मानव स्रोत आदि में प्रयोग के लिए हुआ है।

    वास्तव में, एक सफल एक्सपर्ट सिस्टम की नींव एक तकनीकी तरीकों के क्रम तथा विकास पर निर्भर है जो तकनीक विशेषज्ञों व संबंधित एक्सपटों द्वारा डिजाइन किया गया है।

    जब कोई कार्पोरेशन किसी एक्सपर्ट सिस्टम को विकसित एवं आरंभ करना शुरू करता है, तब यह स्वयं द्वारा स्रोत इन-सोर्सिंग या आउट सोर्सिंग तकनीक अपनाता है।

    यद्यपि एक्सपर्ट सिस्टम्स ने AI खोज में एक अपनी ही पहचान बना ली है तथापि इनकी एप्लीकेशन सीमित है। एक्सपर्ट सिस्टम अपने जानकारी के क्षेत्र में थोड़ा कमजोर है।

    एक मजेदार उदाहरण- एक रिसर्चर ने अपनी जंग लगी कार एक त्वचा के डॉक्टर को ये कहकर दिखाई जैसे उसे मीजल हो गए हैं। इस प्रकार ये सिस्टम ऐसी गलतियाँ करते हैं जिन्हें मानव आसानी से ढूँढ लेते हैं।

    इसके अलावा यह भी पता चला कि साधारण सब-सिस्टम उसी तरीके का प्रयोग कर रहे हैं जिसका प्रयोग निर्णय लेते समय हम काफी समय से कर रहे हैं। इसलिए कई एक्सपर्ट सिस्टम की तकनीकें अभी भी काफी विषम प्रोग्रामों में पाई जा सकती हैं।

    एक्सपर्ट सिस्टम की सीमाओं का एक बहुत अच्छा उदाहरण तथा प्रदर्शन जो कई लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है- Microsoft Windows ऑपरेटिंग सिस्टम समस्या सुलझाने का सॉफ्टवेयर टॉस्कबार मेन्यू के ‘Help’ सेक्शन में होता है।

    ऐसे तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता मिलना अक्सर कठिन होता है जो ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास में शामिल न हुए हों। Microsoft ने अपना एक्सपर्ट सिस्टम समस्या सुलझाने, सुझाव देने, साधारण गलतियाँ सुधारने जो कि ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रयोग के समय आती हैं, के लिए बनाया व डिजाइन किया है।

    1970 व 1980 के दशक के अन्य एक्सपर्ट सिस्टम जिन्हें आजकल हम AI कहते हैं, कम्प्यूटर खेलों में थे। उदाहरण के लिए, कम्प्यूटर बेसबॉल गेम, अर्ल वीवर बेसबॉल और टोनी ला रूसा बेसबॉल इन गेमों में विस्तृत रूप में खेलों की सिमुलेशन थी जिनमें दो बेसबॉल मैनेजरों की गेम की नीतियाँ भी शामिल थीं।

    जब कोई व्यक्ति ये गेम कम्प्यूटर में खेलता था तो कम्प्यूटर पूछता था कि अर्ल वीवर या टोनी ला रूसा एक्सपर्ट सिस्टम में से किसकी नीतियों का पालन करना है।

    फिर भी कुछ स्थितियों में चुनाव प्राकृतिक सिस्टम द्वारा होता था (जैसे-जब खिलाड़ी भाग रहा हो, तो किस प्रकार से बेस का प्रयोग करना है), इसका निर्णय वीवर या ला रूसा द्वारा प्रदान की गई प्रोबेबिलिटी के आधार पर होता था। आज हम आराम से कहेंगे कि “गेम की कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने प्रतिद्वंद्वी मैनेजर की नीतियाँ प्रदान की हैं।”

  • Knowledge Based Engineering(KBE) kya hai

    जानकारी पर आधारित इंजीनियरिंग (Knowledge Based Engineering)

    KBE कम्प्यूटर एडिड डिजाइन (CAD) में प्रयुक्त होने वाला अनुशासन है तथा नॉलेज बेस्ड सिस्टम्स की उनके कार्यों के अनुसार कई परिभाषाएँ हैं। पहला सपोर्ट उपकरण उत्पाद को डिजायन करने हेतु डिजायन इंजीनियर ने प्रयोग किया था। KBE प्रोटोटाइपों की सफलता बहुत थी तथा इसके फलस्वरूप KBE को डिजाइन का एक अच्छा माध्यम माना गया जिसमें मानव का हस्तक्षेप बहुत कम था।

    KBE के कार्य उत्पाद जीवन-चक्र प्रबंध व बहु-अनुशासित डिजाइन से संबंध रखते हैं तथा इसका काफी विस्तार है। इसमें डिजाइन, विश्लेषण (कम्प्यूटर एडिड इंजीनियरिंग CAE) उत्पादन, तथा सपोर्ट आते हैं। इसमें KBE एक बहु-अनुशासित रोल अदा करता है जो कि बहुत-सी कम्प्यूटर एडिड तकनीकों (CAX) से संबंध रखता है।

    KBE की साधारणतः अधिक ओवरटोन है। एक प्रमुख रोल जानकारी प्रबंध व डिजाइन आटोमेशन के बीच पुल बाँधना है। जानकारी को प्रोसेस करना एक आधुनिक सफलता है। इसने इंजीनियरिंग में एक सफल रोल अदा किया है तथा इसमें अभी बदलाव हो रहे हैं। KBE का एक उदाहरण मैकेनिकल डिजाइन है तथा अन्य भी हैं। KBE कम्प्यूटर ऐप्लिकेशनों का आधुनिकरूप है जो CAX को सपोर्ट करता है (कुछ फार्म में व्यक्तियों के लिए बहुत कम्प्यूटिंग फ्लेवर होता है)।

    KBE तथा CAX

    CAX बहुत-सी सीमाओं को तोड़कर PLM के लिए आवाज का आधार प्रदान करता है। एक तरह से CAX एक विज्ञान है बहुत सारे इंजीनियरिंग तथा उसके संबंधित क्षेत्र के अनुशासनों में प्रयुक्त होता है। पदार्थ विज्ञान का ख्याल मन में आता है। KBE का CAX सपोर्ट कुछ-कुछ PLM के सपोर्ट से मिलता-जुलता है, परन्तु आगे-आगे ये अंतर बड़े होते जायेंगे।

    CAX लेबल पर KBE का फ्लेवर एक शक्तिशाली व्यावहारिक फ्लेवर है। ऑब्जेक्ट ओरियेन्टिड को ध्यान में रखकर, ऐन्टिटी का प्रयोग बहुत प्राकृतिक है और बिल्कुल बेकार नहीं है। एक वेण्डर की अप्रोच वर्कबेंच के द्वारा स्ट्रीब्यूट तथा मेथड को उप भागों में (ऑब्जेक्ट) अथवा उपभागों को मिलाकर एक भाग में एम्बेड (embed) करने का साधन प्रदान करती है।

    औसत रूप में एक व्यक्ति के कार्य से इवेंट उत्पन्न होते हैं। इस तथ्य से एक समस्या का जन्म होता है जो कि नॉन-डिटरमिनिस्टिक मिक्सचर का नियंत्रण है। निर्णय लेने की यह विशेषता और ज्यादा गहरी होती जाती है जब हम KBE सिस्टम के सब- लेबल तथा PLM के विस्तार की बात करते हैं।

    KBE तथा जानकारी प्रबंधन (KBE and knowledge Management)

    KBE जानकारी प्रबंधन से संबंधित है जिसके अपने काफी लेवल हैं। इसकी कुछ एप्रोच कम हो सकती है क्योंकि वह जानकारी मॉडलिंग को प्रोग्रामिंग का आधार देती है। परन्तु KBE संरचना तथा व्यवहार दोनों में कुछ विषम है। इसलिए इसका प्रयोग कुछ स्थितियों में सीमित हो सकता है। कॉम्पलेक्सिटी थ्योरी के लिंक को ध्यान में रखें।

    जानकारी के लिए KBE अत्यंत मजेदार विषय है क्योंकि इसमें कई परतें हैं जो गणित पर आधारित हैं। व्यक्ति को सिर्फ ‘असली संसार’ में KBE की प्रोसेस के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर कम्प्यूटेशनल तकनीकों का प्रयोग करना है। निष्कर्ष के रूप में KBE विज्ञान और इंजीनियरिंग का वह भाग है जो कभी अपना मजेदार अस्तित्व नहीं खो सकता।

    KBE कार्यप्रणाली (KBE Methodology)

    KBE ऐप्लिकेशनों के विकास में उन्हें ढूँढ़ना, समझना, पकड़ना, संरचना देना तथा अंत में इंप्लीमेन्ट करना शामिल है। कई KBE प्लेटफार्म सिर्फ इंपलीमेंट को सपोर्ट करते हैं, जो कि सिर्फ एक ही समस्या नहीं है। विकास करने और उसे बनाए रखने में सही कार्यप्रणाली पर निर्भर रहना अत्यन्त आवश्यक है। उदाहरण के लिए, EV प्रोजेक्ट MOKA मेथडॉलॉजी और टूल ओरिएन्टिड नॉलेज बेस्ड ऐप्लिकेशन का प्रयोग समस्याओं को हल करने, ऐप्लिकेशनों को सही संरचना देने व इम्प्लीमेन्ट करने में करता है।

    KBE की भाषाएं (Languages For KBE)

    KBE कम्प्लीमेन्टेशन के विषय में कुछ प्रश्न हो सकते हैं। क्या हम बिना विक्रेता को ध्यान में रखे जानकारी को दर्शा सकते हैं ? क्या हम दसियों साल तक जानकारी को अपने डिजाइनों में बचाकर रख सकते हैं, जब विक्रेता सिस्टम खत्म हो जाएगा? ये प्रश्न 2005 के एरोस्पेस COE प्रेजेन्टेशन, ‘अ प्रपोजल फॉर CATIA V6’ में लॉकहीड मार्टिन के वॉल्टर विल्सन ने उठाये थे।

    श्री विल्सन ने डाटा को डिजाइन करने की एक खास प्रकार की प्रोग्रामिंग भाषा का जिक्र किया- एक फाइल के फॉरमैट

    की बजाय ऑपरेशन, पैरामीटर, फॉरमूला इत्यादि का प्रयोग हो। कोई डाटा सिर्फ एक CAD सिस्टम से ही बन्धित नहीं होगा।

    STEP की तरह जो सिर्फ व्यापारिक CAD सिस्टमों को सपोर्ट करती है, प्रोग्रामिंग द्वारा नए डिजाइन तैयार किए जाएंगे।

    अपनी सरलता एवं विस्तार के कारण इंजीनियरिंग डिजाइन हेतु एक लॉजिक प्रोग्रामिंग भाषा का सुझाव रखा गया। इसकी ज्यामिती की विशेषताएँ इंजीनियरों को ऐल्गोरिद्म पर नियंत्रण रखने तथा डाटा को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहायक होंगी।

    KBE का भविष्य (KBE Future)

    KBE एक बहु-अनुशासित फ्रेमवर्क है जिसमें अधिक क्रियात्मक विचार हैं। इसमें KBE सिर्फ कम्प्यूटेशनल समस्याएँ ही नहीं (ऑन्टोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऐन्ट्सकैडन्गस प्रोब्लम, इंटरैक्टिव कम्प्यूटेशन, कैटेगरी थ्योरी….) बल्कि लॉजिक (रैमिफिकेशन, फ्रेम व क्वालिफिकेशन से जुड़ी समस्याएँ) सभी विज्ञान व इसमें बदलाव तथा इससे संबंधित निर्णयों में भी सहायक होगी। मानव संसार और कम्प्यूटेशनल संसार में तालमेल स्थापित करने के लिए इससे बेहतर कौन-सा फ्रेमवर्क होगा?

    कार्य प्रणालियों व इनसे संबंधित माध्यमों से KBE बहुत सारे विभिन्न पैराडिम्स् को सपोर्ट करती है। यह नीतिबद्ध तरीके से परिभाषित हुई है जिसमें वे उपकरण हैं जो चौड़ाई व गहराई दोनों से युक्त हैं। एक निरंतर चलने वाला उद्देश्य KBE की परिभाषाओं को एक अनुशासन के रूप में ढालना तथा तुलनात्मक मात्राओं का प्रबंधन करना है। एक मुख्य समस्या जो इसको सीमित करती है, वह कम्प्यूटेशनल है। इसका अध्ययन एक बहु-अनुशासित ध्यान व क्वासी ऐम्पिरिकल की समझ से होना आवश्यक है। KBE की जानकारी पर ध्यान देकर, एक अन्य समस्या कम्प्यूटेशनल आधार की जानकारी की सीमा होना है, शायद मानव और मशीन में और आधुनिक प्रकार के इंटरफेस आ जाएं।

  • Intelligent Systems kya hai?

    बुद्धिमान सिस्टम (Intelligent Systems)

    बुद्धिमान सिस्टमों को बनाना व इनकी खोज AI के विज्ञान का एक भाग है।

    यह विज्ञान ऐसा प्रोग्राम या फंक्शन बनाते हैं। जो मानव या जानवरों के समान कुछ कार्य करें। इन्टैलीजेन्ट सिस्टम की खोज मस्तिष्क के कार्यों का वर्णन करती है। AI बुद्धिमान सिस्टम ऐसे कम्प्यूटर प्रोग्राम हैं जिनमें मस्तिष्क के सभी कार्य होते हैं।

    बुद्धिमान सिस्टम ऐक्सप्रेशन का प्रयोग अधूरे बुद्धिमान सिस्टम के लिए होता है; जैसे बुद्धिमान घर या ऐक्सपर्ट सिस्टम के लिए।

    यहाँ हम पूर्ण बुद्धिमान सिस्टम्स के विषय में बात करेंगे। इन सिस्टम्स में अपने वातावरण से जानकारी लेने की क्षमता होती है। इनमें अपने कार्यों व उसके परिणामों को याद रखने की शक्ति होती है।

    इनका एक उद्देश्य होता है तथा यह मेमोरी का परिक्षण करे। अपने अनुभव से सीख सकते हैं कि उद्देश्यों को अच्छी तरह किस प्रकार प्राप्त किया जाए।

    एक पूरे बुद्धिमान सिस्टम में निम्न क्षमताएँ होनी आवश्यक हैं-

    बुद्धिमत्ता इसकी कई परिभाषाएँ प्रयोग में आई है। प्रैक्टिकल कार्यों के लिए हम इसका प्रयोग करते हैं। बुद्धिमत्ता सिस्टम के कार्यों के लेबल को दर्शाती है कि किस प्रकार इसके उद्देश्यों को प्राप्त किया जाए।

    सिस्टम – एक सिस्टम इस संसार का वह भाग है जिसमें सीमित समय व स्थान होता है। एक सिस्टम के विभिन्न भागों में बहुत मजबूत कोरिलेशन होते हैं बजाए बाहरी सिस्टम के भागों के

    सेंस– एक सेंस ऑरगन बुद्धिमान सिस्टम का वह भाग है जो अपने वातावरण से जानकारी प्राप्त करता है। इनकी आवश्यकता सिस्टम को अपने वातावरण को जानने के लिए तथा उसी आधार पर कार्य करने हेतु होती है।

    उद्देश्य यह वह स्थिति है जहाँ सिस्टम पहुँचने का प्रयत्न करते हैं। साधारणतः उद्देश्यों के कई लेवल हो सकते हैं- कुछ मुख्य लेवल तथा कुछ सहायक उद्देश्य।

    विचार- विचार सोच का आधारभूत तत्व है। यह जानकारी का भौतिक रखाव है (इलेक्ट्रॉनिक्स व न्यूरॉन्स में) । मेमोरी में उपस्थित सारे विचार संबंधित होते हैं व एक जाल बनाते हैं।

    स्थिति एक स्थिति विचारों का क्रम है जो बुद्धिमान सिस्टम प्रयोग करते हैं। इसका प्रयोग अपने सेंस द्वारा वातावरण से निकाली गई जानकारी बताने के लिये किया जाता है।

    क्रियात्मक नियम- यह अनुभव व मेमोरी को देखने का परिणाम है। यह वह भौतिक स्थान है जिसे एक स्थिति व उसके कार्य को रखने के लिए बुद्धिमान सिस्टम प्रयोग में लाते हैं। मेमोरी- यह विचारों व क्रियात्मक नियमों को स्टोर करती है। इसमें बुद्धिमान सिस्टम के अनुभव शामिल है।

    लर्निंग या सीखना यह बुद्धिमान सिस्टम की सबसे मुख्य क्षमता है। यह कांकरेंट सेंस जानकारी द्वारा विचार सीखता है। यह अनुभव द्वारा क्रियात्मक नियम से सीखता है एक विशेष स्थिति में कार्य एक वैल्यू स्टोर करता है।

    एक क्रियात्मक नियम की उच्च वैल्यू एक उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु है। इसमें उदाहरणों पर आधारित विचार शामिल हैं।

    इसमें लर्निंग के संयुक्त विचार होते हैं इन विचारों में ऑब्जेक्ट के भाग भी होते हैं। लर्निंग अभिज्ञान भी है अथवा स्थिति के क्रियात्मक नियम व भावी स्थिति के परिणामों के बीच संबंध होती है।

    मानव व जानवर बुद्धिमान सिस्टम हैं। आजकल AI सिस्टम बनाने में खोज बढ़ रही है। ये अपनी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत होते हैं कि अस्थायी वातावरण व स्थितियों में सिस्टम कैसे कार्य करता है।

    यह एक उच्च बार है जो केवल जैविक सिस्टमों में ही होता है। उदाहरणार्थ, एक फ्रिज बुद्धिमान सिस्टम नहीं है क्योंकि यह सीख नहीं सकता।

  • Robot kya hai?

    रोबोट (Robot)

    “ रोबोट एक प्रत्यक्ष स्वचालित यन्त्र है जो मानव के अनुरूप बुद्धिमान तथा आज्ञाकारी परन्तु अवैयक्तिक मशीन है। ‘

    शब्द रोबोट robota शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ “forced labour” (बलपूर्वक कार्य कराना) होता है।

    बहुत सारे रोबोट्स को अपने पूरे मिशन हेतु स्यूमन ऑपरेटर्स अथवा महत्वपूर्ण निर्देशों की आवश्यकता होती है।

    तथापि हाल ही में रोबोट्स ने अपने कार्यों में कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल करना आरंभ कर दिया है तथा वे धीरे-धीरे ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्र होते जा रहे हैं।

    व्यवहार आधारित रोबॉटिक्स |

    कॉग्निटिव रोबॉटिक्स

    साइबर नेटिक्स।

    डवलपमेंटल रोबॉटिक्स।

    > इवोल्यूशनरी रोबॉटिक्स

    हाइब्रिड बुद्धिमान सिस्टम

    बुद्धिमान एजेंट।

    बुद्धिमान नियंत्रण |

    लिटिगेशन।

    कृत्रिम जिंदगी।

    ऑटोमेटिड रीजनिंग।

    ऑटोमेशन।

    जाव-विज्ञान से प्राप्त कम्प्यूटिंगा

    कौलोकिस ।

    कान्सेप्ट माइनिंग |

    डाटा माइनिंग |

    जानकारी-वर्णन |

    सिमेंटिक वेब।

    • ई-मेल स्पैम फिल्टरिंग

  • Rototics kya hai?

    रोबॉटिक्स (Rototics)

    रोबॉटिक्स का मुख्य पहलू मोबिलिटी (mobility) है।

    उदाहरणस्वरूप एक मैकेनिकल डिवाइस को कैसे नियंत्रित किया जाता है कि वह योजना स्वरूप अपने भागों को मूव करें अथवा कार्य करें।

    यह कार्य वर्चुअल सिमूलेशन द्वारा कार्य को सीखकर तथा फिर उसे वास्तविक रोबोट पर लागू कर किया जाता है।

    अगर ट्रेनिंग के दौरान सभी विशिष्ट स्थितियों को परिभाषित किया जाता है तो वह वास्तविक दुनिया में अच्छी तरह काम कर सकता है।

    वास्तविकता में जब रोबॉटिक्स की arms को मूव करते हैं तो उसमें कुछ मूवमेन्ट्स की संभावनायें होती है। Shoulder दो axis के अनुरूप रोटेशन्स (rotations) की अनुमति देता है तथा elbow दो मूल रोटेशन्स की अनुमति देती है।

    इस प्रत्येक संभावना को One degree of freedom कहते हैं। सामान्यतः एक DOF को मूवमेन्ट प्रदान करने के लिये एक कन्ट्रोलर असाइन किया जाता है।

    हाथ (hand) का कार्य कन्ट्रोलर्स के आप्टीकल संयोजन को सीखना होता है जहाँ पर वे एक कार्य को करने के लिये सफलतापूर्वक मिलकर काम करते हैं।

    अधिकतर कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग रोबोटिक्स का निर्माण करने के लिये होता है। रोबोटिक्स कम्प्यूटर विज्ञान और इंजिनियरिंग का एक क्षेत्र है जो रोबोट्स (ऐसे डिवाइस जो मूव कर सकते हैं तथा sensory इनपुट पर प्रतिक्रिया देते हैं) के निर्माण से संबंधित है।

    अधिकतर न्यूट्रल नेटवर्किंग, प्राकृतिक भाषा प्रोसेसिंग, image recognition, speech recognition/synthesis रिसर्च का उद्देश्य सारी टेक्नोलॉजी को मिलाकर रोबॉटिक्स में डालना है जिससे एक पूर्णतः मानवी रोबोट का निर्माण हो सके।

  • AI Applications kya hai?

    AI ऐप्लिकेशन्स (AI Applications)

    ऐसी समस्याएँ जिनमें AI मेथडों का प्रयोग होता है-

    कम्प्यूटर विजन, वर्चुअल रियल्टी, इमेज प्रोसेसिंग । डायग्नोसिस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता)

    गेम थ्योरी व नैतिक निर्णय लेना

    गेम AI तथा कम्प्यूटर गेम बोट।

    प्राकृतिक भाषा पर प्रोसेसिंग, अनुवाद व चैटरबोट्स

    नॉन-लीनियर नियंत्रण व रोबॉटिक्स।

    पैटर्न की पहचान करना।

    ऑप्टीकल अक्षरों को पहचानना ।

    हस्तलिपि की पहचान ।

    > बोलने की पहचान ।

    फेस या मुख की पहचान ।

    कृत्रिम क्रियात्मकता अन्य क्षेत्र जिनमें AI मेथडों का प्रयोग होता है-

  • Modern AI Methodologies kya hai?

    आधुनिक AI कार्यप्रणालियाँ (Modern AI Methodologies)

    कंस्ट्रक्शनिस्ट डिजाइन मेथडॉलोजी (CDM या कंस्ट्रक्शनिस्ट AD) का उद्भव 2004 में हुआ जिसका प्रयोग कॉग्निटिव रोबोटिक्स के विकास कम्यूनिकेटिव ह्यूमनाइड व विस्तृत Al सिस्टम में किया गया।

    इन सिस्टमों के उत्पादन में ऐसे कई कार्य होते हैं जिनको सावधानीपूर्वक संबंधित करना चाहिए ताकि सिस्टम का व्यवहार अच्छा हो सके। CDM इंटरेटिव डिजाइन स्टैप पर आधारित है

    जो ‘इंटरेक्टिंग मॉड्यूल’ नामक नेटवर्क बनाती है जिसका प्रयोग टाइप स्ट्रोमों में मैसेज भेजने के लिए होता है। CDM का प्रयोग Open Air (ओपन एयर) मैसेज भी प्रदान करता है जो बुद्धिमान सिस्टम के विकास में सहायक है।

    CDM का सबसे पहले प्रयोग ‘माइरेज’ (Mirage) ने किया जो कि व्यक्ति के कमरे को देख सकता था व वहाँ बैठे व्यक्तियों

    से बात कर सकता था। माइरेज को क्रिसटीन आर. पॅरिस्सन ने बनाया जो CDM के उत्पादक व 2004 में कोलंबिया

    विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। इस कार्यप्रणाली का विकास रेकजाविक विश्वविद्यालय में हो रहा है।

    AI भाषा व उपकरण (AI language and tools)

    AI ने प्रोग्रामिंग भाषाओं में कई बदलाव ला दिए हैं। इनमें पहला नाम ‘ऐलेन न्यूवेल एटे अल’ की भाषा का है, लिस्प डायलेक्ट प्लानर, ऐक्टर, वैज्ञानिक समाज का मेटाफोर, उत्पादक सिस्टम तथा नियमों पर आधारित भाषाएँ अन्य हैं।

    प्रोग्रामिंग भाषाओं, जैसे प्रोलांग व लिस्य पर GOFAL TEST खोज होती है। मैटलैब तथा लश में बेजिशन सिस्टम के लिए कई विशेष लाइब्रेरी होती हैं।

    AI खोज अधिक विकास व प्रोटोटाइपिंग पर जोर देती है तथा इसका प्रयोग कमांड-लाइन टेस्टिंग और प्रयोगों में होता है। वास्तविक समय सिस्टमों को विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।

    कई ऐक्सपर्ट सिस्टम संगठित ‘if-then’ स्टेटमेंट के एकत्रीकरण होते हैं, जिन्हें उत्पादन कहते हैं। इसमें स्टोकास्टिक तत्व हो

    सकते हैं जो अत्यंत भिन्नता का उत्पादन कर सकते हैं तथा अस्थायी वातावरण में होने वाली भिन्नता का उत्तर देते हैं।

    सॉफ्टवेयर तत्व आपस में तालमेल रखने के लिए Open AIR का प्रयोग करके बड़ी मात्रा में बुद्धिमान सिस्टम के व्यवहार का उत्पाद करते हैं।

    एक साधारण उदाहरण के रूप में स्पीच पहचानने का सिस्टम है तथा स्पीच सिंथेसाइजर OPENAIR मैसेज का प्रयोग ऐक्सपर्ट सिस्टम से बातचीत करने के लिए करता है, जिससे सिस्टम सुन सकता है तथा हमारे प्रश्नों का उत्तर दे सकता है।

    CORBA पुरानी है परन्तु इसी संरचना की है, जिसका प्रयोग तुलना करने के लिए होता है। परन्तु OPENAIR का उत्पादन विशेषकर AI खोज के लिए ही हुआ था जबकि COBRA एक साधारण भाषा थी। साइक्लोन एक सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म या A1 ऑपरेटिंग सिस्टम (AIOS) है जो बड़े मॉडल AI सिस्टम्स में प्रयोग के लिए कम्यूनिकेटिव मशीन लेबोरेटरीज द्वारा बनाया गया है।

    यह एक ब्लैकबोर्ड सिस्टम को इम्प्लीमेन्ट करता है जो Open AIR मैसेज प्रोटोकाल को सपोर्ट करता है। साइक्लोन अव्यापारिक मामलों के लिए मुफ्त में उपलब्ध है तथा खोज संस्थानों द्वारा कम खर्च में प्रयोग किया जाता है।

    OOA एक हाइब्रिड संरचना है जो एक विशेष इंटर-ऐजेंट कम्यूनिकेशन भाषा पर निर्भर करती है- एक लॉजिक पर आधारित डिक्लेरेटिव भाषा जो हाई-लेबल, विषम कार्यों व प्राकृतिक भाषा के ऐक्सप्रेशन्स के लिए अच्छी है।

    मैसेजिंग ओपन सर्विस इंटरफेस परिभाषा (MOSID) मैसेज भेजने व पाने का माध्यम है। ये वे प्रोग्रामिंग इंटरफेस हैं जिसमें सर्विस ओरिएन्टेड संरचना होती है जो सॉफ्टवेयर को दोबारा बनाने व डिजाइन करने के लिए प्रयोग में आती हैं।