Author: Ram

  • Authentication algorithm A3 kya hai?

    प्रमाणीकरण एल्गोरिद्म A3 (Authentication algorithm A3)

    प्रमाणीकरण प्रक्रिया के दौरान MSC MS को एक रैण्डम संख्या (RAND) चैलेंज करता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

    SIM कार्ड MSC से प्राप्त होने वाले इस RAND तथा इसी में स्टोर की गई एक सुरक्षा key ki का उपयोग इनपुट की तरह करता है।

    दोनों RAND तथा ki सुरक्षा 128 बिट्स लम्बे होते हैं। ki तथा RAND के साथ A3 बिट्स का आउटपुट जिसे सिग्नेचर रेस्पान्स (SRES) कहते हैं उत्पन्न होता है।

    इस SRES को चैलेंज की प्रतिक्रिया के रूप में वापिस MSC को भेजा जाता है। एल्गोरिद्म के समान सैट का उपयोग करके AUC भी एक SRES उत्पन्न करता है।

    MS (SIM) से उत्पन्न SRES तथा AUC द्वारा निर्मित SRES की तुलना की जाती है। दरअसल लक्ष्य यह है कि कोई भी key आकाश के ऊपर सम्पादित ना हो।

    हालांकि अगर SIM तथा AUC द्वारा स्वतन्त्र रूप से गणना की गई SRES वेल्यूज समान है तो ki भी समान होती है। अगर ki समान है तो इसका अर्थ है कि SIM कार्ड प्रमाणित है

    वाइस प्राइवेसी की निर्माण एल्गोरिद्म A8 (The voice privacy key generation algorithm A8)

    किसी भी प्रकार के बीजांक के लिये एक key की आवश्यकता होती है। अगर key रैण्डम है तथा समझने में कठिन है तब बीजांक अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है। GSM सुरक्षित मॉडल में, A8 एल्गोरिद्म key निर्माण एल्गोरिद्म है

    A8 MSC तथा सुरक्षित की (key ) ki से प्राप्त रेण्डम चैलेंज, RAND से सेशन की kc का निर्माण करता है। A8 के लिए इनपुट 128-बिट ki तथा RAND का वही समान सैट होता है जैसा A3 में उपयोग हुआ था।

    A8 एल्गोरिद्म ये इनपुट लेता है तथा 64-बिट का आउटपुट उत्पन्न करता है। keys MS (SIM) के दोनों अंत पर निर्मित होती है। BTS MS से kc को प्राप्त करता है।

    सेशन key, kc बीजांक के लिये तब तक उपयोग की जाती है जब तक MSC MS को दोबारा प्रमाणित करने का निर्णय ना कर ले। इसमें कभी-कभी कई दिन भी लग सकते हैं।

  • GSM/CDMA सुरक्षा विषय (GSM/CDMA Security Issues?

    GSM/CDMA सुरक्षा विषय (GSM/CDMA Security Issues)

    रेडियो मीडियम प्रत्येक व्यक्ति तथा किसी के लिए खुला है। कोई भी जो रेडियो रिसीवर को नियंत्रित कर सकता है वह GSM सिग्नल अथवा डाटा को एक्सेस कर सकता है।

    इसलिए यह आवश्यक तथा महत्वपूर्ण है कि बेतार रेडियो मीडिया के ऊपर संचारन सुरक्षित हो। GS सुरक्षा का पहला चरण प्रमाणीकरण (authentication) होता है।

    यूजर का प्रमाणीकरण यह निश्चित करने के लिये किया जाता है कि यूजर ही वो वास्तविक इंसान है जिस इंसान के होने का वह दावा कर रहा है। प्रमाणीकरण दो कार्यात्मक तत्वों को सम्मिलित करता है ये कार्यात्मक तत्व है- मोबाइल फोन का SIM कार्ड तथा प्रमाणीकरण केन्द्र (AUC)। प्रमाणीकरण एक A3 नाम के एल्गोरिद्म द्वारा किया जाता है।

    प्रमाणीकरण के बाद कोडीकरण (encryption) हेतु एक key उत्पन्न की जाती है। key को उत्पन्न करने के लिये एक A8 नाम के एक एल्गोरिद्म का उपयोग किया जाता है।

    बीजांक प्रक्रिया ( ciphering procedures) तथा फिर गूढ़ लिपि का अर्थ निकालने (deciphering) के लिए AS नाम की एल्गोरिद्म का प्रयोग किया जाता है।

    बीजांकन सिग्नल्स, वाइस तथा डाटा पर किया जाता है। दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है कि GSM में 557 सिग्नल वाइस, डाटा तथा SMS बेतार रेडियो इन्टरफेस पर बीजांक में लिखे जाते हैं।

    सुरक्षा के लिये GSM स्पेसिफिकेशन GSM संघ द्वारा सुरक्षित रूप से डिजाइन किये गये हैं तथा ये सिर्फ हार्डवेयर और साफ्टवेयर के निर्माणकर्ता तथा GSM नेटवर्क के आपरेटर्स को जितनी जानकारी की उन्हें आवश्यकता है उसी के आधार पर वितरित किये जाते हैं।

    स्पेसिफिकेशन्स कभी भी पब्लिक को प्रदर्शित नहीं की जाती है GSM संघ सुरक्षा को गुप्त रखने में विश्वास करता है अर्थात ऐसे एल्गोरिद्म का निर्माण चाहता है जो अगर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ना हो तो तोड़ने में कठिन होते हैं।

  • Wireless Technologies kya hai?

    अन्य बेतार तकनीक (Other Wireless Technologies )

    बेतार तकनीकी से अपेक्षित है कि वह “कहीं पर भी, किसी भी समय” प्रकार की सर्विस प्रदान करेगी। इसकी इस विशेषता ने इसे एक आकर्षित तकनीक बना दिया है।

    इस प्रकार की विशेषता मिलिटरी तथा डिफेन्स क्षेत्रों के लिए महत्त्वपूर्ण होती है तथा इसके साथ ही यह सम्भावित रूप से जीवन को खतरे में डालने वाली एप्लीकेशन्स जैसे परमाणु शक्ति, वायुयान – चालन तथा मेडीकल इमरजेन्सी की एक सीमित क्लास के लिये भी महत्त्वपूर्ण होती है।

    भाग 3 में जिन बेतार सिस्टम्स का विवरण किया गया है उनके अलावा अन्य बेतार सिस्टम्स तथा उनकी सम्बन्धित विशेषतायें इस प्रकार हैं :

    1. सेलुलर सिस्टम नेटवर्क : यह हैण्डहैल्ड डिवाइस के द्वारा डाटा तथा वाइस प्रदान करता है। निरन्तर कवरेज हो सकता है पर यह सिर्फ केन्द्रीय क्षेत्रों तक सीमित होता है। इसकी कुछ सीमाऐं हैं जैसे ज्यादातर डाटा इन्टेंसिव एप्लीकेशन्स के लिये उपलब्ध bandwidth बहुत कम होती है। इस प्रकार के सिस्टम्स के उदाहरण हैं सेलुलर फोन्स तथा पर्सनल डिजीटल एसिसटेंट्स ।

    2. बेतार लोकल एरिया नेटवर्क : ये पारम्परिक LAN है जो बेतार इंटरफेस के साथ विस्तृत किये गये हैं। ये सिर्फ लोकल वातावरण में सीमित रेंज के साथ उपयोग किये जा सकते हैं। इस प्रकार के सिस्टम के उदाहरण हैं- NCR के Wavelan, Motorola ALTAIR, Proxim range LAN 2 Telesystem ARLAN

    3. ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) : ये सिस्टम्स थ्री डामेंशनल पोजीशन, वीलोसिटी तथा टाइम निर्धारित करने में सहायता करते हैं। इसका कवरेज क्षेत्र धरती की पूरी सतह है। ये अभी तक भी हर किसी के वहन करने योग्य नहीं है। GNSS, NAVS TAR तथा GLONASS इस प्रकार के सिस्टम्स के उदाहरण हैं।

    4. सैटेलाइट पर आधारित (PCS) : यह वाइस पेजिंग तथा मैसेजिंग प्रदान करता है। यह धरती पर ज्यादातर किसी भी स्थान को कवर कर सकता है। यह खर्चीला है। Iridium तथा teledisc इसके उदाहरण हैं।

    5. Ricochet : ये सिस्टम्स ऑफिस के बाहर से डेस्कटॉप (डाटा) को अधिक गति, सुरक्षित मोबाइल एक्सेस प्रदान करते हैँ।

    6. होम नेटवर्किंग : ये घर में विभिन्न प्रकार के PCs को जोड़ने के लिये उपयोग किये जाते हैं जिससे वे फाइल्स तथा डिवाइसेज जैसे प्रिन्टर्स को शेयर कर सकें। ये घर के सारे स्थानों को कवर कर सकता है। Netgear phoneline lox, Intel anyPoint, Phoneline Home Network इन प्रकार के सिस्टम्स के कुछ उदाहरण हैं

    7. एड हॉक नेटवर्क : इन नेटवर्क में लोगों का एक समूह संगठित रूप से असीम समय के लिये डाटा शेयर करता है। इसका कवरेज एरिया LAN के बराबर है परन्तु इसकी आधारभूत संरचना निश्चित नहीं है। इनकी रेंज सीमित है। ये नेटवर्क डिफेन्स एप्लीकेशन्स के लिये उपयोग किये जाते हैं।

    8. WPAN (ब्लूटूथ) : इस तकनीक का प्रयोग करके सभी डिजीटल डिवासेज बिना किसी केबिल के जोड़े जा सकते हैं। यह निश्चित नेटवर्क आधारभूत संरचना से दूर एक व्यक्तिगत एड-हॉक ग्रुपिंग प्रदान करता है। इसकी रेंज शोर्ट रेंज रेडियो लिंक के कारण सीमित है। कुछ होम डिवासेज में यह तकनीक होती है।

    9. सेन्सर नेटवर्क : ये नेटवर्क बेतार योग्यताओं के साथ बहुत सारी संख्या में छोटे सेन्सर्स प्रदान करता है। इसका कवरेज क्षेत्र अपेक्षाकृत टेरेन होता है अर्थात् बहुत सीमित रेंज का होता है। ये नेटवर्क डिफेन्स असैनिक एप्लीकेशन्स में उपयोग होते हैं।

  • The Internet Model kya hai?

    इन्टरनेट मॉडल (The Internet Model)

    इन्टरनेट मॉडल एक क्लाइन्ट को बहुत सारे सर्वर्स की सर्विसेज की प्राप्ति को संभव करता है, प्रत्येक सर्वर एक अद्वितीय यूनीफार्म रिसोर्स लोकेटर (URL) से एड्रेस किया जाता है।

    सर्वर पर जो कॉनटेन्ट्स स्टोर होते हैं वे विभिन्न फार्मेट में होते हैं, जबकि HTML विशिष्ट है। HTML कॅनटेन्ट निर्माणकर्त्ता को एक समतल डाक्यूमेन्ट संरचना में सर्विस की उपस्थिति के विवरण हेतु साधन प्रदान करता है।

    अगर जयादा आधुनिक विशेषताओं जैसे प्रोसीजरल लॉजिक की आवश्यकता होती हैं। तो जावास्क्रिप्ट अथवा UB स्क्रिप्ट का उपयोग किया जा सकता है। चित्र यह प्रदर्शित कर रहा है कि किसी प्रकार www क्लाइन्ट वेब सर्वर पर स्टोर होने वाले संसाधन के लिये कैसे रिक्वेस्ट करती है।

    इन्टरनेट पर स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल्स जैसे HTTP तथा ट्रान्समिशन कन्ट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल (TCP/IP) का प्रयोग होता है

    वेब सर्वर पर उपलब्ध होन वाल कन्टेंट स्टेटिक अथवा डायनैमिक हो सकते हैं। स्टेटिक कॅनटेन्ट एक बार बनते हैं तथा प्रायः परिवर्तित नहीं किये जाते अथवा बहुत कम अपडेट किये जाते हैं, उदाहरणस्वरूप एक कम्पनी का प्रस्तुतीकरण (Presentation)।

    डायनैमिक कन्टेंट की आवश्यकता तब होती है जब सर्विस द्वारा प्रदान की गई जानकारी बहुत बार परिवर्तित होती है। उदाहरणस्वरूप समाचार, समय-सारिणी, खाते की जानकारी, शेयर के भाव।

    तकनीक जैसे एक्टिव सर्वर पेज (ASP), कॉमन गेटवे इन्टरफेस (CGI) तथा सर्वलेट्स कॅनटेन्ट्स को डायनैमिकली उत्पन्न होने की अनुमति देते हैं।

    WAP मॉडल की कार्यप्रणाली के चरण : WAP मॉडल की कार्यप्रणाली.

    1. यूजर अपने मोबाइल डिवाइस से विकल्प चुनता है जिसके पास एक URL होता है तथा जिसे बेतार मार्कअप भाषा (WML) के कन्टेंट असाइन होते हैं।

    2. फोन URL रिक्वेस्ट को WAP गेटवे पर फोन नेटवर्क के द्वारा भेजता है तथा इसके लिये वह बाइनेरी एनकोडिट WAP प्रोटोकॉल का उपयोग करता है।

    3. गेटवे इस WAP रिक्वेस्ट को विशिष्ट URL के लिये औपचारिक HTTP रिक्वेस्ट में अनुवादित करता है। तथा इसे इंटरनेट पर भेज देता है।

    4. उपयुक्त वेब सर्वर HTTP रिक्वेस्ट का चयन कर लेता है।

    5. जिस प्रकार सर्वर किसी अन्य रिक्वेस्ट को प्रोसेस करता है उसी प्रकार वह इस रिक्वेस्ट को प्रोसेस करता है। अगर URL एक स्टेटिक WML फाइल को रिफर करता है तो सर्वर उसे डिलीवर कर देता है। अगर CGI स्क्रिप्ट की रिक्वेस्ट होती है तो वह इसे प्रोसेस करता है तथा फिर सामान्य रूप से कॅनटेन्ट रिटर्न कर देता है।

    6. वेब सर्वर HTTP हेडर को WML कनटेन्ट के साथ जोड देता है तथा इसे गेटवे को भेज देता है। 7. WAP गेटवे WML को बाइनेरी रूप में कम्पाइल करता है।

    8. फिर गेटवे WML रेस्पान्स को वापिस फोन को भेज देता है।

    9. फोन WAP प्रोटोकॉल के द्वारा WML को प्राप्त करता है।

    10. माइक्रो-ब्राउजर WML को प्रोसेस करता है तथा स्क्रीन पर कनटेन्ट प्रदर्शित करता है।

  • WAP Programming Model kya hai?

    WAP प्रोग्रामिंग मॉडल (WAP Programming Model)

    यह WAE (WAP एप्लीकेशन वातावरण) लॉजिकल मॉडल तथा इन्टरनेट मॉडल की समझ को सम्मिलित करता है। निम्न भाग दोनों का विवरण देते हैं।

    WAE लॉजिकल मॉडल: WAP एप्लीकेशन वातावरण का प्राथमिक उद्देश्य बेतार स्पेस में सर्विसेज के निर्माण के लिय एक अन्तपरिचालित वातावरण प्रदान करता है।

    यह वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) तकनीक पर आधारित यूजर ऐजन्ट्स, नेटवर्किंग परियोजनायें, कॅन्टेंट फॉर्मेट्स, प्रोग्रामिंग भाषायें तथा शेयर्ड सर्विसेज सम्बन्धित सिस्टम संरचना को कवर करता है।

    कॅनटेंट्स www क्षेत्र में स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल का उपयोग करके तथा बेतार क्षेत्र में ऑप्टीमाइज्ड HTTP जैसे प्रोटोकॉल का उपयोग करके ट्रान्सपोर्ट किये जाते हैं।

    WAE संरचना सभी कॅनटेन्ट्स तथा सर्विसेज को स्टैण्डर्ड वेब सर्वर्स पर होस्ट करने की अनुमति देती है। सभी कॅनटेन्ट्स WWW स्टैण्डर्ड URL का उपयोग करके स्थापित किये जाते हैं।

    एक WAP रिकवेस्ट ब्राउजर (यूजर एजेन्ट) से WAP गेटवे द्वारा जिस प्रकार रूटिड होती है वह चित्र में प्रदर्शित किया गया है।

    गेटवे बेतार लास्ट माइल (GPRS, CDMA, GSM इत्यादि) द्वारा क्लाइन्ट तथा नेटवर्क के मध्य मध्यस्थ का काम करता है। गेटवे मोबाइल यूजर ऐजेन्ट से आने वाले तथा जाने वाले डाटा ट्रान्सफर की एन्कोडिंग तथा डीकोडिंग करता है।

    एन्कोडिंग का उद्देश्य आकाश में प्रसारित होने वाले डाटा की मात्रा को कम करना है। लघुकृत (reduced) डाटा साइज उस कम्प्यूटेशनल पॉवर को कम करता है जो क्लाइन्ट द्वारा उस डाटा को प्रोसेज करने के लिये आवश्यक होती है।

    बहुत सारी स्थितियों में WAP गेटवे TCP/IP नेटवर्क पर विद्यमान (reside) होता है। गेटवे रिक्वेस्ट को प्रोसेज करता है, जावा सर्वलेट्स, J2EE, CGI स्क्रिप्ट अथवा कुछ अन्य सक्रिय प्रक्रियाओं का उपयोग करके सर्वर से कॅनटेन्ट्स प्राप्त करता है।

    डाटा WML (बेतार मार्कअप भाषा) की तरह फार्मेट किया जाता है तथा क्लाइन्ट को रिटर्न किया जाता है। क्लाइन्ट डिवाइस WML की क्लाइन्ट साइड प्रोटोसिंग के लिये embedded WMLScript के साथ लॉजिक को प्रयोग कर सकता है।

    WAP गेटवे / प्रोक्सी एक एन्टीटी है जो बेतार क्षेत्र को इंटरनेट के साथ जोडती है। ध्यान दीजिये कि रिक्वेस्ट जो बेतार क्लाइन्ट द्वारा WAP गेटवे / प्रोक्सी को भेजी जाती है वह बेतार सेरॉन प्रोटोकॉल (WSP) का उपयोग करती है। मूलत: WSP HTTP का बाइनेरी वर्जन है।

  • Networks of WAP kya hai?

    WAP के नेटवर्क (Networks of WAP)

    यद्यपि WAP विभिन्न प्रकार के नेटवर्क से उपयोग किया जा सकता है, फिर भी GPRS तथा 3G नेटवर्क इन एप्लीकेशन्स के लिये ज्यादा उपयुक्त है।

    WAP फोरम के उद्देश्यों के एक भाग के अनुसार, WAP निम्नलिखित नेटवर्क से भी एक्सेस किया जा सकता है पर ये इन्हीं तक सीमित नहीं हैं :

    GSM-900, GSM-1800,

    GSM-1900 CDMA IS-95, CDMA 2000

    WAP के नेटवर्क (Networks of WAP)

    यद्यपि WAP विभिन्न प्रकार के नेटवर्क से उपयोग किया जा सकता है, फिर भी GPRS तथा 3G नेटवर्क इन एप्लीकेशन्स के लिये ज्यादा उपयुक्त है।

    WAP फोरम के उद्देश्यों के एक भाग के अनुसार, WAP निम्नलिखित नेटवर्क से भी एक्सेस किया जा सकता है पर ये इन्हीं तक सीमित नहीं हैं :

    GSM-900, GSM-1800, GSM-1900 CDMA IS-95, CDMA 2000

    • GPRS

    WAP की संरचना

    WAP परतदार संरचना पर आधारित है। WAP प्रोटोकॉल स्टैक OSI नेटवर्क मॉडल के समान है जैसा कि चित्र 11.4 में प्रदर्शित किया है। ये परतें निम्नलिखित को शामिल करती हैं:

    1. बेतार एप्लीकेशन वातावरण (WAE)

    2.बेतार सेशन प्रोटोकॉल (WSP)

    3. बेतार टान्सैक्शनल प्रोटोकॉल (WTP)

    4. बेतार ट्रान्सपोर्ट परत सुरक्षा (WTLS)

    5. बेतार डाटाग्राम परत (WDP)

    WAE के एप्लीकेशन वातावरण में निम्नलिखित सुविधायें प्रदान करने के लिये मल्टीपल घटक शामिल किये गय हैं :

    यूजर एजेन्ट : ब्राउजर अथवा क्लाइन्ट प्रोग्राम |

    बेतार मार्क-अप भाषा : एक HTML के समान lightweight मार्कअप भाषा लेकिन बेतार डिवासेज में प्रयोग के लिये ऑप्टीमाइज की गई है।

    WML स्क्रिप्ट : एक lightweight क्लाइन्ट साइड स्क्रिप्टिंग भाषा जो वेब में जावास्क्रिप्ट के समान है। बेतार टेलीफोनी एप्लीकेशन (WTA) : टेलीफोनी सर्विसेज तथा प्रोग्रामिंग इन्टरफेस।

    WAP पुश संरचना : बिना टर्मिनल की रिकवेस्ट के origin सर्वर्स को टर्मिनल को कॅन्टेन्ट डिलीवरी की अनुमति देने की प्रक्रिया।

    कॅनटेन्ट फार्मेट्स: अच्छी तरह परिभाषित डाटा फार्मेट्स का सैट जिसमें तस्वीरें, फोन बुक रिकार्ड तथा कैलेंडर की जानकारी भी शामिल है

  • Wireless Application Protocol kya hai?

    बेतार एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (Wireless Application Protocol)

    यह एक प्रोटोकॉल है जो वितरित, मोबाइल कम्प्यूटिंग तथा कॉमर्स को सपोर्ट करता है। मोबाइल कम्प्यूटिंग तथा कॉमर्स को बेतार संचारण की बहुत सारी अप्रोच के साथ बेतार जानकारी ट्रान्समिशन विधि की आवश्यकता होती है।

    WAP को मोबाइल फोन्स से इंटरनेट तथा आधुनिक टेलीफोनी सर्विसेज की एक्सेज के लिये डिजाइन किया गया है। यह बहुत सारी कम्पनी तथा संगठन का बहुत सारे विभिन्न ट्रान्सपोर्ट सिस्टम्स का उपयोग करके बेतार तथा मोबाइल वेब एक्सेस के लिये फ्रेमवर्क सैट करने के लिये एक सामान्य प्रयास है।

    यह सुरक्षा प्रक्रिया, ट्रान्जैक्शन ओरिएंटेड प्रोटाकॉल्स तथा एप्लीकेशन सपोर्ट के लिये विभिन्न संचारण परतों को एकीकृत करता है। यह HTTP प्रोटोकॉल के पार एक डाटा धारक सर्विस है।

    यह टेलीफोन नेटवर्क तथा इंटरनेट को टेलीफोनी एप्लीकेशन्स को वेब में एकीकृत करके जोड़ता है तथा यह इस कार्य को अपनी वायरलैस मार्कअप भाषा (WML) तथा स्क्रिप्टिंग भाषा (WML Script) का उपयोग करके करता है।

    WAP को स्पेसीफिकेशन के एक समूह की तरह परिभाषित किया जाता है जो WAP फोरम द्वारा विकसित किया गया है तथा जो निर्माणकर्त्ता को वायरलैस मार्क-अप भाषा (WML) पर निर्मित नेटवर्क एप्लीकेशन का उपयोग करने देता है।

    ये एप्लीकेशन हैण्डहैल्ड डिवाइसेज के लिये डिजाइन की गई होती है। WAP 200 से भी ज्यादा वेन्डर के समर्थन के साथ de- facts स्टैण्डर्ड है। WAP का उपयोग करके, एक मोबाइल यूजर पॉकेट के आकार के डिवाइस से उतनी ही मात्रा में जानकारी एक्सेस कर सकते हैं जितनी वे डेक्सटॉप से कर सकते हैं

    WAP मोबाइल डिवासेज के प्रतिबंधों को उचित सूक्ष्म ग्राहित प्रदान करता है ये प्रतिबंध इस प्रकार हैं :

    की-बोर्ड पर सीमित keys,

    कम bandwidth

    माउस की तरह कोई पॉइंटर डिवाइस नहीं

    छोटा डिस्पले,

    सीमित मेमोरी

  • ब्रॉडकास्ट मैसेजेज तथा पेजिंग kya hai?

    ब्रॉडकास्ट मैसेजेज तथा पेजिंग

    व्यवहारिक रूप से प्रत्येक सेलुलर सिस्टम में ब्रॉडकास्ट क्रियाविधि (Mechanism) के कुछ प्रकार होते हैं।

    यह कई मोबाइल फोन के लिए सूचना वितरण के लिए सीधे प्रयोग किया जा सकता है, सामान्यतः टेलीफोन सिस्टम में उदाहरण ब्रॉडकास्ट सूचना का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग मोबाइल ट्रान्सीवर और बेस स्टेशन के बीच वन-टू-वन संचार (communication) के लिए चैनलों को स्थापित ( set-up) करना है। यह पेजिंग (paging) कहा जाता है।

    पेजिंग की प्रक्रिया का विवरण एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क के लिए कुछ भिन्न है, लेकिन सामान्य रूप से हम एक सीमित संख्या के सेल्स को जानते हैं, जहाँ फोन स्थित होता है। GMS या UMTS सिस्टम में, सेल्स के इस समूह (group) को एक स्थानीय क्षेत्र (Location Area) कहा जाता है या राउटिंग एरिया यदि एक डाटा पैकेट सेशन (session) शामिल है।

    उन सभी सेल्स (cells) को ब्रॉडकास्ट मैसेज भेजकर पेजिंग किया जाता है। पेजिंग मैसेज सूचना के स्थानांतरण (transfer) के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

    यह SMS मैसेज भेजने के लिए CDMA सिस्टम में, पेजर में होता है और UMITS सिस्टम में जहाँ यह पैकेट बेस्ड कनेक्शन में कम डाउनलिंक विलंबता ( Latency) के लिए अनुमति देता है।

  • Direcitonal Antennas kya hai?

    दिशात्मक एंटेना (Direcitonal Antennas )

    यद्यपि मौलिक टू-वे-रेडियो सेल टावर्स सेल्स (cells) के केन्द्रों (centers) पर थे और सर्व-दिशात्मक (omnidirectional) थे, सेलुलर टेलीफोन टावरों जो हेक्सागॉन्स (hexagons) के कोनों पर जहाँ तीन सेल्स (cells) मिलते (converge) हैं, स्थित होता है के साथ एक सेलुलर मैप (नक्शा) पुनः बनाया जा सकता है।

    प्रत्येक टावर में दिशात्मक एंटेना के तीन सेट हैं, जो प्रत्येक सेल (कुल 360 डिग्री) के लिए 120 डिग्री के साथ तीन अलग-अलग दिशाओं में कार्य करते हैं और तीन अलग-अलग सेल्स में अलग-अलग फ्रिक्वेंसी पर प्राप्त करते हैं/संचरित करते हैं।

    यह प्रत्येक सेल (cell) के लिए कम से कम तीन चैनलों (तीनों टावरों से) को प्रदान करता है। चित्र में संख्या, चैनल संख्या है जो हर 3 सेल्स दोहराते हैं। बड़े सेल्स उच्च वॉल्यूम एरिया के लिए छोटे सेल्स में विभाजित किया जा सकता है।

  • Frequency reuse and cluster kya hai?

    फ्रिक्वेंसी रियूज और क्लस्टर

    एक सेलुलर नेटवर्क का प्रमुख विशेषता कवरेज तथा क्षमता (capacity) दोनों में वृद्धि करने के लिए फ्रिक्वेंसी रियूज की सामर्थ्य (ability) है।

    जैसा कि ऊपर वर्णित है, सन्निकट सेल्स (Adjacent cells) को विभिन्न फ्रिक्वेंसी का उपयोग करना चाहिस; लेकिन दो सेल्स जो पर्याप्त दूरी पर एक ही फ्रिक्वेंसी पर काम कर रहे हैं के साथ कोई समस्या नहीं है।

    एलीमेंट्स जो फ्रिक्वेंसी रियूज निर्धारित करते हैं, वे हैं – रियूज दूरी (Distance) तथा रियूज कारक (Factor) । रियूज दूरी, D निम्न रूप में गणना (calculate) की जाती है :

    D = R√3N

    जहाँ R सेल की त्रिज्या है और N प्रति कलस्टर सेलों की संख्या है। सेल्स (cells) त्रिज्या (radius) में 1 km से 30km के रेंज में भिन्न हो सकते हैं। सेल्स की सीमाओं (Boundaries) को भी सन्निकट सेल्स के बीच ओवरलैप कर सकते हैं और बड़े सेल्स छोटे सेल्स में विभाजित किया जा सकता है।

    फ्रिक्वेंसी रियूज फैक्टर वह दर (rate) है, जिस पर एक ही फ्रिक्वेंसी नेटवर्क में प्रयोग किया जा सकता है। यह YK है, जहाँ K सेल्स (cells) की संख्या है, जो एक ही फ्रिक्वेंसी ट्रांसमिशन के लिए उपयोग नहीं कर सकते हैं। फ्रिक्वेंसी रियूज फैक्टर के लिए सामान्य मान (Common Value) 1/3, 1/4/1/7/1/9 और 1/12 (या 3, 4, 7, 9 तथा 12 संकेत पर निर्भर करता है) हैं।

    उसी बेस स्टेशन साइट पर N सेक्टर एंटेना के केस में, प्रत्येक अगले दिशा के साथ, बेस स्टेशन साइट N विभिन्न क्षेत्रों (sectors) में सेवा (serve) कर सकते हैं। N सामान्यतः 3 है।

    N/K का एक रियूज पैटर्न N सैक्टर एंटेना प्रति साइट की बीच फ्रिक्वेंसी में एक आगे विभाजन को प्रदर्शित करता है। कुछ वर्तमान और ऐतिहासिक रियूज पैटर्न 3/7 (उत्तरी अमेरिकी AMPS), 6/4 (मोटोरोला NAMPS), और 3/4 (जीएसएम) हैं। यदि कुल उपलब्ध बैंडविड्थ B है, तो प्रत्येक सेल (cell) केवल B/K के एक बैंडविड्थ के संगत फ्रिक्वेंसी चैनल के एक नंबर का उपयोग कर सकते हैं और प्रत्येक सेक्टर B/NK के एक बैंडविड्थ का उपयोग कर सकते हैं।

    कोड डिवीजन मल्टीपल एक्सेस बेस्ड सिस्टम FDMA के रूप में उसी दर का ट्रांसमिशन प्राप्त करने के लिए एक व्यापक (wider) फ्रिक्वेंसी बैंड का उपयोग करें, लेकिन यह 1 की फ्रिक्वेंसी रियूज कारक का उपयोग करने की क्षमता के द्वारा क्षतिपूर्ति (compensated) दिया है, उदाहरण के लिए 1/1 के एक रियूज पैटर्न का उपयोग करके ।

    दूसरे शब्दों में, सन्निकट (adjacent) बेस स्टेशन साइट्स उसी फ्रिक्वेंसी का उपयोग करते हैं और अलग-अलग बेस स्टेशन तथा यूजर्स कोड ( codes) के द्वारा अलग किये जा रहे हैं न कि फ्रिक्वेंसी से अलग किये जा रहे हैं।

    हालाँकि N1 के रूप में इस उदाहरण में दिखाया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि CDMA सेल (cell) में मात्र एक क्षेत्र (sector) है, बल्कि संपूर्ण सेल बैंडविड्थ भी व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक क्षेत्र (sector) के लिए उपलब्ध है।

    शहर के आकार (size) पर निर्भर करता है कि एक टैक्सी सिस्टम अपने ही शहर में किसी भी फ्रिक्वेंसी को रियूज नहीं कर सके, लेकिन निश्चित रूप से आस-पास के अन्य शहरों में उसी फ्रिक्वेंशी को यूज (use) किया जा सकता है। एक बड़े शहर में, दूसरी ओर, फ्रिक्वेंसी रियूज निश्चित रूप से उपयोग में हो सकता है।

    हाल ही में आर्थोगोनल फ्रिक्वेंसी-डिवीजन मल्टीपल एक्सेस आधारित सिस्टम भी जैसे- LTE सिस्टम 1 के एक फ्रिक्वेंसी – रियूज के साथ तैनात (deployed) किया जा रहा है।

    चूँकि ऐसी सिस्टम्स संकेत (signal) फ्रिक्वेंसी बैंड के पार में प्रसार नहीं करते, इंटर-सेल रिसोर्स मैनेजमंट अलग-अलग सेल साइटों के बीच रिसोर्स के आवंटन (allocation) के समायोजन के लिए और इंटर-सेल हस्तक्षेप (interference) को सीमित (limit ) करने के लिए महत्वपूर्ण है। इंटर-सेल हस्तक्षेप समन्वय (ICIC) के विभिन्न अर्थ हैं, जो पहले ही मानक (standard) में परिभाषित हैं।

    समन्वित (कोऑर्डिनेटेड) शेड्यूलिंग, मल्टी साइट MIMO या मल्टी साइट बीम गठन, इंटर-सेल रेडियो रिसोर्स मैनेजमेंट के लिए अन्य उदाहरण हैं जो भविष्य में मानकीकृत (standardized) हो सकता है।