Computer के चार प्रमुख कार्य- कम्प्यूटर के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं. (1) डाटा का संकलन तथा निवेशन (2) डाटा का संचयन (3) डाटा की संसाधन (प्रक्रिया) (4) प्रक्रिया के बाद परिणाम(सूचना)का निर्गम।
Computer Ke Pramukh kaary
निवेश युक्तियाँ– प्रयोक्ता आँकड़ों को संकलित करते हैं और डाटा पर प्रक्रिया (Data Process) करते हैं। डाटा और निर्देश कम्प्यूटर में जिस यूनिट से प्रविष्ट किये जाते हैं, वह इनपुट यूनिट कहलाती है। इनपुट यूनिट, प्रयोक्ता द्वारा प्रदत्त डाटा और निर्देशों को विद्यत संकेतों में परिवर्तित करके कम्प्यूटर के समझने योग्य बनाती हैं। सामान्यतया Input Device यूनिट में की-बोर्ड प्रयुक्त किया जाता है। इनपुट यूनिट के लिये निम्नलिखित अन्य इनपुट डिवाइसेज भी उपलब्ध रहती हैं.
(1) की-बोर्ड | (7) MICR |
(2) माउस | (8) पंचकार्ड |
(3) स्कैनर | (9) OCR |
(4) टच स्क्रीन | (10) डिजिटल कैमरा |
(5) वाइस स्किनाइजर | (11) OMR |
(6) ग्राफिक टेबलेट | (12) जॉयस्टिक |
(13) ट्रेकबॉल | (14) लाइटपेन. |
इनपुट डिवाइस के रूप में माइक्रोफोन भी प्रयुक्त किये जा सकते हैं जिनसे हम अपनी आवाज कम्प्यूटर में प्रविष्ट करा सकते हैं।
इनपुट यूनिट बाहरी दुनिया के डाटा व निर्देशों को कम्प्यूटर के विभिन्न आन्तरिक भागों में पहुंचाता है। विभिन्न प्रकार की इनपुट डिवाइसेज आती हैं। ये इनपुट डिवाइसेज दो प्रकार की तकनीक लिये हो सकती हैं
(1) ऑन लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में रहते हैं। ये डिवाइसेज कम्प्यूटर के साथ सक्रिय होकर इनपुट का कार्य सम्पन्न करते हैं।
(2) ऑफ लाइन– वे निवेश उपकरण हैं जो डाटा निवेश के समय कम्प्यूटर से सीधे सम्पर्क में नहीं रहते हैं। इनपट उपकरण- कम्प्यूटर को चाहे निर्देश देने हों या फिर उसमें डेटा इनपुट करना हो सभी के लिये हमें इनपुट उपकरणों की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में मुख्य इनपुट उपकरण की-बोर्ड के अलावा भी कई इनपुट डिवाइसों को प्रयोग किया जाता है।
Cpmputer Input Device Names
(1) की-बोर्ड-
यह कम्प्यूटर का प्राइमरी इनपुट उपकरण है। इसके द्वारा करेक्टरों के रूप में टेक्स्ट को इनपुट कर सकते हैं। इस कार्य के लिये इसमें कीज़ होती हैं जिन्हें दबाने पर उससे सम्बन्धित अक्षर स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है। इसे सीपीयू से जोड़ा जाता है। इसका स्टैण्डर्ड ले-आउट इस तरह से होता है।
जब तक पीसी मेंडॉस को ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है तब उपरोक्त वर्णित QWERTY ले-आउट वाला की-बोर्ड ही प्रयोग होता रहा। लेकिन विन्डोज़ के ऑपरेटिंग सिस्टम में बदलने के बाद इसमें कई नयी कीज़ को जोड़ा गया। चूँकि विंडोज का निर्माण माइक्रोसोफ्ट ने किया था। इसलिये की-बोर्ड के नये ले-आउट का डिजाइन भी माइक्रोसॉफ्ट ने ही निर्धारित किया। नये ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रयोग के बाद आज जिस कीबोर्ड को प्रयोग किया जा रहा है।
(2) माउस सिस्टम-
वर्तमान समय में ऑप्टीकल माउस को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जा रहा है। इसमें बाल के स्थान पर लाइट का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग इसलिये भी बढ़ रहा है कि इसमें मेन्टीनेन्स की जरूरत नहीं होती है। प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर यह कार्य करता है। माउस बटनों के हिसाब से दो प्रकारों में उपलब्ध हैं। पहला दो बटन वाला माउस और दूसरा तीन बटन वाला माउस। इन दोनों प्रकार के माउस सिस्टम को हम अपनी आवश्यकतानुसार अलग-अलग साफ्टवेयरों में प्रयोग कर सकते हैं। बटनों के अलावा – इंटरनेट के प्रयोग को सरल बनाने हेतु इसमें एक स्क्रॉल बार को भी जोड़ा गया है जिसे घुमाने पर वेब पेज में आसानी से ऊपर नीचे जाया जा सकता है। कुछ इमेज एडीटिंग सॉफ्टवेयरों में यह स्क्रॉल बार या बटन इमेज को जूम-इन और जूम-आउट करने में भी सक्षम होती है।
(3) स्कैनर-
वर्तमान समय में इस डिवाइस का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके द्वारा हम किसी भी डॉक्यूमेंट को स्कैन करके कम्प्यूटर के अंदर भेज सकते हैं तथा उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार बदलाव करके किसी भी इमेज प्रोसेसिंग प्रोग्राम के साथ प्रयोग कर सकते हैं। स्कैनरों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।
(a) हैंडी स्कैनर– इस श्रेणी के स्कैनरों का प्रयोग काफी छोटी-छोटी फोटोग्राफ या ड्राइंग को स्कैन करने के लिये किया जाता है।
(b) डेस्कटॉप स्कैनर– इस प्रकार के स्कैनरों में हम A-4 साइज के किसी कागज को डालकर स्कैन कर सकते हैं। स्कैन चार भागों में विभाजित होता हैं- स्कैन कार्ड,स्कैनर, केबल एंड कनेक्टर, स्कैनिंग सॉफ्टवेयर। कम्प्यूटर में सर्वप्रथम मदरबोर्ड में स्कैन कार्ड को लगाते हैं
(c) ड्रम स्कैनर– इस स्कैनर को व्यावसायिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। यह सबसे उच्च क्वालिटी की स्कैनिंग करने में सक्षम होता है। ऑफसेट प्रिंटिंग के लिये यह आदर्श स्कैनर होता है। इसमें स्कैनिंग का कार्य फोटो मल्टीप्लाइर ट्यूब के द्वारा होता है। इसके विपरीत डेस्कटॉप स्कैनर जिसे फ्लैट बड स्कैनर कहते हैं में CCD का प्रयोग होता है। ड्रम स्कैनर कागज पर प्रिंट इमेज के अलावा फिल्म को भी स्कैन करने में सक्षम होता है।
(4) टच स्क्रीन-
वर्तमान समय में इस तकनीक का प्रयोग अमेरिका, जापान व यूरोप के देशों में अपनी आवश्यकतानुसार सूचनाओं को देखने के लिये किया जाता है। इस तकनीक के ‘अन्तर्गत मॉनीटर पर एक मीनू आता है, इस मीनू में जब हम अपनी ऊंगली के द्वारा किसी कमांड को छूते हैं तो वह कमांड क्रियान्वित हो जाती है और हम इच्छित सूचना को मॉनीटर पर देख सकते हैं। वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंकों की ATM मशीनों में इसका जमकर प्रयोग हो रहा है।
(5) वाइस स्किग्नाइजर (माइक्रोफोन)-
इस यंत्र के द्वारा हम अपनी आवाज के द्वारा कम्प्यूटर को निर्देश दे सकते हैं, कम्प्यूटर इस यंत्र के द्वारा आवाज को पहचान कर निर्देश ग्रहण करता है और फिर उन निर्देशों को क्रियान्वित करता है। इस समय इस तकनीक का प्रयोग शब्दों को कम्प्यूटर पर टाइप करने में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उपकरण के रूप में माइक का प्रयोग इस कार्य के लिये किया जाता है। इसे कम्प्यूटर की साउंड पोर्ट से जोड़ा जाता है।
(6) लाइट पेन-
इस पेन का प्रयोग बार कोड को पढ़ने में किया जाता है। बार कोड पढ़ने के पश्चात् यह यंत्र कम्प्यूटर के मॉनीटर पर दिखाई देता है। इस प्रकार यह यंत्र बार कोड को कम्प्यूटर में इनपुट करता है। इसके पश्चात् हम इसे मॉनीटर पर देखते हैं।
(7) मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर (MICR)-
इस शब्द का पूरा नाम मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर है। इस यंत्र के द्वारा हम वर्तमान समय में चैक बुक पर प्रिंट किये गये नम्बरों को पढ़कर उनका प्रयोग करते हैं। इसी कारण इस यंत्र का प्रयोग बैंकों के क्लियरिंग हाउस में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
(8) पंच कार्ड-
इस कार्ड के द्वारा कम्प्यूटर के प्रारम्भ में निर्देशों को कम्प्यूटर में फीड किया जाता था। वर्तमान समय में इसका प्रयोग बहुत कम किया जाता है। यह शुरूआती कम्प्यूटरों में निर्देश देने के खूब प्रयोग किया जाता था।
(9) ऑप्टिकल करेक्टर रीडर(OCR)-
इस यंत्र के द्वारा हम पेंसिल से लगे हुये निशान पहचान कर उन्हें कम्प्यूटर में फीड कर सकते हैं। इसका प्रयोग वर्तमान समय में परीक्षाओं के परिणाम जाँचने में किया जाता है। इसका सम्पूर्ण नाम -ऑप्टिकल करेक्टर रीडर है। आजकल डेस्कटॉप स्कैनरों के साथ भी इस तरह के सॉफ्टवेयरों को प्रयोग किया जाता है जो पेज पर प्रिंट अक्षरों को पढ़ सकते हैं।
(10) डिजिटल कैमरा-
यह एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक कैमरा होता है जिसमें फिल्म के स्थान पर एक मेमोरी चिप का प्रयोग होता है। यह प्रकाश के परावर्तन के सीसीडी सेन्सर से इमेज के रूप में कैप्चर करके मेमोरी चिप में स्टोर कर देता है जिसे कम्प्यूटर में खोला जाता है।
(11) ऑप्टीकल मार्क रीडर (OMR)-
यह एक ऐसी डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जाँचती है। इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित प्रकाश को जाँचा जाता है। जहाँ चिन्ह उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी।
(12) जॉयस्टिक-
यह खेल खेलने के काम में आने वाली इनपुट डिवाइस है। जॉयस्टिक के माध्यम से स्क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति को इसके हैंडिल से पकड़ कर चलाया जा सकता है। इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्रायः कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है, क्योंकि यह बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है।
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(13) ट्रैकर बाल-
यह जॉयस्टिक के समान ही कार्य करती है, लेकिन छोटे बच्चों द्वारा अधिकतर प्रयोग में लायी जाती है। इसकी ऊपरी सतह पर एक बाल लगी रहती है जिसका। हिलाने पर स्क्रीन पर उपस्थित आकृति को कर्सर द्वारा चलाया जा सकता है।
(14) डिजीटाइजर टेबलेट या ग्राफिक टेबलेट-
ग्राफिक टेबलेट एक ड्राइंग सतह होती है। इसके ऊपर एक पेन या माउस होता है। ड्राइंग सतह में पतले तारों का जाल होता है जिस पर पेन या माउस को चलाने से संकेत कम्प्यूटर में चले जाते हैं।
(15) ऑप्टीकल बार कोड रीडर (OBR)-
OBR का मुख्य कार्य Vertical Bar का जो कि अलग-अलग डाटा के लिये निश्चित होते हैं, स्कैन करने का होता है। OBR द्वारा माता टैगों को पढ़ा जाता है जो कि शॉपिंग सेन्टर में विभिन्न उत्पादों में, दवाइयों के पैकेट पर तथा लाइब्रेरी की पुस्तकों के आवरण आदि पर छपे रहते हैं। ऑप्टीकल बार कोड रीडर के बारकोड के ऊपर से निकालते हैं तो यह इस पर छिपी हुई सूचना को कम्प्यूटर में प्रविष्ट कर देता है।