हार्ड डिस्क में गोल तथा सपाट (mound and flat) डिस्क का प्रयोग होता है। इस गोल तथा सपाट डिस्क को प्लेटर (platter) कहते है।
इसके दोनों ओर एक विशेष मीडिया पदार्थ का लेप होता है जिसे चुम्बकीय (Magnetic) पेटने के रूप में स्टोर करने के लिए डिजायन किया जाता है।
प्लेटर्स को बीच में एक छेद काटकर चढ़ाया जाता उन्हें पुरो (gundle) पर स्थित तरीके से लगाया जाता है। प्लैटर्स बहुत तेजी से घूमता है
जिसे घरी (spindle) से जुड़े विशेष पुरी मोटर (pindle mitor) द्वारा चलाया जाता है। इसमें विशेष मैग्नेटिक रोडराइट डिवाइस होती है|
जिन्हें हड्स (head) कहते हैं। इन्हें स्लाइडर्स पर रखा जाता है तथा सूचना का रिकॉर्ड करने या रोड करने के लिए प्रयोग किया जाता काम्स (arms) पर रखा जाता है
जो एक link (लिंक) है। यह डिवाइस एक्ट्यूएटर (actuator) कहलाती है। इसमें लॉजिक बोर्ड अन्य भागों की गतिविधि को नियंत्रित (control) करता है
तथा पी०सी० के शेष भाग के साथ कम्यूनिकेट करता है। डिस्क के प्रत्येक प्लैटर को प्रत्येक सतह दस अरब अलग-अलग बिट्स डाटा रख सकती है।
ये बड़े टुकड़ों (chunks) में सुविधा हेतु व्यवस्थित होते हैं तथा सूचना के सहज तथा तेज एक्सेस की अनुमति देते हैं ।
प्रत्येक प्लैटर के दो हेड होते हैं जिनमें से एक प्लैटर के सबसे ऊपर तथा एक इसके सबसे नीचे होता है
इसलिए तीन प्लेटर वाले हार्ड डिस्क में सामान्यतः छ: सतह (surface) तथा छ: हेड होते हैं। प्रत्येक प्लैटर की सूचना सकेन्द्रिक (concentric) वृत्तों (circles) में रिकॉर्ड होतो है।
इन सकेन्द्रिक (concentric) वृत्तों का ट्रैक्स (tracks) कहते हैं । प्रत्येक ट्रैक आग छोटे छोटे टुकड़ों में बंटाना होता है बिनी सेक्टर (sector) कहते हैं।
प्रत्येक सेक्टर में लगभग 512 बाइट सूचना होती है। पूरा डिस्क इसके कम्पोनेन्टस के मिनिएचराइजेशन (miniaturization) तथा पी0 सी0 में हार्ड डिस्क की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण उच्च डिग्री की स्पष्टता के साथ (precision) बनाया जाता है।
डिस्क का मुख्य भाग बाहर की हवा से बचाकर रखा जाता है ताकि प्लैटर्स पर कोई प्रदूषक (contaminants) न रहे तथा रोड राइड हेड्स के नष्ट होने का कारण न बने।
डिस्क को एक्सेस करने का पहला कदम यह पता लगाना है कि डिस्क के किस हिस्से में आवश्यक सूचना को देखा जाये।
उनके मध्य, एप्लीकेशेन, ऑपरेटिंग सिस्टम, सिस्टम वॉयस तथा संभवतः डिस्क का कोई विशेष ड्राइवर सॉफ्टवेयर यह निध प्रेरित करने का कार्य करता है कि डिस्क का कौन सा हिस्सा (part) पढ़ा जाय।
डिस्क पर लोकेशन एक या एक से अधि क translation steps से तब तक गुजरती है, जब तक कि उस ज्यामिती (geometry) द्वारा प्रदर्शित ऐड्स के साथ ड्राइव पर अंतिम रिक्वेस्ट नहीं की जाती है।
ड्राइव की ज्यामिती सामान्यतः सिलिण्डर, हेड्स तथा सेक्टर के संदर्भ में व्यक्त की जाती है, जिन्हें सिस्टम, ड्राइव से पढ़वाना चाहता है।
एडुसिंग के लिए सिलिण्डर, ट्रैक के बराबर होता है। डिस्क ड्राइव इंटरफेस पर डिस्क को सेक्टर का ऐड्स देते हुए पढ़ने के लिए भेजा जाता है।
हार्ड डिस्क का कन्ट्रोल प्रोग्राम पहले यह देखता है कि आग्रह की गयी सूचना पहले से हार्ड डिस्क के अपने आंतरिक बफर (या कैशे) में है या नहीं।
यदि है तो कंट्रोलर इस सूचना को तत्काल ही डिस्क के सतह पर देखे बगैर सप्लाई कर देता है । अधिकतर मामलों में डिस्क ड्राइव पहले से ही घुम रही होती है ।
यदि ऐसा नहीं होता है तो ड्राइव का कंट्रोलर बोई धुरी मोटर को ड्राइव को ऑपरेटिंग गति पर घुमाने के लिए सक्रिय करता है ।
कंट्रोलर बोर्ड एंड्स को इंटरप्रेट करता है जो इसने रोड (read) करने के लिए प्राप्त किया है तथा प्रत्येक आवश्यक अतिरिक्त ट्रान्सलेशन स्टेप्स (translatiojn steps) को निष्पादित करता है
जो ड्राइव के विशेष लक्षण (characteristics) के अकाउण्ट में जाता है । हार्ड डिस्क का लॉजिक प्रोग्राम फिर आग्रह की गयी अंतिम सिलिण्डर संख्या पर देखता है ।
सिलिण्डर संख्या डिस्क को डिस्क के सतह के किस ट्रैक को देखना है यह बताता है।
बोर्ड एक्यूएटर रीड/राइट हेड्स को उपयुक्त ट्रैक की ओर मूव करने का निर्देश देता है। जब हेड्स ठोक पोजीशन में होता है
तब कंट्रोलर उपयुक्त रोड लोकेशन में निर्दिष्ट हेड को सक्रिय (activate) करता है। हेड ट्रैक को पढ़ना (read) शुरू कर उस सेक्टर की तलाश करता है
जिसके लिए उसे कहा गया है। यह डिस्क को उस सेक्टर संख्या तक पहुँचने की प्रतीक्षा करता है तथा पहुँचने पर सेक्टर के विषय वस्तु (contents) को पढ़ता है।
कंट्रोलर बोर्ड हार्ड डिस्क से सूचना के प्रवाह को एक अस्थायी स्टोरेज एरिया (बफर) में समन्वित (combines) करता है।
फिर यह सूचना हार्ड डिस्क इंटरफेस पर सिस्टम मेमोरी को सिस्टम द्वारा डाटा के लिए किये गये आग्रह को संतुष्ट करने के लिए भेजता है।