हार्डडिस्क पर स्टोर की गई सूचना को ट्रैक्स में रिकॉर्ड किया जाता है जो कि सकेंद्रित वृत (concentre circles) होते हैं।
पेड़ के वार्षिक छल्लों की तरह संकेंद्रित वृत्त प्रत्येक प्लैटर को सतह पर स्थित रहता है। ट्रैक्स को संख्या प्रदान की जाती है
जो शून्य (Zero) से आरंभ होती है तथा प्लेटर के बाहरी हिस्से से आरंभ होती हुई और अंदर का और बढ़ती है।
एक आधुनिक हार्डडिस्क में प्रत्येक प्लेटर पर लाखों ट्रैक्स होते हैं। हेड ऐक्यूएटर द्वारा चालित हैड्स को डिस्क के आन्तरिक से बाह्य भाग की और मूव करा कर डाटा भाग किया जाता है।
डाटा को यह व्यवस्था डिस्क के किसी भी भाग तक आसान एक्सेस सुनिश्चित करती है। इसीलिए डिस्क (disks) को रैण्डम एक्सेस स्टोरेज डिवाइस ( random access storage device) कहा जाता है ।
प्रत्येक ट्रैक्स में हजारों बाइट डाटा हो सकते हैं। ट्रैक को डिस्क पर स्टोरेज को सबसे छोटी इकाई (यूनिट) बनाना गलत है
इसके कारण छोटी फाइलें भी ज्यादा स्पेस लगी। इसलिए प्रत्येक ट्रैक को अपेक्षाकृत छोटी इकाइयों में जिन्हें सेक्टर कहा जाता है
में विभक्त कर दिया जाता है। प्रत्येक सेक्टर में 512 वाइट डाटा होता है, साथ-साथ कुछ दर्जन और अतिरिक्त बाइट्स भी सेक्टर में होते हैं
जिनका उपयोग आन्तरिक ड्राइव कन्ट्रोल, त्रुटियों का पता लगाने और उनके सुधार में होता है।