कंप्यूटर आज सबसे अधिक मनोरंजन करने वाले यंत्रों में एक है। यदि शिक्षित वर्ग में वोटिंग करवायी जाए, तो मैं समझती हूँ कि लोगों का बहुमत बोट कंप्यूटर को मनोरंजन के मुख्य साधन के रूप में जाएगा ।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कंप्यूटर आज का एक बड़ा मनोरंजनकर्ता है । मैं तब बिल्कुल चकित रह गया जब मैंन कुछ महीने पहले youtube.com को लॉग किया। वहाँ मुझे वो तमाम गाने और विडियों सुनने को मिले जो मैंने चाहा था
और में यकीन के साथ कह सकता हूँ कि इतना बड़ा म्यूजिकल स्टोर संसार के किसी भी कोने में नहीं होगा । इस सेक्शन में मनोरंजन के अन्य मुख्य क्षेत्रों का वर्णन किया जा रहा है जहाँ कंप्यूटर बिल्कुल जरूरी बन गया है।
1) खेल (Games) – कम्प्यूटर में हम मनोरंजक और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने वाले खेलों का आनंद ले सकते हैं।
2) चलचित्र (Movies) – फिल्म उद्योग में कम्प्यूटर से चलचित्रों में अनेक फाटोग्राफिक प्रभाव, संगीत प्रभाव, एक्शन प्रभाव आदि का उत्पन्न किया जाता है। कम्प्यूटर में मल्टीमीडिया (Multimedia) तकनीक का सुविधा से काल्पनिक दृश्य भी जीवंत से लगते हैं।
आपको याद होगा. पिछले दशक में एक फिल्म ‘जुरासिक पार्क (Jurassik Park)’ आयी थी, जिसमें एक विलुप्त प्रजाति के जीव डायनासोर का फिल्मांकन कम्प्यूटर और मल्टीमीडिया के कुछ सॉफ्टवेयर, जैसे- 3D स्टूडियो मैक्स (3D Studio Max) आदि की मदद से किया गया था।
3) संगीत Music – संगीतकार ( Musicians) एक कम्प्यूटर, जिसे इलेक्ट्रॉनिक सिंथेसाइजर (Electrome Synthesizer) कहते हैं, को काम में लेते हैं। यह आवाज रिकॉर्ड करता है तथा पुरानी धुनों को मेमोरी (Memory) में से देता है। कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न वाद्ययंत्रा की धुन कृत्रिम रूप से तैयार की जा सकती हैं।
4) कला (Art) – कम्प्यूटर के द्वारा हम आकृतियों का विभिन्न रूप आकार तथा रंग आदि दे सकते हैं। चित्रकला जैसे कार्य करने वाले अनेक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कम्प्यूटर में उपलब्ध होते हैं। फोटोशॉप (Photoshop ) इसी प्रकार का एक सॉफ्टवेयर है।
कम्प्यूटर सिम्युलेशन (Computer simulation)
कम्प्यूटर सिम्युलेशन वास्तविक तथा सैद्धांतिक भौतिक प्रणाली (Theoretical Physical System) को डिजाइन करने की एक विद्या है।
सिम्युलेशन के माध्यम से किसी डिजिटल कम्प्यूटर पर मॉडलों का एक्जिक्यूशन किया जा सकता है तथा एक्जिक्यूशन उपरान्त इसके आउटपुट का विश्लेषण भी हो सकता है।
सिम्युलेशन ‘करते हुए सोखने’ के सिद्धान्त को मूर्त रूप देता है। सिम्युलेशन का प्रयोग एक गतिविधि होता है जो उतना ही प्राकृतिक है जितना कोई बच्चा किसी भूमिका को निभाता है।
बच्चे अपने चारों ओर की दुनिया का जैसे अन्य लोगों, जानवरों तथा वस्तुओं के साथ अन्योन्यक्रिया (interaction) सिम्युलेशन के माध्यम से समझते हैं। सिम्युलेशन का प्रयोग प्रायः असैनिक तथा सैनिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में होता है।
यह आमतौर पर तब होता है। जब यह निषेधात्मक रूप से महंगा तथा प्रशिक्षुओं के लिए वास्तविक यंत्रों का प्रयोग करवाना अत्यंत घातक हो। ऐसी परिस्थितियों में वे एक सुरक्षित काल्पनिक वातावरण के बहुमूल्य पाठों को सीखते हैं।
इसका प्रायः एक और लाभ यह है कि इसमें प्रशिक्षण के दौरान होने वाली गलतियों से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है तथा इसमें आपको सीखने की भावना से गलतियाँ करने की छूट होती है।
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