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  • Processors ka vikaas kaise hua?

    माइक्रो कम्प्यूटर या पर्सनल कम्प्यूटर का आधार माइक्रोप्रोसेसर हो है। पुराने दिनों में कम्प्यूटर एक बड़े ट्रक के आकार का होता था तथ्य उनमें प्रयुक्त तार को लम्बाई दिल्ली तथा कालकता के मध्य की दूरी के बराबर हुआ करती थी।

    माइक्रोप्रोसेसर के विकास के साथ ही कम्प्यूटरों के आकार डस्क तथा स्थलों के बराबर हो गये तथा अब तो कम्प्यूटर आपको कलाई घड़ी में भी अन्त:स्थापित (embedded) होने लगे।

    कम्प्यूटरों को अधिक परियल तथा तेज बनाने में माइक्रोप्रोसेस का महत्वपूर्ण योगदान है। यद्यपि आज कई प्रोसेसर निर्माता जैस मोटोरोला, ए.एम.डी. इत्यादि है परन्तु इन्टेल को प्रोसेसर निर्माण में पथप्रदर्शक की संज्ञा दी जाती है

    आज भी यह सर्वोत्तम स्थान पर आसीन है।इण्टेल 4004 (Intel 4004) इण्टेल 4004 विश्व का पहला माइक्रोप्रोसेसर था जिसे सन 1971 में जारी किया गया था। इसमें 2300 ट्राजिस्टर्स लगे थे और इसका उद्देश्य इस कैल्कुलेटर में प्रयोग करना था।

    यह विटा में प्रोसेस करता था, लेकिन इसके निर्देश डाटा 8 बिट सम्बे होते थे। प्रोग्राम और दादा मारी अलग अलग होती थी। इसमें सोलह 4-बिट (या आठ 8 बिट) सामान्य उद्देशीय राजस्टर होते थे। इण्टेल 4004 में 46 निर्देश (nstruction) होते थे।

    1) इण्टेल 4040 (Intel 4040) इण्टेल 4040 इण्टेल 4004 का विस्तारित प्रोसेसर था। इसका प्रयोग मुख्य रूप से गेम्स, परीक्षण, विकास तथा नियंत्रण उपकरण में होता था। 4040 का पैकेज 4004 से दोगुना चौड़ा था। इसमें 4004 के 16 दिनों के मुकाबले 24 पिन थे।

    4040 में 14 इंस्ट्रक्शन जोड़े जाने के अतिरिक्त बड़े (४ लेवल) स्टेक, 8 किलोबाइट प्रोग्राम मेमारी तथा पहले 8 रजिस्टर की shadows सहित इंटरप्ट क्षमताएँ (Interrupt capabilities) था।

    2) इण्टेल 8008 (Intel 8008) – इण्टेल 8008 सबसे पहला 8 बिट का माइक्रोप्रोसेसर था। इसका कोड नाम 1202 था। इस माइक्रोप्रोसेसर को कन्ट्रोल टर्मिनल कॉरपोरेशन (Control Terminal Corporation) के लिये टर्मिनल कन्ट्रोलर में प्रयोग हेतु बनाया गया था।

    8008 इण्टेल के लिये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बदलाव था। इसी के कारण बाद में एक शक्तिशाली 8080 प्रोसेसर का निर्माण संभव हुआ जिसमें 800% इंस्ट्रक्शन सेट थ

    3) इण्टेल 8080 (Intel 8080) – इण्टेल 8080 इण्टेल 800% का उतरवत (successor) था। 8080 में एक 16-बिट ऐड्स बस तथा एक 8 बिट डाटा यस थी। इसमें 8 बिट के सात रजिस्टर (छ: को तीन 16-बिट रजिस्टर के रूप में समायोजित किया जा सकता था)

    मेमोरी के एक 16-बिट स्टैक प्वाइन्टर (जिसने 8008 के आन्तरिक स्टेक का प्रतिस्थापित किया था) तथा 16-बिट प्रोग्राम काउन्टर थे। इसमें 256 आई ओ पारस (I/O ports) थे। अतः इनपुट आउटपुट डिवाइस को संयोजित करने के लिए किसी ऐसिंग स्पेस (addressing space) के आवंटन को आवश्यकता नहीं थी

    जैसा कि मेमारी मैण्ड डिवाइस में आवश्यक था तथा एक पिन थी जिसकी सहायता से स्टैफ अधिकृत मेमारी के अलग बैंक (hank) को अधिकृत कर पाता था। इसके तुरंत बाद ही मोटायला 6800 आया।

    4) इण्टेल 8086 (Intel 8086) – इण्टेल 8086 पुरान आई.बी.एम. पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग हावाला 16 बिट माइक्रोप्रोसेसर था। इण्टल 8086 एक ही रजिस्टर के साथ इण्टल 8080 तथा एपटेल 8085 डिजायन पर आधारित था, परन्तु इसे 10 बिट में विस्तारित किया गया था।

    5) इण्टेल 8088 (Intel 8088) – इण्टेल 8088 16-बिट रजिस्टर तथा 8 बिट डाटा बस के साथ इण्टेन 8086 का हो विकसित रूप था। 8088 आई.बी.एम पर्सनल कम्प्युटर में प्रयोग होने वाला प्रोसेसर था।

    6) इण्टेल 80186 (Intel 80186) – इण्टेल 80186 माइक्रोप्रोसेसर इण्टेल के द्वारा लगभग 1982 में विकसित किया गया था। 80186 इण्टेस 8086 तथा इण्टल 8088 प्रोसस का हुआ रूप था।

    इसमें 16-बिट बाहरी बस (External Bus) चे तथा यह 8 बिट या डाटा बस के साथ इण्टेल 80188 के रूप में भी उपलब्ध था। 80186 तथा 80188 के प्रारम्भिक क्लॉक रेट 6 मेगाहर्ज था।

    ये बहुत सारे कम्प्यूटरों में प्रयोग नहीं किए जाते थे परन्तु इसमें एक उल्लेखनीय अपवाद (exception) माइण्डस्ट (MMindset) था जो उस समय का अत्याधुनिक कम्प्यूटर था। इसका प्रयोग इम्बेडेड (Embedded) प्रोसेसरों की भांति होता था।

    7) इण्टेल 80188 (Intel 80188) – इण्टेल 80188 8 बिट एक्सटर्नल डाटा बस के साथ इण्टेल 80186 का हो वर्जन था। इसमें 16 बिट के बदले एक्सटर्नल डाटा बम का प्रयोग हुआ था। इससे पेरिफेरलूस (peripherals) को जोड़ना सस्ता था।

    8) इण्टेल 80286 (Intel 80286) – इण्टेल 80286 को 286 या 1286 भी कहा जाता है। इस प्रोसेसर को भी इण्टल ने विकसित किया था। 80286 प्रोसेसर में 16 चिट डाटा बस थी तथा मेमोरी मैनेजमेन्ट यूनिट को समाहित करता था

    जो मल्टीटास्किंग को एक सीमित मात्रा को अनुमति देता था। 80286 में सेग्मेन्टेड (segmented) ममारी मैनेजमेन्ट यूनिट थो जबकि बाद के प्रोसेसर में पन्ड (paged) मेमोरी मैनेजमेन्ट यूनिट (Memory Management Unit) थी

    जो खण्डित एम. एम.यू. (MMU) के पीछे जुड़े थे। 80286 प्रोसेसर का प्रयोग आई.बी.एम. पी.सी.ए.टी. (TBM.PCAT) पर्सनल कम्प्यूटरों के साथ होता था।

    9) इण्टेल 80386 (Intel 80386) – इण्टेल 80386 इण्टेल 80286 माइक्रोप्रोसेसर का उत्तरवर्ती (successor) प्रोसेसर था। यह पहला इण्टेल प्रोसेसर था जिसमें 32-बिट डाटा यस तथा ऐड्स बस थी।

    यह चार गीगाबाइट (2032 बाइट) मेमोरी को रिफर (refer) कर सकता था, फिर भी आई.बी.एम. पी.सी. में सामान्य रूप से 16 मेगाबाइट अधिक थी।

    386 में एक से अधिक एप्लिकेशन प्रोग्राम को एक ही समय में (386 विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के अंदर एक्जिक्यूट हो रहे सेफ मोड का प्रयोग कर एक्जिक्यूट होने की अनुमति थी।

    10) इण्टेल 80386SX (Intel 80386SX) – इण्टेल 80386SX इण्टेल 80386 का धीमी गति वाला वर्जन था। इसमें 32-बिट डाटा बस के बजाय 16 बिट डाटा बस का प्रयोग होता था। इसमें 24 बिट का ऐड्स बस थी।

    यह 286 से अधिक तेज या तथा उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि यह पूर्ण आकार 386 (full-size 386) की भाँति विद्यमान डॉस एप्लिकेशन्स को चलाने में अधिक Flexibility प्रदान करता था।

    11) इण्टेल 486 (Intel 486) – इण्टेल 486 को 1486 या APX80486 या इण्टेल DX4 तथा आमतौर पर इसे 486 ही कहा जाता है। यह इण्टेल CISC माइक्रोप्रोसेसर की श्रृंखला में से है

    जो इण्टेल 80×86 परिवार के प्रोसेसर का एक अंश था। 486 प्रोसेसर अपने तत्काल पूर्वयत इण्टेल 80386DX के समान था। इसमें मुख्य अंतर यह था कि 486 में एक ओप्टिमाइज्ड (optimised) इन्स्ट्रक्शन सेट था

    इसमें ऑन-चिप इंटीग्रेटेड इन्स्ट्रक्शन तथा डाटा कैशे (data cache), एक वैकल्पिक ऑन-चिप फ्लोटिंग प्वाइन्ट यूनिट (Floating Point Unit) तथा एक विस्तारित यस इन्टरफेस इकाई था।

    इन सुधार ने समान क्लॉक रेट (clock rate) पर ही इसकी कार्यक्षमता को लगभग दोगुना कर दिया। 486 का उत्तरवर्ती प्रोसेसर पेन्टियम था।

    12) पेण्टियम (Pentium) – पेण्टियम 486 का इण्टेल सुपरस्केलर (superscalar) उत्तरवर्ती (successor) था। इसमें 32-बिट 486 टाइप के निर्भरता जाँच (dependency checking) के साथ इंॉटजर पाइपलाइन्स थे।

    यह एक चक्र (cycle में अधिकतम दो निर्देशों को एक्जिक्यूट कर सकता थी। बल पाइपलाइन्ड फ्लोटिंग प्वाइन्ट करता था तथा शाखा अनुमा (branch prediction) भी सम्पन्न करता था।

    इसमें 16 किलोबाइट ऑन-चिप केश, 64-बिट मेमोरी इंटरफेस, 8 32-बिर समान रजिस्टर तथा 8 80-बिट फ्लोटिंग प्वाइन्ट रजिस्टर थे। इसका क्लॉक रेट (clock rate) 66 मेगाहर्ज, उम विघटन (heat dissipation) 16 W इंटिजर क्षमता 645 SPECin92, फ्लोटिंग प्वाइन्ट क्षमता 56.9 SPECIp92 थी।

    इस पण्टियम इसलिए कहा जाता था क्योंकि यह 80×80 श्रृंखला का पाँचवाँ प्रोसेसर था।

    13) पेण्टियम प्रो (Pentium Pro) – पेण्टियम प्रो इन्टर्नल रिस्क (RISC) आर्किटेक्चर पर आधारित था। यह सिस्क रिस्ट ट्रान्सलेटर (CISC-RISC Translator), त्रि-मार्गोय सुपरस्केलर एक्जिक्यूशन तथा आउट ऑफ ऑर्डर एक्जिक्यूशन (out of order execution) के साथ था।

    इसमें ब्रान्च अनुमान (prediction) रजिस्टर से नेमिंग (Renaming) के फीचर तथा यह सुपरपाइपलाइन्ड था। पेन्टियम प्रो 32 बिट सॉफ्टवेयर को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया था

    तथा इस पर 16 बिट सॉफ्टवेयर की गति मुख पेन्टियम की अपेक्षाकृत धीमी थी। इसका उत्तरवर्ती प्रोसेसर पेण्टियम था।

    14) (पेण्टियम) II (Pentium II) – पेण्टियम II पेण्टियम प्रो (Pentium Pro) का उत्तरवर्ता (sucessor) था। पेण्टियम इण्टेल 800×86 प्रोसेसर परिवार के पहले के सदस्यों के सभी निर्देशों को एक्जिक्यूट कर सकता था।

    इसके चार वर्जन विभिन्न यूज मार्केट को ध्यान में रखकर लाये गये थे। सेलेरॉन (Celeron) उनमें सबसे साधारण तथा सबसे महंगा था। स्टैण्डर्ड पेण्टियम सीधे-सीधे घरों तथा व्यापारिक प्रयोगों के लिए था।

    पेण्टियम । जिलॉन (Xcon) उच्च क्षमता वाले व्यापारिक सर्व के लिए था। पेण्टियम II का एक मोबाइल वर्जन था जो पोर्टेबल कम्प्यूटरों के प्रयोग के लिए था।

    सभी पेण्टियम I प्रोसेसर्स में मल्टीमीडिया विस्तारक (Multimedia Extensions) तथा एकीकृत स्तर एक तथा स्तर दो नियंत्रक (LI and III Cache controllers) थे।

    अतिरिक्त फीचर में अलग से 64 बिट सिस्टम तथा कैशे- बस के साथ डायनामिक एक्जिक्यूशन तथा Dual Independent Bus Architecture थे। पेण्टियम || एक सुपरस्केलर सी.पी.यू. था जिसमें लगभग 7.5 मिलियन ट्रॉजिस्टर थे।

    15) पेण्टियम III (Pentium III) – पेण्टियम III इण्टेल कारपोरेशन के पेण्टियम || का उत्तरवर्ती था। यह 1999 में परिचित हुआ। इसका clock rate 500 मेगाहर्ट्ज़ था।

    पेण्टियम III का आर्किटेक्चर पेण्टियम II के समान था। इसका बाहरी बस 100 या 133 मेगाहर्ट्ज क्लॉक रेट पर चलाया जा सकता था। इसमें 512 किलोबाइट के सैकण्डरी कॅशे बस रह सकते थे यह विभिन्न पैकेजों में जिनमें SECC2 तथा FC-PGA सम्मिलित थे, आ सकता था।

    प्रोसेसरों से सम्बन्धित कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथ्य तालिका 2.2 में प्रस्तुत किये गये है। इस तालिका में प्रोसेसर का वर्ष बस की चौड़ाई, क्लॉक रेट तथा ट्राजिस्टर्स की संख्या प्रदर्शित है।

  • Internet Relay Chat(IRC) kya hai?

    आई. आर. सी. (IRC) Internet Relay Chat

    IRC का पूरा विस्तार है Internet Relay Chat (इन्टरनेट रिले चैट) और इसे मल्टि-यूजर, मल्टि-चैनल चैटिंग प्रणाली के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। IRC (Internet Relay chat) एक परोक्ष मिलन-स्थल है, जहाँ पूरी दुनिया के लोग मिल सकते हैं और बात कर सकते हैं; आपको यहाँ मानवीय रूचियों, विचारों और मुद्दों की पूरी विविधता का दर्शन होगा, और हज़ारों में से एक किसी IRC चैनल पर सामूहिक परिचर्चा में हिस्सा ले सकेंगे, जो सैकड़ों IRC नेटवर्कों पर उपलब्ध होते हैं, या फिर पूरी एकांतिकता में अपने परिवार और दोस्तों से बात-चीत कर सकते हैं, चाहे वे लोग जहाँ संसार में कहीं भी हों।

    Internet Relay Chat

    IRC सर्वाधि क प्रसिद्ध और लोकप्रिय चैट प्रोग्राम होते हैं, जिन्हें प्लेटफॉर्म की पूरी रेंज, जैसे- Windows Mac और Unix मशीनों पर क्रियान्वित किया गया है। Mirc, Pirch, Vire, Ircle और Maclre उपलब्ध IRC’s के कुछ अलग-अलग संस्करण हैं। IRC एक जटिल सिस्टम है जो सैकड़ों लोगों को विषयों के विस्तृत प्रकार पर online चर्चा करने की सुविधा देता है।

    IRC की रचना Jarkko Oikarinen (उपनाम “Wiz”) द्वारा 1988 के अगस्त में, फिनलैंड में OuluBox नामक BBS पर MUT (Multi User talk) नामक प्रोग्राम को प्रतिस्थापित करने के लिए की गई थी। Oikarinen को बिटनेट नेटवर्क पर संचालित बिटनेट रिले चैट (Bitnet Relay Chat ) से प्रेरणा मिली।

    IRC को तब प्रसिद्धि प्राप्त हुई, जब इसका उपयोग 1991 में मीडिया ब्लैकआउट के दौरान सोवियत फौजी तख्ता पलट के प्रयासों की रिपोर्टिंग के लिए किया गया। इसका प्रयोग उसी तरीके से कुवैतियों के द्वारा इराकी आक्रमण के दौरान किया गया। एक बार आप सेट-अप बना लेते हैं, तो IRC पर बात-चीत (Chatting) पूरी तरह निःशुल्क होती है।

    IRC क्लाइन्ट सर्वर मॉडल पर आधारित होता है। आप स्वयं के कम्प्यूटर पर क्लाइन्ट प्रोग्राम, जैसे MIRC संचालित कर सकते हैं, जो आपको इन्टरनेट पर सर्वर कम्प्यूटर से जोड़ता है। फिर ये सर्वर, IRC नेटवर्क बनाने के लिए अन्य बहुत से सर्वरों से संपर्क जोड़ते हैं। इससे संदेशों को एक प्रयोक्ता (क्लाइन्ट) से दूसरे तक पहुँचाने में मदद मिलती है। इसका अर्थ यह है कि पूरी दुनिया के लोग एक दूसरे से लाइव और एक साथ बातचीत कर सकते हैं।

    आपको जिस चीज की आवश्यकता है, वह है इन्टरनेट से कनेक्शन और एक IRC क्लाइन्ट प्रोग्राम, जैसे विण्डोज ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए mIRC, यूनिक्स के लिए ircll और मैकिन्टोश के लिए Ircle.

  • Telnet kya hai? (Concept of Telnet)

    टेलनेट (Telnet)

    टेलनेट का पूरा नाम है टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क (Telecommunication Network) । यह एक संचार प्रोटोकॉल है, जिसका प्रयोग दूरस्थ (remote) होस्ट को निर्देश जारी करने के लिए किया जाता है। यह विण्डोज़ 95, विण्डोज़ 98, विण्डोज़ 2000 तथा विण्डोज़ NT में निर्मित होता है। इसकी इन्टरनेट रिमोट लॉग इन सेवा के रूप में भी चर्चा होती है। जब आप Telnet की मदद से अपने कम्प्यूटर को दूरस्थ कम्प्यूटर से जोड़ते हैं, तो यह आपको ऐसा अनुभव कराता है, जैसे आप अपने लोकल कम्प्यूटर पर ही काम कर रहे हो।

    टेलनेट की अवधारणा (Concept of Telnet)

    रिमोट लॉग इन के लिए इन्टरनेट मानक टेलनेट नाम के एक प्रोटोकॉल में पाया जाता है। इसके विनिर्देश (specification) TCP/ IP दस्तावेज़ीकरण (documentation) का भाग होते हैं। टेलनेट प्रोटोकॉल इस बात का सटीक विवरण देता है कि कैसे एक दूरस्थ लॉग-इन क्लाइन्ट तथा दूरस्थ लॉग-इन सर्वर आपस में संवाद स्थापित करते हैं।

    उदाहरण के लिए, यह मानक इस बात का विवरण देता है कि क्लाइन्ट किस तरह सर्वर से संबंध स्थापित करता है, कैसे क्लाइन्ट सर्वर को संप्रेषण के लिए keystrokes को कूट (encode) करता है तथा कैसे सर्वर क्लाइन्ट को संप्रेषण के लिए output encode करता है ।

    चूँकि, दोनों टेलनेट क्लाइन्ट तथा सर्वर प्रोग्राम एक ही विनिर्देशन का पालन करते हैं, वे संवाद विवरण (communication detail) पर सहमत हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यद्यपि अधिकांश कम्प्यूटर की-बोर्ड की एक कुंजी की व्याख्या चल रहे

    प्रोग्राम को बंद (abort) कर देने के आग्रह के रूप में करते हैं, सभी कम्प्यूटर प्रणालियाँ एक ही कुंजी का उपयोग नहीं करती। कुछ कम्प्यूटर ATTN लेबल वाली एक कुंजी इस्तेमाल करती हैं, जबकि कुछ अन्य DEL लेबल वाली कुँजी का टेलनेट बिट्स (bits) की उस कड़ी (sequence) के बारे में बताता है, जिसका प्रयोग एक प्रयोक्ता abort कुंजी को दर्शाने करने के लिए करता है। जब एक प्रयोक्ता लोकल की-बोर्ड पर abort कुंजी को दबाता है, तो टेलनेट क्लाइन्ट प्रोग्राम कुँजी को विशेष कड़ी (sequence) के रूप में अनुदित कर देता है।

    इस प्रकार टेलनेट प्रयोक्ता को दूरस्थ प्रोग्राम को abort करने के लिए उसी कुंजी को दबाने की अनुमति दे देता है, जिसका प्रयोग वह स्थानीय प्रोग्राम को abort करने के लिए करते हैं, यहाँ तक कि तब भी जब स्थानीय और दूरस्थ कम्प्यूटरों को सामान्यतः अलग-अलग कीज (keys) की आवश्यकता पड़ती है।

  • Remote Login kya hai?

    दूरस्थ लॉग इन (Remote Login)

    इन्टरनेट एक ऐसी रिमोट लॉग इन सेवा उपलब्ध कराता है, जो किसी प्रयोक्ता को दूरस्थ टाइम-शेयरिंग (timesharing) कम्प्यूटर सिस्टम को इस प्रकार अभिगम (access) करने में समर्थ बनाती है, जैसे प्रयोक्ता का की-बोर्ड और मॉनीटर प्रत्यक्षतः दूरस्थ कम्प्यूटर से जुड़े हों। इस सेवा का उपयोग करने के लिए, प्रयोक्ता लोकल कम्प्यूटर पर एक एप्लीकेशन प्रोग्राम को खोलता है और एक दूरस्थ कम्प्यूटर का नाम निर्देशित करता है।

    Remote Login

    लोकल एप्लीकेशन प्रोग्राम एक क्लाइन्ट बन जाता है, जो इन्टरनेट का प्रयोग दूरस्थ कम्प्यूटर से जुड़ने के लिए करता है। एक बार संयोजन (connection) स्थापित हो जाने पर, दूरस्थ कम्प्यूटर प्रयोक्ता को दिखाई देने लगता है और एक लॉग-इन तथा पासवर्ड देने का आग्रह करता है, वैसे ही जैसे यह प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ने वाले टर्मिनल के साथ करता है।

    दूरस्थ लॉग इन कैसे कार्य करता है ? (How Does Remote Login Work ?)

    अन्य इन्टरनेट अनुप्रयोगों की भाँति, रिमोट लॉग इन भी क्लाइन्ट सर्वर प्रतिमान (Paradigm) का अनुसरण करता है। जब स्थानीय कम्प्यूटर से कोई प्रयोक्ता एक दूरस्थ सिस्टम पर लॉग इन करने का निश्चय करता है, तो प्रयोक्ता रिमोट लॉग इन सेवा के लिए एक लॉजिकल एप्लीकेशन प्रोग्राम को कॉल करता है और सम्पर्क हेतु एक दूरस्थ कम्प्यूटर का नाम अंकित करता है।

    अनुप्रयोग (application) एक क्लाइन्ट बन जाता है, जो रिमोट कम्प्यूटर पर इन्टरनेट के द्वारा कनेक्ट करने के लिए TCP/IP का प्रयोग करता है। सर्वर ठीक वही log in prompt भेजता है, जो परंपरागत (conventional) टर्मिनलों के लिए प्रयुक्त होता है।

  • Yahoo kya hai?

    याहू (Yahoo)

    इसका यू.आर.आल. http://www.yahoo.com/ है । यह एक सर्च डायरेक्ट्री है जो श्रेणीबद्ध (hierarchical) तरीके से विषय के आधार पर श्रेणी (category) में व्यवस्थित होता है

    Yahoo

    जिसे ब्राउज किया जा सकता है या खोजा जा सकता है। यह इन्टरनेट का सबसे पहला व्यापक स्तर का डायरेक्ट्री है जो अब एक बड़े पोर्टल (portal) को भी पेश करता है।

    याहू के माध्यम से आप सर्च इसके डायरेक्ट्री के चुनाव के द्वारा भी कर सकते हैं तथा साथ ही इसके सर्च टैक्स्ट बॉक्स में वांछित विषय पर आधारित की-वर्ड के द्वारा भी सम्बन्धित सूचना एकत्र कर सकते हैं।

  • Firefox kya hai?

    फॉयरफॉक्स (Firefox)

    फायरफॉक्स एक दूसरा ब्राउजर है जिसे इसके कुछ खास फीचर के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। फायरफॉक्स एक फ्रीवेयर है तथा इसे इसके वेबसाइट www.mozilla.com से डाउनलोड किया जा सकता है।

    Firefox

    फायरफॉक्स तेज, सुरक्षित तथा प्रयोक्ता के ऑनलाइन आवश्यकताओं के अनुरूप कस्टमाइज किया जाने योग्य है।

    इस ब्राउजर के फीचर केवल उन लोगों की सहायता नेट दुनिया को ढूँढ़ने में नहीं करता जो स्वस्थ्य हैं बल्कि यह वैसे लोगों के लिए भी सहायक है जिन्हें दृष्टि दोष है अथवा अंधे या फिर जिनके अंदर कुछ अन्य शारीरिक अक्षमताऐं हैं।

  • Netscape Navigator kya hai?

    नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)

    नेटस्केप नेविगेटर का पहला संस्करण 1994 ई. में बाजार में आया। यह उस समय तक का तथा आज भी सबसे तेज तथा सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला वेब ब्राउजर है।

    Netscape Navigator

    यह ब्राउजर कई संस्करणों में तथा विभिन्न प्लेटफॉर्म जैसे- यूनिक्स, विण्डोज तथा मैकिनटॉश के लिए उपलब्ध है। इसमें ई-मेल तथा न्यूजग्रुप की सुविधाएँ इन-बिल्ट (in-built) है। यह नेटस्केप कम्यूनिकेशन्स कॉरपोरेशन (Netscape Communications Corporation) का एक उत्पाद है।

    नेटस्केप नेविगेटर को प्रारम्भ करने के लिए डेस्कटॉप पर नेविगेटर आइकन को दो बार क्लिक करें। परन्तु, यह इंटरनेट इक्स्प्लोरर की तरह विण्डोज के साथ स्वतः नहीं आता। इसे नेटस्केप कम्यूनिकेशन्स कॉरपोरेशन की साइट www.netscape.com से डाउनलोड किया जा सकता है।

  • Microsoft Internet Explorer kya hai?

    माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट इक्सप्लोरर (Microsoft Internet Explorer)

    यह ब्राउजर एन. सी. एस. ए. मॉजैक (NCSA Mosaic) पर आधारित है तथा स्पाइग्लास लिमिटेड (Spyglass Ltd.) के साथ मिलकर वितरित किया जाता है। यह एक शेयरवेयर (Shareware) है तथा इसे इन्टरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है। यह विण्डोज के विभिन्न उत्पादों के साथ भी उपलब्ध होता है।

    Microsoft Internet Explorer

    इंटरनेट इक्सप्लोरर ऐसा ब्राउजर है जो अपेक्षाकृत आसानी से प्राप्त हो जाता है क्योंकि विण्डोज परिचालन तंत्र के लोड होने के साथ ही स्वत: उपलब्ध हो जाता है तथा इसका प्रयोग कर इंटरनेट की विभिन्न सुविधाओं का भरपूर उपयोग किया जा सकता है। इंटरनेट इक्सप्लोरर के माध्यम से सूचना को संगृहीत भी किया जा सकता है।

  • Domain Name System kya hai?

    डोमेन नाम प्रणाली (Domain Name System)

    किसी अस्तित्व (entity) की पहचान करने के लिए, TCP/IP प्रोटोकॉल IP पते का प्रयोग करते हैं, जो अनोखे ढंग से (uniquely) इन्टरनेट से एक होस्ट के संयोजन की पहचान करता है। यद्यपि लोग पते के स्थान पर नाम का प्रयोग करना अधि क पसंद करते हैं, इसलिए हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता होती है जो एक नाम को एक पते के साथ तथा पते को नाम के साथ सुव्यवस्थित कर सके। TCP/IP में, यह डोमेन नाम प्रणाली (Domain Name System (DNS)) कहलाती है। DNS एक ऐसा प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग भिन्न-भिन्न प्लेटफॉर्म पर कर सकते हैं। इन्टरनेट में, एक डोमेन नाम जो पूर्ण विराम (.) के साथ समाप्त होता है, पूर्ण क्वालिफाइड डोमेन नेम (Fully Qualified Domain Name) कहा जाता है। डोमेन नाम (वृक्ष) को मुख्य रूप से दो भिन्न खण्डों व्यापक (Generic) डॉमेन और राष्ट्रीय (Country) डॉमेन में बाँट सकते हैं।

    व्यापक (Generic) डॉमेन, होस्ट को उनके सामान्य व्यवहार के आधार पर निबंधित करते हैं। वृक्ष तंत्र (Tree) का प्रत्येक नोड एक डॉमेन को परिभाषित करता है, जो डॉमेन नाम डेटाबेस (Domain Name Database) का सूचक होता है। इस वृक्षतंत्र पर दृष्टि डालते हुए, हम पाते हैं कि व्यापक डॉमेन खंड (Generic Domain System) का पहला स्तर, सात संभव डोमेन लेबल (Domain Labels) को उनके तीन अक्षर के संक्षिप्त रूपों के साथ अनुमति प्रदान करता है।

    .com -वाणिज्यिक संगठनों को समर्पित (dedicated) है।

    .edu -जो शैक्षिक संस्थानों को समर्पित है।

    .mil -जो सैन्य संगठनों को समर्पित है

    .gov -जो सरकारी संस्थानों को समर्पित है।

    .org -जो संगठनों को समर्पित है।

    . Int-जो अर्न्तराष्ट्रीय संगठनों को समर्पित है।

    .net -जो नेटवर्क सपोर्ट केन्द्रों को समर्पित है।

    राष्ट्रीय डॉमेन (Country Domains)

    ये भी व्यापक (Generic) डॉमेन की भाँति उसी फॉरमेट पर अमल करते हैं, पर ये डॉमेन दो अक्षर वाले राष्ट्रीय नामों के संक्षिप्त रूप (Country abbreviations) उदाहरण के लिए “US” for united states) का प्रयोग करते हैं। यह प्रथम स्तर की भाँति तीन अक्षर वाले संगठनों के संक्षिप्त नामों को व्यक्त नहीं करते हैं।

    दूसरे स्तर के लेबल सांगठनिक या आधक निश्चित और सुस्पष्ट, राष्ट्रीय नाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य (United States) “us” के उप-प्रभाग के रूप में राज्यों के संक्षिप्त नामों (उदाहरण – ca. us.) का प्रयोग करता है।

  • Personal computer ka vikaas kram kya hai?

    पर्सनल कम्प्यूटर का विकास संभवत: पहला माइक्रोप्रोसेसर बनने के कई वर्षों बाद K 8086 प्रोसेसर के साथ शुरू हुआ। पहले के पर्सनल कम्प्यूटर में सभी कार्य एक फ्लॉपी डिस्क पर होते थे।

    फिर हार्ड डिस्क का आविष्कार हुआ और हमें फ्लॉपी डिस्क की अपेक्षाकृत अधिक टिकाऊ तथा अधिक मात्रा में डाटा को स्टोर करने वाली एक डिवाइस मिली। इस सेक्शन में हम पर्सनल कम्प्यूटर के विकास क्रम पर चर्चा करेंगे।

    1) पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer)- प्रथम आई.बी.एम. पी.सी. में इंटेल 8086 माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। यह 8 बिट प्रोसेसर था जो आई.बी.एम. पी.सी. के उस समय को आवश्यकता को पूरा करता था।

    इस माइक्रोप्रोसेसर का मुख्य कार्य डाटा, मेमोरी एंड्स तथा Points of Instruction को स्टोर करना था। इस माइक्रोप्रोसेसर में यह सुविधा प्रदान करने के लिये पानी डाटा स्थानांतरण व डाटा प्रोसेसिंग के लिये 14 रजिस्टर लगे थे।

    इसकी संचय क्षमता 128 से 640 KB तक थी तथा इसके पलापी इल की संख्या 1 या 2 थी। इस प्रकार के कम्प्यूटर में हार्डडिस्क नहीं होती थी तथा गणना गति (computational speed) 8 मेगाहर्टज में थी। इसकी मेमोरी 1 MB तक होती थी। डाटा बस का आकार 8 बिट तथा ऐड्स (Address) बस का आकार 20 बिट होता था।

    2) पी.सी.एक्स.टी. (PC-XT) – इसमें 8088 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इस प्रकार के कम्प्यूटर की स्टोर क्षमता 640 किलोबाइट थी तथा माइक्रोप्रोसेसर 8 बिट का था। इसमें फ्लॉपी ड्राइव्स की संख्या या 2 तक थी।

    लेकिन इस प्रकार के कम्प्यूटरों में हाडडिस्क होती थी तथा गणना गति 10-12 मेगाहर्ट्ज में थी। इसकी मेमोरी । मेगाबाइट तक होती थी तथा इसमें डाटाबेस का आकार (size) 8 बिट तथा ऐड्स बस का आकार 20 बिट होता था।

    3) पी.सी.ए. टी. (PC-AT) – इस प्रकार के कम्प्यूटर में 80286 नामक माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ था। इसमें कुछ अतिरिक्त गुण थे जिनमें से एक प्रोग्राम प्रोसेसिंग की गति तेज होना था। इसकी गति 8086 की अपेक्षा अधिक थी।

    इस प्रकार के कम्प्यूटर की स्टोरेज क्षमता | MB से 2 MB तक थी। इसमें फ्लॉपी ड्राइव की संख्या या 2 थी। इस प्रकार के कम्प्यूटरों में हार्डडिस्क होती थी तथा इसकी गणना गति 16-20 मेगाहर्टज में होती थी।

    इसकी अधिकतम मेमारी 16 MB तक होती थी तथा इसमें डाटाबेस का आकार 16 विट तथा ऐड्स बस का आकार 24 बिट तक होता है। इन कम्प्यूटरों को सारणी 21 में संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।