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  • फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) / Free and Open Source Software (Foss) kya hai?

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) / Free and Open Source Software (Foss)

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को फ्री/लिवर ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Floss) या फ्री/ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (Foss) युजर्स तथा प्रोग्रामर्स को सॉफ्टवेयर से सोर्स कोड को एडिट, मोडिफाय तथा रियुज करने की अनुमति प्रदान करता है। यह डेवलपर्स को इसे मोडिफाय करके प्रोग्राम की फंक्शनालिटी में सुधार करने के अवसर प्रदान करता है।

    टर्म ‘फ्री’ इन्डिकेट करती है कि सॉफ्टवेयर में कॉपीराइट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। टर्म ‘ओपन सोर्स’ इन्डिकेट करती है कि सॉफ्टवेयर अपने प्रोजेक्ट फॉर्म में है, जिससे रिवर्स इंजीनियरिंग की आवश्यकता के बिना दुनिया भर में कोलबरेट करने वाले एक्सपर्ट डेवलपर्स से आसान सॉफ्टवेयर डेवलपमेन्ट को सक्षम किया जा सके।

    फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का अर्थ यह नहीं है कि सॉफ्टवेयर फ्री है। इसका अर्थ यह है कि सॉफ्टवेयर का सोर्स को सभी के लिए ओपन है और कोई भी व्यक्ति कोड का उपयोग, अध्ययन तथा मोडिफाय करने के लिए स्वतंत्र है। यह सिद्धांत अन्य लोगों को एक कम्युनिटी की तरह सॉफ्टवेयर के डेवलपमेन्ट तथा इम्प्रूवमेन्ट में योगदान करने की अनुमति प्रदान करता है।

  • कॉपीराइट बनाम प्लेगियरिज्म (Copyright Vs. Plagiarism)

    कॉपीराइट बनाम प्लेगियरिज्म (Copyright Vs. Plagiarism)

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट तथा प्लेगियरिज्म एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं, लेकिन अलग-अलग स्थितियों में कॉपीराइट विचारों को प्रोटेक्ट नहीं करता है, यह केवल उन विचारों के फिक्स्ड एक्सप्रेशन को प्रोटेक्ट करता है। एक व्यक्ति कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट करता है, जब वह कार्य को कॉपी, डिस्ट्रिब्युट, डिस्प्ले आदि करता है। कार्य को इस तरह से करना कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट है। कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट एक लीगल मेटर है।

    दूसरी ओर, प्लेगियरिज्म तब होता है, जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी और के कार्य को उसके ओरिजिनल सोर्स को उसकी स्वीकृति के बिना पास कर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करके प्लेगियरिज्म से बचा जा सकता है कि आप अपने कार्य में किसी ओर के विचारों या कार्यों का उपयोग करते समय हमें ओरिजिनल सोर्स को श्रेय दें। यह एक इथिकल सिचुएशन है, जिसे युनिवर्सिटी पॉलिसी द्वारा सम्बोधित किया जाता है और उल्लंघन होने पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, लिकिन यह लीगल मेटर नहीं है। इन सिचुएशन्स में दोनों के बदले किसी एक का दोषी होना संभव है, या समान समय पर दोनों दोषी हो सकते हैं।

    सिनेरियो 1 (कॉपीराइट उल्लंघन के बिना प्लेगियरिज्म) : यदि आप शेकस्पियर के सॉनेट में किसी शब्दों को कॉपी करते हैं और उसमें अपना नाम डालते हैं, और इसे किसी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो आप प्लेगियरिज्म के दोषी होंगे, लेकिन कॉपीराइट उल्लंघन के नहीं । चूँकि शेकस्पियर का कार्य पब्लिक डोमेन में है, इसलिए आप अपने विवेक से उन्हें कॉपी कर सकते हैं। हालाँकि, काम को अपना बताकर आपने शेकस्पियर को प्लेगियराइज किया है। प्लेगियरिज्म के आरोप से बचने के लिए दूसरों से बॉरो की गई किसी भी इन्फॉर्मेशन के सोर्स को सही तरीके से उद्धत तथा हवाला करना सुनिश्चित करें।

    सिनेरियो 2 (कॉपीराइट उल्लंघन लेकिन प्लेगियरिज्म नहीं: यदि आप रिसेन्ट टॉप 40 सॉन्ग्स के लिरिक्स को कॉपी करते हैं, और इसे किसी वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो उस सॉन्ग को रिकार्ड करने वाले सिंगर या ऑर्टिस्ट को क्रेडिट दिया जाता है। इस केस में कॉपीराइट उल्लंघन के दोषी होते है, लेकिन प्लेगियरिज्म नहीं। चूँकि आपने ओरिजिनल सोर्स को श्रेय दिया है, इसलिए आप ऑइडियाज को क्लैम नहीं कर रहे हैं। हालाँकि, आप कॉपीराइट आनर की अनुमति के बिना कॉपीराइट मटेरियल डिस्ट्रिब्युट कर रहे हैं, इस प्रकार आप उनके कॉपीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं।

    सिनेरियो 3 (कॉपीराइट उल्लंघन तथा प्लेगियरिज्म दोनों): यदि आप रिसेन्ट टॉप 40 सॉन्ग्स की कॉपी बनाते हैं, और इसे स्वयं के नाम पर क्लैम करते हुए वेबसाइट पर पोस्ट करते हैं, तो आपने इस कार्य पर कॉपीराइट का उल्लंघन किया है, और साथ ही सॉन्ग राइटर को प्लेगियराइज भी किया है।

  • कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (Copyright Infringement) kya hai?

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (Copyright Infringement)

    कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट (उल्लंघन) कॉपीराइट होल्डर की अनुमति के बिना कॉपीराइट प्रोटेक्टेड मटेरियल का उपयोग या प्रोडक्शन है। कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट का अर्थ है कॉपीराइट होल्डर को दिए गए अधिकार, जैसे कि एक निर्धारित अवधि के लिए किसी कार्य का अनन्य उपयोग, किसी तीसरे पक्ष द्वारा भंग किया जा रहा हो।

    म्यूजिक तथा फिल्म्स सबसे प्रसिद्ध मनोरंजन के साधन हैं, जो कॉपीराइट इन्फ्रिजमेन्ट की महत्वपूर्ण मात्रा से ग्रसित ह। इन्फ्रिजमेन्ट के मामलों में कन्टिन्जेन्ट लाइबिलिटिज हो सकती हैं, जो संभावित मुकदमे के मामले में अलग अमाउंट सेट हैं।

  • कॉपीराइट (Copyright) kya hai? फेयर युज (Fair Use)

    कॉपीराइट (Copyright) and फेयर युज (Fair Use)

    कॉपीराइट ऑवर के कार्य को प्रोटेक्ट करने का एक कानूनी साधन है। यह एक प्रकार की इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है, जो ऑथर के एक्सक्लुजिव पब्लिकेशन, डिस्ट्रीब्युशन तथा उपयोग के अधिकार प्रदान करती है। इसका अर्थ यह है कि आयर द्वारा बनाया गया कोई भी कन्टेन्ट ऑवर की सहमति के बिना किसी ओर के द्वारा उपयोग या पब्लिश नहीं किया जा सकता है। कॉपीराइट प्रोटेक्शन की अवधि अलग-अलग देशों में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह समान्य तौर पर ऑयर के जीवन के साथ-साथ 50 से 100 वर्षों तक रहता है।

    कई अलग-अलग प्रकार के कन्टेन्ट को कॉपीराइट द्वारा प्रोटेक्ट किया जा सकता है। इसके उदाहरणों में पुस्तक, कविताएँ, नाटक, गीत, फिल्म्स तथा कलाकृति सम्मिलित है। आधुनिक समय में, कॉपीराइट प्रोटेक्शन को वेबसाइट्स तथा अन्य ऑनलाइन कन्टेन्ट तक बढ़ा दिया गया है। इसलिए वेब पर पब्लिश किया गया कोई भी ओरिजिनल कन्टेन्ट कॉपीराइट लॉ द्वारा प्रोटेक्ट है। हम जिस डिजिटल युग में रहते हैं, उसमे यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि बड़ी मात्रा में कन्टेन्ट को आसानी से कॉपी तथा पेस्ट किया जा सकता है।

    कई देशों में कॉपीराइट प्रोटेक्शन आटोमेटिक है। इसका अर्थ यह है कि जब आप ओरिजिनल कन्टेन्ट पब्लिश करते हैं, तो यह कॉपीराइट लॉ द्वारा स्वतः प्रोटेक्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप इंटरनेट पर कोई ब्लॉग पोस्ट करते। हैं, तो आपका कन्टेन्ट स्वतः ही कॉपीराइट द्वारा कवर हो जाता है। अधिकतर केसेस में, इस प्रकार का कॉपीराइट प्रोटेक्शन वह है, जो आवश्यक है। हालांकि, यदि आप चाहते हैं, कि अन्य लोगों की जानकारी में हो की आपका कन्टेन्ट प्रोटेक्टेड है, तो आप किसी भी वेब पेज के नाम के आगे कॉपीराइट लोगो (D) पोस्ट कर सकते हैं, जिसमें आपका ओरिजिनल कन्टेन्ट सम्मिलित है। आप उन वर्षों को भी सम्मिलित करना चाह सकते हैं, जिनके पास कन्टेन्ट का स्वामित्व है। नीचे कॉपीराइट लाइन का एक उदाहरण दिया गया है:

    copyright©2007-2009 [your name]

    ऐसी स्थितियों में, जहाँ ऑथर के अधिकारों को प्रोटेक्ट करना महत्वपूर्ण है. कई देश कॉपीराइट करते हैं, जो ऑथर्स को एक सेन्ट्रल एजेन्सी के साथ कॉपीराइट किए गए कन्टेन्ट को रजिस्टर करने की अनुमति प्रदान करता है। इससे कभी भी डिस्प्युट होने पर कन्टेन्ट की ऑनरशिप को साबित करना आसान हो जाता है।

    कॉपीराइट ओरिजिनल कन्टेन्ट को प्रोटेक्ट करने का एक सहायक साधन प्रदान करता है। यह लोगों उनके द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय देने का काम करता है, जिसकी हम सभी सराहना कर सकते हैं। इसलिए यदि आप किसी और के कन्टेन्ट को कापी करने का विचार करते हैं, तो पहले ऑथर से अनुमति लेना सुनिश्चित करें और हमेशा उसे श्रेय दें।

    फेयर युज (Fair Use)

    फेयर युज कॉपीराइट लॉ का एक प्रोविजन है, जो आपको कुछ परिस्थितियों में दूसरों के कॉपीराइट किए गए का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करता कार्यों फेयर युज एक अधिकार है कि आपको दूसरों की अनुमति के बिना उसके कॉपीराइट किए गए कार्यों का उपयोग करना है। यह गाइडेन्स का सेट है, जो आपको दूसरों के कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग करने के अपने डिसिजन के बारे में जजमेन्ट लेने की अनुमति प्रदान करता है।

    फेयर युज आपको प्रोटेक्ट करता है, जब आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग आलोचना, टिप्पणी, न्यूज रिपोर्टिंग, टिचिंग, स्कॉलरशिप या रिसर्च है।

    कॉपीराइट मटेरियल का आपका उपयोग फेयर है या नहीं, यह निर्धारित करते समय इस इन चार फैक्टर्स पर विचार किया जाना आवश्यक है:

    फैक्टर 1: कॉपीराइट मटेरियल के आपके उपयोग का पर्पस तथा कैरेक्टर यदि आप नॉन-प्रॉफिट एज्युकेशन सेटिंग में कॉपीराइट का उपयोग करते हैं, या आलोचना, टिप्पणी, न्यूज रिपोर्टिंग, टिचिंग, स्कॉलरशिप या रिसर्च के लिए आपका उपयोग फेयर युज के रूप में योग्य होता है। फैक्टर

    2: कॉपीराइट मटेरियल का नेचर यदि आप फैक्चुअल मटेरियल का उपयोग करते है, तो आपके द्वारा क्रिएटिव मटेरियल्स का उपयोग करने की तुलना में आपके उपयोग को फेयर युज माने जाने की संभावना है। इसके साथ ही आप जिस मटेरियल का उपयोग कर रहे हैं, यदि वह पब्लिश नहीं हुई है, तो आपके पास मटेरियल के पब्लिश होने की तुलना में फेयर युज का क्लेम कम है। फैक्टर

    3: आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले कॉपीराइट मटेरियल के पोर्शन की मात्रा तथा स्थिरता। यदि आप सम्पूर्ण कार्य को एक महत्वपूर्ण पोर्शन से कम का उपयोग करते हैं, तो आपके उपयोग को फेयर युज माना जाता है।

    फैक्टर 4: पोटेन्शियल मार्केट या कॉपीराइट मटेरियल के मूल्य पर आपके उपयोग का प्रभाव यदि आपके द्वारा कॉपीराइट किए गए मटेरियल का उपयोग कॉपीराइट होल्डर की आय को या ओरिजिनल वर्क के लिए मार्केट को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, तो आपके उपयोग को फेयर युज नहीं माना जाता है।

  • लाइसेन्सिंग (Licensing) kya hai?लाभ तथा नुकसान

    लाइसेन्सिंग (Licensing)लाभ तथा नुकसान (Benefits and Limitations)

    लाइसेन्सिंग को एक बिजनेस अरेन्जमेन्ट के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें एक कम्पनी किसी अन्य कम्पनी को अपने इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स यानि मैन्युफेक्चरिंग प्रोसेस, ब्रांड नेम, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट, टेक्नोलॉजी, ट्रेड सिक्रेट आदि के लिए अस्थायी रूप से पर्याप्त विचार के लिए लाइसेन्स जारी करके दिशानिर्देशों के साथ ऑथोराइज करती है।

    वह फर्म जो किसी अन्य फर्म को अपनी इन्टेन्जिबल असेट्स का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करती है, वह ‘लाइसेन्सर है और जिस फर्म को लाइसेन्स जारी किया जाता है, वह लाइसेन्सी है। इन्टेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स के उपयोग के लिए लाइसेन्सर द्वारा लाइसेन्सी से फीस या रॉयल्टी ली जाती है। –

    उदाहरण के लिए, लाइसेन्सिंग सिस्टम के तहत, कोका-कोला तथा पेप्सी का विश्व स्तर पर प्रोडक्शन तथा बिक्री विभिन्न देशों में लोकल बॉटलर्स द्वारा की जाती है।

    संक्षिप्त में, यह बिजनेस अलायन्स का सबसे सरल रूप है, जिसमें एक कम्पनी मार्केट में एंटर करने के बदले अपने प्रोडक्ट बेस्ट नॉलेज को किराए पर देती है।

    लाइसेन्सिंग क्यों? (Why Licensing)

    विदेशी कम्पनी एक निर्दिष्ट अवधि के लिए डामेस्टिक कन्ट्री पर आधारित अन्य कम्पनी के साथ लाइसेन्सिंग एग्रीमेन्ट करती है। लाइसेन्सिंग एग्रीमेन्ट में एंटर करने के लिए दो प्राथमिक कारण है:

    • एक ब्रांड फ्रेंचाइसी का इन्टरनेशनल एक्सपानशन

    • नई टेक्नोलॉजी के कमर्शियलाइजेशन की आवश्यकता

    सामान्य तौर पर, एक फर्म अपने प्रोडक्ट्स के लाइसेन्स के लिए विकल्प चुनती है, जब यह फर्म मानती है कि प्रोडक्ट की स्वीकृति अधिक है। यह लाइसेन्सी को मार्केट में कॉम्पिरिटर्स द्वारा पेश किए गए प्रोडक्ट्स से अन्य प्रोडक्ट्स को अलग करने में सहायता करता है। इसके साथ ही, यह लाइसेन्सिंग कम्पनी को कम कीमत पर नए कस्टमर्स तक पहुँचने में भी सहायता करता है।

    लाभ तथा नुकसान (Benefits and Limitations)

    लाइसेन्सिंग में, लाइसेन्सर को कम जोखिम पर इन्टरनेशनल मार्केट में एंटर होने का लाभ प्राप्त होता है। हालाँकि, प्रोडक्ट के प्रोडक्शन, डिस्ट्रिब्युशन तथा बिक्री के मामले में लाइसेन्सी पर बहुत कम या कोई कंट्रोल नहीं होता है। इसके साथ यदि लाइसेन्सी को सफलता मिलती है, तो फर्म अपना लाभ देती है, और जब भी लाइसेन्सिंग एग्रीमेन्ट प्राप्त हो जाता है, तो फर्म को पता चल सकता है कि उसने एक कॉम्पिटिटर को जन्म दिया है।

    रोकथाम के उपाय के रूप में, लाइसेन्सर द्वारा ही सप्लाए किए गए कुछ प्रॉप्राइटरी प्रोडक्ट कम्पोनेन्ट्स हैं। हालाँकि इनोवेशन को एप्रोप्रिएट स्ट्रेटेजी के रूप में माना जाता है, ताकि लाइसेन्सी को लाइसेन्सर पर निर्भर रहना पड़े ।

    दूसरी ओर, लाइसेन्सी प्रोडक्शन या एक प्रसिद्ध ब्रांड के नाम से विशेषज्ञता प्राप्त करता है। वह उम्मीद करता है। कि अरेन्जमेन्ट समग्र बिक्री में वृद्धि करेगा, जो नए मार्केट के द्वार खोल सकता है और बिजनेस आब्जेक्टिव्स को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है। हालाँकि इसे ऑपरेशन्स की शुरूआत करने के लिए काफी कैपिटल इन्वेस्टमेन्ट की आवश्यकता होती है, साथ ही डेवलपमेन्ट कॉस्ट भी लाइसेन्सी द्वारा वहन की जाती है।

  • प्लेगियरिज्म (Plagiarism )प्लेगियरिज्म के प्रकार (Types of Plagiarism) kya hai?

    प्लेगियरिज्म (Plagiarism )

    प्लेगियरिज्म, दूसरे व्यक्ति को श्रेय दिए बिना किसी और के विचारों या शब्दों को अपने उपयोग में लेने का कार्य है। जब आप ओरिजिनल ऑथर को श्रेय देते हैं (व्यक्ति का नाम, आर्टिकल का नाम, जहाँ इसे पोस्ट या प्रिंट किया गया हो उसके बारे में जानकारी) आदि सोर्स का उपयोग करते हैं। प्लेगियरिज्म तब होता है, जब आप इन जानकारियों को अपने पेपर में सम्मिलित नहीं करते हैं। प्लेगियरिज्म के अन्य रूप भी हैं, जैसे किसी पेपर का पुनः उपयोग करना और किसी ओर से आपके लिए लिखवाना ।

    अन्य शब्दों में, प्लेगियरिज्म, सोर्स का उल्लेख किए बिना किसी अन्य ऑथर के टेक्स्ट की नकल है। किसी विशेष टेक्स्ट को अपनी ओरिजिनल राइटिंग के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करना और उसकी नकल करना सीरियस ऑफेन्स है।

    प्लेगियरिज्म के ऑफेन्स के परिणामस्वरूप सजा भी हो सकती है, क्योंकि यह कॉपीराइट लॉ के तहत आता है, जो टेक्स्ट या कन्टेन्ट के ऑथर या ऑनर के अधिकार को प्रोटेक्ट करता है। राइटिंग में इसका सार होना आवश्यक है, और इसे राइटर को इसे वास्तविक रूप देने के लिए अपने शब्दों तथा भावनाओं को व्यक्त करने की आवश्यकता होती है। डुप्लिकेट या कॉपी किए गए कन्टेन्ट राइटिंग की ओरिजनलिटी समाप्त कर देते हैं, इसलिए राइटिंग रिडर तक पहुँचने में भी विफल हो जाता है। इसलिए रिसर्च पेपर्स तथा एकेडमिक पेपर्स के लिए टाइटर्स को अपने सोर्स मेटिरियल से सावधान रहना चाहिए।

    यदि कार्यों में प्लेगियरिज्म का संकेत है, तो यह ओरिजनल नहीं है, इसके बजाए इसे कॉपी के नए कन्टेन्ट के रूप में माना जाता है। इसलिए राइटर्स के लिए यह जानना आवश्यक है कि प्लेगियरिज्म से कैसे बचा जाए और राइटिंग की ओरिजिनलिटी को बरकरार रखा जाए

    प्लेगियरिज्म के प्रकार (Types of Plagiarism)

    प्लेगियरिज्म के विभिन्न प्रकार होते हैं। डायरेक्ट प्लेगियरिज्म तथा मोसेक प्लेगियरिज्म, प्लेगियरिज्म के समान्य प्रकार हैं। इससे बचने के लिए यह जानना जरूरी है कि प्लेगियरिज्म को ऑनलाइन कैसे चैक किया जाता है।

    1. डायरेक्ट प्लेगियरिज्मः सामान्य तौर पर, प्लेगियरिज्म के अपराध में सोर्स के उचित उल्लेख के बिना किसी अन्य राइटिंग के कुछ हिस्सो को अपनाना सम्मिलित होता है। कई बार टेक्स्ट से कॉपी करने वाला एक भी शब्द नहीं बदलता हैं। प्लेगियरिस्ट सेन्टेन्स के कुछ हिस्सों को भी बदल सकता है या फिर कुछ शब्दों को अपने शब्दों से फेरबदल कर सकता है। हालांकि यह प्लेगियरिज्म के अपराध के अंतर्गत भी आता है।

    प्लेगियरिज्म के विभिन्न रूपों में डायरेक्ट प्लेगियरिज्म सबसे हानिकारक है। जब प्लेगियरिस्ट किसी और के कार्य से टेक्स्ट को कॉपी तथा पेस्ट करता है और सोर्स का हवाला देने या कोटेशन मार्क्स को हटाने की अपेक्षा करता है, तो यह डायरेक्ट प्लेगियरिज्म है।

    किसी टेक्स्ट की समान कॉपी या क्लोनिंग एक सीरियस ऑफेन्स है। यह डुप्लिकेट केन्टेन्ट जानबुझकर प्लेगियराइज किए गए कन्टेन्ट की श्रेणी में आती है। यह अनैतिक है और ओरिजिनल कन्टेन्ट का राइटर प्लेगियरिस्ट के खिलाफ डिसिप्लिनरी एक्शन्स ले सकता है।

    2. मॉसेक प्लेगियरिज्म: एक अन्य प्रकार का प्लेगियरिज्म होता है, जो अनजाने में किया जाता है। इस केस में प्लेगियरिस्ट ने उस कन्टेन्ट के सोर्स का उल्लेख किया होगा, जिसका उसने उपयोग किया है। लेकिन वह कोटेड भाग को एक्नॉलेज नहीं करता है या उन्हें कोटेशन मर्क्स के भीतर सही तरीके से रखता है, तो राइटर प्लेगियरिज्म के अपराध करता है। चाहे इरादतन हो या अनजाने में प्लेगियरिज्म एक सीरियस ऑफेन्स है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि राइटिंग राइटर की प्रापर्टी है।

    राइटिंग को समृद्ध बनाने के लिए कुछ सोर्स मटेरियल्स का उल्लेख करना आवश्यक है। यदि को राइटर इंटरनेट को सोर्स के रूप में उपयोग करता है, तो उसे पता होना चाहिए कि क्या नहीं करना है, ताकि वह प्लेगियरिज्म से बच सके। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस कार्य का उन्होंने उल्लेख किया है, उसके सोर्स का ठीक प्रकार उल्लेख करना यदि उसने शब्द दर शब्द का उपयोग किया है, तो उसे कोटेशन मार्क्स का उपयोग करना चाहिए। एक राइटर को मॉसेक प्लेगियरिज्म से सावधान रहना चाहिए। इस प्रकार का प्लेगियरिज्म तब होता है, जब राइटर कोटेशन मक्स का उपयोग किए बिना किसी विशेष सोर्स मटेरियल से फ्रेजेस या पार्ट्स को बीरो करता है या सोर्स के ओरिजिनल स्ट्रक्चर को बदले बिना कन्टेन्ट के कुछ शब्दों को अनजाने में किसी और के कार्य की पैराफ्रेजिंग करना भी मॉसेक प्लेगियरिज्म की ओर जाता है। कभी-कभी प्लेगियरिस्ट कुछ पार्ट्स की पैराफ्रेजिंग करके पेच, राइटिंग करते हैं और फिर उसमें से टेक्स्ट या पार्ट्स को कॉपी तथा पेस्ट करते हैं। यह मॉजेक प्लेगियरिज्म का दूसरा रूप है। ये दो तरीके राइटर को सबसे सामान्य प्रकार के प्लेगियरिज्म से बचने में सहायता करते हैं।

    3. सेल्फ-प्लेगियरिज्मः सेल्फ-प्लेगियरिज्म, प्लेगियरिज्म के सामान्य प्रकारों में से एक है, जहाँ स्कूल के स्टूडेन्ट्स अपने पहले सबमिट किए गए एकेडमिक पेपर के हिस्से को कॉपी तथा पेस्ट करते हैं। यदि स्टूडेन्ट सम्बन्धित टीचर से पूछे बिना दो अलग-अलग क्लास प्रोजेक्ट्स के लिए एक ही पेपर सबमिट करता है, तो इसे सेल्फ-प्लेगियरिज्म माना जाता है।

    हालाँकि सेल्फ-प्लेगियरिज्म अक्सर गंभीर लीगल एक्शन के साथ समाप्त नहीं होती है, जो एकेडमिक पेपर्स तथा रिसर्च पेपर्स के प्रेजेन्टेशन को प्रभावित कर सकती है।

    • एक्सिडेन्टल प्लेगियरिज्मः प्लेगियरिज्म के एक अन्य सामान्य रूप में एक्सिडेन्टल प्लेगियरिज्म सम्मिलित है। जब प्लेगियरिस्ट सोर्स मटेरियल के लिए फ्रेजेस तथा टेक्स्ट के कुछ हिस्सों को गलत तरीके से कोट करता है या सोर्स का पर्याप्त रूप से हवाला नहीं देता है, तो उसे प्लेगियरिज्म माना जाता है।

    गलत ऑथरशिप के लिए भले ही कार्य का नाम उद्धृत किया गया हो, ओरिजिनल राइटर प्लेगियरिस्ट के खिलाफ डिसिप्लिनरी एक्शन्स ले सकता है, भले ही एक्सिडेन्टल प्लेगियरिज्म इरादतन न हो।

  • इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी वॉएलेशन्स (Intellectual Property Violations) kya hai?

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी वॉएलेशन्स (Intellectual Property Violations)

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी वॉएलेशन्स मुख्य रूप से ट्रेडमार्क इन्फ्जिमेन्ट तथा पेटेन्ट इन्जिमेन्ट से सम्बन्धित हैं। एन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) वह वाइन है, जिसके माध्यम से गवर्नमेन्ट क्रिएशन को प्रोत्साहित करती है और पब्लिक नॉलेज शेयर करती है। संक्षिप्त में, प्रॉपर्टी का यह रूप मन के क्रिएशन्स को संदर्भित करता है। इसमें लिटरेरी वर्क्स, इन्वेन्शन्स तथा डिजाइन्स के साथ-साथ कॉमर्स में उपयोग की जा रही इमेजेस, नाम तथा सिम्बॉल्स सम्मिलित किए जा सकते हैं। IP प्रोटेक्शन प्राप्त करके, क्रिएटर्स को अपने विचारों को पब्लिक के साथ शेयर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को रजिस्टर करने के द्वारा प्रदान किए गए लाभों के परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक एप्लिकेशन्स प्राप्त होती हैं। प्रत्येक वर्ष रजिस्ट्रेशन की संख्या के साथ इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इन्फिजमेन्ट (उल्लंघन) के हजारों केसेस अदालत में जाते हैं। कॉपीराइट, ट्रेडमार्क तथा पेटेन्ट के लिए समस्याएँ तब उत्पन्न होती हैं जब कोई अन्य एन्टिटी बिना अनुमति के इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का उपयोग करती है। यह ट्रेड सिक्रेट्स के समान है, लेकिन इस स्थिति में समस्या सामान्य अन अप्रुबल उपयोग के बजाए मिस-एप्रोप्रिएट है।

    तथ्य यह है कि आपकी इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पर आपके कुछ अधिकार होते हैं। ये तब भी होते हैं, जब आपने कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन या ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन फाइल नहीं की हो। पेटेन्ट के विपरीत, जिन्हें प्रोटेक्शन प्राप्त करने के लिए रजिस्टर करना आवश्यक है, ट्रेड सिक्रेट्स का सार यह है कि वे रजिस्टर्ड नहीं है। जब आपके अधिकारों का उल्लंघन होता है, जो ट्रेडमार्क लिटिगेशन या पेटेंट लिटिगेशन के रूप में एक्शन लेना आपके ऊपर निर्भर करता है।

  • इन्टेलेक्चुअल प्रॉपटी राइट्स (Intellectual Property Rights) kya hai?

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपटी राइट्स (Intellectual Property Rights)

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, एक इन्टेन्जिबल प्रॉपर्टी है, जो ह्युमन इन्टेलेक्ट, कैपिटल, लेबर आदि का एक प्रोडक्ट है, जैसे कि आर्टिस्टिक क्रिएशन्स, लिटरेटी वर्क्स, इन्वेन्शन्स आदि। यह इन्टेन्जिबल है, क्योंकि इसकी फिजिकल विशेषताओं की सहायता से पहचान नहीं की जा सकती है।

    क्रिएटर्स के हितों की रक्षा के लिए, इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पेश किए जाते हैं, जो उन्हें अपनी प्रॉपर्टी पर अधिकार देते है, और दूसरों को आनर (क्रिएटर) की अनुमति के बिना इसका उपयोग करने से रोकते हैं।

    अन्य शब्दों में, इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ह्युमन इन्टेलेक्ट का प्रोडक्ट है, जिसमें क्रिएटिविटी कॉन्सेप्ट्स, इन्वेन्शन्स, इन्डस्ट्रियल मॉडल्स, ट्रेडमार्क्स, सॉन्ग्स, लिटरेचर, सिम्बॉल्स, नेम्स, ब्रॉड्स आदि सम्मिलित हैं। इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स अन्य प्रॉपर्टी राइट्स से अलग नहीं हैं। वे अपने आनर को अपने प्रोडक्ट से पूरी तरह से लाभान्वित करने की अनुमति प्रदान करते हैं, जो शुरू में एक विचार या लेकिन बाद में विकसित हुआ तथा प्रकाश में आया। वे उसे/उसकी प्रायर परमिशन पूर्व अनुमति के बिना अन्य लोगों के उसके प्रोडक्ट का उपयोग करने, डील करने या उसके साथ छेड़छाड़ करने से रोकने का अधिकार भी देते हैं। वह वास्तव में उन पर मुकदमा कर सकता है।

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का इतिहास (History of Intellectual Property Rights)

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) नया कॉन्सेप्ट नहीं है। ऐसा माना जाता है कि IPR की शुरूआत नार्थ इटली में पुनर्जागरण काल के दौरान हुई थी। सन् 1474 में, वेनिस ने पेटेंट्स प्रोटेक्शन को रेग्युलेट करने वाला कानून जारी किया, जिसने आनर के लिए विशेष अधिकार प्रदान किया। कॉपीराइट 1440 ईस्वी पूर्व का है, जब जोहान्स गुटेनबर्ग ने बदले जा सकने वाले लकड़ी या धातु के अक्षरों के साथ प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया था। 19वीं शताब्दी के अंत में, कई देशों ने IPR को रेग्युलेट करने वाले कानूनों को बनाने की आवश्यकता महसूस की। विश्व स्तर पर IPR सिस्टम का आधार बनाने वाले दो कन्वेन्शन्स पर हस्ताक्षर किए गए थे। इन्डस्ट्रियल प्रॉपर्टी के प्रोटेक्शन के लिए पेरिस कन्वेन्शन (1883), लिटरेटी तथा आर्टिस्टिक र्वक्स के प्रोटेक्शन के लिए बर्न कन्वेन्शन (1886)।

    इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी का क्लासिफिकेशन (Classification of Intellectual Property)

    1. इन्डस्ट्रियल प्रॉपर्टीः इन्डस्ट्रियल प्रॉपर्टी उस प्रॉपर्टी का संकेत देती है, जिसे इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉज के तहत प्रोटेक्शन मिला है, और इसमें ट्रेडमार्क, डिजाइन्स, इन्वेन्शन के लिए पेटेन्ट, ट्रेड सिक्रेट, युटिलिटी मॉडल आदि सम्मिलित हैं।

    2. ट्रेडमार्क: ट्रेडमार्क एक निश्चित साइन, सिम्बॉल या किसी विशेष प्रोडक्ट के सोर्स को डिटरमाइन करने वाले शब्द को संदर्भित करता है। इसका उपयोग करने के लिए रेस्ट्रिक्टेड राइट्स की सुविधा के द्वारा, मार्क आनर को प्रोटेक्शन प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। जब यह सर्विस प्रोवाइडर की पहचान करता है, तो इसे सर्विस मार्क कहा जाता है। एक बार रजिस्टर होने के बाद, ट्रेडमार्क एक निश्चित अवधि के लिए प्रोटेक्ट रहता है, जिसके बाद इसे भुगतान करके रिन्यू किया जा सकता है।

    पेटेन्टः पेटेन्ट, इन्वेन्टर को उसके क्रिएशन के लिए प्रदान किया गया प्रोटेक्शन है, जो एक डिवाइस या प्रोसेस हो सकती है। यह एक गवर्नमेन्ट लाइसेन्स है, जो इन्वेन्टर को एक विशिष्ट अवधि के लिए, अन्य लोगों को इसे क्रिएट करने या बेचने से रोकने के लिए विशेष अधिकार प्राप्त करता है।

    डिजाइनः इन्डस्ट्रियल डिजाइन भी कहा जाता है, मुख्य रूप से किसी प्रोडक्ट या प्रोसेस के एस्थेटिक फीचर्स से सम्बन्धित है, जो इसे और भी अधिक आकर्षक बनाता है और इस प्रकार इसकी कमर्शियल वैल्यु को बढ़ाता है।

    • ट्रेड सिक्रेट्स: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह सेन्सिटिव बिजनेस इन्फॉर्मेशन है, जो फर्म को कॉम्पिटिटिव एज प्रदान करती है।

    2. कॉपीराइटः कॉपीराइट का अर्थ है आर्टिस्टिक तथा लिटरेरी वर्क्स के क्रिएटर या कम्पोजर को एक निश्चित अवधि के लिए सौंपे गए विशेष अधिकार, जो अन्य लोगों को काम की नकल करने से रोके जाने के लिए प्रदान किए जाते हैं। इसमें नॉवेल्स, कविताएँ तथा खेल, फिल्म्स, ड्रामा, म्यूजिकल वर्क तथा आर्टिस्टिक क्रिएशन्स, जैसे- पेंटिंग्स, स्कल्पचर्स, फोटोग्राफ्स आदि की एक विस्तृत विविधता सम्मिलित है।

  • Data Projection Element kya hai?

    डेटा प्रोटेक्शन के एलिमेन्ट्स (Elements of Data Protection)

    सिक्योरिटी से सम्बन्धित सभी कन्स्ट्रेन्ट्स तथा रिक्वायरमेन्ट्स को पूरा करने के लिए रिसचर्स तथा सिक्योरिटी एनालिस्ट्स कुछ अनूठे कॉन्सेप्ट्स के साथ आए है, जो सिस्टम को सिक्योर करने में सहायता कर सकते हैं। यदि किसी भी एलिमेन्ट से समझौता किया जाता है, तो इन्फॉर्मेशन के साथ-साथ सिस्टम के लिए भी संभावित जोखिम होता है।

    डेटा प्रोटेक्शन के एलिमेट्स का वर्णन इस प्रकार किया गया है:

    1. अवेलेबिलिटी: अवेलेबिलिटी यह स्पेसिफाए करती है कि डेटा या रिसोर्स क्लाइंट द्वारा रिक्वायर्ड है या रिक्वेस्ट किए जाने पर उपलब्ध है या नहीं। रिक्वेस्ट की गई इन्फॉर्मेशन का वास्तविक मूल्य तभी होगा, जब वैलिड युजर्स सही समय पर उन रिसोर्सेस को एक्सेस कर सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल्स उन डेटा को जब्त कर लेते हैं, ताकि उन रिसोर्सेस को एक्सेस करने की रिक्वेस्ट अस्वीकार हो जाए। (वर्किंग सर्वर के डाउनटाइम की ओर चला जाता है), जो एक कन्वेन्शनल अटैक है।

    2. इन्टिग्रिटी यह सुनिश्चित करने के लिए टेक्निक्स को संदर्भित करता है कि सभी डेटा या रिसोर्सेस जिन्हें वास्तविक समय पर एक्सेस किया जा सकता है, वैलिड, सही तथा अनआथोराइज्ड युजर (हैकर्स) मोडिफिकेशन से प्रोटेक्ट करते हैं। डेटा इन्टिग्रिटी एक प्राथमिक तथा आवश्यक कम्पोनेन्ट या इन्फार्मेशन सिक्योरिटी का एलिमेन्ट बन गया है, क्योंकि यूजर्स को इनका उपयोग करने के लिए ऑनलाइन इन्फॉर्मेशन पर भरोसा करना होता है। नॉन-ट्रस्टेड डेटा इन्टिग्रिटी से समझौता करता है, और इसलिए यह छः एलिमेन्ट्स में से एक का उल्लंघन करता है। डेटा इन्टिग्रिटी को चैकसम, हैश ईस्युज में चेन्जेस तथा डेटा कम्पेरिजन जैसी टेक्निक्स के माध्यम से वैरिफाए किया जाता है।

    3. आथेन्सिसिटीः आथेन्टिसिटी एक अन्य आवश्यक एलिमेन्ट है, और आथेन्टिक्शन को यह सुनिश्चित करने तथा कन्फर्म करने की प्रोसेस के रूप में परिभाषित किया जा सकता है कि युजर की आइडेंटिटी वास्तविक तथा वैध है। आथेन्टिकेशन की यह प्रोसेस तब होती है जब युजर किसी भी डेटा या इन्फॉर्मेशन को एक्सेस करने का प्रयास करता है। आमतौर पर लॉगिन या बायोमैट्रिक एक्सेस द्वारा किया जाता है। हालांकि, साइबर क्रिमिनन्स सोशल इंजीनियरिंग, पासवर्ड गेसिंग या क्रेकिंग सिफर्स के उपयोग से इस तरह के एक्सेस प्राप्त करने के लिए अधिक सोफिस्टिकेट टूल्स तथा टेक्निक्स का उपयोग करते हैं।

    4. कॉन्फिडेन्शियलिटी: कॉन्फिडेन्शियलिटी को सभी सेन्सिटिव तथा प्रोटेक्टेड इन्फॉर्मेशन को एक्सेस करने के लिए अप्रूव्ड युजर्स को परमिट करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। कॉन्फेन्शियलिटी इस तथ्य को ध्यान में रखती है कि कॉन्फिडेन्शियल इन्फॉर्मेशन तथा अन्य रिसोर्सेस को वैलिड तथा आथोराइज्ड युजर्स को ही रिवेल किया जाता है। युजर या व्युअर के आथोराइजेशन के साथ-साथ किसी विशेष डेटा पर एक्सेस कंट्रोल्स सुनिश्चित करने के लिए रोल-बेस्ड सिक्योरिटी टेक्निक्स के उपयोग से कॉन्फिडेन्शियलिटी को निश्चित किया जा सकता है।

    5. नॉन- रेप्युडिएशनः नॉन-रेप्युडिएशन डेटा प्रोटेक्शन का एक एलिमेन्ट है, जिसे एश्योरेन्स के तरीके के रूप में परिभाषित किया जा सकता है कि डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से या इन्क्रिप्शन के उपयोग के माध्यम से दो या दो से अधिक युजर्स के बीच ट्रांसमिट किया गया मैसेज एक्युरेट है, और कोई भी किसी भी डॉक्यूमेन्ट पर डिजिटल सिग्नेचर के आबेन्टिकेशन को लेकर इन्कार नहीं कर सकता है। आबेन्टिक डेटा, साथ ही इसकी उत्पत्ति को डेटा हैश से प्राप्त किया जा सकता है।

    6. युटिलिटी: युटिलिटी का उपयोग किसी भी उद्देश्य या कारण के लिए किया जा सकता है और एक्सेस किया जा सकता है, इसके बाद युजर्स द्वारा उपयोग किया जा सकता है। यह पूरी तरह से सिक्योरिटी के एलिमेन्ट का प्रकार नहीं है, लेकिन यदि किसी रिसोर्स की युटिलिटी अस्पष्ट या बेकार हो जाती हैं, तो यह किसी काम की नहीं रहती है। क्रिप्टोग्राफी का उपयोग इंटरनेट पर सेन्ड किए गए किसी भी रिसोर्स की इफिशिएन्सी को बनाए रखने के लिए किया जाता है। इंटरनेट पर सेन्ड किए गए मैसेज या डेटा को सिक्योर करने के लिए विभिन्न इन्क्रिप्शन मैकेनिज्म्स का उपयोग किया जाता है ताकि ट्रांसमिशन के दौरान इसे बदला न जाए, अन्यथा, उस रिसोर्स को युटिलिटी प्रबल नहीं होगी।

  • Data Projection kya hai?

    डेटा प्रोटेक्शन (Data Protection)

    डेटा प्रोटेक्शन, नेटवर्क पर फाइल्स, डेटाबेसेस तथा अकाउंट्स को प्रोटेक्ट करने की प्रोसेस है, जो विभिन्न डेटासेटन के सापेक्ष उनकी सेन्सिटिविटी, रेग्युलेटरी कम्प्लाएंस रिक्वायरमेन्ट्स की पहचान करने और फिर उन रिसोर्सेस को सिक्योर करने के लिए कंट्रोल्स, एप्लिकेशन्स तथा टेक्निक्स के सेट को अपनाती हैं ।

    अन्य शब्दों में, डेटा प्रोटेक्शन, डेटा को प्रोटेक्ट करने की प्रोसेस है और इसमें डेटा तथा टेक्नोलॉजी के कलेक्शन तथा डिसेमिनेशन पब्लिक परसेप्शन तथा प्राइवेसी की एक्सपेक्टेशन और उस डेटा के आसपास के पॉलिटिकल तथा कानून आधार के बीच रिलेशनशिप सम्मिलित है। इसका उद्देश्य इन्डिविजुअल प्राइवेसी राइट्स के बीच बैलेन्स स्थापित करना है, जबिक डेटा को बिजनेस के उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति प्राप्त है।

    डेटा प्रोटेक्शन प्रोटेक्टिव डिजिटल प्राइवेसी मेजर्स को संदर्भित करता है, जो कम्प्युटर्स, डेटाबेसेस तथा वेबसाइट्स में अनआथोराइज्ड एक्सेस को रोकने के लिए लागू कि जाते हैं। डेटा प्रोटेक्शन डेटा को करप्शन से भी बचाता है। यह प्रोटेक्शन हर आकार तथा प्रकार के आर्गेनाइजेशन्स के लिए IT का एक महत्वपूर्ण पहलु है।

    डेटा प्रोटेक्शन की प्रैक्टिस करने के सबसे सामान्य तरीकों में से आथेन्टिकेशन का उपयोग है। आथेन्टिकेशन के साथ युजर्स को किसी सिस्टम या डेटा एक्सेस प्रदान करने से पहले उसकी ऑइडेन्टिटी वेरिफाए करने के लिए एक पासवर्ड, कोड, बायोमेट्रिक डेटा या अन्य प्रकार का डेटा प्रदान करना होगा। डेटा प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजीस के उदाहरणों में बैकअप, डेटा मास्किंग तथा डेटा इरेजर सम्मिलित है। एक प्रमुख डेटा प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी मेजर, इन्क्रिप्शन है, जहाँ डिजिटल डेटा, सॉफ्टवेयर/हार्डवेयर तथा हार्ड ड्राइव इन्क्रिप्ट किए जाते हैं और इसे अनआथोराइज्ड युजर्स तथा हैकर्स के अनरीडेबल स्टफ । प्रदान किए जाते हैं।