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  • Privacy and Security Issues kya hai?

    प्राइवेसी और सिक्यूरिटी इश्यूज (Privacy and Security Issues)

    ई-डेमोक्रेसी को अनेक प्रैक्टिकल इश्यूज सराउण्ड करते हैं। मीडिया में, इन्टरनेट पर और लोकप्रिय चेतना में यह एक मजबूत और सामान्यरूप से निर्विवाद विचार है कि लोकतंत्र का नया इलेक्ट्रॉनिक क्रेडल इन्टरनेट है।

    इस विचार का मौलिक स्रोत शायद अपेक्षाकृत उन्मुक्त या बेरोक स्वतंत्र कथन है जो इन्टरनेट न्यूजग्रुप्स में, मेलिंग लिस्ट्स ब्लॉग्स, विकिज और चैट रूम्स में पाया जाता है।

    प्रैक्टिकल इश्यूज (Practical Issues)

    इन्टरनेट के आजकल कई ऐसी विशेषताएँ हैं जो इसे एक लोकतांत्रिक माध्यम के रूप में सोचने के लिए उत्साहित करता है ।

    इन्टरनेट के लक्षणों में से कुछ इसके डिजाइन प्रिन्सिपल्स में ट्रैस किये जा सकते हैं जो इसके क्रम विकास के प्रारंभिक चरण में इस्टैवलिश किये गए थे। इसके सेन्ट्रेलाइज्ड नियंत्रण का अभाव बहुत सारे लोगों को सलाह देता है कि सेसरशिप या नियंत्रण के अन्य प्रयास निष्फल कर दिये जाएंगे।

    इसके अन्य गुण या लक्षण इसके प्रारंभिक दिनों के सामाजिक डिजाइन के परिणाम हैं। स्वतंत्र स्पीच के लिए बड़ी मजबूती से इच्छा स्वातंत्रवादी समर्थन, शेयरिंग कल्चर आदि विशेषताओं ने इन्टरनेट यूज के लगभग सभी पहलुओं को फैलाया और उदाहरण के लिए नेशनल साइन्स पाउण्डेशन के द्वारा व्यावसायिक प्रयोग पर तत्काल निषेध का भी विरोध किया ।

    इन्टरनेट का सबसे महत्वपूर्ण योगदान बड़े स्तर पर ज्यादा से ज्यादा अविवेचित या अविमर्शित कम्युनिकेशन के आइडिया को अखबार समूह, चैटरूम्स, एम यू डीज और अन्य बहुत सारे मोड्स के लिए व्यापित रखा हैं इस तरह के कम्युनिकेशन ने ब्रोडकास्ट मीडिया जेसे अखबार या रेडियो और एक-से-एक माध्यम जैसे पत्र या लैंडलाइन टेलिफोन, द्वारा स्थापित बाउण्ड्रीज को इग्नोर किया।

    अंत में, चूँकि इन्टरनेट ओपेन स्टैण्डर्ड के साथ एक अतिविशाल और सस्ती संचार डिजिटल नेटवर्क है। अतः कम्युनिकेशन मीडिया के वाइड वेराइटि तक इसकी यूनिवर्सल और इनइक्सपेंसिव पहुँच है और इसके मॉडल्स को वास्तव में प्राप्त किये जा सकते हैं।

    कुछ प्रैक्टिकल मुद्दे जो ई-डेमोक्रेसी को इनवॉल्व करते हैं, में इफैक्टिव पार्टिसिपेशन डिसिजन स्टेज पर वोटिंग इक्वेलिटी, प्रबुद्ध या ज्ञान सम्पन्न समझदारी, एजेण्डा का नियंत्रण और इन्क्लुसिवनेस इत्यादि शामिल हैं।

    साइट्स की लगातार बढ़ती हुई संख्या प्राइवेसी और सेक्यूरिटी स्टेटमेंट्स ऑफर करते हैं। 2006 में 71% साइट्स के कुछ किस्म या प्रकार के प्राइवेसी पॉलिसी उनके साइट्स पर प्रस्तुत थे जो कि सन् 2005 में 69 प्रतिशत से 2 प्रतिशत का ग्रोथ दर्शाते हैं। पिछले वर्ष के 54% से बढ़कर अभी 63% मिसिवुल सेक्यूनिटी पॉलिसी प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

    प्राइवेसी पॉलिसी के लिए हम अनेक फीचर्स की तरह देखते हैं: विजिटर इनफॉरमेशन के व्यावसायिक मार्केटिंग को प्राइवेसी स्टेटमेंट निषिद्ध तो नहीं करता है, कुकीज यूज तो नहीं किया जाता या का इनडिविजुअल प्रोफाइल्स ऑफ विजिटर्स का यूज तो नहीं किया जाता, विजिटर, विजिटर की पूर्व सहमति के बिना व्यक्तिगत सूचना का प्रकटीकरण (Disclosure) तो नहीं किया जाता या लॉ इनफोर्समेंट एजेन्ट्स के साथ विजिटर इनफॉरमेशन का डिक्लोजर तो नहीं किया जाता है।

    इस विश्लेषण में, हम पाते हैं कि सरकारी वेवसाइट्स के 58 प्रतिशत ने विजिटर इनफॉरमेशन के व्यावसायिक मार्केटिंग का उपयोग करना प्रतिबंधित किया। 16% ने कूकीज या इनडिविजुअल प्रोफाइल्स को उपयोग करना प्रतिबंधित किया। 54% कहते हैं कि निजी सूचनाओं को शेयर नहीं रकते और 49% इनडिकेट करते हैं कि वे लॉ इनफोर्समेंट एजेन्ट को विजिटर इनफॉरमेशन डिसक्लोज कर सकते हैं। 60% इनडिकेट करते हैं कि वे वेबसाइट ट्रैफिक को मॉनिटर करने के लिए कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं।

  • Diffusion of E-Democracy kya hai?

    ई-डेमोक्रेसी के प्रसार (Diffusion of E-Democracy)

    राष्ट्र की कड़ी नियंत्रण-व्यवस्था ही ई-डेमोक्रेसी को प्रतिविंवित करेगा और तभी यह अपने पूरे प्रसार में यूज होने के लिए समर्थ नहीं हो सकेगा।

    इसी तरह ऑस्ट्रिया में इनके एडवांस्ड इन्टरनेट सिस्टम के कम्पोनेन्ट्स चाइना से भिन्न रूप में हैं किन्तु उन्हें राजनीतिक और सामाजिक नॉर्म्स (मानक) प्राप्त नहीं है।

    ऑस्ट्रिया में ई-डेमोक्रेसी को नागरिकों के ओपिनियन्स को सुनने के लिए बाध्यकारी बनाया जा सकता है। एक किये गए अध्ययन के आधार पर ऑस्टिया के संसद के चुने गए ऑफिसिअल्स के इस सम्बन्ध में विचार ई-डेमोक्रेसी के व्यापक और दृढ़ता से खिलाफ थे।

    वे विश्वास करते थे कि नागरिक ई-डेमोक्रेसी के बारे में अनभिज्ञ थे और उनका अपने विचार या मत अभिव्यक्त करने का एक मात्र तरीका वोट देना है, ओपिनियन और आइडिया शेयर करना इलेक्टेड लोगों का काम है।

    यू.एस. की तुलना में उनके अधिकारियों की अपनी भूमिका के सम्बन्ध में विरोधाभाषापूर्ण विचार हैं। यू.एस. के अधिकारियों के यहाँ नागरिकों के ओपिनियन का आदर किया जाता है वे स्पष्टीकरण मांग सकते हैं,

    यहाँ ई-डेमोक्रेसी की ताकत नागरिकों की ताकत से ज्यादा नहीं है अर्थात् वे नागरिक ताकत की उपेक्षा नहीं कर सकते, उनके प्रभाव नागरिकों के ओपिनियन्स का हरण नहीं कर सकते। ऑस्ट्रिया में, दूसरी तरफ, इलेक्टेड ऑफिसिअल अपने अधिकारों के थोड़े भी ह्रासमान को सहन नहीं कर सकते, वे राजनीति के बारे में नागरिकों को मतों और विचारों की खुली अभिव्यक्ति की इजाजत नहीं दे सकते।

    उनके विचारानुसार यह खुली अनुमति सत्ता में बैठे लोगों को नागरिकों के प्रति असुरक्षित और आलोच्य बनाता है। ऑस्ट्रिया की ई-डेमोक्रेसी के बारे में स्पष्ट निगेटिव ओपिनिअन यह दर्शाता है कि किसी राष्ट्र के लिए ई-डेमोक्रेसी तभी पनप कर उन्नत बन सकता है जब राजनीतिक विचारों में नागरिकों से खुलेपन का विचार अपनाया जाएगा।

  • Digital & Media Democracy kya hai?

    डिजिटल एवं मीडिया डेमोक्रेसी (Digital & Media Democracy)

    ग्लोबलाइजेशन (विश्व के ध्रुवीकरण) के युग में लोकतंत्र में टेक्नॉलजि के प्रयोग से तेजी से बदलाव आया है। पॉलिटिकल प्लुरलिज्म और डाइलॉग लोकतंत्र के नये अर्थ पेश किये जा रहे हैं और यह सब कुछ इसलिए हो रहा है कि इन्टरनेट पर नये तरह के पब्लिक डिसिसन मेकिंग पॉलिशिज के उभार को छद्मया जाली तरीकों से प्रेरित किये जाते हैं।

    ई-डेमोक्रेसी में आधुनिक प्रौद्योगिकी ने राजनीतिक संवाद और राजनीतिक जवाबदेही के क्लासिक समझ को बिल्कुल बदल डाला है।

    राजनीतिक दलों की सोच भावशून्य बना दी गई है। अमेरिकन्स प्रचण्ड रूप से समाचारों पर अपडेट्स के लिए दिन प्रतिदिन अपने मोबाइल डिवाइसेज पर अग्रसर हो रहे हैं।

    एक सर्वेक्षण, जिसे इस वर्ष रिलीज किया गया, के अनुसार लगभग समस्त अमेरिकन्स की आधी जनसंख्या यानि 47% अपने मोबाइल डिवाइसेज या सेलफोन पर स्थानीय समाचारों के कुछ फॉर्म उपलब्ध पाते हैं।

    अब अमेरिकन्स इससे भी आगे उस तरफ आगे बढ़ रहे हैं जहाँ से उन्हें उनके मोबाइल डिवाइसेज या सेलफोन पर इमेडियेट आवश्यकता को पूरा करने वाले न्यूज तक उनकी पहुँच हो सके।

    उदाहरण के लिए मौसम, मूवी टाइम्स लोकल बिजनेसेस और उनकी एरिया के ट्रैफिक की स्थिति और समस्त सूचनाएँ उपलब्ध हो सके। आज वेब न्यूज इनक्रीज करने के लिए शुरू हो रहा है।

    यानि शुरुआत हो चुकी है और आने वाले दिनों में सारी सूचनाएँ हमारी मुट्ठी में कैद एक छोटा सा डिवाइस उपलब्ध कराएगा। केवल न्यूज और न्यूज प्लेटफार्मस संकुचित और पतन की स्थिति में आने के लिए शुरू हो चुके हैं। ज्यादातर लोग अब यही कह रहे हैं कि वे न्यूजपेपर्स के तुलना में वेब से अपनी न्यूज पाते हैं।

  • E-Democracy kya hai?

    डेमोक्रेसी (E-Democracy)

    आइये देखें ‘ई-डेमोक्रेसी क्या है

    ई-डेमोक्रेसी वह व्यवस्था है, जिसमें नागरिकों को डेमोक्रेटिक डिसीजन मेकिंग प्रोसेस और रिप्रेजेन्टेटिव डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने में सूचना और प्रौद्योगिकी के उपयोग से सहायता मिलती है।

    इस व्यवस्था या कॉन्टैक्स्ट में डेमोक्रेटिक एक्टर्स और सैक्टर्स के रूप में सरकारें, इलेक्टेड ऑफिशियल्स, मीडिया, पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन्स और सिटीजन्स / वोटर्स होते हैं।

    ई-डेमोक्रेसी आजकल की रिप्रेजेन्टेटिव डेमोक्रेसी में इंटरनेट, मोबाइल कम्यूनिकेशन्स और अन्य टैक्नोलॉजीज से नागरिकों की ज्यादा एक्टिव अर्थात् सक्रिय भागीदारी होती है।

    इसके अतिरिक्त इन टैक्नोलॉजीज के होने से पब्लिक चैलेंजेज को बेहतर तरीके से पूरा करने में सिटीजन की ज्यादा पार्टिसिपेटरी या डायरेक्ट फॉर्म में इन्वोल्वेन्ट होती है

  • India Portal kya hai?

    भारत पोर्टल (India Portal)

    भारत का नेशनल पोर्टल NIC (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र) द्वारा कार्यान्वित ( Implemented) की जा रही नेशनल ई-गवर्नेन्स प्रोजेक्ट (NeGP) के अंतर्गत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।

    इस पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों, व्यवसायियों और ओवरसीज भारतीयों को केन्द्रीय सरकार से राज्य सरकार से जिला प्रशासन और पंचायत के सभी स्तरों पर भारतीय सरकार की सूचना और सेवाओं तक सिंगल-विंडो पहुँच कराना है।

    इस पोर्टल के द्वारा भारत और इसके विभिन्न पहलुओं के संबंध में सूचना का व्यापक, सटीक और विश्वसनीय एवं सिंगल-स्टाप स्रोत उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया गया है।

    इस पोर्टल पर सूचना को अलग-अलग माड्यूल में भली-भाँति वर्गीकृत किया गया है जिन्हें सर्वांगीण दृष्टि से आगंतुकों (visitor) को उपलब्ध कराने के लिए प्रासंगिक स्थानों पर इंटरलिंक भी किया गया है।

    पोर्टल के पहले संस्करण का उद्घाटन माननीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्रीय मंत्री, थिरू दयानिधि मारन द्वारा 10 नवंबर, 2005 को एक सार्वजनिक समारोह में किया गया।

    कंटेन्ट मैनेजमेंट नीति के अंश के तौर पर राष्ट्रीय पोर्टल समन्वयक (एन.पी.सी.) 66 केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और 35 राज्य सरकारों को मनोनीत किया गया है, जो कंटेन्ट तैयार करने, संकलित करने और रख-रखाव के लिए उत्तरदायी हैं।

    एनपीसी द्वारा कंटेन्ट के योगदान की सुविधा के लिए एक वेब आधारित कंटेन्ट मैनेजमेंट सिस्टम (सी.एम.सी.) http:// portalcontent.nic.in विकसित किया गया है।

  • Common Services Centers (CSC) kya hai?

    सामान्य सेवा केन्द्र (Common Services Centers (CSC))

    सी.एस.पी., व्यापक पैमाने पर ई-शासन की शुरूआत के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम में अपनी प्रतिबद्धता के अंश के रूप में नेशनल ई-गवर्नेन्स प्रोजेक्ट (NeGP) की कार्यनीतिक आधारशिला है।

    सी.एस.सी., ई-गवर्नेन्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन, मनोरंजन के साथ-साथ अन्य निजी सेवाओं के क्षेत्रों में उच्च गुणवक्ता वाली और किफायती वीडियो, ध्वनि और डाटा सामग्री और सेवाएँ उपलब्ध कराएगा।

    सी.एस.सी. की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में, आवेदन पत्रों, प्रमाणपत्रों और यूटिलिटी भुगतान जैसे- विद्युत, टेलीफोन और पानी के बिल के भुगतान सहित वैब समर्थित ई-गवर्नेन्स सेवा प्रदान करेगा।

    यह योजना, सी.एस.सी. योजना के इम्प्लीमेंटेशन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों (NGO) के लिए सहायक वातावरण बनाती है, जिसके माध्यम से ये ग्रामीण भारत के विकास में सरकार के साझीदार बन सकते हैं।

    सी.एस.सी. के PPP मॉडल में सी.एस.सी. ऑपरेटर (जिसे ग्राम स्तर पर उद्यम अथवा वी.एल.ई. कहा जाता है) वाली 3-स्तर संरचना पर विचार किया गया है।

    राज्य सरकार द्वारा सर्विस सेंटर एजेंसी (SCA), जो 500-1000 सी.एस.सी. के विभाजन के लिए उत्तरदायी होगी और पूरे राज्य में इम्प्लीमेंटेशन के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी राज्य निर्दिष्ट एजेंसी (एस. डी.ए.) के साथ आइडेंटिफिकेशन स्थापित करेगी।

    सरकार द्वारा सितंबर 2006 में 4 वर्ष की अवधि के दौरान 5742 करोड़ रु. के परिव्यय के साथ सी.एस.सी. योजना का अनुमोदन किया गया है। यह आशा की जाती है कि मार्च 2011 तक 100 प्रतिशत सी.एस.सी. को पंजीकृत कर लिया जाएगा।

  • E-Biz kya hai?

    ई-बिज (E-Biz)

    ई-बिज (E-Biz) : ई-बिज पहल औद्योगिक नीति और संवर्धन द्वारा संचालित किया जा रहा है जो व्यापार संस्थानों के लिए व्यापक गवर्नमेंट-टू-बिजनेस (G2B) सर्विसेज पारदर्शिता तेजी से और निश्चितत के साथ प्रदान करना चाहता है।

    यह व्यावसायिक संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के बीच संपर्क को कम करने, आवश्यक सूचना के मानवीकरण (standardizing), सिंगल विंडो सर्विसेज की स्थापना और अनुपालन (compliance ) के बोझ को कम करने का उद्देश्य है

    जिससे स्टैक्होल्डर जैसे- उद्यमियों, उद्योग और व्यवसायों, उद्योग संघों, नियामक एजेंसियों, औद्योगिक प्रचार एजेंसियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों और कराधान के अधिकारियों को लाभ हो।

  • E-District kya hai?

    E-District kya hai

    (E-District) : जिले सरकार के ऐसे वास्तविक फ्रंट-एंड होते हैं जहाँ पर सरकार और कंज्यूमर अथवा G2C सर्विसेज की अंतःक्रिया (Interaction) संपन्न होती है।

    ई-जिला प्रोजेक्ट इसलिए अस्तित्व में आई ताकि अनुभव में सुध र लाया जा सके तथा जिला स्तर पर विभिन्न विभागों की दक्षता में बढ़ोतरी की जा सके जिससे वह नागरिकों को सेमलेस सर्विस प्रदान कर सके।

    योजना के अंतर्गत ऐसे फ्रंट-एंड, नागरिक सुविधा केंद्रों की कल्पना की गई है जे कि जिला, तहसील, उप-प्रभाग तथा ब्लॉक स्तर पर निर्मित किये जाते हैं। सर्विसेज प्रदान करने के लिए सामान्य सर्विस सेंटर (CSCs) के माध्यम से ग्रामीण स्तर के फ्रंट-एंड स्थापित किए जाएंगे।

    इस मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) के माध्यम से उपलब्ध करायी जाने वाली सांकेतिक सर्विसेज के लिए बनायी गयी योजना (Planned) में निम्नलिखित शामिल हैं। :

    प्रमाण-पत्र : आय, अधिवास, जाति, जन्म, मृत्यु इत्यादि के प्रमाण पत्र तैयार एवं वितरित करना ।

    लाइसेंस : हथियार लाइसेंस इत्यादि ।

    सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) : राशन कार्ड जारी करना इत्यादि ।

    सामाजिक कल्याण योजनाएं: वृद्धावस्था पेंशन, पारिवारिक पेंशन, विधवा पेंशन इत्यादि का विवरण।

    शिकायतें : अनुचित मूल्यों, अनुपस्थित अध्यापकों, चिकित्सकों की अनुपलब्धता इत्यादि से संबंधित ।

    आर.टी.आई. : सूचना का अधिकार अधिनियम से संबंधित सूचना को ऑन-लाइन दर्ज करना व प्राप्त करना।

    अन्य ई-गवर्नमेंट प्रोजेक्ट से जोड़ना : पंजीकरण, भूमि-रिकॉर्ड तथा ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि । सूचना प्रसारण : सरकारी योजनाओं, पात्रताओं इत्यादि के बारे में।

    करों का निर्धारण : सम्पत्ति कर तथा अन्य सरकारी कर ।

    यूटिलिटी भुगतान : बिजली, पानी के बिल्स सम्पत्ति कर इत्यादि से संबंधित भुगतान

  • MCA21(एम.सी.ए. 21) kya hai?

    एम.सी.ए. 21 (MCA21)

    एम.सी.ए. 21 (MCA21): कारपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA), भारत सरकार ने, MCA21 प्रोजेक्ट प्रारम्भ की है जोकि कारपोरेट इकाइयों, प्रोफेशनल्स तथा आम जनता को MCA सर्विसेज तक सरलता और सुरक्षित रूप से पहुँच उपलब्ध कराने में समर्थ होने में सहायता करती है।

    कम्पनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत कानूनी अपेक्षाओं को लागू करने एवं उसके अनुपालन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को पूर्णत: स्वचालित (स्वतंत्र) करने के लिए एम.सी.ए.21 प्रोजेक्ट तैयार की गई है।

    प्रोजेक्ट में नेशनल ई-गवर्नेन्स डिलीवरी गेटवे (NSDG) के साथ इंटर-आपरेबिलिटी प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है

    जिससे अनेक फ्रंट-एण्ड डिलीवरी चैनलों के माध्यम से MCA सर्विसेज का लेन-देन भी बढ़ाने में सहायता मिलेगी तथा MCA21 द्वारा प्रदान की जाने वाली मूल सेवाओं (Base Services) के साथ-साथ अन्य मूल्यवर्धी सेवाएं उपलब्ध कराने में सहायता करेगी।

  • E-courts kya hai?

    ई- न्यायालयों (E-courts)

    भारतीय न्यायपालिका में लगभग 15,000 न्यायालय हैं जो देशभर 25,000 न्यायालय कॉम्प्लैक्स में स्थित हैं।

    ई-न्यायालय मिशन मोड प्रोजेक्ट के अधीन 5 वर्ष की अवधि में 3 चरणों में भारतीय न्यायपालिका में ICT लागू करने का प्रस्ताव है।

    मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) का उद्देश्य दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और चैन्नई, में 700 न्यायालयों में, 29 राज्यों/संघ राज्यों में 900 न्यायालयों में, और देशभर में 13,000 जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में स्वचालित निर्णयकर्ता (Automated Decision-making) और निर्णय सहायक सिस्टम (Dicision-support systems), विकसित (develop), प्रदान करना (deliver), स्थापित करना (install) और लागू (implement) करना है। इस परियोजना (project) का उद्देश्य है :

    • दिन-प्रतिदिन (day-to-day) की गतिविधियों (activities) को आसान बनाने में न्यायिक प्रशासन की सहायता । मामलों (cases) का लंबित होने के समय को कम करने में न्यायिक प्रशासन की सहायता करना ।

    • वादियों (litigants) को सूचना में पारदर्शिता प्रदान करना ।

    • न्यायधीषों (judges) को वैधानिक और न्यायिक डाटाबेस तक आसान पहुँच प्रदान करना।