Scanning Input Devi ces Kya Hai?

स्कैनिंग इनपुट डिवाइसेज़ वे इनपुट डिवाइसेज़ हैं जो डाटा या निर्देश (कमाण्ड्स) स्कैनिंग प्रोसेस के माध्यम से पूरा करती है।

स्कैनर, ऑप्टिकल कॅरेक्टर रिकॉगनिशन, ऑप्टिकल मार्क रीडर, मैगनेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉगनिशन स्कॅनिंग इनपुट डिवाइसेज़ के उदाहरण हैं।

1) स्कैनर(Scanner)

स्कैनर एक ऐसी डिवाइस है जो हमारी बहुत सारी मुश्किलों को आसान बना देती है। इस खण्ड में हम यह जानते हैं की स्कैनर क्या है ? यह किस प्रकार कार्य करता है ? ( What is a scanner? How does it function ?)

स्कैनर एक इनपुट डिवाइस है। ये कम्प्यूटर में किसी पृष्ठ पर बनी आकृति या लिखित (Text) सूचना को सीधे इनपुट करता है। इसका मुख्य लाभ यह है

कि यूजर को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती है। इन्हें इमेज स्कैनर भी कहा जाता है। ये चित्र, फोटोग्राफ, आकृति आदि का कम्प्यूटर को मेमोरी में डिजिटल (Digital) फॉर्म में इनपुट करते हैं।

आजकल पी. सी. के लिए अनेक प्रकार के स्कैनर उपलब्ध है जिनको रिजोलुशन (Resolution) 300 डॉट प्रति इंच (dot per inch) से प्रारम्भ होती है।

यहाँ रिजोलुशन (resolution) से अभिप्राय उस चित्र की स्पष्टता से है जिसे स्कैन (scan) किया जाता है। इकाई क्षेत्रफल (unti area) में चित्र के बिन्दुओं (dots) को संख्या रिजोलूशन (resolution) कहलाता है।

किसी डॉक्यूमेंट को स्कैन करने के लिए उसे स्कैनर को समतल सतह जो आमतौर पर शीशे की होती है, पर रखा जाता है। इसमें लगे लेन्स और प्रकाश स्रोत (hight sources के द्वारा चित्र को फोटोसेन्स (photosense) करके बाइनरी कोड में बदलकर कम्प्यूटर को मेमोरी में पहुंचा दिया जाता है|

जिसे कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाता है। यदि हम इस स्कैन किये गये चित्र को संशोधित (modify) करना चाहें तो कर सकते हैं। सामान्य या इमेज स्कॅनर को सबसे बड़ी कमी यह है

कि यह टेक्स्ट को भी इमेज के रूप में ही इनपुट करता है जिसकी वजह से इसे edit नहीं किया जा सकता है तथा स्कैन किये गया फाइल चौक इमेज होती हैं।

अतः यह हार्ड डिस्क पर अधिक जगह भी लेती है। ऑप्टिकल करेक्टर रिकॉग्नोशन, ऑप्टिकल मार्क रीडर, MICR स्कैनर (Scanner) के ही उदाहरण हैं।

2) ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition)

ऑप्टिकल कॅरेक्टर रिकॉग्नीशन (Optical Character Recognition) को संक्षेप में ओ. सी. आर. (O.C.R.) कहते हैं।

यह एक ऐसी तकनीक (technique) है जो स्कनर की कमी को पूरा करती है। यह तकनीक डॉक्यूमेंट के टेक्स्ट को पढ़ती है

तथा प्राप्त आकृति को उसके तुल्य ASCII Characters में परिवर्तित करती है। इन ASCII Characters को कम्प्यूटर समझ सकता है।

सभी ओ. सी. आर. में एक ऑप्टिकल स्कैनर तथा ओ.सी.आर. सॉफ्टवेयर होते हैं। टेक्स्ट आकृति (image) को टेक्स्ट फाइल में बदलने की प्रक्रिया ओ.सी.आर. सॉफ्टवेयर द्वारा संपन्न की जाती है।

डॉक्यूमेंट जब स्कैन किया जाता है तब यह बिटमैप में बदलता है जो उस डॉक्यूमेंट को आकृति (इमेज) होती है।

फिर ओ.सी. आर. सॉफ्टवेयर प्रत्येक अक्षर के बिटमैप को जाँच करता है तथा कम्प्यूटर में संग्रहित (stored) ओ.सी.आर. फॉन्ट जिन्हें ओ.सी.आर. स्टैण्डर्ड कहा जाता है से मिलान करता है।

यदि स्कैन किया गया टेक्स्ट ओ. सी. आर स्टैन्डर्ड से मिलता है तो यह स्वीकृत होता है अन्यथा इसे अस्वीकृत कर दिया जाता है।

अस्वीकृत टेक्स्ट को उपयोगकर्ता किसी वर्ड प्रोसेसर सॉफ्टवेयर की मदद से edit कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह इमेज स्कैनर के विपरीत स्कैन किये गये डॉक्यूमेंट को टेक्स्ट फाइल में बदलता है

जिसे edit किया जा सकता है तथा इसकी सहायता से हस्तलिखित डॉक्यूमेंट को भी टेक्स्ट फाइल में बदला जा सकता है।

इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि स्कैन किये गये टेक्स्ट का ओ० सी० आर० फॉन्ट से मिलना जरूरी है फलस्वरूप सभी प्रकार के फॉण्ट की पहचान मुश्किल है।

3)ऑप्टिकल मार्क रीडर (Optical Mark Reader)

आपने कभी बैंकिंग या कोई वस्तुनिष्ठ प्रकृति का परीक्षा दी है? यदि आपने दी होगी तो अक्सर यह लोगों को कहते सुना होगा की इसको उत्तर पुस्तिकाएं कम्प्यूटर से जाँची जाती हैं।

जी हां, इन परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं कम्प्यूटर के एक उपकरण ऑप्टिकल मार्क रोडर से ही जांची जाती है। आइए इस सेक्शन में हम यह जानते हैं

की ऑप्टिकल मार्क रोडर क्या है ? ऑप्टिकल मार्क रोडर (Optical Mark Reader) को संक्षेप में ओ. एम. आर. (OM.R.) कहते हैं।

यह एक ऐसी इनपुट डिवाइस है जो किसी कागज पर पेन्सिल या पेन के चिह्न की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जाँचती है।

इसमें चिह्नित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और परावर्तित (reflected) प्रकाश को जांचा जाता है। जहाँ चिह्न उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता कम होगी।

यह तकनीक केवल छपे हुए कार्ड या फॉर्म (forms) पर निश्चित स्थानों पर बने बॉक्सों (Boxes) और पेन्सिल से भर बॉक्सों (Boxes) का जाँचती है।

OMR किसी परीक्षा की उत्तरपुस्तिका को जाँचने के लिए सर्वाधिक प्रचलित तथा उपयोगी डिवाइस है।

इन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र में वैकल्पिक (objective type) प्रश्न होते हैं और विद्यार्थी को चार या पाँच विकल्पों मैं से उत्तर छाँटकर सम्बन्धित बॉक्स को पेन्सिल से भरना होता है।

4) एम. आई. सी. आर. (MICR)

हम अब तक की इनपुट डिवाइसेज़ के बार में जान चुके हैं। अब हम यह जानते हैं कि मैग्नेटीक इंक कैरेक्टर रिकॉगनीशन क्या है ? यह कैसे कार्य करता है?

एम.आई.सी.आर. कैरेक्टर को पहचानने की एक तकनीक है जिसका प्रयोग व्यापक रूप से बैंकिंग में होता है।

यह तकनीक डॉक्यूमेन्ट्स पर कैरेक्टर्स को छापने के लिए एक विशेष प्रकार के फॉन्ट तथा चुम्बकीय स्याही (magnetic ink) का प्रयोग करता है।

इस प्रकार के दस्तावेज की सूचना को डिकोड करने के लिए एक विशेष मशीन आती है। जब इस मशीन को दस्तावेज से गुजारा जाता है

तब मशीन एम.आई.सी. आर. तकनीक से छपे फॉण्ट को चुम्बकीयकृत करती है तथा चुम्बकीय सूचना को कैरेक्टर में बदलती है।

आवश्यकता पड़ने पर दस्तावेज की उसी सूचना को ओ.सी.आर. की सहायता से प्रकाशीय रूप में (optically) पढ़ा जा सकता है।

कुछ वर्षों में एम.आई.सी. आर. बैंकों में सूचना (इन्फोर्मेशन) प्रोसेसिंग हेतु एक सुरक्षित तथा उच्च निष्पादन क्षमता वाली विधि साबित हुई है।

इसमें गलतियों के अवसर बिल्कुल न के बराबर होते हैं। चेक के निचली पंक्ति में पाए जाने वाली संख्या (numbers) में चेक संख्या, सॉर्ट संख्या तथा एकाउण्ट संख्या होती हैं।

इन्हें एम. आई. सी. आर. प्रयोग के लिए चुम्बकीय स्याही (magnetic ink ) का प्रयोग कर छापा जाता है।

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